पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय
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पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के तहत समुद्री सजीव संसाधन एवं पारिस्थितिकी केंद्र (सीएमएलआरई) ने अरब सागर में ईएलएसए 3 जहाज के मलबे के पारिस्थितिक प्रभाव पर रिपोर्ट प्रकाशित की

Posted On: 19 SEP 2025 8:04PM by PIB Delhi
  1. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के समुद्री सजीव संसाधन एवं पारिस्थितिकी केंद्र (सीएमएलआरई) ने दक्षिण-पूर्वी अरब सागर में हुए ईएलएसए 3 जहाज दुर्घटना के पारिस्थितिक परिणामों का आकलन करने के लिए एक समर्पित वैज्ञानिक जांच की। एफओआरवी सागर संपदा पर शोध 2 से 12 जून 2025 तक किया गया। इसमें कोच्चि और कन्याकुमारी के बीच 23 स्थानों से नमूने लिए गए और दुर्घटना स्थल के पास गहन अवलोकन किया गया। जहाज का मलबा 09°18.76'N और 76°08.22'E निर्देशांकों पर, 54 मीटर की गहराई पर स्थित था। आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार, डूबने के समय ईएलएसए 3 में 367 टन फर्नेस ऑयल और 84 टन कम सल्फर वाला डीजल था। जिससे बड़े पैमाने पर पारिस्थितिक प्रभावों की चिंताएं बढ़ गई है।
  1. प्रारंभिक सर्वेक्षणों के दौरान, मलबे वाली जगह के आसपास लगभग दो वर्ग मील तक फैली एक तेल की परत स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी, और रासायनिक विश्लेषण ने उच्च स्तर पर पेट्रोलियम-जनित प्रदूषकों की उपस्थिति की पुष्टि की। शांत समुद्री परिस्थितियों में, ये प्रदूषक मध्य गहराई पर अधिक केंद्रित थे, जबकि सतह पर तेल की एक पतली परत दिखाई दे रही थी। हालांकि, जब उस स्थान का पुनः निरीक्षण किया गया तो वितरण पैटर्न बदल गया, सतह पर उच्च सांद्रता और गहराई पर कम स्तर देखा गया। इस बदलाव से पता चलता है कि कैसे समुद्री विक्षोभ और मिश्रण जल स्तंभ के माध्यम से तेल-जनित प्रदूषकों के पुनर्वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  1. पीएएच (पॉलीएरोमैटिक हाइड्रोकार्बन) अंशों के विश्लेषण से नेफथलीन, फ्लोरीन, एन्थ्रासीन, फेनेंथ्रीन, फ्लोरेन्थीन और पाइरीन जैसे यौगिकों की उपस्थिति का पता चला। नेफथलीन का उच्च स्तर, जो आमतौर पर मानव-जनित संदूषण का संकेत देता है, मलबे के ईंधन डिब्बों से रिसाव की ओर प्रबल संकेत देता है। इसके अलावा, पेट्रोलियम से आमतौर पर जुड़ी सूक्ष्म धातुओं, जैसे निकल, सीसा, तांबा और वैनेडियम, की उच्च सांद्रता, स्थल के पास के पानी और तलछट दोनों में पाई गई। ये निष्कर्ष इस बात की पुष्टि करते हैं कि मलबा हाइड्रोकार्बन और भारी धातु प्रदूषण का एक स्थानीय स्रोत बन गया है।
  1. रिसाव के जैविक प्रभाव पारिस्थितिकी तंत्र के कई स्तरों पर स्पष्ट थे। समुद्री खाद्य श्रृंखला का आधार बनाने वाले जूप्लैंक्टन में पेट्रोलियम-जनित प्रदूषकों का उच्च स्तर पाया गया। सतही और गहरे, दोनों नमूनों में सभी प्रमुख पीएएच अंश पाए गए, जिससे जैव संचय की पुष्टि हुई और इन प्रदूषकों के खाद्य जाल के माध्यम से मछलियों और अंततः मनुष्यों तक पहुंचने की चिंताएं बढ़ गईं। मछलियों के प्रारंभिक जीवन चरणों पर प्रभाव विशेष रूप से चिंताजनक था क्योंकि यह अवधि दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम के साथ मेल खाती है, जो पूर्वी अरब सागर में कई व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण प्रजातियों के प्रजनन और विकास के लिए महत्वपूर्ण है। प्रभावित क्षेत्र से एकत्र किए गए बड़ी संख्या में मछली के अंडों और लार्वा में सड़न के लक्षण दिखाई दिए जो इस संवेदनशील चरण के दौरान तेल के संपर्क से जुड़ी संभावित मृत्यु दर का संकेत देते हैं।
  1. समुद्र तल पर, नितलीय जीवों में पारिस्थितिक प्रभाव के स्पष्ट संकेत दिखाई दिए। घटना के कुछ ही दिनों के भीतर संवेदनशील प्रजातियों में तेजी से गिरावट आई, और केवल प्रदूषण-सहिष्णु कृमि और द्विकपाटी ही बचे। यह बदलाव समुद्र तल में तीव्र गड़बड़ी का संकेत देता है, जिसके तलछट स्वास्थ्य और मत्स्य आवासों पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकते हैं।
  1. सूक्ष्मजीव अध्ययनों ने पारिस्थितिक प्रभाव के बारे में और जानकारी दी है। जल नमूनों के मेटाजीनोमिक विश्लेषण से मलबे वाली जगह के पास एक समृद्ध और विविध जीवाणु समुदाय का पता चला, जिसमें नेप्टुनोमोनस एसिडिवोरन्स, हैलोमोनस टेब्रिजिका और एसिनेटोबैक्टर बाउमानी जैसे कई हाइड्रोकार्बन-अपघटक जीवाणु शामिल थे। हालांकि इनकी प्रचुरता प्राकृतिक जैव-उपचार क्षमता की ओर इशारा करती है लेकिन यह मलबे के आसपास मौजूद भारी हाइड्रोकार्बन संदूषण को भी दर्शाती है।
  1. सर्वेक्षण के दौरान समुद्र विज्ञान संबंधी परिस्थितियों ने इन प्रभावों को गहराई से प्रभावित किया। इस क्षेत्र में दक्षिण-पश्चिमी हवाएं और दक्षिण की ओर बहने वाली सतही धाराएं थीं। इस उथल-पुथल और मिश्रण के बावजूद, आठ दिनों के बाद भी मलबे के पास तेल जमा रहा, जिससे संकेत मिलता है कि बिना सील वाले डिब्बों से लगातार रिसाव हो रहा था।
  1. दृश्य प्रभाव उच्च समुद्री जीवों तक भी फैले। एक भूरे रंग का नोडी समुद्री पक्षी (एनस स्टॉलिडस) मलबे पर लंबे समय तक आश्रय लेते हुए, बार-बार अपने पंखों को संवारते हुए देखा गया, जो पंखों में तेल के संदूषण के प्रति एक विशिष्ट व्यवहारिक प्रतिक्रिया है। ऐसी घटनाएं रिसाव के आसपास के समुद्री पक्षियों और उच्च जीवों की भेद्यता की ओर इशारा करती हैं।
  1. वैज्ञानिक मूल्यांकन के निष्कर्ष इस बात की पुष्टि करते हैं कि ईएलएसए 3 के डूबने से दक्षिण-पूर्वी अरब सागर में महत्वपूर्ण पारिस्थितिक व्यवधान उत्पन्न हुआ है, जिससे जल की गुणवत्ता, प्लवक, बेन्थोस, मछली के अंडे और लार्वा, तथा समुद्री जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। मौजूदा उथल-पुथल और धारा प्रवाह के बावजूद, कई दिनों बाद भी तेल का बना रहना, निरंतर रिसाव के जोखिम को दर्शाता है। अध्ययन में मलबे के ईंधन कक्षों को सील करने और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र तथा मत्स्य संसाधनों की सुरक्षा के लिए प्रभावित क्षेत्र की दीर्घकालिक निगरानी की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया गया है।

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पीके/केसी/पीपी/वीके


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