उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
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भारत ने 89वीं अंतर्राष्ट्रीय इलेक्ट्रोटेक्निकल आयोग (आईईसी) की आम बैठक की मेजबानी की


भारत ओआईएमएल पैटर्न अनुमोदन प्रमाणपत्र जारी करने वाला 13वां देश बना, साथ ही डिजिटल इंडिया, नवीकरणीय ऊर्जा और दीर्घकालिक तकनीक के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है : केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्री

भारत की मुद्रास्फीति दर आज 11 वर्षों में सबसे कम है, 474 केंद्रों के माध्यम से कीमतों की निगरानी की जा रही है : श्री प्रह्लाद जोशी

बीआईएस ने लगभग 24,000 मानकों, व्यापक प्रमाणीकरण कवरेज और हॉलमार्किंग में महत्वपूर्ण सुधारों के साथ राष्ट्र निर्माण में भागीदार के रूप में अपनी भूमिका का विस्तार किया है : श्री जोशी

पीएलआई योजनाएं, सेमीकॉन इंडिया और हरित ऊर्जा मिशन भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स और स्वच्छ तकनीक के वैश्विक केंद्र के रूप में उभरने में मदद कर रहे हैं : श्री जोशी

Posted On: 15 SEP 2025 8:57PM by PIB Delhi

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी ने आज नई दिल्ली में 89वीं अंतरराष्ट्रीय इलेक्ट्रोटेक्निकल आयोग (आईईसी) की आम बैठक के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ओआईएमएल (अंतरराष्ट्रीय विधिक माप विज्ञान संगठन) पैटर्न अनुमोदन प्रमाण पत्र जारी करने वाला विश्व का 13वां देश बन गया है, जो विधिक माप विज्ञान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने कहा कि जहां तक डिजिटल इंडिया, नवीकरणीय ऊर्जा और टिकाऊ ऊर्जा का सवाल है, भारत दुनिया से आगे बढ़ रहा है।

श्री जोशी ने बताया कि भारत की मुद्रास्फीति दर आज 11 वर्षों में सबसे कम है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पूरे कार्यकाल में मुद्रास्फीति नियंत्रण में रही है। देश भर में 474 मूल्य निगरानी केन्द्रों के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं की कीमतों की निरंतर निगरानी की जा रही है।

मंत्री ने आगे कहा कि भारत बहुत जल्द सटीक भारतीय मानक समय के प्रसार के लिए एक परियोजना शुरू करेगा, जिसे उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला और इसरो के सहयोग से शुरू किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य देश भर में पांच स्थानों से भारतीय मानक समय का प्रसारण करने के लिए आवश्यक तकनीक और बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है। उन्होंने कहा कि रणनीतिक और गैर-रणनीतिक दोनों क्षेत्रों के लिए सटीक समय का प्रसार आवश्यक है।

मंत्री ने कहा कि आईईसी ने इलेक्ट्रोटेक्निकल क्षेत्र में वैश्विक मानकों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वैच्छिक, सर्वसम्मति-आधारित मानकीकरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के माध्यम से आईईसी ने एक ऐसी दुनिया को आकार देने में मदद की है जो तकनीक कुशल, अंतर-संचालित, सुरक्षित, समावेशी और टिकाऊ हो। उन्होंने आईईसी के प्रति आभार व्यक्त किया कि उसने विश्व के अग्रणी इलेक्ट्रोटेक्निकल विशेषज्ञों को ऐसे वातावरण में बुलाने की अपनी परंपरा जारी रखी है जो नवाचार, ज्ञान साझाकरण और दीर्घकालिक साझेदारी को बढ़ावा देता है। उन्होंने कहा कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के माध्यम से भारत को इस वर्ष के सम्मेलन की मेजबानी करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

श्री जोशी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वैश्विक मानकीकरण की यात्रा में बीआईएस ने भारत में हुए बदलावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत के राष्ट्रीय मानक निकाय के रूप में बीआईएस ने न केवल तकनीकी ढांचे को मजबूत किया है, बल्कि स्थिरता लक्ष्यों के साथ मानकीकरण में भी सामंजस्य स्थापित किया है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय भागीदारी के माध्यम से बीआईएस ने मानकों के सामंजस्य को बढ़ावा दिया है। साथ ही नवाचार को प्रोत्साहित किया है और विभिन्न क्षेत्रों में हरित तकनीक के विकास को सुगम बनाया है।

मंत्री ने कहा कि पिछले ग्यारह वर्षों में बीआईएस ने अपनी भूमिका को तकनीकी नियामक से बढ़ाकर राष्ट्र निर्माण में एक सच्चा साझेदार बना लिया है। उन्होंने बताया कि आज भारत में लगभग 24,000 भारतीय मानक हैं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि उत्पाद सुरक्षा और प्रदर्शन के वैश्विक मानदंडों पर खरे उतरें। प्रमाणन कवरेज 2014 में 14 गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों के तहत केवल 106 उत्पाद थे, जो बढ़कर वर्तमान में 186 क्यूसीओ, 2 हॉरिजेंटल (क्षैतिज) क्यूसीओ और ओमनीबस तकनीकी विनियमों के तहत 769 उत्पादों तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि जुलाई 2021 में सोने के आभूषणों के लिए एचयूआईडी आधारित हॉलमार्किंग की शुरुआत एक ऐतिहासिक कदम है। इसके तहत 48 करोड़ से अधिक वस्तुओं को पहले ही हॉलमार्क किया जा चुका है। 2014 में हॉलमार्किंग केंद्र की संख्या 285 थी जो अब बढ़कर 1,600 हो गई है। इसमें 373 जिले शामिल हैं और 2 लाख से अधिक पंजीकृत आभूषण विक्रेता शामिल हैं। इस सफलता को देखते हुए चांदी के आभूषणों और कलाकृतियों की हॉलमार्किंग भी शुरू की गई है।

उन्होंने आगे कहा कि बीआईएस प्रयोगशालाओं ने अपनी क्षमता कई गुना बढ़ा ली है। मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं का नेटवर्क 2014-15 में 81 से बढ़कर 2025 में 382 हो गया है, जबकि इसी अवधि में सूचीबद्ध प्रयोगशालाओं की संख्या 62 से बढ़कर 287 हो गई है। गुणवत्ता मानकों के महत्व पर संस्थानों और अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए 600 से अधिक जिलों में कार्यक्रम आयोजित किए गए। साथ ही प्रशिक्षण और लोगों तक सेवाओं की पहुंच बनाने संबंधी गतिविधियों को भी मजबूत किया गया है।

मंत्री ने कहा कि भारत आज बड़े पैमाने पर तकनीकी और औद्योगिक परिवर्तन का गवाह बन रहा है। विनिर्माण क्षेत्र उत्पादकता बढ़ाने के लिए स्वचालन और परिशुद्धता को अपना रहा है। स्मार्ट कारखाने, उद्योग 4.0 और साइबर-फिजिकल सिस्टम उद्योग के भविष्य को फिर से परिभाषित कर रहे हैं। दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल फोन निर्माता होने से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों और सौर प्रौद्योगिकियों के लिए सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक बनने तक भारत की प्रगति महत्वाकांक्षा से प्रेरित है, जो नीति द्वारा समर्थित और सामूहिक प्रयास के माध्यम से क्रियान्वित हो रही है।

उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रोटेक्निकल और ऊर्जा क्षेत्रों में भारत की यात्रा सतत विकास और जलवायु अनुकूलन के राष्ट्रीय दृष्टिकोण पर आधारित है। जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता से हटकर भारत नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ प्रौद्योगिकी और निम्न-कार्बन अवसंरचना की ओर अभूतपूर्व बदलाव कर रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि 2023 में जी20 की अध्यक्षता के दौरान भी भारत ने प्रमुख फोकस क्षेत्रों के रूप में ऊर्जा परिवर्तन और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता दी थी।

मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं, मेगा औद्योगिक कॉरिडोर, सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम और उच्च-प्रभाव वाले निवेश भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर्स के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में उभरने में मदद कर रहे हैं। साथ ही राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, पीएम-कुसुम, पीएम सूर्य गृह योजना और फेम इंडिया योजना जैसी पहल स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की ओर बदलाव को बढ़ावा दे रही हैं।

उन्होंने कहा कि स्टार्टअप इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे परिवर्तनकारी कार्यक्रमों के सहयोग से भारत के युवा इलेक्ट्रोटेक्निकल क्षेत्र में दीर्घकालिक तकनीक का नेतृत्व कर रहे हैं, जहां नवाचार और पारिस्थितिक चेतना साथ-साथ चलते हैं। बैठक के साथ आयोजित होने वाली प्रदर्शनी में प्रतिभागी स्टार्टअप्स और उद्योग संघों द्वारा किए जा रहे काम का अनुभव करेंगे जो कृषि और स्वास्थ्य सेवा से लेकर स्मार्ट बुनियादी ढांचे, एआई और डिजिटल समाधानों तक के क्षेत्रों में एक स्थायी भविष्य के निर्माण के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी न केवल एक प्रदर्शनी है, बल्कि सार्थक जुड़ाव, सहयोग और साझेदारी के लिए एक मंच भी है।

मंत्री ने कहा कि यह आयोजन भारत की साझा मानवीय भावना का उत्सव भी है। देश की समृद्ध विरासत, विविधता और आतिथ्य सत्कार को दर्शाने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की गई है। उन्होंने प्रतिभागियों को भारत को न केवल स्थायित्व में एक उभरती हुई शक्ति के रूप में, बल्कि एक ऐसी सभ्यता के रूप में भी अनुभव करने के लिए आमंत्रित किया जो एकता, रचनात्मकता और परंपरा में पनपती है।

मंत्री ने गर्व के साथ कहा कि भारत डिजिटल नवाचार, नवीकरणीय ऊर्जा और दीर्घकालिक तकनीक के क्षेत्र में दुनिया से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि 89वीं आईईसी आम बैठक के विचार-विमर्श, अंतर्दृष्टि और सहयोग इलेक्ट्रोटेक्निकल मानकीकरण और सतत नवाचार पर वैश्विक विमर्श को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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पीके/केसी/आरकेजे


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