वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय
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भारत की विकास यात्रा में स्थिरता पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता: केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल


वैश्विक मानकों में सामंजस्य से गुणवत्ता, मुक्त व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा: श्री गोयल

सरकार गुणवत्ता और स्थिरता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए मिशन मोड में काम कर रही है: श्री गोयल

विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उद्योग ऊर्जा दक्षता और स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे: श्री गोयल

Posted On: 15 SEP 2025 2:55PM by PIB Delhi

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा आयोजित आईईसी (अंतर्राष्ट्रीय इलेक्ट्रोटेक्निकल आयोग) आम बैठक प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की विकास यात्रा में स्थिरता अनिवार्य है। श्री गोयल ने कहा कि भारत विकास के स्तंभ के रूप में स्थिरता पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रहा है, क्योंकि प्रत्येक भारतीय प्रकृति का सम्मान करने में आतंरिक रूप से विश्वास करता है, एक ऐसी संस्कृति और परंपरा में पैदा हुआ है जहां पर्यावरण के साथ सामंजस्य जीवन का एक तरीका है।

उन्होंने कहा कि भारत विकसित देशों से, विशेष रूप से उच्च-गुणवत्ता मानकों से जिन्‍होंने दुनियाभर की अर्थव्‍यवस्‍थाओं को बढने और समृद्ध होने में मदद की। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ऐसे उच्च मानक दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत के अपने विकास के लिए बहुत ज्‍यादा महत्वपूर्ण हैं।

मंत्री महोदय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अंतर्राष्ट्रीय इलेक्ट्रोटेक्निकल आयोग की आम बैठक जैसी पहलें मानकों पर निर्णय लेने हेतु विचारों, प्रणालियों और तरीकों के आदान-प्रदान हेतु एक मूल्यवान मंच प्रदान करती हैं। जब देश ऐसे मानकों को विकसित करने के लिए एक साथ आते हैं, तो इससे न केवल प्रथाओं में सामंजस्य स्थापित करने और उन्हें उच्च न्यूनतम स्तर पर लाने में मदद मिलती है, बल्कि मज़बूत आर्थिक सहयोग के अवसर भी पैदा होते हैं। मंत्री महोदय ने रेखांकित किया कि भारत जैसे विकासशील देश के लिए अच्छे मानक समय की मांग हैं, क्योंकि ये राष्ट्रीय स्तर पर विकास और अंतर्राष्ट्रीय प्रगति में योगदान दोनों के लिए आधार प्रदान करते हैं।

श्री गोयल ने कहा कि वैश्विक मानकों में सामंजस्य स्थापित करने से न केवल उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार होता है, बल्कि मुक्त व्यापार भी सुगम होता है, बाज़ार खुलते हैं और व्यापक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि ऐसी पहलें खुले बाज़ारों का विस्तार करने, मुक्त एवं निष्पक्ष व्यापार को प्रोत्साहित करने और व्यवसायों के लिए एक समान अवसर प्रदान करने में मदद करेंगी। आईईसी आम बैठक में अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की भागीदारी का उल्लेख करते हुए उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वे नए विचारों पर गहन विचार-विमर्श करेंगे और मानकों को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए आगे के रास्ते तलाशेंगे। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि से आने वाले कई विशेषज्ञों के साथ प्रदर्शनी में होने वाले विचार-विमर्श मानकों पर वैश्विक बातचीत को समृद्ध करेंगे। उन्होंने दोहराया कि उपभोक्ता कल्याण सुनिश्चित करने, मांग को बढ़ावा देने और दीर्घकालिक विकास को बनाए रखने के लिए उच्च-गुणवत्ता मानकों को बढ़ावा देना आवश्यक है।

मंत्री महोदय ने पेरिस समझौते के तहत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अपने योगदानों को पूरा करने के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता और विभिन्न सीओपी घोषणाओं के माध्यम से किए गए और सुधारों पर प्रकाश डाला। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत ऐसा किसी बाहरी दबाव या दबाव के कारण नहीं, बल्कि एक ज़िम्मेदार वैश्विक नागरिक के रूप में, स्वयं स्थिरता में विश्वास के कारण करता है। उन्होंने आगे कहा कि भारत एक चक्रीय अर्थव्यवस्था, अपशिष्ट न्यूनीकरण और संसाधनों के संरक्षण के सिद्धांतों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इन सिद्धांतों को अपनी दीर्घकालिक विकास यात्रा के केंद्र में मानता है।

श्री गोयल ने कहा कि भारत के भविष्य के निर्माण में मानकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने बताया कि भारत में हज़ारों तकनीकी निकाय और समितियां हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में मानक निर्धारित करने पर काम करती हैं। शुरुआती वर्षों में मानक बनाने और उनके स्वैच्छिक कार्यान्वयन पर ज़्यादा ध्यान दिया जाता था। हालांकि, समय के साथ, अनुभव ने यह सिखाया कि मानकों का कड़ाई से पालन आवश्यक है, जिसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण क्षेत्रों में गुणवत्ता नियंत्रण आदेश लागू किए गए। उन्होंने खिलौनों के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (क्‍यूसीओ) का उदाहरण दिया, जिनका बाज़ार में घटिया उत्पादों पर रोक लगाकर देश में उच्च गुणवत्ता वाले खिलौनों के निर्माण को प्रोत्साहित करके और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करके एक परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ा है।

श्री गोयल ने कहा कि गुणवत्ता से लागत नहीं बढ़ती। इसके विपरीत, उन्होंने कहा कि गुणवत्ता बर्बादी को कम करके, संचालन में दक्षता बढ़ाकर और उपभोक्ताओं को सुरक्षित एवं बेहतर उत्पाद प्रदान करके लागत कम करती है। उन्होंने बताया कि गुणवत्ता मानक यह सुनिश्चित करते हैं कि लोगों को उनके दैनिक जीवन के लिए उच्‍च मूल्‍य की विश्वसनीय वस्तुएं और सेवाएं प्राप्त हों। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि मानकों को उपभोक्ता संतुष्टि, उपभोक्ता सुरक्षा, प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने और अंततः जलवायु चुनौतियों से निपटने के लिए एक रणनीतिक साधन के रूप में देखा जाना चाहिए।

मंत्री महोदय ने याद दिलाया कि उपभोक्ता संरक्षण और गुणवत्ता आश्वासन का सिद्धांत भारत की विरासत में गहराई से निहित है। उन्होंने चाणक्य के अर्थशास्त्र (चौथी शताब्दी ईसा पूर्व) का उल्लेख किया, जिसमें उचित बाट और माप, व्यापारियों के लिए दायित्व और मिलावट के लिए दंड की बात कही गई है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि उपभोक्ता अधिकार और गुणवत्ता के प्रति जागरूकता भारत के सभ्यतागत मूल्यों का हिस्सा रहे हैं।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के "जीरो डिफेक्‍ट, जीरो इफेक्‍ट" के विजन का उल्लेख करते हुए श्री गोयल ने कहा कि सरकार गुणवत्ता और स्थिरता की राष्ट्रव्यापी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए मिशन मोड में काम कर रही है। उन्होंने समझाया कि यह विजन दो प्रतिबद्धताओं को दर्शाता है - एक ओर, उत्पादों और सेवाओं में शून्य दोष के साथ उच्चतम गुणवत्ता सुनिश्चित करना और दूसरी ओर  पर्यावरण और पृथ्‍वी पर शून्य प्रभाव के साथ स्थिरता का अनुसरण करना। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने गुणवत्ता को ज़िम्मेदारी के साथ जोड़ने के महत्व पर लगातार ज़ोर दिया है, ताकि भारत के विकास में कम से कम प्रदूषण हो और परिणास्‍वरूप एक स्थायी भविष्य में योगदान हो। श्री गोयल ने कहा कि यह दृष्टिकोण भारत को सभी क्षेत्रों में एक आधुनिक गुणवत्ता ईको सिस्‍टम बनाने के लिए सशक्त बना रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री के इस विश्वास को दोहराया कि वह दिन दूर नहीं जब दुनिया गर्व से कहेगी - "भारत में डिज़ाइन, भारत में निर्मित" और ऐसे उत्पादों पर दुनिया भर में विश्वसनीयता, स्थिरता और उत्कृष्टता के प्रतीक के रूप में भरोसा किया जाएगा।

श्री गोयल ने ऊर्जा दक्षता और स्थिरता में विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उद्योग की बढ़ती भूमिका को  भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत विद्युत से इलेक्ट्रॉनिक समाधानों की ओर बढ़ रहा है, यह क्षेत्र ऊर्जा की खपत में उल्लेखनीय कमी ला सकता है, प्रदूषण को कम कर सकता है और उपभोक्ताओं के लिए उच्च-गुणवत्ता वाले उत्पाद सुनिश्चित करते हुए जलवायु कार्रवाई में योगदान दे सकता है।

अपने संबोधन के समापन पर श्री गोयल ने वैश्विक समुदाय से एक मानकीकृत, सुरक्षित और स्‍थायी भविष्य की दिशा में मिलकर काम करने का आह्वान किया, जहां सामंजस्यपूर्ण मानक विकास को बढ़ावा दें, उपभोक्ताओं की रक्षा करें और आने वाली पीढ़ियों के लिए पृथ्‍वी की सुरक्षा करें।

 

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पीके/केसी/आईएम/एमपी


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