संस्‍कृति मंत्रालय
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संस्कृति मंत्रालय ज्ञान भारतम का शुभारंभ करेगा; प्रधानमंत्री पांडुलिपि विरासत पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करेंगे

Posted On: 10 SEP 2025 9:02PM by PIB Delhi

संस्कृति मंत्रालय, भारत की पांडुलिपि विरासत के संरक्षण, डिजिटलीकरण और प्रसार के लिए समर्पित एक ऐतिहासिक राष्ट्रीय पहल 'ज्ञान भारतम' का शुभारंभ करेगा। इस अवसर पर, संस्कृति मंत्रालय 11 से 13 सितंबर 2025 तक विज्ञान भवन, नई दिल्ली में 'पांडुलिपि विरासत के माध्यम से भारत की ज्ञान विरासत को पुनः प्राप्त करने' पर पहला ज्ञान भारतम अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है। इस सम्मेलन में देश-विदेश के विद्वानों, विशेषज्ञों, संस्थानों और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं सहित 1,100 से अधिक प्रतिभागी भाग लेंगे। यह चर्चा, विचार-विमर्श और भारत की पांडुलिपि विरासत के संरक्षण, डिजिटलीकरण और दुनिया के साथ साझा करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक सहयोगी मंच तैयार करेगा। इस मिशन पर प्रेस वार्ता को संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री विवेक अग्रवाल ने संबोधित किया। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में आयोजित पत्रकार सम्मेलन के दौरान संस्कृति मंत्रालय की अपर सचिव सुश्री अमिता प्रसाद सरभाई और आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी भी उपस्थित थे।

'ज्ञान भारतम्' को भारत की विशाल पांडुलिपि संपदा की सुरक्षा और प्रसार हेतु समर्पित एक दूरदर्शी राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में शुरू किया जाएगा। यह राष्ट्र की सभ्यतागत जड़ों के प्रति एक श्रद्धांजलि के रूप में और साथ ही वर्ष 2047 तक प्रधानमंत्री के विकसित भारत के स्वप्न की दिशा में एक दूरदर्शी कदम के रूप में कार्य करेगा, जहाँ भारत अपने अतीत के ज्ञान को अपने भविष्य के नवाचार के साथ जोड़ते हुए एक सच्चे विश्व गुरु के रूप में उभरेगा। एक व्यापक ढाँचे के रूप में डिज़ाइन किया गया, 'ज्ञान भारतम्' संरक्षण, डिजिटलीकरण, विद्वत्ता और वैश्विक पहुँच को जोड़कर भारत की पाण्डुलिपि विरासत को पुनर्जीवित करेगा। इसके उद्देश्यों में एक राष्ट्रव्यापी रजिस्टर के माध्यम से पहचान और दस्तावेज़ीकरण, नाजुक ग्रंथों का संरक्षण और पुनर्स्थापन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)-संचालित उपकरणों का उपयोग करके बड़े पैमाने पर डिजिटलीकरण और एक राष्ट्रीय डिजिटल भंडार का निर्माण शामिल है। यह दुर्लभ पांडुलिपियों के अनुसंधान, अनुवाद और प्रकाशन, विद्वानों और संरक्षकों के लिए क्षमता निर्माण, डिजिटल प्लेटफार्मों के विकास और सहयोगी कार्यक्रमों के माध्यम से जन भागीदारी पर भी ध्यान केंद्रित करेगा। इसके अलावा, वैश्विक साझेदारियाँ और शिक्षा में पांडुलिपि ज्ञान का एकीकरण वैश्विक ज्ञान विनिमय में भारत की भूमिका को मज़बूत करेगा।

संस्कृति सचिव श्री विवेक अग्रवाल ने 'ज्ञान भारतम्' पर अपनी संक्षिप्त जानकारी में बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा घोषित यह पहल, भारत की पांडुलिपि विरासत के संरक्षण हेतु एक प्रमुख योजना है। यह मिशन देशव्यापी सर्वेक्षण और पांडुलिपियों की सूची तैयार करेगा, एक डिजिटल संग्रह तैयार करेगा, और उनमें संरक्षित विशाल ज्ञान को निकालने और प्रसारित करने के लिए प्रणाली विकसित करेगा, जिसमें विज्ञान और चिकित्सा से लेकर साहित्य, धर्म और अध्यात्म तक के विषय शामिल होंगे।

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि 'ज्ञान भारतम्' को पुस्तकालयों, धार्मिक संस्थानों और निजी संरक्षकों सहित हितधारकों के एक व्यापक गठबंधन के माध्यम से लागू किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पांडुलिपियों का संरक्षण हो और आने वाली पीढ़ियों के लिए उन्हें सुलभ बनाया जा सके। 'ज्ञान भारतम्' अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन पर बोलते हुए, उन्होंने कहा कि तीन दिवसीय इस सम्मेलन में 1,100 से अधिक प्रतिनिधि भाग लेंगे, और लिपि गूढ़लेखन, दस्तावेज़ीकरण, डिजिटलीकरण, संरक्षण और कानूनी ढाँचे जैसे क्षेत्रों पर आठ कार्य समूहों में विचार-विमर्श किया जाएगा।

प्रौद्योगिकी की भूमिका पर ज़ोर देते हुए, श्री अग्रवाल ने बताया कि ज्ञान-सेतु एआई नवाचार चुनौती के लिए अब तक 40 से ज़्यादा प्रविष्टियाँ प्राप्त हो चुकी हैं, जिनमें से चयनित नवाचारों को सम्मेलन के दौरान प्रस्तुत किया जाएगा। उन्होंने आगे बताया कि प्रधानमंत्री 12 सितंबर को सम्मेलन में भाग लेंगे, कार्य समूहों की प्रस्तुतियाँ सुनेंगे और उसके बाद उपस्थित लोगों को संबोधित करेंगे। 13 सितंबर को समापन सत्र की अध्यक्षता गृह मंत्री करेंगे।

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पीके/केसी/एजे/एनजे


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