नागरिक उड्डयन मंत्रालय
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सतत विमानन ईंधन (एसएएफ) विमानन क्षेत्र को कार्बनमुक्त करने का एक व्यावहारिक और तत्काल समाधान है : राम मोहन नायडू


एसएएफ व्यवहार्यता रिपोर्ट का किया गया अनावरण, सतत विमानन ईंधन में वैश्विक अग्रणी के रूप में उभरने के लिए भारत का रोडमैप

Posted On: 03 SEP 2025 1:31PM by PIB Delhi

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) के साथ साझेदारी में और यूरोपीय संघ के समर्थन से बुधवार को भारत के लिए सतत विमानन ईंधन (एसएएफ) व्यवहार्यता अध्ययन आधिकारिक तौर पर जारी किया है।

इस समारोह को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू, नागरिक उड्डयन सचिव समीर कुमार सिन्हा, नागरिक उड्डयन महानिदेशक फैज अहमद और आईसीएओ के वायु परिवहन ब्यूरो में पर्यावरण उप निदेशक जेन हूपे ने संबोधित किया।

आईसीएओ एसीटी-एसएएफ कार्यक्रम के तहत किया गया यह व्यवहार्यता अध्ययन भारत में ड्रॉप-इन सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (एसएएफ) के उत्पादन और उपयोग की संभावनाओं का आकलन करता है। यह अध्ययन घरेलू फीडस्टॉक की उपलब्धता, व्यवहार्य उत्पादन मार्गों, बुनियादी ढांचे और नीतिगत तत्परता तथा एक मज़बूत घरेलू एसएएफ बाज़ार स्थापित करने के लिए आवश्यक अनुकूल परिस्थितियों का मूल्यांकन करता है। अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं का उपयोग करते हुए और उन्हें भारत के सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय संदर्भ के अनुरूप ढालते हुए यह रिपोर्ट सस्टेनेबल ईंधन अपनाने का रोडमैप प्रस्तुत करती है।

इस अध्ययन पर नई दिल्ली के उड़ान भवन में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में विचार-विमर्श किया जा रहा है, जिसमें आईसीएओ, ईएएसए, डीजीसीए, उद्योग साझेदारों और कई सरकारी विभागों की भागीदारी है जो एसएएफ के प्रति सरकार के समग्र दृष्टिकोण को दर्शाता है।

श्री राम मोहन नायडू ने इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में हितधारकों का स्वागत करते हुए भारत के सतत विमानन विकास को आगे बढ़ाने में एसएएफ की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया। उन्होंने एसएएफ उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत की पुष्टि की और सीओआरएसआईए अधिदेश के अनुरूप 2027 तक एक प्रतिशत, 2028 तक दो प्रतिशत और 2030 तक पांच प्रतिशत सम्मिश्रण का लक्ष्य रखा।

मंत्री महोदय ने कहा, "एसएएफ विमानन क्षेत्र को कार्बनमुक्त करने का एक व्यावहारिक और तात्कालिक समाधान है, जिसमें पारंपरिक ईंधन की तुलना में जीवनचक्र CO₂ उत्सर्जन में 80 प्रतिशत तक की कटौती करने की क्षमता है।" उन्होंने आगे बताया कि 750 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक उपलब्ध बायोमास और लगभग 230 मिलियन मीट्रिक टन अधिशेष कृषि अवशेषों के साथ भारत न केवल अपनी एसएएफ मांग को पूरा करने की क्षमता रखता है बल्कि एक ग्लोबल लीडर और निर्यातक के रूप में उभरने की भी क्षमता रखता है।

श्री राम मोहन नायडू ने पहले ही प्राप्त की जा चुकी महत्वपूर्ण उपलब्धियों की ओर इशारा किया, जिनमें कोटेकना इंस्पेक्शन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को देश की पहली एसएएफ प्रमाणन संस्था के रूप में नामित करना तथा इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की पानीपत रिफाइनरी को भारत की पहली एसएएफ उत्पादक के रूप में प्रमाणित करना शामिल है।

मंत्री महोदय ने इस बात पर जोर दिया कि एसएएफ उत्पादन से न केवल कच्चे तेल के आयात में कमी आएगी और उत्सर्जन में प्रतिवर्ष 20-25 मिलियन टन की कटौती होगी बल्कि कृषि अवशेषों और बायोमास के लिए एक मजबूत मूल्य श्रृंखला का निर्माण करके किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।

मंत्री श्री राम मोहन नायडू ने कहा "प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत दुनिया का सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाज़ार बनने की राह पर है। सहयोगी दृष्टिकोण के साथ हम भारत को हरित विमानन क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

इस अवसर पर नागरिक उड्डयन सचिव समीर कुमार सिन्हा ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ग्लोबल वार्मिंग एक सामूहिक चुनौती है और इसके प्रभाव को कम करना एक साझा ज़िम्मेदारी है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई और इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत पहले से ही दुनिया के सबसे युवा और सबसे ईंधन-कुशल विमान बेड़ों में से एक का संचालन करता है। उन्होंने यह भी बताया कि 88 हवाई अड्डे पहले ही 100 प्रतिशत हरित ऊर्जा का उपयोग करते हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर सर्वोत्तम प्रथाओं के मानक स्थापित हुए हैं।

डीजीसीए महानिदेशक ने तीसरे सबसे बड़े विमानन बाजार के रूप में भारत की स्थिति पर प्रकाश डाला जहां वर्ष 2030 तक यात्री यातायात दोगुना होकर 500 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि एसएएफ व्यवहार्यता अध्ययन भारत के राष्ट्रीय एसएएफ नीति ढांचे को आकार देने के लिए रणनीतिक अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि स्थिरता भारत की विमानन विकास कहानी का अभिन्न अंग बनी रहे।

एसएएफ व्यवहार्यता रिपोर्ट भारत में एक मज़बूत एसएएफ संस्कृति बनाने की नागरिक उड्डयन मंत्रालय की प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दृष्टिकोण एक दीर्घकालिक नीतिगत ढांचे पर आधारित है जो टिकाऊ विमानन ईंधन के उत्पादन और उपयोग दोनों का समर्थन करता है। मज़बूत आपूर्ति-पक्ष गतिशीलता और ऊर्जा फसलों, कृषि अपशिष्ट और नगरपालिका ठोस अपशिष्ट जैसे कम कार्बन-तीव्रता वाले फीडस्टॉक्स के महत्वपूर्ण स्रोतों के साथ भारत में एसएएफ उत्पादन में वैश्विक अग्रणी के रूप में उभरने की अपार संभावनाएं हैं।

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पीके/केसी/पीसी/एनजे


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