वित्‍त मंत्रालय
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सार्वजनिक क्षेत्र बैंकों में ऋण अनुशासन स्थापित करने के लिए व्यापक सुधार किए गए


आई.बी.सी., बाजार आधारित दबावग्रस्त परिसंपत्ति हस्तांतरण और ई.ए.एस.ई. सुधार जैसे उपाय एन.पी.ए. वसूली तथा जिम्मेदार ऋण को बढ़ावा देते हैं

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के ऋण प्रवाह सुधार के लिए पहल लागू की गई

यूपीआई लेनदेन वित्त वर्ष 2017-18 में 92 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 114% की सीएजीआर के साथ 18,587 करोड़ हुआ

Posted On: 11 AUG 2025 4:23PM by PIB Delhi

सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में ऋण अनुशासन, जिम्मेदार ऋण, बेहतर प्रशासन, प्रौद्योगिकी ग्रहण और सहकारी बैंकों के उचित विनियमन से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए विभिन्न उपाय किए हैं।

इनमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. ऋण अनुशासन निम्नलिखित के माध्यम से स्थापित किया गया है—
  1. दिवाला एवं शोधन संहिता (आईबीसी) का अधिनियमन;
  2. कॉर्पोरेट ऋणों की निगरानी तथा उच्च मूल्य वाले खातों में जानबूझकर चूक और धोखाधड़ी की व्यवस्थित जांच के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सेंट्रल रिपॉजिटरी ऑफ इंफॉर्मेशन ऑन लार्ज क्रेडिट्स (सीआरआईएलसी) की स्थापना
  1. दबावग्रस्त परिसंपत्तियों की पहचान और समाधान - बड़े उधारकर्ताओं द्वारा भुगतान में चूक/विलंब के मामले में वित्तीय संस्थानों की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए गए हैं:
  1. तनाव की शीघ्र पहचान और समयबद्ध समाधान के लिए एक ढांचा तैयार करना
  2. समयबद्ध सुधारात्मक कार्रवाई के लिए तीसरे पक्ष डेटा और कार्यप्रवाह का उपयोग करके खातों के एनपीए में जाने का पता लगाने और उसे कम करने के लिए स्वचालित प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली
  3. पात्र हस्तान्तरितियों को तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के हस्तांतरण के लिए एक व्यापक ढांचे के माध्यम से बैलेंस शीट पर क्रेडिट जोखिम को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिए बाजार आधारित तंत्र को मजबूत करना।
  4. राष्ट्रीय परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी लिमिटेड (एनएआरसीएल) की स्थापना विभिन्न ऋणदाताओं के बीच बिखरे तनावग्रस्त ऋण को समेकित करने और अधिग्रहण करने तथा उसके बाद बेहतर वसूली के लिए उसे प्रबंधित करने और खरीदारों को सौंपने के लिए की गई है।
  1. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में शासन सुधार वित्तीय सेवा संस्थान ब्यूरो के माध्यम से शीर्ष प्रबंधन का चयन, राष्ट्रीयकृत बैंकों में गैर-कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति, प्रतिभा पूल का विस्तार और प्रबंध निदेशकों के लिए प्रदर्शन-आधारित विस्तार जैसे सुधारों के माध्यम से किए गए हैं।
  2. उन्नत पहुंच एवं सेवा उत्कृष्टता (ईएएसई) सुधारों ने पीएसबी में सभी प्रमुख क्षेत्रों जैसे शासन, विवेकपूर्ण ऋण, जोखिम प्रबंधन, प्रौद्योगिकी और डेटा-संचालित बैंकिंग, तथा परिणाम-केन्द्रित मानव संसाधन पर उद्देश्यपूर्ण और मानकीकृत प्रगति को सक्षम किया है।
  3. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय से अर्थव्यवस्था में वृद्धि हुई है, वित्तीय क्षमता में वृद्धि हुई है, प्रौद्योगिकी को अपनाया गया है और समग्र दक्षता में वृद्धि हुई है।
  4. बैंकिंग क्षेत्र में व्यापक स्तर पर प्रौद्योगिकी अपनाने से वित्तीय समावेशन का विस्तार, कार्यकुशलता में सुधार और वास्तविक समय पर सेवा प्रदान करने में मदद मिली है। जन-धन-आधार-मोबाइल (जे.ए.एम.) लिंकेज, अंतर-संचालनीय बैंक मित्र, एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (यूपीआई) और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) जैसी विभिन्न पहलों के परिणामस्वरूप डिजिटल भुगतान लेनदेन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।
  5. बैंकिंग विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020 सहकारी बैंकों के प्रशासन, वित्तीय स्थिरता और नियामक निगरानी को बढ़ाने के लिए लाया गया था, जो विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में लाखों नागरिकों को सेवा प्रदान करते हैं।
  6. बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 को शासन मानकों को बढ़ाने, जमाकर्ताओं और निवेशकों के लिए सुरक्षा को मजबूत करने, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में लेखा परीक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने, बैंकों द्वारा वैधानिक रिपोर्टिंग को भारतीय रिजर्व बैंक को स्थानांतरित करने और ग्राहक सुविधा के लिए नामांकन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए अधिसूचित किया गया है।

एमएसएमई उपाय

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को ऋण प्रवाह में सुधार के लिए कार्यान्वित उपाय और उपलब्धियां निम्नानुसार हैं:

  1. एमएसएमई के लिए पारस्परिक ऋण गारंटी योजना (एमसीजीएस-एमएसएमई) - यह सरकार समर्थित एक पहल है जिसे एमएसएमई को अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए ऋण प्राप्त करने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह योजना ऋण गारंटी प्रदान करती है, जिससे एमएसएमई के लिए ऋण प्राप्त करना आसान हो जाता है, विशेष रूप से आवश्यक उपकरण और मशीनरी खरीदने के लिए। यह योजना ऋणदाताओं (अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान, एनबीएफसी) को उपकरण/मशीनरी की खरीद से संबंधित परियोजनाओं के लिए एमएसएमई को 100 करोड़ रुपये तक के सावधि ऋणों के लिए ऋण गारंटी सुरक्षा प्रदान करती है। यह योजना हाल ही में शुरू की गई है और 7 लाख करोड़ रुपये तक के ऋणों पर गारंटी जारी होने तक या दिशानिर्देश जारी होने की तारीख (अर्थात 27.1.2025) से 4 वर्ष की अवधि तक, जो भी पहले हो, मान्य है।
  2. आपातकालीन ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) - ईसीएलजीएस ने सदस्य ऋण संस्थानों (एमएलआई) को उनके द्वारा एमएसएमई और व्यावसायिक उद्यमों सहित पात्र उधारकर्ताओं को दी गई ऋण सुविधा के संबंध में 100% गारंटी सुरक्षा प्रदान किया, जिससे उन्हें अपनी परिचालन देनदारियों को पूरा करने और अपने व्यवसायों को फिर से शुरू करने में मदद मिली। यह योजना 31.3.2023 तक वैध थी और इसने 1.19 करोड़ व्यवसायों को 3.68 लाख करोड़ रुपये की तरलता सहायता प्रदान की, जिसमें से ईसीएलजीएस के तहत 1.13 करोड़ एमएसएमई को 2.42 लाख करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत किए गए हैं।
  3. केंद्रीय बजट 2024-25 की घोषणा के बाद, केंद्रीय वित्त मंत्री ने 06.03.2025 को एमएसएमई के लिए नया ऋण मूल्यांकन मॉडल शुरू किया था। यह मॉडल डिजिटल रूप से प्राप्त और सत्यापन योग्य डेटा का लाभ उठाता है और सभी ऋण आवेदनों के लिए वस्तुनिष्ठ निर्णय और बैंक के लिए मौजूदा (ईटीबी) और बैंक के लिए नए (एनटीबी) एमएसएमई उधारकर्ताओं, दोनों के लिए मॉडल-आधारित सीमा मूल्यांकन का उपयोग करके एमएसएमई ऋण मूल्यांकन के लिए स्वचालित प्रक्रियाएँ तैयार करता है।
  4. एमएसएमई मंत्रालय के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए ऋण गारंटी निधि ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई), पात्र सदस्य ऋणदाता संस्थानों (एमएलआई) द्वारा सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (एमएसई) को दिए गए 10 करोड़ रुपये या उससे कम राशि के ऋणों के लिए 85% तक गारंटी सुरक्षा प्रदान करता है। वार्षिक गारंटी शुल्क को घटाकर 0.37% से 1.20% कर दिया गया है। 31.07.2025 तक, सीजीटीएमएसई ने 10.50 लाख करोड़ रुपये मूल्य की 1.22 करोड़ संचयी गारंटियों को मंजूरी दी है।

डिजिटल भुगतान

देश में डिजिटल भुगतान लेनदेन की कुल मात्रा वित्त वर्ष 2017-18 के 2,071 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 22,831 करोड़ हो गई है, जो 41% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रही है। इसी अवधि में, लेनदेन का मूल्य 1,962 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 3,509 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

इसके अलावा, डिजिटल भुगतान की कुल मासिक मात्रा जून 2024 में 1,739 करोड़ से बढ़कर जून 2025 में 2,099 करोड़ हो गई है। इसी अवधि के दौरान लेनदेन का मूल्य जून 2024 में 244 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर जून 2025 में 264 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

विशेष रूप से, यूपीआई लेनदेन वित्त वर्ष 2017-18 में 92 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 114% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) के साथ 18,587 करोड़ हो गए हैं। इसी अवधि में, लेनदेन का मूल्य 1.10 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 261 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

जुलाई 2025 में, यूपीआई ने पहली बार एक महीने में 1,946.79 करोड़ से अधिक लेनदेन दर्ज करते हुए एक और उपलब्धि हासिल की।

यह जानकारी वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी है।

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पीके/केसी/एसजी


(Release ID: 2155203)
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