पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय
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केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आईटी कॉन्क्लेव-2025 में डिजिटल परिवर्तन को लेकर की गई पहल पर प्रकाश डाला


सर्बानंद सोनोवाल ने डीजी शिपिंग के लिए ई-समुद्र प्लैटफॉर्म की शुरुआत की

Posted On: 07 AUG 2025 8:49PM by PIB Delhi

भारत के समुद्री प्रशासन को आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय के अधीन पोत परिवहन महानिदेशालय (डीजीएस) की ओर से आज “आईटी कॉन्क्लेव 2025-लीवरेजिंग टेक्नोलॉजी इन मैरीटाइम (समुद्री क्षेत्र में तकनीक का लाभ उठाना)” का आयोजन किया गया।

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री (एमओपीएसडब्ल्यू) श्री सर्बानंद सोनोवाल और केंद्रीय राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने इस सम्मेलन उद्घाटन किया। सम्मेलन में स्मार्ट, सुरक्षित और पारदर्शी समुद्रीय पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए डिजाइन किए गए परिवर्तनकारी डिजिटल प्रयासों का प्रदर्शन किया गया। डीजीएस और कंपनी ऑफ मास्टर मेरिनर्स ऑफ इंडिया (सीएमएमआई) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह सम्मेलन 'डिजिटल इंडिया', 'मैरीटाइम इंडिया विजन 2030' और 'अमृत काल विजन 2047' के तहत सरकार के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप है।
इन प्रमुख प्रयासें में डीजी शिपिंग वेबसाइट का नवीनीकरण, ई-समुद्र प्लैटफॉर्म का चरण-1 का शुभारंभ और एक व्यापक डिजिटल परिवर्तन विजन दस्तावेज जारी करना शामिल है। पुनः डिजाइन की गई डीजी शिपिंग वेबसाइट अब जीआईजीडब्ल्यू 3.0-अनुरूप है। इसमें नाविकों, जहाज मालिकों, प्रशिक्षण संस्थानों और अन्य हितधारकों के लिए पहुंच बढ़ाने को लेकर एक बहुभाषी मोबाइल-रिस्पॉन्सिव इंटरफेस है।

मंत्री ने प्रमुख ई-समुद्र प्लैटफॉर्म के तहत प्रारंभिक मॉड्यूल भी लॉन्च किए, जो एक क्लाउड-नेटिव सिस्टम है। इसका उद्देश्य 60 से अधिक समुद्री सेवाओं को एक डिजिटल छत के नीचे एकीकृत करना है।

पहले चरण में चार्टरिंग अनुमति और लाइसेंस के लिए मॉड्यूल, पोत चार्टरिंग अनुमोदन की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना, वित्तीय सहायता और प्रोत्साहनों तक पहुंच को सुगम बनाने के लिए पोत निर्माण वित्तीय सहायता (एसबीएफए) मॉड्यूल, डिजिटल पंजीकरण और विनियामक अनुपालन को सक्षम करने वाला मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर (एमटीओ) मॉड्यूल और डीजीएस कार्यालयों तक पहुंच के यांत्रिकीकरण से सुरक्षा बढ़ाने के लिए आगंतुक पहुंच प्रबंधन प्रणाली शामिल है।

केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि ये डिजिटल उपक्रम समुद्री शासन में क्रांतिकारी बदलाव का प्रतिनिधित्व करती हैं। ये पारदर्शिता, दक्षता और नवाचार के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं, जो तकनीक-संचालित भविष्य के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप है।

सर्बानंद सोनोवाल ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत का समुद्री क्षेत्र डिजिटल पुनर्जागरण के दौर से गुजर रहा है। ये अग्रणी पहल पारदर्शिता, दक्षता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं, क्योंकि हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की परिकल्पना विकसित भारत की दिशा में अपना रास्ता तैयार कर रहे हैं।

इस कार्यक्रम में एमएमडी नोएडा में एक पायलट एआई-आधारित डिजिटल परीक्षा प्रणाली की शुरुआत और 'समुद्री क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना' विजन बुकलेट का अनावरण भी किया गया। दस्तावेज में वैश्विक एसटीसीडब्ल्यू मानकों के साथ अनुरूप लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (एलएमएस) और वेब-आधारित सिमुलेशन टूल्स, समुद्री रिकॉर्ड के लिए डिजिटल अभिलेखीय समाधान, नाविक भविष्य निधि संगठन (एसपीएफओ) और नाविक कल्याण निधि सोसायटी (एसडब्ल्यूएफएस) के लिए ईआरपी समाधान और वास्तविक समय डेटा निगरानी के लिए एक एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र जैसी पहलों के साथ समुद्री क्षेत्र में डिजिटल परिवर्तन के लिए डीजीएस के रोडमैप को रेखांकित किया गया है। इसमें डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम के अनुरूप साइबर सुरक्षा और डेटा संरक्षण ढांचे का विकास भी शामिल है।
सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि एआई-संचालित परीक्षाओं से लेकर एकीकृत ई-गवर्नेंस प्लैटफॉर्म तक ये प्रयास भारत के शिपिंग के तरीके को बदल रहे हैं, जो अधिक स्मार्ट, सुरक्षित और भविष्य के लिए तैयार है।

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने कहा कि ई-समुद्र और हमारे अन्य डिजिटल प्लैटफॉर्म के साथ हमारा लक्ष्य निर्बाध सेवाएं प्रदान करना, व्यापार में आसानी को बढ़ावा देना और भारत को समुद्री डिजिटल शासन में एक वैश्विक लीडर के रूप में स्थापित करना है। प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया मिशन से प्रेरित होकर हम नवाचार, गति और सेवा पर आधारित एक समुद्री शासन प्रणाली का निर्माण कर रहे हैं।

भविष्य को देखते हुए रोडमैप में 2030 और उसके बाद स्वायत्त संचालन, पूर्वानुमान विश्लेषण और अगली पीढ़ी की समुद्री सेवाओं को सशक्त बनाने के लिए एआई, आईओटी, ब्लॉकचेन और भू-स्थानिक उपकरणों जैसी उभरती तकनीक को अपनाने की परिकल्पना की गई है। भारत का समुद्री क्षेत्र अब आत्मविश्वास के साथ डिजिटल भविष्य के साथ ही एक स्मार्ट, सुरक्षित और भविष्य के लिए तैयार नीली अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है।

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पीके/केसी/आरकेजे


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