आयुष
azadi ka amrit mahotsav

डब्ल्यूएचओ-आईआरसीएच अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला पीसीआईएमएंडएच, गाजियाबाद में शुरू हुई


भारत हर्बल औषधि क्षेत्र में विनियामक अभिसरण को आगे बढ़ाने के लिए वैश्विक विशेषज्ञों की मेजबानी कर रहा है

आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने संरक्षा, प्रभावकारिता और विनियमन पर डब्ल्यूएचओ-आईआरसीएच कार्य समूहों में भारत के नेतृत्व की पुष्टि की

 डॉ. किम सुंगचोल, अध्यक्ष, डब्ल्यूएचओ-आईआरसीएच ने कहा कि हर्बल औषधि में संरक्षा और गुणवत्ता मानकों को मजबूत करने के लिए वैश्विक समन्वय महत्वपूर्ण है

Posted On: 06 AUG 2025 6:25PM by PIB Delhi

आयुष मंत्रालय के भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी फार्माकोपिया आयोग (पीसीआईएमएंडएच) ने आज गाजियाबाद स्थित अपने मुख्यालय में "हर्बल औषधियों की संरक्षा एवं विनियमन" (कार्य समूह-1) और "हर्बल औषधियों की प्रभावकारिता एवं इच्छित उपयोग" (कार्य समूह-3) पर विश्व स्वास्थ्य संगठन-आईआरसीएच कार्यशालाओं के उद्घाटन सत्र की मेजबानी की। इस तीन दिवसीय वैश्विक तकनीकी कार्यशाला का आयोजन आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों और पर्यवेक्षक देशों के विशेषज्ञों को एक साथ लाकर इन  कार्यशालाओं का उद्देश्य नियामक अभिसरण, गुणवत्ता आश्वासन और स्वास्थ्य देखभाल की पारंपरिक प्रणालियों में हर्बल दवाओं की नैदानिक प्रासंगिकता जैसे प्रमुख पहलुओं पर विचार-विमर्श करना है।

इस अवसर पर आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने आयुष प्रणालियों के वैज्ञानिक सत्यापन और वैश्विक स्वीकृति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि "कार्य समूह 1 और कार्य समूह 3 के लिए अग्रणी देश के रूप में भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन-आईआरसीएच मंच के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय नियामक सहयोग बढ़ाने में गहराई से संलग्न है।

डब्ल्यूएचओ-आईआरसीएच की अध्यक्ष और डब्ल्यूएचओ में पारंपरिक, पूरक और एकीकृत चिकित्सा के प्रमुख डॉ. किम सुंगचोल ने हर्बल चिकित्सा में सुरक्षा, गुणवत्ता और प्रभावकारिता मानकों को मजबूत करने में वैश्विक समन्वय के महत्व पर जोर दिया।

मुख्य अतिथि के रूप में सभा को संबोधित करते हुए आयुष मंत्रालय में संयुक्त सचिव सुश्री मोनालिसा दास ने पारंपरिक चिकित्सा में अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों को आकार देने में भारतीय नियामक और फार्माकोपियल संस्थानों की भूमिका पर प्रकाश डाला।

आयुष मंत्रालय के उप महानिदेशक डॉ. रघु अरकल ने स्वागत भाषण दिया और फार्माकोपियल मानकों और साक्ष्य-आधारित पारंपरिक चिकित्सा के विकास में भारत के नेतृत्व को रेखांकित किया।

पीसीआईएमएंडएच के निदेशक डॉ. रमन मोहन सिंह ने विश्व स्वास्थ्य संगठन, संस्थागत साझेदारों और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों के सहयोगात्मक प्रयासों की सराहना की।

कार्यशालाओं में डब्ल्यूएचओ-आईआरसीएच के अंतर्गत कई देशों ने भाग लिया है, जिनमें शामिल हैं:

यूरो क्षेत्र: पोलैंड

SEARO (एसईएआरओ) क्षेत्र: नेपाल, भूटान

(डब्ल्यू पी आर )WPRO क्षेत्र: ब्रुनेई दारुस्सलाम, जापान, इंडोनेशिया

एएमआरओ क्षेत्र: क्यूबा

ईएमआरओ क्षेत्र: ईरान

पर्यवेक्षक राज्य: श्रीलंका, पैराग्वे

इसके अलावा, संयुक्त राज्य अमेरिका, मिस्र और ब्राजील के प्रतिनिधि भी वर्चुअल माध्यम से भाग ले रहे हैं।


कार्यक्रम में फार्माकोग्नोस्टिक, रासायनिक और तत्व विश्लेषण जैसी हर्बल औषधि मानकीकरण तकनीकों ol पर व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्र शामिल हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों को नैदानिक, शैक्षणिक और विनिर्माण पद्धतियों का प्रत्यक्ष अनुभव प्रदान करने के लिए प्रमुख आयुष संस्थानों का स्थल भ्रमण भी आयोजित किया जाएगा।

6 से 8 अगस्त 2025 तक आयोजित होने वाली इन कार्यशालाओं में विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों, नियामक प्राधिकरणों, शिक्षा जगत, अनुसंधान निकायों और हर्बल औषधि उद्योग के वरिष्ठ प्रतिनिधि भाग लेंगे।

***


पीके/केसी/एनकेएस/एसएस
 


(Release ID: 2153337)
Read this release in: English , Urdu , Tamil , Malayalam