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आयुष मंत्रालय के परामर्श से एफएसएसएआई ने श्रेणी 'ए' के अंतर्गत आयुर्वेद आहार उत्पादों की सुस्पष्ट सूची जारी की
श्रेणी 'ए' के आयुर्वेद आहार उत्पाद, अनुसूची 'ए' में सूचीबद्ध प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार तैयार किए गए हैं
केंद्रीय मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने कहा, "आयुर्वेद आहार को अपनाना निवारक स्वास्थ्य सेवा और संतुलित, सतत जीवन शैली की दिशा में एक अर्थपूर्ण कदम है"
आयुष मंत्रालय के सचिव ने कहा, "यह पहल न केवल खाद्य व्यवसाय संचालकों को आवश्यक स्पष्टता प्रदान करती है, बल्कि आयुर्वेद-आधारित पोषण में उपभोक्ताओं के विश्वास को भी मजबूत करती है"
Posted On:
02 AUG 2025 4:31PM by PIB Delhi
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने आयुष मंत्रालय के परामर्श से, "आयुर्वेद आहार" श्रेणी के अंतर्गत आयुर्वेदिक खाद्य पदार्थों की सुस्पष्ट सूची जारी की है। यह महत्वपूर्ण कदम, 2022 में खाद्य सुरक्षा एवं मानक (आयुर्वेद आहार) विनियमों के लागू होने के बाद, भारत के प्राचीन खाद्य ज्ञान को मुख्यधारा में लाता है। ये विनियम, प्रामाणिक आयुर्वेदिक ग्रंथों से प्राप्त व्यंजनों, सामग्री और प्रक्रियाओं पर आधारित खाद्य पदार्थों को मान्यता देते हैं और यह नई सूची उपभोक्ताओं और व्यवसायों, दोनों को अभूतपूर्व स्पष्टता और विश्वास प्रदान करती है।
विनियमों की अनुसूची बी के नोट (1) के अंतर्गत जारी की गई यह सूची, अनुसूची ए में सूचीबद्ध प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों से सीधे ली गई है, जिससे इन खाद्य पदार्थों की प्रामाणिकता और पारंपरिक आधार सुनिश्चित होता है। इस पहल का उद्देश्य आयुर्वेद आहार उत्पादों के निर्माण के लिए एक स्पष्ट और विश्वसनीय संदर्भ प्रदान करके खाद्य व्यवसाय संचालकों (एफबीओ) की सहायता करना है।

भविष्य में उत्पादों को जोड़ने की सुविधा के लिए, एफएसएसएआई ने एफबीओ के लिए एक प्रक्रिया स्थापित की है, ताकि वे अभी तक सूचीबद्ध नहीं किए गए अतिरिक्त श्रेणी ए उत्पादों को शामिल करने का अनुरोध कर सकें। ऐसे अनुरोधों के लिए अनुसूची 'ए' में दिए गए प्रामाणिक ग्रंथों से संदर्भों की आवश्यकता होगी। भविष्य में होने वाले सभी अद्यतनों या परिवर्तनों की जानकारी खाद्य प्राधिकरण द्वारा यथाविधि अधिसूचित की जाएगी।
विशेष रूप से, आयुर्वेद आहार भारत की कालातीत खाद्य संस्कृति की समृद्धि का प्रतीक है, जिसकी जड़ें आयुर्वेद में हैं। आयुर्वेद दुनिया की सबसे प्राचीन और समग्र स्वास्थ्य प्रणालियों में से एक है। ये खाद्य उत्पाद प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर तैयार किए जाते हैं, जिनमें समग्र कल्याण को बढ़ावा देने के लिए पोषण, संतुलन और परंपरा का सम्मिश्रण होता है। नवंबर 2023 में वर्ल्ड फ़ूड इंडिया के उद्घाटन समारोह में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था, "भारत की सतत खाद्य संस्कृति हज़ारों वर्षों की यात्रा का परिणाम है। हमारे पूर्वजों ने आयुर्वेद को आम लोगों की भोजन शैली से जोड़ा था। जिस प्रकार भारत की पहल पर अंतर्राष्ट्रीय खाद्य संस्कृति का विकास हुआ, योग दिवस ने योग को दुनिया के कोने-कोने तक पहुँचाया, उसी प्रकार अब मोटे अनाज भी दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचेगे।"
आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने नागरिकों से आयुर्वेद आहार को अपने दैनिक जीवन में शामिल करने का आग्रह किया, ताकि इसके दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभों का अनुभव किया जा सके। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत के पारंपरिक ज्ञान पर आधारित ये समय-परीक्षित आहार पद्धतियाँ न केवल शरीर को पोषण देती हैं, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मज़बूत करती हैं, पाचन में सहायता करती हैं और समग्र कल्याण को बढ़ावा देती हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा, "आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली में, आयुर्वेद आहार को अपनाना निवारक स्वास्थ्य सेवा और एक संतुलित, सतत जीवन शैली की दिशा में एक अर्थपूर्ण कदम है।"
आयुष मंत्रालय के सचिव श्री वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि आयुर्वेद आहार उत्पादों की सुस्पष्ट सूची जारी करना भारत की पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को आधुनिक नियामक व्यवस्था के साथ संरेखित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सचिव ने कहा, "यह पहल न केवल खाद्य व्यवसाय संचालकों को आवश्यक स्पष्टता प्रदान करती है, बल्कि आयुर्वेद-आधारित पोषण में उपभोक्ताओं के विश्वास को भी मज़बूत करती है।"
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जिसे विश्वविद्यालय स्तर का माना जाता है (नए सिरे से, डी नोवो) और जो इस कार्य के लिए नोडल संस्थान है, के कुलपति प्रो. संजीव शर्मा ने कहा कि आयुष आहार संग्रह का विकास प्राचीन आयुर्वेदिक खाद्य योगों को एक विनियमित व्यवस्था के तहत मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय के मार्गदर्शन में, एनआईए ने प्रामाणिक आयुर्वेदिक ग्रंथों के पारंपरिक सूत्रीकरणों को सावधानीपूर्वक समझकर तैयार किया है, जिससे वैज्ञानिक और ग्रंथ सत्यापन सुनिश्चित होता है। उन्होंने कहा कि यह प्रयास खाद्य निर्माताओं के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में काम करेगा और आम लोगों को आयुर्वेद के सिद्धांतों पर आधारित सुरक्षित, प्रामाणिक और समय-परीक्षित आहार समाधानों तक पहुँच प्राप्त करने में मदद करेगा।
आयुर्वेद आहार का अर्थ है - आयुर्वेद के समग्र आहार सिद्धांतों के अनुरूप विकसित खाद्य उत्पाद, जो स्वास्थ्य और कल्याण से जुड़ी दुनिया की सबसे पुरानी प्रणालियों में से एक है। ये व्यंजन संतुलन, मौसमी उपयुक्तता और प्राकृतिक सामग्री और जड़ी-बूटियों के उपयोग पर जोर देते हैं। प्राकृतिक सामग्री और जड़ी-बूटियां अपने चिकित्सीय लाभों के लिए जानी जाती हैं। लोगों की निवारक स्वास्थ्य और सतत जीवन शैली में बढ़ती रुचि के साथ, आयुर्वेद आहार को एक विश्वसनीय पोषण विकल्प के रूप में तेज़ी से मान्यता मिल रही है, जो परंपरा और आधुनिक आहार संबंधी आदतों में सामंजस्य स्थापित करता है।
यह पहल उद्योग जगत के हितधारकों के लिए नियामक स्पष्टता बढ़ाने और बेहतर जन स्वास्थ्य परिणामों के लिए आयुर्वेद-आधारित पोषण को व्यापक रूप से अपनाने को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
एफएसएसएआई द्वारा प्रकाशित आयुर्वेद आहार की सूची इस लिंक के माध्यम से देखी जा सकती है:
https://www.fssai.gov.in/upload/advisories/2025/07/68835f872eaf4Order%20dated%2025-07-2025%20enclosing%20Ayurveda%20Aahara.pdf
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(Release ID: 2151824)