गृह मंत्रालय
आतंकवाद रोकने की पहल
Posted On:
29 JUL 2025 5:09PM by PIB Delhi
भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, 'पुलिस' और 'लोक व्यवस्था' राज्यों के विषय हैं। हालाँकि, आंतरिक और सीमा सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने और आंतरिक तथा सीमापार आतंकवाद से निपटने के लिए, भारत सरकार एक बहुआयामी रणनीति अपनाती है, जिसमें विभिन्न उपाय शामिल हैं, जो इस प्रकार हैं-
आंतरिक एवं सीमा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए
i. आतंकवाद रोधी ग्रिड का संवर्धन।
ii. केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की तैनाती।
iii. सुरक्षा उपकरणों के आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण पर विशेष ध्यान।
iv. राज्य पुलिस बलों, विधि प्रवर्तन संस्थाओं और साइबर जांच संस्थाओं के लिए विभिन्न क्षमता निर्माण कार्यक्रमों का आयोजन करना।
V. आसूचना क्षमताओं को बढ़ाना, विधि प्रवर्तन संस्थाओं को सुदृढ़ करना तथा सभी सुरक्षा बलों के मध्य वास्तविक समय के आधार पर गुप्त जानकारी का साझाकरण सुनिश्चित करना।
vi. व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (सीआईबीएमएस) का कार्यान्वयन, जिसमें सेंसर, कैमरा, जमीनी निगरानी रडार और कमांड-नियंत्रण प्रणालियां शामिल हैं।
vii. संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी), ड्रोन और उपग्रह निगरानी की तैनाती।
viii. भारतमाला और सीमा सड़क संगठन पहल के अंतर्गत सीमावर्ती क्षेत्रों में रणनीतिक सड़कों, सुरंगों और पुलों का निर्माण।
ix. दिन और रात क्षेत्र प्रभुत्व ।
X. रणनीतिक बिंदुओं पर चौबीसों घंटे नाके।
xi. अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर विभिन्न स्थानों पर बाड़, फ्लड लाइटिंग, सीमा चौकियों/कंपनी संचालन अड्डों का निर्माण, सड़कों और एकीकृत जांच चौकियों (आईसीपी) का निर्माण तथा तटीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने के उपाय।
xii. बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों के साथ नियमित सीमा-समन्वय बैठकें और संयुक्त गश्त।
आंतरिक और सीमा पार आतंकवाद को रोकने के लिए उठाए गए कदम
आतंकवाद के विरुद्ध 'शून्य सहनशीलता' की नीति अपनाते हुए निम्नलिखित प्रमुख उपाय किए गए हैं-
i. आतंकवादियों और समर्थन संरचनाओं के विरुद्ध प्रभावी, निरंतर और सतत कार्रवाई।
ii. समग्र शासकीय दृष्टिकोण का उपयोग करके आतंकवादी पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करना।
iii. केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ), भारतीय सेना और राज्य पुलिस बलों के माध्यम से निवारक अभियान चलाकर आतंकवाद के रणनीतिक समर्थकों की पहचान करना तथा आतंकवाद को सहायता देने और बढ़ावा देने के उनके तंत्र को उजागर करने के लिए एनआईए के माध्यम से जांच शुरू करना।
iv. आतंकवादी संगठनों और व्यक्तिगत आतंकवादियों के विरुद्ध प्रभावी अभियोजन के लिए विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1967 और राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, 2008, जैसी कानूनी व्यवस्था को मजबूत करना।
v. आतंकवादी नेटवर्क और गतिविधियों का पता लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा एनालिटिक्स और फेशियल रिकग्निशन टूल्स का उपयोग।
vi. ऑनलाइन कट्टरपंथ को रोकने के लिए सोशल मीडिया और साइबरस्पेस की निगरानी।
आतंकवादियों को वित्तीय सहायता रोकने के लिए उठाए गए प्रमुख कदमों में शामिल हैं-
i. आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए विभिन्न आसूचना / प्रवर्तन संस्थाओं के साथ समन्वय करने हेतु गृह मंत्रालय में 2011 से एक "कॉम्बेटिंग फाइनेंसिंग ऑफ़ टेररिज्म (सीएफटी) सेल की स्थापना की गई है।
ii. आतंकवादी वित्तपोषण और जाली भारतीय मुद्रा नोट (एफआईसीएन) मामलों की जांच और मुकदमा चलाने के लिए राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) में एक आतंकवादी वित्तपोषण और जाली मुद्रा प्रकोष्ठ (टीएफएफसी) भी स्थापित किया गया है।
iii. देश के भीतर जाली भारतीय मुद्रा नोटों के प्रचलन को रोकने के लिए केन्द्र/राज्यों की विभिन्न सुरक्षा संस्थाओं के बीच गुप्त जानकारी/सूचना साझा करने के लिए एक एफआईसीएन समन्वय केन्द्र (ऍफ़ - कॉर्ड) भी कार्य कर रहा है।
iv. वित्तीय आसूचना संस्थाओं के साथ समन्वित कार्रवाई के माध्यम से संदिग्ध वित्तीय लेनदेन, गैर- सरकारी संगठनों और हवाला चैनलों की निगरानी करना।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संकल्प (यूएनएससीआर) 1267, 1373 एवं विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1967 की धारा 51 (ए) के माध्यम से आतंकवादी संगठनों और उसके सदस्यों के तिरुन्ट लगाए गए तिभित्र प्रतिबंधों में शन/संपत्ति को फ्रीज करना जब्त करना और कर्क करना आतंकवादी संस्थाओं के धन के प्रवाह को प्रतिबंधित करना और आतंकवादी संगठन के सदस्यों और नमोदिष्ट व्यक्तिगत आतंकवादियों पर यात्रा प्रतिबंध शामिल हैं।
भारत के 26 देशों और 5 बहुपक्षीय मंचों (आसियान, बिम्सटेक, ब्रिक्स, यूरोपीय संघ (ईयू), क्वाड- सीटीडब्ल्यूजी) के साथ आतंकवाद की रोकथाम पर पर पूर्णतः कार्यात्मक संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी- सीटी) हैं; और ट्यूनीशिया के साथ एक स्टैंड अलोन संवाद भी है। इन देशों का विवरण अनुलग्नक- ए में संलग्न है।
केंद्र और राज्यों की आसूचना और सुरक्षा संस्थाएं आतंकवादी अपराधों में संलिप्त तत्वों पर कड़ी नज़र रखने के लिए मिलकर काम करती हैं। इसमें केंद्र स्तर पर मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी) और राज्य स्तर पर राज्य मल्टी एजेंसी सेंटर (एसएमएसी) के माध्यम से चौबीसों घंटे गुप्त जानकारी साझा करना, संयुक्त कमान और नियंत्रण केंद्रों की स्थापना, तकनीकी और मानवीय आसूचना को सुदृढ़ करना, सुरक्षा बलों, जिला पुलिस और आसूचना संस्थाओं के मध्य बेहतर सहयोग, वास्तविक समय की गुप्त जानकारी जुटाने और राज्य आसूचना ब्यूरो (एसआईबी) के निर्माण और सुदृढ़ीकरण पर ज़ोर देना शामिल है।
अनुलग्नक- ए
उन देशों/बहुपक्षीय समूहों का विवरण जिनके साथ भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध संयुक्त कार्य समूह और स्टैंड अलोन संवाद स्थापित किया है
क्र. सं.
|
देश का नाम
|
1.
|
ऑस्ट्रेलिया
|
2.
|
कनाडा
|
3.
|
चीन
|
4.
|
मिस्र
|
5.
|
फ्रांस
|
6.
|
जर्मनी
|
7.
|
इंडोनेशिया
|
8.
|
इज़राइल
|
9.
|
इटली
|
10.
|
जापान
|
11।
|
कजाखस्तान
|
12.
|
मलेशिया
|
13.
|
मालदीव
|
14.
|
मॉरीशस
|
15.
|
मोरक्को
|
16.
|
नीदरलैंड
|
17.
|
फिलिपींस
|
18.
|
रूस
|
19.
|
सऊदी अरब
|
20.
|
सिंगापुर
|
21.
|
तजाकिस्तान
|
22.
|
तंजानिया
|
23.
|
टर्की
|
24.
|
यूनाइटेड किंगडम
|
25.
|
संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए)
|
26.
|
उज़्बेकिस्तान
|
बहुपक्षीय मंच
क्रम सं.
|
बहुपक्षीय मंच का नाम
|
1.
|
आसियान
|
2.
|
बिम्सटेक
|
3.
|
बीआरआईसी
|
4.
|
यूरोपीय संघ
|
5.
|
क्वाड-सीटीडब्ल्यूजी
|
स्टैंड-अलोन संवाद
गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
***
पीके/एके/केसी/केजे/एसएस
(Release ID: 2149900)