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वामपंथी उग्रवाद में कमी

Posted On: 29 JUL 2025 5:08PM by PIB Delhi

भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, पुलिस और लोक व्यवस्था के विषय राज्य सरकारों के अधीन हैं। हालांकि, भारत सरकार वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के प्रयासों में सहयोग करती रही है। वामपंथी उग्रवाद की समस्या के समग्र समाधान के लिए, 2015 में वामपंथी उग्रवाद से निपटने हेतु राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना को मंजूरी दी गई थी। इसमें सुरक्षा उपायों, विकासात्मक पहल, स्थानीय समुदायों के अधिकार और हक सुनिश्चित करने आदि से संबंधित बहुआयामी नीति विचारित है।

सुरक्षा संबंधी उपायों में केंद्र सरकार वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्य सरकार को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल बटालियन, प्रशिक्षण, राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए धन, उपकरण और हथियार, खुफिया जानकारी साझा करना, मजबूत सुरक्षा व्यवस्था से युक्त किलेबंद पुलिस स्टेशनों के निर्माण आदि में सहायता देती है;

वर्ष 2014-15 से,

  • सुरक्षा संबंधी व्यय योजना के अंतर्गत वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों को सुरक्षा बलों के परिचालन व्यय, आत्मसमर्पण करने वाले वामपंथियों के पुनर्वास, वामपंथी उग्रवाद हिंसा में मारे गए नागरिकों/शहीद सुरक्षा बल कर्मियों के परिवारों को अनुग्रह राशि आदि के लिए 3357 करोड़ रुपये (झारखंड को 830.75 करोड़ रुपये) जारी किए गए हैं।
  • वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों को राज्य के विशेष बलों, राज्य खुफिया शाखाओं (एसआईबी), जिला पुलिस को मजबूत करने और विशेष ढांचागत योजना (एसआईएस) के तहत 71 किलेबंद पुलिस स्टेशन (एफपीएस) निर्मित करने के लिए 1740 करोड़ रुपये (झारखंड के लिए 439.45 करोड़ रुपये) के कार्यों को स्वीकृति दी गई है।

विकास संबंधी पहल में भारत सरकार की प्रमुख योजनाओं के अलावा, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित कई क्षेत्रों में सड़क सम्पर्क का विस्तार, दूरसंचार संपर्क में सुधार, शिक्षा, कौशल विकास और वित्तीय समावेशन पर विशेष ज़ोर देते हुए कई विशिष्ट पहल की गई हैं। इनका विवरण नीचे दिया गया है:

      • सड़क नेटवर्क के विस्तार के लिए वामपंथी उग्रवाद से संबंधित दो विशिष्ट योजनाओं - सड़क आवश्यकता योजना (रोड़ रिक्वायरमेंट प्लान-आरआरपी) और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क संपर्क परियोजना (आरसीपीएलडब्ल्यूईए) के अंतर्गत 17,589 किलोमीटर निर्माण (झारखंड - 3,168 किलोमीटर) की स्वीकृति दी गई है। इनमें से 14,902 किलोमीटर (झारखंड में 2925 किलोमीटर सहित) का निर्माण पूरा हो चुका है।
      • वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में दूरसंचार सम्पर्क में सुधार के लिए 10,644 मोबाइल टावर (झारखंड में 1755) की योजना बनाई गई है, जिनमें से 8,640 टावर (झारखंड में 1589 टावर) क्रियाशील हो गए हैं।
      • कौशल विकास के लिए 48 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) और 61 कौशल विकास केंद्र (एसडीसी) स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से 46 आईटीआई (झारखंड - 16) और 49 कौशल विकास केंद्र (झारखंड - 20) संचालित हैं।
      • जनजातीय क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए 258 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 179 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (झारखंड - 47) संचालित हैं।
      • वित्तीय समावेशन के लिए, डाक विभाग ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में बैंकिंग सेवाओं के साथ 5899 डाक घर (झारखंड - 1240) खोले हैं। अति वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में 1007 बैंक शाखाएं (झारखंड - 349) और 937 एटीएम (झारखंड - 352) खोले गए हैं।
      • विकास की गति और तेज करने के लिए, विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) योजना के अंतर्गत, वामपंथी उग्रवाद से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण कमियों को पूरा करने के लिए धनराशि उपलब्ध कराई जाती है। वर्ष 2017 में योजना आरंभ किए जाने के बाद से अब तक 3,769 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इसमें से 1439.33 करोड़ रुपये झारखंड को दिए गए हैं।

वामपंथी उग्रवादियों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए राज्यों की अपनी आत्मसमर्पण सह पुनर्वास नीतियां हैं। केंद्र सरकार भी आत्मसमर्पण सह पुनर्वास नीति द्वारा राज्यों को इस प्रयास में सहायता प्रदान करती है और आत्मसमर्पण करने वाले वामपंथी कैडरों के पुनर्वास पर इन राज्यों द्वारा किए गए व्यय की प्रतिपूर्ति करती है। पुनर्वास पैकेज में अन्य बातों के साथ ही बड़े वामपंथी उग्रवादी कैडरों के लिए 5 लाख रुपये और अन्य वामपंथी उग्रवादी कैडरों के लिए ढाई लाख रुपये का तत्काल अनुदान शामिल है। इसके अतिरिक्त, इस योजना के तहत हथियार/गोला-बारूद आत्मसमर्पण करने पर प्रोत्साहन भी प्रदान किया जाता है। इसके अलावा तीन वर्षों के लिए 10,000 रुपये के मासिक वृत्ति के साथ उनकी रुचि के व्यापार/व्यवसाय में प्रशिक्षण दिए जाने का भी प्रावधान है। राज्यों को आत्मसमर्पण सह पुनर्वास की बेहतर नीतियां अपनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया है।

इन नीतियों के दृढ़तापूर्वक क्रियान्वयन से वामपंथी हिंसा में लगातार कमी आई है और इसका विस्तार सीमित हुआ है। वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा की घटनाएं और इनमें नागरिकों तथा सुरक्षा बलों की मौत में 2010 के उच्च स्तर से घटकर 2024 में क्रमशः 81 प्रतिशत और 85 प्रतिशत कमी आई है। वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या भी 2013 के 126 से घटकर अप्रैल 2025 में 18 रह गई है।

झारखंड के संदर्भ में, वामपंथी उग्रवाद की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। झारखंड में वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी हिंसक घटनाएं 2009 में 742 के उच्चतम स्तर से 92 प्रतिशत घटकर 2024 में 69 रह गई है। 1 जनवरी, 2024 से 15 जुलाई, 2025 तक, झारखंड में वामपंथी उग्रवाद से संबंधित 103 हिंसक घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 25 वामपंथी उग्रवादियों को ढेर कर दिया गया, 276 को गिरफ्तार किया गया और 32 ने आत्मसमर्पण किया। झारखंड में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या भी 2013 के 21 जिले से घटकर 2025 में केवल दो रह गई है। वामपंथी उग्रवाद से बाहर निकाले गए जिलों को निरंतर सहायता प्रदान करने के लिए, सात जिलों को विरासत और महत्वपूर्ण जिलों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

बेहतर कानून-व्यवस्था तथा सुरक्षा स्थिति में सुधार के साथ ही बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने से उन्नत सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अनुकूल वातावरण निर्मित हुआ है।

गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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(Release ID: 2149893)
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