पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
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पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय


संसदीय प्रश्न:- भारत में वायु प्रदूषण और फ्लाई ऐश प्रबंधन

Posted On: 24 JUL 2025 3:56PM by PIB Delhi

फ्लाई ऐश का निस्तारण अवैज्ञानिक तरीके से करने से भूमि उपयोग, स्वास्थ्य संबंधी खतरे, तथा राख में श्वसनीय कणीय पदार्थ और विषैले सूक्ष्म धातुओं की उपस्थिति के कारण पारिस्थितिकी प्रणाली के लिए खतरा जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 31.12.2021 को राख उपयोग अधिसूचना, 2021 को अधिसूचित किया और कोयला या लिग्नाइट आधारित ताप विद्युत संयंत्रों को निर्धारित पर्यावरण अनुकूल उद्देश्यों और समयसीमा में राख का 100 प्रतिशत उपयोग करने का आदेश दिया।

अधिसूचना में कोयला या लिग्नाइट आधारित ताप विद्युत संयंत्रों से निकलने वाली राख के उपयोग के लिए पर्यावरण-अनुकूल उद्देश्य के रूप में 'मृदा परीक्षण के आधार पर नियंत्रित तरीके से कृषि' निर्धारित की गई है। नियंत्रित तरीके से कृषि में राख का उपयोग, पोषक क्षमता में वृद्धि और मृदा में सूक्ष्म पोषक तत्वों की आपूर्ति के माध्यम से मृदा स्वास्थ्य को उन्नत बनाता है। वित्त वर्ष 2024-25 में, कुल 326.8 मिलियन टन राख उपयोग में से 1.2 प्रतिशत अर्थात लगभग 4 मिलियन टन राख का उपयोग कृषि क्षेत्र में किया गया।

अधिसूचना में राख तालाबों के स्थिरीकरण और सुधार को प्रोत्साहन दिया गया है, जिसमें हरित पट्टी या वृक्षारोपण, सौर ऊर्जा संयंत्र तथा पवन ऊर्जा संयंत्र की स्थापना भी सम्मिलित है।

इसके अलावा, उक्त अधिसूचना में ताप विद्युत संयंत्रों द्वारा प्रचालनरत राख तालाब के चारों ओर हरित पट्टी विकसित करने का भी आदेश दिया गया है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने जून 2023 में कोयला राख तालाबों के डिजाइन, निर्माण,संचालन और रखरखाव और वार्षिक प्रमाणन पर दिशानिर्देश जारी किए हैं, जो पर्यावरण की दृष्टि से उचित रुप से राख के तालाबों या डाइक में भंडारण के लिए निर्धारित करता है जिसमें राख के तालाबों के चारों ओर हरित पट्टी का विकास सम्मिलित है।

सीपीसीबी और संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) या प्रदूषण नियंत्रण समिति (पीसीसी) राख उपयोग अधिसूचना, 2021 के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रवर्तन और निगरानी प्राधिकरण हैं। संबंधित जिला मजिस्ट्रेट के पास अधिसूचना के प्रावधानों के प्रवर्तन और निगरानी के लिए समवर्ती क्षेत्राधिकार है।

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) - राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (नीरी) ने पारिस्थितिकी कायाकल्प प्रौद्योगिकी विकसित की है, जिसका उद्देश्य बंजर भूमि पर जैव विविधता को प्रोत्साहन देने के लिए साइट-विशिष्ट पौधों की प्रजातियों (बांस की प्रजातियों) का उपयोग करके फ्लाई ऐश डंप को स्थिर करना है।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा गठित 'फ्लाई ऐश प्रबंधन एवं उपयोग मिशन' ने ताप विद्युत संयंत्रों को बांस रोपण या उपयुक्त स्थल-विशिष्ट पौधों की प्रजातियों के माध्यम से राख डंप स्थलों को स्थिर करने और पारिस्थितिक रूप से पुनर्जीवित करने के लिए सीएसआईआर-नीरी की विशेषज्ञता का लाभ उठाने की अनुशंसा की।

केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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एमजी/केसी/एजे

 


(Release ID: 2147889)
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