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आईएसएलआरटीसी द्वारा नई दिल्ली में 'भारतीय सांकेतिक भाषा के माध्यम से बधिर छात्रों को अंग्रेजी सिखाना सर्वोत्तम उपाय' पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन


बधिर व्यक्तियों के लिए करियर के अवसरों को बढ़ाने के साथ-साथ प्रभावी संवाद और मुख्यधारा वाले समाज में पूर्ण समावेशन को सुगम बनाने में अंग्रेजी भाषा कौशल महत्वपूर्ण: सचिव (दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग)

Posted On: 11 JUL 2025 5:49PM by PIB Delhi

भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी) द्वारा 10-11 जुलाई 2025 को नई दिल्ली में 'भारतीय सांकेतिक भाषा के माध्यम से बधिर छात्रों को अंग्रेजी सिखाना सर्वोत्तम उपाय' विषय पर दो दिवसीय ऑफलाइन राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। आईएसएलआरटीसी, केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग) के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय है।

सचिव (दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग) श्री राजेश अग्रवाल ने कार्यशाला का उद्घाटन किया। अपने संबोधन में, सचिव ने बधिर व्यक्तियों की प्रथम भाषा के रूप में भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) के महत्व पर ज़ोर दिया और उनके संज्ञानात्मक और शैक्षणिक विकास में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने बधिर व्यक्तियों के लिए करियर के अवसरों को बढ़ाने और प्रभावी संवाद एवं मुख्यधारा वाले समाज में पूर्ण समावेशन को सुगम बनाने हेतु अंग्रेजी भाषा कौशल विकसित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। इसके अलावा, उन्होंने बधिर समुदाय में साक्षरता और शिक्षा को बढ़ावा देने के साधन के रूप में प्रौद्योगिकी के एकीकरण पर जोर दिया।

कार्यशाला में अनुभवी संसाधन व्यक्तियों द्वारा प्रस्तुतियां और संवादात्मक सत्र आयोजित किए गए:

  • डॉ. सिबाजी पांडा, हैप्पी हैंड्स स्कूल फॉर द डेफ के संस्थापक और निदेशक, इशारा फाउंडेशन (अब निष्क्रिय) के पूर्व संस्थापक और बधिर छात्रों के लिए अंग्रेजी साक्षरता में शोधकर्ता
  • श्री सुनील सहस्रबुद्धे, वरिष्ठ सलाहकार, बधिरों के लिए द्विभाषी शिक्षा के विशेषज्ञ, 20 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ
  • श्री राजेश केतकर, वरिष्ठ सलाहकार, एमबीएम न्यूज और ऑरजेट फाउंडेशन; पूर्व निदेशक, इशारा फाउंडेशन, गुजरात
  • श्री हरि हर कुमार, बधिर सक्षम भारत, हैदराबाद; दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग  पहलों के अंतर्गत अंग्रेजी साक्षरता और रोजगार के क्षेत्र में 15 से अधिक वर्षों का अनुभव
  • सुश्री शरयु कदम, एसोसिएट समन्वयक, अंग्रेजी विकास कार्यक्रम, टीच, मुंबई; विभिन्न शिक्षा बोर्डों में कार्यरत
  • सुश्री चित्रा प्रसाद, एनआईएसएच, केरल; बधिर शिक्षा में 15 से अधिक वर्षों का अनुभव
  • श्री अब्बास अली बेहमनेश, अंग्रेजी और एएसएल शिक्षक, गैलाउडेट विश्वविद्यालय, अमेरिका (ऑनलाइन)

प्रस्तुतियों में भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) के उपयोग के माध्यम से बधिर शिक्षार्थियों में अंग्रेजी साक्षरता बढ़ाने के लिए व्यावहारिक रणनीतियों, द्विभाषी दृष्टिकोणों और सांस्कृतिक रूप से उत्तरदायी पद्धतियों पर ध्यान केंद्रित किया गया। प्रतिभागियों ने साझा की गई अंतर्दृष्टि पर विचार-विमर्श करने और कक्षा अभ्यासों को बेहतर बनाने के प्रभावी तरीकों पर सहयोग करने के लिए समूह चर्चाओं में सक्रिय रूप से भाग लिया। सत्रों में समृद्ध और रचनात्मक संवाद हुआ, जिसमें देश भर के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले विशेष शिक्षकों, आईएसएल प्रशिक्षकों और बधिर विद्यालय के शिक्षकों का बहुमूल्य योगदान रहा।

कार्यक्रम का समापन सहायक सचिव (दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग) सुश्री मनमीत कौर नंदा द्वारा दिए गए समापन संबोधन के साथ हुआ। इस कार्यक्रम में 180 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें विशेष एवं समावेशी विद्यालयों के शिक्षक, राष्ट्रीय संस्थानों (एनआईएस) और समग्र क्षेत्रीय केंद्रों (सीआरसी) के मास्टर प्रशिक्षक, साथ ही एनसीईआरटी और एनआईओएस के प्रतिनिधि शामिल थे।

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एमजी/आरपीएम/केसी/एसकेएस/एचबी


(Release ID: 2144098)
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