अंतरिक्ष विभाग
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पित 'आत्मनिर्भर भारत' और 'विश्वबंधु भारत' की भावना को साकार करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि शुभांशु शुक्ला द्वारा किए जाने वाले सभी प्रयोग भारतीय संस्थानों द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं और इन प्रयोगों से प्राप्त परिणामों को दुनिया के बाकी हिस्सों के साथ साझा किया जाएगा


डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारतीय अंतरिक्ष यात्री को ले जाने वाले ड्रैगन अंतरिक्ष यान के आई.एस.एस. तक सफल डॉकिंग की सराहना की

सात 'मेड-इन-इंडिया' प्रयोग अंतरिक्ष स्थिरता में एक ऊंची छलांग: अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. सिंह

Posted On: 26 JUN 2025 7:15PM by PIB Delhi

राष्ट्र के लिए गौरवपूर्ण और ऐतिहासिक क्षण में, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज ड्रैगन अंतरिक्ष यान के अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से सफलतापूर्वक जुड़ने की सराहना की। इस यान में भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य चालक दल के सदस्य सवार थे।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पित "आत्मनिर्भर भारत" और "विश्वबंधु भारत" की भावना को साकार करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि शुभांशु शुक्ला द्वारा किए जाने वाले सभी प्रयोग भारतीय संस्थानों द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं और इन प्रयोगों से प्राप्त परिणामों को बाकी दुनिया के साथ साझा किया जाएगा। एक्सिओम-4 मिशन के विकास पर बारीकी से नजर रखने वाले केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और प्रधानमंत्री कार्यालय, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, "अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की भूमिका अब लॉन्चपैड तक सीमित नहीं है। हम अब अंतरिक्ष में जीवन और विज्ञान के भविष्य को आकार दे रहे हैं।" उन्होंने कहा कि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भारत के वैज्ञानिक सपनों को माइक्रोग्रैविटी की सीमाओं तक ले जा रहे हैं।

भारत के मजबूत वैज्ञानिक योगदान पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने घोषणा करते हुए कहा कि भारत में पूरी तरह से डिजाइन और विकसित सात पूर्ण स्वदेशी माइक्रोग्रैविटी प्रयोगों को ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला द्वारा आईएसएस पर संचालित किया जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, "अंतरिक्ष में किए गए ये प्रयोग प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत और विश्वबंधु भारत के विजन का जीवंत प्रतीक हैं। प्राप्त ज्ञान से न केवल भारत को लाभ होगा, बल्कि यह वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय और मानवता के लिए एक उपहार के रूप में काम करेगा।"

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि पहले प्रयोग में खाद्य सूक्ष्म शैवाल का अध्ययन शामिल है, जिसका नेतृत्व आईसीजीईबी और ब्रिक-एनआईपीजीआर नई दिल्ली द्वारा किया जा रहा है। यह परियोजना सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में खाद्य सूक्ष्म शैवाल की तीन चयनित किस्मों की वृद्धि और चयापचय का अवलोकन करने पर केंद्रित है। इस अध्ययन के परिणामों में चालक दल के पोषण को बढ़ाने, अपशिष्ट जल की रि-साइकलिंग को सक्षम करने और कार्बन डाइऑक्साइड को ऑक्सीजन में बदलने में सहायता करने की महत्वपूर्ण क्षमता है, जो सभी दीर्घकालिक अंतरिक्ष निवास के लिए महत्वपूर्ण हैं।

यूएएस धारवाड़ और आईआईटी धारवाड़ द्वारा किया गया दूसरा प्रयोग अंतरिक्ष की परिस्थितियों में अंकुरित बीजों, खास तौर पर मूंग और मेथी के अंकुरण और पोषण गुणों की जांच करता है। उम्मीद है कि इस प्रयोग से अंतरिक्ष यात्रियों के लिए पौष्टिक खाद्य पूरकों के विकास में मदद मिलेगी और सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण वातावरण में इन अंकुरित बीजों के औषधीय लाभों का पता लगाया जा सकेगा।

तीसरा प्रयोग, जिसे ब्रिक-इनस्टेम, बेंगलुरु द्वारा विकसित किया गया है, अंतरिक्ष में मांसपेशियों के नुकसान के महत्वपूर्ण मुद्दे का समाधान करता है। सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में मांसपेशियों के उत्थान की नकल करके, अध्ययन का उद्देश्य मांसपेशियों के क्षरण के पीछे जैविक तंत्र को समझना और अंतरिक्ष यात्री स्वास्थ्य के लिए संभावित क्रियाकलापों की पहचान करना है। ये जानकारियां पृथ्वी पर मांसपेशियों से संबंधित विकारों के लिए नए पुनर्वास उपचारों की ओर भी ले जा सकती हैं।

चौथे प्रयोग में, आईआईएससी बेंगलुरु के अनुसंधानकर्ता अंतरिक्ष की परिस्थितियों में टार्डिग्रेड के अस्तित्व, पुनरुत्थान और प्रजनन की जांच करेंगे, जो कि प्रसिद्ध रूप से लचीले सूक्ष्म जीव हैं। यह अध्ययन अंतरिक्ष और संभावित रूप से पृथ्वी दोनों में चरम वातावरण में मानव अनुकूलनशीलता और अस्तित्व की रणनीतियों पर मूल्यवान डेटा प्रदान करने के लिए तैयार है।

पांचवां प्रयोग, जो कि आईआईएससी बेंगलुरु द्वारा किया गया है, माइक्रोग्रैविटी में मनुष्यों और इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले के बीच के संपर्क पर केंद्रित है। इसका लक्ष्य यह समझना है कि अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में डिजिटल इंटरफेस को कैसे समझते हैं और उनसे कैसे जुड़ते हैं, जिससे सुरक्षित और अधिक कुशल अंतरिक्ष यान नियंत्रण प्रणाली और क्रू कंसोल के डिजाइन के बारे में जानकारी मिलेगी।

छठे प्रयोग में, आईसीजीईबी, नई दिल्ली, सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में नाइट्रोजन स्रोत के रूप में यूरिया का उपयोग करके साइनोबैक्टीरिया के विकास की खोज करता है। ये निष्कर्ष अंतरिक्ष में कार्बन और नाइट्रोजन की रि-साइकलिंग के लिए टिकाऊ प्रणालियों के विकास का समर्थन कर सकते हैं और लंबी अवधि के मिशनों के लिए सुपरफूड के रूप में साइनोबैक्टीरिया की क्षमता को उजागर कर सकते हैं।

अंत में, सातवें प्रयोग में बीज अनुकूलन परीक्षण शामिल है, जिसमें चावल, लोबिया, तिल, बैंगन और टमाटर के बीजों का परीक्षण किया गया है, जो सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के संपर्क में हैं। इसका उद्देश्य इन बीजों पर अंतरिक्ष की स्थितियों के प्रभाव का आकलन करना है, जिसका लक्ष्य अंतरिक्ष कृषि को आगे बढ़ाना और पृथ्वी और उससे परे खेती के लिए उपयुक्त जलवायु-अनुकूल पौधों की किस्मों को विकसित करना है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि ये अग्रणी प्रयास अंतरिक्ष जैव विज्ञान में वैश्विक अग्रणी के रूप में भारत के उदय को दर्शाते हैं, जो अंतरिक्ष यात्रा करने वाले राष्ट्र से अंतरिक्ष विज्ञान नवप्रवर्तक के रूप में देश की विकसित होती भूमिका को प्रतिध्वनित करता है।

उन्होंने कहा, "भारत अब किसी का अनुसरण करने वाला नहीं है; हम ग्रहीय प्रासंगिकता वाले मिशनों का नेतृत्व कर रहे हैं। ये प्रयोग अंतरिक्ष में स्थायी जीवन और पृथ्वी पर एक सशक्त इको-सिस्टम के लिए नए आयाम खोलेंगे।"

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एमजी/केसी/एसकेएस/एसके


(Release ID: 2139974)
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