वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
केंद्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कोलंबिया इंडिया एनर्जी डायलॉग को संबोधित किया
“भारत वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन में सबसे आगे है; ऊर्जा समाधानों को समानता, समावेशिता और ग्लोबल साउथ की विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करना होगा” – श्री पीयूष गोयल
“भारत ने 2030 नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य निर्धारित समय से आठ साल पहले ही हासिल कर लिया”
Posted On:
06 MAY 2025 8:38PM by PIB Delhi
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली में कोलंबिया इंडिया एनर्जी डायलॉग को संबोधित किया, जहां उन्होंने वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन में भारत की अग्रणी भूमिका पर प्रकाश डाला और समावेशी एवं न्यायसंगत जलवायु कार्य के प्रति देश की प्रतिबद्धता दोहराई।
अपने संबोधन में श्री गोयल ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में सभी देशों की सामूहिक जिम्मेदारी को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “अंततः, ऊर्जा परिवर्तन एक ऐसा विषय है, जिसमें हम सभी को योगदान देना होगा। हालांकि, प्रत्येक देश के विकास के चरण के आधार पर परिवर्तन का स्तर और गति अलग-अलग होगी, लेकिन प्रतिबद्धता सार्वभौमिक होनी चाहिए।"
मंत्री ने जोर देकर कहा कि जलवायु परिवर्तन एक वास्तविक और अति आवश्यक चुनौती है और सभी देशों को अपने खुद के अनूठे समाधान तैयार करने चाहिए। उन्होंने कहा, "रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन समस्या की पहचान सार्वभौमिक है। भारत हमेशा से ही नेतृत्व की स्थिति में रहा है। मुझे संदेह है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ग्लोबल साउथ को एकजुट किए बिना और उनको इसका विरोध करने के बजाय उन सभी को इस समाधान का हिस्सा बनाकर, सीओपी21 का शायद ही कोई ठोस परिणाम निकल पाता।”
श्री गोयल ने इस बात पर अफसोस जताया कि पेरिस समझौते में विकसित देशों की ओर से किए गए वादे काफी हद तक अधूरे रह गए हैं। उन्होंने कहा, "2015 से, बड़ा मुद्दा केवल जलवायु परिवर्तन नहीं रहा है, बल्कि विकसित देशों का प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, दीर्घकालिक रियायती जलवायु वित्तपोषण और साझा की गई किन्तु अलग-अलग जिम्मेदारियों (सीबीडीआर) के सिद्धांत के अंतर्गत सहयोग देने में विफलता रहे हैं।”
भारत की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए, श्री गोयल ने कहा, "दुनिया की 17% आबादी का भरण-पोषण करने के बावजूद भारत वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में केवल 3% का योगदान देता है। हमने 2030 के लिए 200 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य 2022 में ही पूरा किया, जो तय समय से आठ साल पहले ही हासिल कर लिया गया। पिछले दशक में अकेले सौर ऊर्जा में 30 गुना से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। भारत यूएनएफसीसीसी को समय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करना जारी रखता है, जो वैश्विक अनुपालन के लिए एक उदाहरण स्थापित करता है।"
मंत्री ने कार्बन उत्सर्जन के मूल कारणों, विशेष रूप से अत्यधिक उपभोग और बर्बादी को संबोधित करने की महत्वपूर्ण जरूरतों पर जोर दिया। "अत्यधिक उपभोग, विशेष रूप से समृद्धि प्रधान देशों में, खेत से लेकर थाली तक प्रणालीगत कार्बन उत्सर्जन की ओर ले जाता है। हर कदम - उत्पादन, पैकेजिंग, परिवहन, भंडारण और निपटान - उत्सर्जन में बढ़ोतरी करता है। इस व्यवहार पैटर्न पर ध्यान दिया जाना चाहिए," उन्होंने कहा।
स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, श्री गोयल ने 500 गीगावॉट के इंटरकनेक्टेड राष्ट्रीय ग्रिड की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। यह प्रधानमंत्री मोदी की 2014 की पहल से संभव हुआ, जिसमें सभी क्षेत्रीय ग्रिडों को जोड़ा गया और एकीकृत राष्ट्रीय बिजली अवसंरचना बनाने में अरबों डॉलर का निवेश किया गया।
उन्होंने इस विषय पर जोर दिया कि यह ग्रिड न केवल पूरे देश में 24/7 सस्ती ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करता है, बल्कि अधिक स्वच्छ ऊर्जा को शामिल करने के लिए सिस्टम को भी मजबूत करता है। इसके अतिरिक्त, भारत ने डेटा केंद्रों के लिए एक मजबूत फ्रेमवर्क तैयार किया है, जो उच्च स्तर पर अतिरेकता, विश्वसनीयता और लचीलेपन को सुनिश्चित करता है। श्री गोयल ने कहा कि इससे आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलेगा, स्वच्छ ऊर्जा एकीकरण के अवसर पैदा होंगे और वैश्विक निवेश आकर्षित होंगे।
नवाचार और प्रौद्योगिकी पर बोलते हुए, श्री गोयल ने कहा कि भारत ने एलईडी लाइटिंग जैसे क्षेत्रों में तेजी से प्रगति की है, जिसने वैश्विक स्तर पर सबसे तेज क्रांतियों में से एक देखा है, और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, ग्रीन हाइड्रोजन, जैव ईंधन, इथेनॉल मिश्रण और ग्रीन अमोनिया को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने कहा, "भारत तेजी से स्वच्छ ऊर्जा से चलने वाले डेटा केंद्रों के लिए एक वैश्विक गंतव्य के रूप में उभर रहा है, जिसमें हमारे ग्रिड बुनियादी ढांचे में मजबूत अतिरेक, विश्वसनीयता और लचीलापन शामिल है।"
वैश्विक सहयोग का आह्वान करते हुए, मंत्री ने कोलंबिया विश्वविद्यालय से भारतीय प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ सहयोग करने और भारत में एक परिसर स्थापित करने पर विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "इससे आपके छात्रों को लाभ होगा, अपार अवसर खुलेंगे और हमारी जानकारी की साझेदारी और मजबूत होगी।"
श्री गोयल ने यह कहते हुए समापन किया कि भारत परिवर्तन या प्रतिस्पर्धा से पीछे नहीं हटते हुए, अपनी ताकत की स्थिति से दुनिया के साथ जुड़ रहा है। उन्होंने कहा, "भारत दुनिया की साझा समृद्धि में एक मित्र और भागीदार होगा। हम न केवल वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा आंदोलन में भाग लेंगे - बल्कि हम इसका नेतृत्व भी करेंगे।"
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