कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने भारत में विकसित दो जीनोम-संपादित चावल किस्मों की घोषणा की
भारत विश्व का पहला देश है जिसने जीनोम-संपादित चावल की किस्में विकसित की है
नई जीनोम किस्मों में उच्च उत्पादन, जलवायु अनुकूलन एवं जल संरक्षण में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने की क्षमता है
Posted On:
04 MAY 2025 5:58PM by PIB Delhi
मुख्य विशेषताएं:
- केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत ने वैज्ञानिक अनुसंधान में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर प्राप्त किया है।”
- श्री चौहान ने कहा कि “प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में, कृषि अनुसंधान को एक नई दिशा प्राप्त हुई है।”
- श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “यह कृषि क्षेत्र के लिए एक सुनहरा अवसर है।”
- कृषि मंत्री ने बल देकर कहा कि “ये नयी किस्में दूसरे हरित क्रांति की शुरुआत में मुख्य भूमिका निभाएंगी।”
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज भारत रत्न सी. सुबरमण्यम ऑडिटोरियम, एनएएससी परिसर, नई दिल्ली में दो जीनोम-संपादित चावल किस्मों के विकास की घोषणा की। यह वैज्ञानिक अनुसंधान एवं नवाचार के क्षेत्र में एक नई शुरुआत का प्रतीक है। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में वैज्ञानिकों एवं किसानों ने हिस्सा लिया।

सभा को संबोधित करते हुए, श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भारत को विकसित राष्ट्र बनने का दृष्टिकोण साकार हो रहा है और किसान समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं। आज की इस उपलब्धि को सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। आज़ादी का अमृत महोत्सव के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों से कृषि चुनौतियों से निपटने के लिए आधुनिक तकनीकें अपनाने का आह्वान किया था। उनकी बातों से प्रेरित होकर, आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने इन नयी किस्मों के निर्माण के साथ कृषि के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियां प्राप्त की है।”

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि इन नयी फसलों का विकास न केवल उत्पादन को बढ़ावा देगा बल्कि पर्यावरण के लिए भी सकारात्मक परिणाम प्रदान करेगा। यह सिंचाई जल को बचाएगा और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करेगा, जिससे पर्यावरण पर कम दबाव पड़ेगा। यह दोनों लाभों, उत्पादन में वृद्धि और पर्यावरण संरक्षण को प्राप्त करने का एक अनोखा उदाहरण है।
श्री चौहान ने बल देकर कहा कि आने वाले समय में, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, पोषक उत्पादन बढ़ाने तथा भारत और विश्व को भोजन प्रदान करने की आवश्यकता है, साथ ही भारत को विश्व की खाद्य टोकरी बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि “हमारे प्रयासों के कारण वार्षिक रूप से बासमती चावल का निर्यात 48,000 करोड़ रुपये पहुंच चुका है।”
मंत्री ने सोयाबीन, अरहर, तूर, दालें, उड़द, तिलहनों और फलियों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
श्री चौहान ने “माइनस 5 और प्लस 10” फॉर्मूला भी पेश किया, जिसमें कहा गया कि इसमें चावल की खेती के क्षेत्र को 5 मिलियन हेक्टेयर कम करते हुए उसी क्षेत्र में चावल उत्पादन को 10 मिलियन टन बढ़ाना शामिल है। इससे दलहन एवं तिलहन की खेती के लिए खाली जगह प्राप्त होगी।

उन्होंने किसानों, विशेषकर युवा किसानों से उन्नत कृषि तकनीकों को अपनाने का आग्रह किया। श्री चौहान ने कहा कि “हमें किसानों तक कृषि अनुसंधान पहुंचाना चाहिए। जब कृषि वैज्ञानिक और किसान एक साथ आएंगे, तब चमत्कार होंगे।”
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी ने वैज्ञानिकों को वर्चुअल माध्यम से बधाई दी।
श्री देवेश चतुर्वेदी, सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने कहा कि आज आईसीएआर द्वारा घोषित नयी किस्में भारतीय कृषि के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव साबित हो सकती है।
डॉ. एम.एल जाट, सचिव (डीएआरई) और महानिदेशक (आईसीएआर), मांग आधारित अनुसंधान के महत्व पर बल दिया और कहा कि किसानों से उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं हेतु प्रतिक्रिया एकत्रित करना आवश्यक है। इस दृष्टिकोण से यह सुनिश्चित होगा कि अनुसंधान के परिणाम किसानों की आवश्यकता अनुरुप तैयार किए जाएं और उन्हें सही समाधान के साथ प्रभावी रूप से पहुंचाया जाए।
इस अवसर पर, मंत्री ने दो किस्मों के अनुसंधान में योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को सम्मानित किया। डॉ. ए.एस. विश्वनाथन सी, डॉ. गोपाल कृष्णन एस, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. शिवानी नागर, डॉ. अर्चना वत्स, डॉ. सोहम रे, डॉ. अशोक कुमार सिंह और डॉ. डॉ. प्रांजल यादव को पूसा डीएसटी चावल पर उनके कार्य के लिए सम्मानित किया गया, जबकि डॉ. सत्येंद्र कुमार मंगरुठिया, डॉ. आर.एम. सुंदरम, डॉ. आर. अब्दुल फियाज़, डॉ. सी.एन. नीरजा और डॉ. एस.वी. साई प्रसाद को डीआरआर चावल 100 (कमला) के विकास में योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
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इस कार्यक्रम को डॉ.देवेन्द्र कुमार यादव, उप महानिदेशक, (फसल विज्ञान) आईसीएआर, डॉ. आर.एम. सुंदरम, निदेशक, आईसीएआर-भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद, डॉ. अशोक कुमार सिंह, पूर्व निदेशक, आईसीएआर और डॉ. सी.एच. श्रीनिवास राव, निदेशक, आईसीएआर-आईएआरआई ने भी संबोधित किया।
पृष्ठभूमि:
आईसीएआर ने देश की पहली जीनोम-संपादित चावल किस्में विकसित की हैं, जिनमें डीआरआर चावल 100 (कमला) और पूसा डीएसटी चावल 1 शामिल हैं। इन किस्मों में उच्च उत्पादन, जलवायु अनुकूलन एवं जल संरक्षण में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता है।
इन नयी किस्मों का विकास क्रिस्पर-कैस आधारित जीनोम-संपादित तकनीक का उपयोग करके किया गया, जो बिना विदेशी डीएनए को शामिल किए हुए जीव के आनुवंशिक सामग्री में सटीक परिवर्तन लाती है। भारत के जैव सुरक्षा नियमों के अंतर्गत सामान्य फसलों के लिए एसडीएन1 और एसडीएन2 प्रकार के जीनों का जीनोम-संपादन अनुमोदित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि 2018 में, आईसीएआर ने राष्ट्रीय कृषि विज्ञान निधि के अंतर्गत दो प्रमुख चावल की किस्मों सांबा महसूरी और एमटीयू 1010 में सुधार लाने के लिए जीनोम-संपादन अनुसंधान शुरू किया। इस अनुसंधान का परिणाम दो उन्नत किस्में हैं जो निम्नलिखित लाभ प्रदान करती हैं:
- उपज में 19% की वृद्धि
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 20% की कमी।
- सिंचाई जल में 7,500 मिलियन घन मीटर की बचत।
- सूखा, लवणता एवं जलवायु तनावों के प्रति अच्छी सहिष्णुता।
डीआरआर चावल 100 (कमला) किस्म का विकास आईसीएआर-आईआईआरआर, हैदराबाद द्वारा सांबा महसूरी (बीपीटी 5204) के आधार पर किया गया। इसका उद्देश्य प्रति पुष्पगुच्छ में दानों की संख्या बढ़ाना है तथा यह 20 दिन पहले (लगभग 130 दिन) तैयार हो जाता है। इसके द्वारा कम समय लेने के कारण, यह पानी एवं उर्वरकों की बचत करता है और मीथेन गैस उत्सर्जन में कमी लाता है। इसका डंठल मजबूत होता है जो गिरता नहीं है। चावल की गुणवत्ता मूल किस्म, सांबा महसूरी के समान होती है।
दूसरी किस्म, पूसा डीएसटी चावल 1 है, जिसे आईसीएआर-आईएआरआई, नई दिल्ली द्वारा एमटीयू 1010 के आधार पर विकसित किया गया है। यह किस्म लवणीय एवं क्षारीय मिट्टी में उपज को 9.66% से 30.4% तक बढ़ा सकती है तथा उत्पादन में 20% तक वृद्धि होने का अनुमान है।
इन किस्मों को आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, पुद्दुचेरी, केरल (जोन VII), छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश (जोन V), ओडिशा, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल (जोन III) जैसे राज्यों के लिए विकसित किया गया है।
इन किस्मों का विकास भारत को विकसित राष्ट्र बनने एवं सतत कृषि को बढ़ावा देने वाले लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 2023-24 के बजट में, भारत सरकार ने कृषि फसलों में जीनोम संपादन के लिए 500 करोड़ रुपया आवंटित किया। आईसीएआर पहले ही कई फसलों, जिनमें तिलहन एवं दलहन शामिल हैं, के लिए जीनोम-संपादन अनुसंधान शुरू कर चुका है।
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