पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

2025 में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सामान्य से अधिक रहने की संभावना: मौसम विभाग का इस मौसम के दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के लिए दीर्घ अवधि वाला पूर्वानुमान


वर्षा दीर्घ अवधि औसत के 105 प्रतिशत के साथ ±5 प्रतिशत के मार्जिन के साथ अपेक्षित

ला नीना जैसे वायुमंडलीय आवर्ती तटस्थ, ईएनएसओ के पूरे मॉनसून सीजन में बने रहने की संभावना

हिंद महासागर द्विध्रुव मॉनसून 2025 से पहले तटस्थ है जलवायु मॉडल का पूरे मौसम में तटस्थ आईओडी स्थितियों के जारी रहने का अनुमान

 पिछले तीन महीनों से यूरेशिया में सामान्य से कम बर्फबारी मॉनसून को बढ़ावा दे सकती है

Posted On: 15 APR 2025 5:45PM by PIB Delhi

मुख्य बिंदु

  • 2025 के दौरान पूरे देश में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून (जून से सितंबर) सामान्य से अधिक ( दीर्घ अवधि औसत (एलपीए) का 104 प्रतिशत से अधिक) वर्षा होने की संभावना है। मात्रात्मक रूप से, पूरे देश में मौसमी वर्षा ± 5 प्रतिशत की मॉडल त्रुटि के साथ एलपीए ​​का 105 प्रतिशत होने की संभावना है। 1971-2020 की अवधि के लिए पूरे देश में मौसमी वर्षा का एलपीए 87 सेमी है
  • वर्तमान में, भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में तटस्थ अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ईएनएसओ) की स्थिति व्याप्त है। हालांकि, वायुमंडलीय परिसंचरण की विशेषताएं ला नीना की स्थितियों के समान हैं। नवीनतम मॉनसून मिशन जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली (एमएमसीएफएस) के साथ-साथ अन्य जलवायु मॉडल पूर्वानुमान संकेत देते हैं कि मॉनसून के मौसम के दौरान तटस्थ ईएनएसओ की स्थिति जारी रहने की संभावना है।
  • वर्तमान में, हिंद महासागर के ऊपर तटस्थ हिंद महासागर द्विध्रुव (आईओडी) स्थितियां मौजूद हैं और नवीनतम जलवायु मॉडल पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मौसम के दौरान तटस्थ आईओडी स्थितियां जारी रहने की संभावना है।
  • पिछले तीन महीनों (जनवरी से मार्च, 2025) के दौरान उत्तरी गोलार्ध और यूरेशिया के बर्फ कवर क्षेत्र सामान्य से कम थे। उत्तरी गोलार्ध के साथ-साथ यूरेशिया में सर्दियों और वसंत के दौरान बर्फ पड़ने का विस्तार आम तौर पर बाद के भारतीय ग्रीष्मकालीन मॉनसून वर्षा के साथ विपरीत सम्बंध रखता है। मौसम विभाग मई 2025 के अंतिम सप्ताह में मॉनसून के लिए अद्यतन पूर्वानुमान जारी करेगा।

1. पृष्ठभूमि

वर्ष 2003 से, भारतीय मौसम विभाग पूरे देश में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून मौसमी (जून-सितंबर) वर्षा के लिए दो चरणों में परिचालन दीर्घावधि पूर्वानुमान (एलआरएफ) जारी कर रहा है। पहले चरण का पूर्वानुमान अप्रैल में जारी किया जाता है और दूसरे चरण या अद्यतन पूर्वानुमान मई के अंत तक जारी किया जाता है। वर्ष 2021 में, मौसम विभाग  ने मौजूदा दो चरणीय पूर्वानुमान रणनीति को संशोधित करके देश भर में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून वर्षा के लिए मासिक और मौसमी परिचालन पूर्वानुमान जारी करने के लिए एक नई रणनीति लागू की है। नई रणनीति में गतिशील और सांख्यिकीय पूर्वानुमान प्रणाली दोनों का उपयोग किया जाता है। इसमें मौसम विभाग  के मॉनसून मिशन जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली सहित विभिन्न वैश्विक जलवायु पूर्वानुमान केंद्रों से युग्मित वैश्विक जलवायु मॉडल पर आधारित मल्टी-मॉडल एनसेंबल पूर्वानुमान प्रणाली का उपयोग किया जाता है।

नई एलआरएफ रणनीति के अनुसार, अप्रैल के मध्य में जारी प्रथम चरण के पूर्वानुमान में पूरे देश के लिए मात्रात्मक और संभाव्यता पूर्वानुमान शामिल होते हैं तथा देश भर में मौसमी (जून-सितंबर) वर्षा की तृतीयक श्रेणियों (सामान्य से अधिक, सामान्य और सामान्य से कम) के लिए संभाव्यता पूर्वानुमानों का स्थानिक वितरण शामिल होता है।

मई के अंत में जारी किए जाने वाले दूसरे चरण के पूर्वानुमान में अप्रैल में जारी मौसमी वर्षा पूर्वानुमान के साथ-साथ भारत के चार समरूप क्षेत्रों (उत्तर-पश्चिम, मध्य भारत, दक्षिण प्रायद्वीप और पूर्वोत्तर) और मॉनसून कोर ज़ोन (एमसीजेड) में मौसमी वर्षा के लिए संभाव्य पूर्वानुमानों के लिए अद्यतन शामिल हैं। इसके अलावा, पूरे देश के लिए मात्रात्मक और संभाव्य पूर्वानुमान, और देश भर में जून की वर्षा की तीन श्रेणियों (सामान्य से ऊपर, सामान्य और सामान्य से नीचे) के लिए संभाव्य पूर्वानुमानों का स्थानिक वितरण भी दूसरे राज्य पूर्वानुमान के दौरान जारी किया जाता है।

उपरोक्त पूर्वानुमानों के क्रम में, अगले एक महीने के लिए क्रमशः जून, जुलाई और अगस्त के अंत में मासिक वर्षा पूर्वानुमान जारी किया जाता है। इसके अलावा, पूरे देश के लिए मात्रात्मक और संभाव्य पूर्वानुमान, तथा मौसम की दूसरी छमाही के लिए तृतीयक श्रेणियों के लिए संभाव्य पूर्वानुमानों का स्थानिक वितरण अगस्त के पूर्वानुमान के साथ जुलाई के अंत में जारी किया जाता है।

2. देशभर में 2025 दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीज़न (जून-सितंबर) की वर्षा का पूर्वानुमान।

गतिशील और सांख्यिकीय दोनों मॉडलों पर आधारित पूर्वानुमान से पता चलता है कि मात्रात्मक रूप से, मॉनसून मौसमी वर्षा दीर्घावधि औसत की 105 प्रतिशत होने की संभावना है ।

औसत (एलपीए) ± 5 प्रतिशत की मॉडल त्रुटि के साथ। 1971-2020 की अवधि के लिए पूरे देश में मौसमी वर्षा का एलपीए 87 सेमी है

पूरे देश में मौसमी (जून से सितंबर) वर्षा के लिए पांच श्रेणी के संभाव्यता पूर्वानुमान नीचे दिए गए हैं, जो यह सुझाव देते हैं कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून मौसमी वर्षा सामान्य से अधिक या उससे अधिक (एलपीए का 104 प्रतिशत से अधिक) होने की प्रबल संभावना (59 प्रतिशत) है।

वर्ग

वर्षा सीमा

(एलपीए का प्रतिशत)

पूर्वानुमान संभावना (प्रतिशत)

जलवायवीय

संभावना (प्रतिशत)

न्यून

< 90

2

16

सामान्य से नीचे

90 – 95

9

17

सामान्य

96 -104

30

33

सामान्य से उपर

105-110

33

16

अधिकतम

> 110

26

17

वर्ष 2025 के दौरान दक्षिण-पश्चिम मॉनसून वर्षा के लिए एमएमई पूर्वानुमान, युग्मित जलवायु मॉडलों के एक समूह की अप्रैल की प्रारंभिक स्थितियों के आधार पर तैयार किया गया है, जिनमें भारतीय मॉनसून क्षेत्र के सम्बंध में उच्च पूर्वानुमान क्षमता है।

वर्ष 2025 के दौरान (जून से सितंबर) वर्षा के लिए तीन श्रेणियों (सामान्य से अधिक, सामान्य और सामान्य से कम) के संभाव्य पूर्वानुमानों का स्थानिक वितरण चित्र 1 में दिखाया गया है। स्थानिक वितरण से पता चलता है कि उत्तर-पश्चिम, पूर्वोत्तर और दक्षिण प्रायद्वीपीय के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक मौसमी वर्षा होने की संभावना है, जहां सामान्य से कम वर्षा होने की संभावना है। भूमि क्षेत्र के भीतर सफ़ेद रंग के छायांकित क्षेत्र वर्षा की सभी तीन श्रेणियों के लिए समान संभावनाओं वाले मॉडल से कोई संकेत नहीं दर्शाते हैं।

3. भूमध्यरेखीय प्रशांत और हिंद महासागर में समुद्र सतह तापमान (एसएसटी) की स्थिति

वर्तमान में, भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में तटस्थ ईएनएसओ स्थितियां बनी हुई हैं। हालांकि, वायुमंडलीय परिसंचरण विशेषताएं ला नीना स्थितियों के समान हैं। नवीनतम एमएमसीएसएफ के साथ-साथ अन्य जलवायु मॉडल पूर्वानुमान संकेत देते हैं कि मॉनसून के मौसम के दौरान तटस्थ ईएनएसओ स्थितियां जारी रहने की संभावना है।

वर्तमान में, हिंद महासागर के ऊपर तटस्थ आईओडी स्थितियां मौजूद हैं और नवीनतम जलवायु मॉडल पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मौसम के दौरान तटस्थ आईओडी स्थितियां जारी रहने की संभावना है।

चूंकि प्रशांत और हिंद महासागरों पर समुद्री सतह के तापमान (एसएसटी) की स्थिति का भारतीय मॉनसून पर गहरा प्रभाव पड़ता है, इसलिए आईएमडी इन महासागरीय बेसिनों पर समुद्री सतह की स्थिति के विकास पर सावधानीपूर्वक निगरानी रख रहा है।

4. उत्तरी गोलार्ध पर बर्फ की चादर

उत्तरी गोलार्ध के साथ-साथ यूरेशिया में सर्दियों और वसंत ऋतु में बर्फ की चादर का विस्तार आम तौर पर बाद में होने वाली भारतीय ग्रीष्मकालीन मॉनसून वर्षा के साथ विपरीत सम्बंध रखता है। जनवरी से मार्च, 2025 के दौरान उत्तरी गोलार्ध और यूरेशियाई बर्फ की चादर के क्षेत्रों में सामान्य से कम बर्फ देखी गई।

चित्र 1. दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीजन (जून-सितंबर), 2025 के दौरान भारत में मौसमी वर्षा के लिए तीन श्रेणियों* (सामान्य से कम, सामान्य और सामान्य से अधिक) का संभाव्यता पूर्वानुमान। यह आंकड़ा सबसे संभावित श्रेणियों के साथ-साथ उनकी संभावनाओं को भी दर्शाता है। सफ़ेद छायांकित क्षेत्र सभी तीन श्रेणियों के लिए समान संभावनाओं के साथ मॉडल से कोई संकेत नहीं दर्शाते हैं।

(*तृतीयक श्रेणियों की जलवायु सम्भावनाएं समान हैं, प्रत्येक की 33.33प्रतिशत है)।

***

एमजी/केसी/वीके/एचबी


(Release ID: 2121951) Visitor Counter : 167


Read this release in: English , Marathi , Malayalam , Urdu