पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय
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केन्द्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने राष्ट्रीय जलमार्गों के लिए डिजिटल पोर्टल आरंभ किया


आरंभ किए गए पोर्टल के माध्यम से गोवा में मंडोवी नदी (एनडब्ल्यू 68) पर मालिम पर जेटी विकसित करने के लिए मरीना इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को पहली एनओसी जारी

राष्ट्रीय जलमार्ग नियमों 2025 ने राष्ट्रीय जलमार्गों पर जेटी और टर्मिनल विकास में निजी निवेश के लिए दरवाजे खोले

Posted On: 09 APR 2025 7:40PM by PIB Delhi

केन्द्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने राष्ट्रीय जलमार्गों पर बुनियादी ढांचे के विकास में निजी निवेश को आमंत्रित करने के लिए भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) द्वारा विकसित एक समर्पित डिजिटल पोर्टल का शुभारंभ किया।

एक सांकेतिक क्लिक के साथ, मंत्री ने औपचारिक रूप से इस पहल का उद्घाटन किया, जिसका उद्देश्य देश में कारोबार को सुगम बनाने (ईओडीबी) को सुविधाजनक बनाना और अंतर्देशीय जल परिवहन (आईडब्ल्यूटी) में निजी निवेश को प्रोत्साहित करना है। यह शुभारंभ राष्ट्रीय जलमार्ग (जेट्टी/टर्मिनलों का निर्माण) नियमों, 2025 की शुरूआत के बाद हुआ है, जो भारत के राष्ट्रीय जलमार्ग नेटवर्क में जेटी और टर्मिनलों के निर्माण और संचालन में निजी उद्यमियों के निवेश के लिए एक रूपरेखा तैयार करता है।

नव अधिसूचित राष्ट्रीय जलमार्ग (जेट्टी/टर्मिनलों का निर्माण) नियमों, 2025 के अनुसार, कोई भी संस्था - जिसमें निजी उद्यमी भी शामिल हैं - अब भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) से ‘अनापत्ति प्रमाण पत्र’ (एनओसी) प्राप्त करके राष्ट्रीय जलमार्ग पर अंतर्देशीय जलमार्ग टर्मिनल विकसित या संचालित कर सकती है। ये नियम मौजूदा और नए टर्मिनलों, चाहे वे स्थायी हों या अस्थायी, दोनों पर लागू होते हैं।

इस अवसर पर, केन्द्रीय मंत्री ने कहा, "आईडब्ल्यूएआई द्वारा विकसित डिजिटल पोर्टल के साथ-साथ राष्ट्रीय जलमार्ग नियम, 2025 का शुभारंभ भारत के समुद्री और लॉजिस्टिक इकोसिस्टम में एक परिवर्तनकारी कदम है। जेटी और टर्मिनल विकसित करने में निजी भागीदारी को सक्षम करके, हम अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन में सतत बुनियादी ढांचे के विकास की अपार संभावनाओं को उजागर करने जा रहे हैं, जो हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का एक सपना है। यह पहल न केवल नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाती है, बल्कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ईओडीबी), आर्थिक सशक्तिकरण और रोजगार सृजन के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है। यह एक आधुनिक, कुशल, किफायती और समावेशी अंतर्देशीय जल परिवहन प्रणाली का मार्ग प्रशस्त करता है जो राष्ट्र को विकसित भारत की ओर ले जाएगा।"

*नए आरंभ किए गए डिजिटल पोर्टल के माध्यम से पहली एनओसी*

आरंभ कार्यक्रम में, केन्द्रीय मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने मुंबई स्थित मरीना इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को नए डिजिटल पोर्टल के माध्यम से जारी पहला अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) सौंपा। यह देश में किसी भी राष्ट्रीय जलमार्ग पर टर्मिनल के निर्माण के लिए किसी निजी संस्था को डिजिटल रूप से जारी किया गया अपनी तरह का पहला एनओसी है।

लगभग 8 करोड़ रुपये के निवेश से कंपनी गोवा में राष्ट्रीय जलमार्ग-68 (मंडोवी नदी) पर मालिम में एक जेटी स्थापित करेगी। 30 मीटर तक की लंबाई वाली 16 निजी स्वामित्व वाली पाल-नौकाओं और मनोरंजन नौकाओं को लंगर डालने के लिए डिज़ाइन की गई यह जेटी प्रत्येक यात्रा के लिए डॉकिंग और अनडॉकिंग में सहयोग करेगी, जिससे जलमार्ग के साथ नदी क्रूज पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा, "हमारे माननीय प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में, आईडब्ल्यूएआई ने अंतर्देशीय जलमार्गों को आर्थिक विकास के एक शक्तिशाली इंजन में बदल दिया है - जो कि वित्त वर्ष 2023-24 में 18 मिलियन टन से 133 मिलियन टन तक कार्गो की आवाजाही में वृद्धि से स्पष्ट है। नए राष्ट्रीय जलमार्ग (जेट्टी/टर्मिनलों का निर्माण) नियम, 2025 निजी निवेश को प्रोत्साहित करके, प्रक्रियात्मक दक्षता में सुधार करके और टिकाऊ, डिजिटल रूप से संचालित विकास को आगे बढ़ाकर इस गति को और तेज़ करेंगे।"

नए नियम स्थायी और अस्थायी टर्मिनलों - मौजूदा या नए - को एकीकृत ढांचे के अंतर्गत लाते हैं। स्थायी टर्मिनल जीवन भर के लिए काम कर सकते हैं, जबकि अस्थायी टर्मिनलों की शुरुआती अवधि पाँच साल होगी जिसमें विस्तार के प्रावधान होंगे। इस सुव्यवस्थित दृष्टिकोण का उद्देश्य निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना और अंतर्देशीय जलमार्ग क्षेत्र में सतत, विकास-संचालित विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूत करना है।

इस कार्यक्रम में भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) के अध्यक्ष श्री विजय कुमार के अलावा आईडब्ल्यूएआई और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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एमजी/केसी/केपी


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