गृह मंत्रालय
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भारतीय दंड संहिता के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता

Posted On: 26 MAR 2025 1:42PM by PIB Delhi

भारतीय विधि आयोग ने अपनी विभिन्न रिपोर्टों में आपराधिक कानूनों में अलग-अलग धाराओं में संशोधनों की सिफारिश की थी। इसके अलावा बेजबरुआ समिति, विश्वनाथन समिति, मलिमथ समिति, माधव मेनन समिति आदि समितियों ने भी आपराधिक कानूनों में अलग-अलग धाराओं के लिए संशोधनों और आपराधिक न्याय प्रणाली में सामान्य सुधारों की अनुशंसा की।

गृह संबंधी मामलों पर विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 111वीं (2005), 128वीं (2006) और 146वीं (2010) रिपोर्टों में संबंधित अधिनियमों में टुकड़ों-टुकड़ों में संशोधन करने के बजाय संसद में व्यापक कानून पेश करके देश की आपराधिक न्याय प्रणाली की व्यापक समीक्षा करने की अनुशंसा की थी।

तदनुसार, गृह मंत्रालय ने सभी को सुलभ और कम खर्च में न्याय प्रदान करने तथा नागरिक केंद्रित कानूनी संरचना बनाने के उद्देश्य से आपराधिक कानूनों अर्थात भारतीय दंड संहिता, 1860, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की व्यापक समीक्षा की थी। उपरोक्त तीनों अधिनियमों को निरस्त कर दिया गया है तथा उनके स्थान पर क्रमशः तीन नए कानून- भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए), 2023 लागू किए गए हैं।

पहली बार भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध से संबंधित प्रावधानों को प्राथमिकता दी गई है और उन्हें एक अध्याय के अंतर्गत रखा गया है। महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के लिए मृत्युदंड तक की कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म के लिए दोषी के शेष प्राकृतिक जीवन या उसकी मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा है। शादी, नौकरी, पदोन्नति या पहचान छिपाकर यौन संबंध बनाने आदि के मामलों के लिए एक नये अपराध को भी बीएनएस में शामिल किया गया है। नए आपराधिक कानूनों में महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित मुख्य प्रावधान अनुलग्नक में दिए गए हैं।

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अनुलग्नक

महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए प्रावधान

  1. बीएनएस के नए अध्याय-V में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों को अन्य सभी अपराधों पर प्राथमिकता दी गई है।
  2. बीएनएस में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध विभिन्न अपराधों को लिंग-तटस्थ बना दिया गया है, तथा लिंग के आधार पर भेदभाव किए बिना सभी पीड़ितों और अपराधियों को इसमें शामिल किया गया है।
  3. बीएनएस में सामूहिक दुष्कर्म की नाबालिग पीड़िताओं के लिए उम्र का अंतर खत्म कर दिया गया है। पहले 16 साल और 12 साल से कम उम्र की लड़की से सामूहिक दुष्कर्म के लिए अलग-अलग सजाएं तय थीं। इस प्रावधान में बदलाव किया गया है और अब अठारह साल से कम उम्र की लड़की से सामूहिक दुष्कर्म के लिए आजीवन कारावास या मौत की सजा का प्रावधान है।
  4. महिलाओं को परिवार के वयस्क सदस्य के रूप में मान्यता दी गई है जो सम्मन प्राप्त करने वाले व्यक्ति की ओर से सम्मन प्राप्त कर सकती हैं। पहले 'कुछ वयस्क पुरुष सदस्य' के संदर्भ को 'कुछ वयस्क सदस्य' से बदल दिया गया है।
  5. पीड़िता को अधिक सुरक्षा प्रदान करने तथा दुष्कर्म के अपराध से संबंधित जांच में पारदर्शिता लागू करने के लिए, पुलिस द्वारा पीड़िता का बयान ऑडियो-वीडियो माध्यम से दर्ज किया जाएगा।
  6. महिलाओं के विरुद्ध कुछ अपराधों के लिए, जहां तक ​​संभव हो, पीड़िता का बयान एक महिला मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाना चाहिए तथा उसकी अनुपस्थिति में एक पुरुष मजिस्ट्रेट द्वारा महिला की उपस्थिति में बयान दर्ज किया जाना चाहिए, ताकि संवेदनशीलता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके तथा पीड़ितों के लिए एक सहायक वातावरण का सृजन किया जा सके।
  • vii. चिकित्सकों को दुष्कर्म की पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट 7 दिनों के भीतर जांच अधिकारी को भेजने का निर्देश दिया गया है।
  1. इसमें प्रावधान है कि पंद्रह वर्ष से कम आयु के या 60 वर्ष (65 वर्ष से पहले) से अधिक आयु के किसी पुरुष व्यक्ति या महिला या मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्ति या गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को उस स्थान के अलावा किसी अन्य स्थान पर उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होगी, जहां वह पुरुष व्यक्ति या महिला रहता है। ऐसे मामलों में जहां ऐसा व्यक्ति पुलिस स्टेशन में उपस्थित होने के लिए इच्छुक है, उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी जा सकती है।
  2. नए कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के पीड़ितों को सभी अस्पतालों में मुफ्त प्राथमिक उपचार या चिकित्सा उपचार का प्रावधान है। यह प्रावधान चुनौतीपूर्ण समय के दौरान पीड़ितों की भलाई और उनके स्वस्थ होने की स्थिति को प्राथमिकता देते हुए आवश्यक चिकित्सा देखभाल तक तत्काल पहुंच सुनिश्चित करता है।

गृह राज्य मंत्री श्री बंदी संजय कुमार ने राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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एमजी/आरपी/केके/एसके

 


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