वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय
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एपीडा ने सिक्किम से सोलोमन द्वीप तक जीआई-टैग वाली डैले मिर्च के निर्यात को सुगम बनाया


15,000 किलोग्राम डैले मिर्च के निर्यात से सिक्किम में किसानों की आय में वृद्धि

Posted On: 24 MAR 2025 3:19PM by PIB Delhi

भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने सिक्किम से सोलोमन द्वीप तक जीआई-टैग वाली डैले मिर्च की पहली खेप का सफलतापूर्वक निर्यात किया है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि वैश्विक जैविक कृषि बाजार में भारत की बढ़ती प्रमुखता को चिन्हित करती है और पूर्वोत्तर क्षेत्र से प्रीमियम उत्पादों की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय मांग को उजागर करती है।

डैले मिर्च, जिसे फायर बॉल मिर्च या डैले खुरसानी के नाम से भी जाना जाता है, अपने तीखेपन, चमकीले लाल रंग और उच्च पोषण मूल्य के लिए प्रसिद्ध है। यह विटामिन ए, सी और ई के साथ-साथ पोटेशियम से भरपूर है। इसकी स्कोविल हीट यूनिट (एसएचयू) 100,000 से 350,000 तक होती है। इसके परिणामस्वरूप यह रसोई और औषधीय दोनों तरह के इस्तेमाल के लिए एक मसाले के रुप में लोकप्रिय है।

खरीद के संदर्भ में अपने व्यापक नेटवर्क के माध्यम से, मेवेदिर ने दक्षिण सिक्किम के किसानों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) से लगभग 15,000 किलोग्राम ताजा डैले मिर्च प्राप्त की, जिसमें टिंकिटम और तारकू क्षेत्र शामिल हैं। इस खेप ने सुनिश्चित किया कि किसानों को सामान्य 180-200 रुपये प्रति किलोग्राम की तुलना में 250-300 रुपये प्रति किलोग्राम का प्रीमियम मूल्य मिले, जिससे जीआई टैगिंग और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के आर्थिक लाभों की पुष्टि हुई।

खेप की प्रोसेसिंग सिक्किम के बागवानी विभाग द्वारा विकसित एपीडा द्वारा वित्तपोषित एकीकृत पैक हाउस में की गई। कुल मात्रा में से 9,000 किलोग्राम को निर्जलित किया गया, जबकि 6,000 किलोग्राम को आगे की प्रोसेसिंग और निर्यात के लिए संरक्षित किया गया। सुखाने की प्रक्रिया से 12.5 प्रतिशत ​​रिकवरी दर प्राप्त हुई, जिसमें 1,600 किलोग्राम ताजी मिर्च को निर्यात के लिए 200 किलोग्राम सूखी मिर्च में संसाधित किया गया।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पहले इस बात पर जोर दिया था कि पूर्वोत्तर भारत के स्वस्थ और अधिक टिकाऊ भविष्य के विजन की कुंजी है। उन्होंने कहा कि भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग सिर्फ़ एक मान्यता नहीं है, बल्कि किसानों और कारीगरों के लिए एक परिवर्तनकारी अवसर है, जो नए बाजार खोलता है और क्षेत्र के लिए आर्थिक समृद्धि सुनिश्चित करता है।

2020 में, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने सिक्किम में उगाई जाने वाली एक अनूठी और अत्यधिक तीखी किस्म, डैले मिर्च को जीआई टैग प्रदान किया। उत्तर पूर्वी क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम (एनईआरएएमएसी) ने जीआई पंजीकरण की सुविधा प्रदान की, जिससे इस विशेष उत्पाद की पहचान और विपणन क्षमता मजबूत हुई।

भारत सरकार कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अगुआई में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन (एमओवीसीडी-एनईआर) योजना के तहत पूर्वोत्तर में जैविक खेती को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है। इस पहल ने जैविक डैले मिर्च के उत्पादन और गुणवत्ता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसकी अपील और बढ़ गई है।

एपीडा ने सिक्किम के कृषि विभाग और गुवाहाटी स्थित इसके क्षेत्रीय कार्यालय के साथ मिलकर इस निर्यात को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे स्थानीय किसानों और एफपीओ को वैश्विक बाजार तक पहुंच का लाभ सुनिश्चित हुआ।

इस ऐतिहासिक निर्यात लेनदेन के लिए, सिक्किम से जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध एक प्रमुख कृषि-निर्यात उद्यम मेवेदिर ने सोलोमन द्वीप को सीधे पहली खेप की आपूर्ति की। यह पिछले अप्रत्यक्ष निर्यात मार्गों से अलग है और भारत की जैविक आपूर्ति श्रृंखला में बढ़ते भरोसे को दर्शाता है। सोलोमन द्वीप के खरीदार को 2023 में सिंगापुर में इसके अंतरराष्ट्रीय शुरूआत के माध्यम से उत्पाद से परिचित कराया गया और उसके बाद मेवेदिर से सीधे सोर्सिंग की मांग की गई।

सोलोमन द्वीप समूह को डैले मिर्च के निर्यात से वैश्विक मसाला मानचित्र पर सिक्किम की प्रमुखता बढ़ने की उम्मीद है, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए नए रास्ते खुलेंगे। अपनी आदर्श जलवायु और उपजाऊ मिट्टी के साथ, सिक्किम में वैश्विक मसाला उद्योग में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरने की क्षमता है। यह सफल लेनदेन भारत के जैविक कृषि उत्पादों की बढ़ती वैश्विक मान्यता और दुनिया भर में कृषि-निर्यात का विस्तार करने की इसकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

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