कोयला मंत्रालय
बिजली संयंत्रों के लिए कोयले की खरीद पर प्रतिबंध हटाना
Posted On:
24 MAR 2025 1:03PM by PIB Delhi
ताप विद्युत संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति पहले नई कोयला वितरण नीति, 2007 (एनसीडीपी) द्वारा प्रशासित थी। एनसीडीपी के प्रावधानों को 2017 में शक्ति नीति द्वारा प्रतिस्थापित किया गया। इसके तहत कोयले की आपूर्ति कोयला कंपनियों और विद्युत संयंत्रों के बीच निष्पादित ईंधन आपूर्ति समझौते (एफएसए) की वाणिज्यिक शर्तों के अनुसार की जाती है। सरकार द्वारा 2022 में निर्णय लिया गया है कि विद्युत क्षेत्र के सभी मौजूदा लिंकेज धारकों की पूर्ण विद्युत खरीद समझौते की आवश्यकता पूरी करने के लिए कोयला कंपनियों द्वारा ट्रिगर (अनुबंधित वार्षिक मात्रा का न्यूनतम प्रतिशत जिसे कोल इंडिया लिमिटेड को आपूर्ति करना होता है, जिसका उद्देश्य बिजली उत्पादन के लिए विश्वसनीय घरेलू कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करना है) और वार्षिक अनुबंधित मात्रा (एसीक्यू) के स्तर पर ध्यान दिए बिना उपलब्ध कराया जाएगा। एफएसए के तहत एसीक्यू से अधिक कोयले की आपूर्ति द्वारा विद्युत संयंत्रों को आवश्यकता अनुरूप कोयला मिल रहा है। इसके अतिरिक्त कोयला कंपनियों द्वारा सिंगल विंडो ई-नीलामी के तहत भी कोयला बेचा जाता है, जो विद्युत क्षेत्र सहित सभी क्षेत्रों की आवश्यकताएं पूरी करता है।
एफएसए के तहत कोयला आपूर्ति में, कोयले का मूल्य निर्धारण वाणिज्यिक शर्तों, एफएसए की शर्तों और कोल इंडिया लिमिटेड/सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड द्वारा समय-समय पर जारी मूल्य अधिसूचनाओं के अनुरूप होता है।
घरेलू स्तर पर कोयले की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार का ध्यान कोयले के घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर है। देश में वर्ष 2023-24 में अब तक का सर्वाधिक कोयला उत्पादन हुआ है। वर्ष 2023-24 के दौरान देश में कोयला उत्पादन 997.826 मिलियन टन (एमटी) था। मौजूदा वर्ष 2024-25 में देश में 5.45 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ फरवरी, 2025 तक (अनंतिम) कोयला उत्पादन पिछले वर्ष 2023-24 की इसी अवधि के 881.16 मिलियन टन की तुलना में 929.15 मिलियन टन हुआ है।
देश में पर्याप्त कोयला उपलब्धता सुनिश्चित करने और कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम निम्नानुसार हैं:
- कोयला ब्लॉकों को विकसित करने में तेजी लाने के कार्यों की कोयला मंत्रालय नियमित समीक्षा करता है।
- खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2021 [एमएमडीआर अधिनियम] लागू करना, जिससे कैप्टिव खान मालिकों (परमाणु खनिजों के अलावा) को अपने वार्षिक खनिज (कोयला सहित) उत्पादन का 50 प्रतिशत तक खुले बाजार में बेचने में सक्षम बनाया गया है, पर उन्हें खदान से जुड़े अंतिम उपयोग संयंत्र की आवश्यकता पूरा करना होगा और केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित उपाय द्वारा अतिरिक्त राशि का भुगतान करना होगा।
- कोयला खदानों के परिचालन में तेजी लाने के लिए कोयला क्षेत्र के लिए एकल खिड़की मंजूरी पोर्टल दी गई है।
- कोयला खदानों के शीघ्र संचालन के लिए विभिन्न अनुमोदन/मंजूरी प्राप्त करने में कोयला ब्लॉक आवंटियों की सहायता के लिए परियोजना निगरानी इकाई स्थापित की गई है।
- राजस्व साझेदारी के आधार पर वाणिज्यिक खनन की नीलामी 2020 में आरंभ की गई है। वाणिज्यिक खनन योजना के तहत, उत्पादन की निर्धारित तिथि से पहले उत्पादित कोयले की मात्रा के लिए अंतिम प्रस्ताव पर 50 प्रतिशत की छूट दी गई है। इसके अतिरिक्त कोयला गैसीकरण या द्रवीकरण (अंतिम प्रस्ताव पर 50 प्रतिशत की छूट) पर प्रोत्साहन दिया गया है।
- वाणिज्यिक कोयला खनन की शर्तें और नियमों को उदार बनाया गया है, जिनमें कोयले के उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं है, नई कंपनियों को भी बोली प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति है। इसमें अग्रिम राशि कम है, मासिक भुगतान के विरुद्ध अग्रिम राशि का समायोजन किया जा सकता है। कोयला खदानों को चालू करने के लिए स्थिति अनुकूलता संबंधी सरल मानक रखे गये हैं। बोली प्रक्रिया पारदर्शी है तथा स्वचालित मार्ग माध्यम से शत-प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और राष्ट्रीय कोयला सूचकांक पर आधारित राजस्व साझाकरण मॉडल स्थापित किया गया है।
इसके अलावा, कोयला कम्पनियों ने घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाने के निम्नलिखित उपाय किये हैं:
- कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) द्वारा कोयला उत्पादन बढ़ाने के उपायों में अपने भूमिगत (यूजी) खदानों में मुख्य रूप से स्थायी रूप से खनिकों (सीएम) के साथ बड़े पैमाने पर उत्पादन तकनीक (एमपीटी) अपनाना शामिल है। सीआईएल ने परित्यक्त/बंद खदानों की उपलब्धता को देखते हुए हाईवॉल (कोयला चट्टान की खड़ी दीवार वाली) खदानों की भी योजना बनाई है। सीआईएल भूमिगत खदानों में भी यथासंभव व्यापक खनन की योजना बना रहा है। अपनी ओपनकास्ट (ओसी) खदानों में, सीआईएल पहले से ही उच्च क्षमता वाले उत्खननकर्ताओं, डंपरों और सतह खननकर्ता के साथ अत्याधुनिक तकनीक अपना रहा है।
- सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) द्वारा नई परियोजनाओं की ग्राउंडिंग और मौजूदा परियोजनाओं के संचालन के लिए नियमित संपर्क गतिविधियां चलाई जा रही हैं। एससीसीएल ने कोयला निकासी के लिए कोल हैंडलिंग प्लांट (सीएचपी), क्रशर, मोबाइल क्रशर, प्री-वे-बिन (कोयले के लदान से पहले एक अलग डिब्बे या हॉपर में तौला जाता है) आदि बुनियादी ढांचा विकसित करने का काम शुरू किया है।
केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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