वित्त मंत्रालय
भारत का व्यापार और आर्थिक परिदृश्य
Posted On:
20 MAR 2025 6:10PM by PIB Delhi
आरबीआई बुलेटिन (मार्च 2025): व्यापार घाटा, निर्यात और आर्थिक परिवर्तन का नेविगेशन
- फरवरी 2025 में भारत की मुख्य सीपीआई मुद्रास्फीति खाद्य कीमतों में कमी के कारण सात महीने के निचले स्तर 3.6% पर आ गई
- भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 2024-25 में 6.5% की बढ़ोतरी का अनुमान है, जबकि तीसरी तिमाही में 6.2% की बढ़ोतरी होगी
- वैश्विक वृद्धि को व्यापार संबंधी जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके साथ ही ओबीसीडी ने पूर्वानुमान घटाकर 3.1% (2025) और 3.0% (2020) कर दिया है
- ग्लोबल तेल की कीमतें मार्च 2025 के मध्य से 15% गिरकर $70 डॉलर से नीचे आ गई हैं
- पीएमआई सर्वेक्षण शुरू होने के बाद से, विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार दूसरी सबसे तेज दर से बढ़ा है
- फरवरी 2025 में 10.9% की गिरावट के बावजूद, निर्यात में 2024-25 की तीसरी तिमाही में 10.1% की बढ़ोतरी हुई, जो सकल घरेलू उत्पाद में 2.5% की बढ़ोतरी करेगा
- इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग सामान और फार्मास्यूटिकल्स के चलते, (अप्रैल ईल 2024-25) भारत का निर्यात 0.1% बढ़कर 395.6 बिलियन डॉलर हो गया
- भारत का खाद्यान्न उत्पादन 2024-25 में 330.9 मिलियन टन (+4.8%) तक पहुंचने वाला है, जिसमें गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड 115.4 मिलियन टन (+1.9%) है
- टोल संग्रह और ई-वे हिल्स ने दोहरे अंकों की बढ़ोतरी दर्ज की
- पीएम सूर्य घर मुफ्त बिली योजना के अंतर्गत, 10 मार्च, 2025 तक 10.09 लाख घरों में छत पर सौर ऊर्जा स्थापित की गई थी
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वैश्विक व्यापार तनाव और लगातार भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के दौर में, भारतीय अर्थव्यवस्था ने उल्लेखनीय तन्यकशीलता और मजबूत बढ़ोतरी का प्रदर्शन किया है। उपरोक्त निष्कर्ष भारतीय रिजर्व बैंक के मार्च 2025 बुलेटिन से हैं, जो देश में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर प्रकाश डालता है। नवीनतम डेटा-संचालित विश्लेषण अस्थिर वैश्विक पृष्ठभूमि के बीच घरेलू बुनियादी बातों की मजबूती को रेखांकित करता है। जबकि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं बनी हुई हैं, भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत खपत और सरकारी खर्च की ओर से सहयोग की गई मजबूत बढ़ोतरी दिखाती है। मुद्रास्फीति में कमी आई है, और नीतिगत उपायों ने बाजार की तरलता को स्थिर करने में मदद की है। हालांकि, विदेशी पोर्टफोलियो आउटफ्लो और मुद्रा का कमजोर होना प्रमुख जोखिम बने हुए हैं।
घरेलू आर्थिक विकास
वैश्विक चुनौतियों के बीच मजबूत जीडीपी बढ़ोतरी
- एनएसओ के दूसरे एडवांस अनुमानों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की जीडीपी में 6.5% की बढ़ोतरी का अनुमान है
- तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि 6.2% रही, जो निजी खपत और सरकारी खर्च में वृद्धि के कारण दूसरी तिमाही में 5.6% से बढ़कर हुई
- विकास को गति देने वाले क्षेत्र: निर्माण, व्यापार और वित्तीय सेवाएं
विदेशी पोर्टफोलियो से निकासी और मुद्रा जोखिम
- विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की निरंतर निकासी ने शेयर बाजार और रुपये पर दबाव डाला
- हालांकि, घरेलू निवेशकों ने अपनी होल्डिंग बढ़ाई, जिससे बाजार स्वामित्व संरचना स्थिर हुई
- बाहरी अनिश्चितताओं के कारण रुपए के मूल्य में कमजोरी का जोखिम बना हुआ है
मुद्रास्फीति के रुझान: मुख्य मुद्रास्फीति में कमी

- फरवरी 2025 में सीपीआई मुद्रास्फीति 7 महीने के निचले स्तर 3.6% पर आ गई, जिसकी मुख्य वजह सब्जियों की कीमतों में गिरावट है
- हालांकि, मुख्य मुद्रास्फीति (खाद्य और ईंधन को छोड़कर) बढ़कर 4.1% हो गई, जो लगातार कीमतों में दबाव को दर्शाती है
रोजगार के रुझान
- विनिर्माण रोजगार में पीएमआई सर्वेक्षण शुरू होने के बाद से दूसरी सबसे तेज दर से बढ़ोतरी हुई
- सेवा क्षेत्र के रोजगार में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई, जो मजबूत मांग को दर्शाती है
- शहरी बेरोजगारी 6.4% के ऐतिहासिक निचले स्तर पर बनी हुई है

व्यापार और बाहरी क्षेत्र
आयात और निर्यात रुझान
- अप्रैल 2024-फरवरी 2025 तक निर्यात में मामूली 0.1% की बढ़ोतरी हुई और यह 395.6 बिलियन डॉलर हो गया, लेकिन फरवरी में व्यापारिक निर्यात में सालाना आधार पर 10.9% की गिरावट आई, जिसका मुख्य कारण आधार प्रभाव और कमजोर वैश्विक मांग थी
- शीर्ष प्रदर्शन करने वाले निर्यात क्षेत्र: इलेक्ट्रॉनिक्स, चावल और अयस्क
- कमजोर निर्यात क्षेत्र: पेट्रोलियम उत्पाद, इंजीनियरिंग वस्तुएं, रसायन और रत्न एवं आभूषण

- अप्रैल 2024-फरवरी 2025 के दौरान सोना, इलेक्ट्रॉनिक्स और पेट्रोलियम के कारण आयात 5.7% बढ़कर $656.7 बिलियन हो गया, हालांकि फरवरी 2025 में इसमें 16.3% की गिरावट आई, जिससे व्यापार घाटा कम हुआ
- तेल और सोने के आयात में उल्लेखनीय गिरावट आई, जिससे कुल आयात में गिरावट आई
- इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं और मशीनरी का आयात मजबूत रहा, जो घरेलू निवेश मांग को दर्शाता है

वित्तीय और मौद्रिक नीतियां
आरबीआई का तरलता प्रबंधन
- आरबीआई ने तरलता प्रबंधन के लिए खुले बाजार परिचालन (ओएमओ), दैनिक रेपो नीलामी और डॉलर/ रुपए स्वैप का इस्तेमाल किया
- इन उपायों ने पूंजी के आउटफ्लो के बावजूद घरेलू तरलता को स्थिर करने में मदद की

क्षेत्र-विशिष्ट विकास
कृषि क्षेत्र
दूसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार, 2024-25 के लिए भारत का खाद्यान्न उत्पादन 330.9 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो 2023-24 के मुकाबले 4.8% की बढ़ोतरी दर्शाता है, जिसमें खरीफ उत्पादन में 6.8% और रबी में 2.8% की बढ़ोतरी शामिल है।

ऑटोमोबाइल सेक्टर
- फरवरी में कमजोर मांग के कारण कार और मोटरसाइकिल की बिक्री में गिरावट आई
- ट्रैक्टर की बिक्री में दोहरे अंकों में बढ़ोतरी देखी गई, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूत मांग का संकेत है

इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्माण
- टोल संग्रह और ई-वे बिल में दोहरे अंकों की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर गतिविधि का संकेत है
- इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं पर सरकारी खर्च ने आर्थिक गति को सहयोग दिया

वैश्विक व्यवस्था
व्यापार युद्ध और टैरिफ प्रगति को प्रभावित कर रहे हैं
- वैश्विक अर्थव्यवस्था 2025 में तेज गति के साथ प्रवेश कर चुकी है, लेकिन अब बढ़ते संरक्षणवाद और व्यापार प्रतिबंधों में बढ़ोतरी के कारण यह धीमी हो रही है
- अमेरिका-चीन टैरिफ बढ़ोतरी 2025 में अमेरिकी जीडीपी वृद्धि को 0.6 प्रतिशत तक कम कर सकती है और लंबी अवधि में अर्थव्यवस्था को 0.3-0.4% तक कम कर सकती है
- ओईसीडी ने मांग में कमी के कारण वैश्विक जीडीपी पूर्वानुमान को 2025 में 3.1% और 2026 में 3.0% तक कम कर दिया है

बाजार में अस्थिरता और मुद्रा में उतार-चढ़ाव
- व्यापार नीति अनिश्चितता के कारण नवंबर 2024 से अमेरिकी डॉलर ने अपनी बढ़त खो दी
- जर्मनी और अन्य देशों की ओर से सैन्य खर्च में बढ़ोतरी के कारण यूरोपीय बॉन्ड यील्ड में उछाल आया
- दुनिया भर में इक्विटी बाजार में अस्थिरता रही है, जो विकास में मंदी की आशंकाओं को दर्शाता है

कमोडिटी बाजार और मुद्रास्फीति दबाव
- मांग में कमी के अनुमानों के कारण जनवरी 2025 के मध्य से वैश्विक तेल की कीमतों में 15% की गिरावट आई है
- निवेशकों के सुरक्षित निवेश की ओर रुख करने के कारण सोने की कीमतें 3000 डॉलर प्रति आउंस के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं
- खाद्य उत्पादन आउटलुक में सुधार हुआ है, अनाज उत्पादन 2024 के स्तर से अधिक हो गया है
निष्कर्ष
वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद, भारत की वृद्धि दर 6.5% पर स्थिर बनी हुई है, जिसे मजबूत घरेलू मांग का सहयोग प्राप्त है। मुद्रास्फीति नियंत्रण में है, हालांकि मुख्य मुद्रास्फीति स्थिर बनी हुई है, जिसके लिए सावधानीपूर्वक मौद्रिक प्रबंधन की आवश्यकता है। कमजोर वैश्विक मांग के कारण व्यापार संबंधी चुनौतियां बनी हुई हैं, लेकिन व्यापार घाटे में कमी से कुछ राहत मिलती है। जबकि विदेशी निवेशकों का बहिर्गमन जोखिम पैदा करता है, मजबूत घरेलू निवेश लचीलापन प्रदान करता है। आरबीआई की सक्रिय नीतियों ने तरलता और मुद्रास्फीति की अपेक्षाओं को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कुल मिलाकर, भारत की अर्थव्यवस्था विकास के लिए अच्छी स्थिति में है, लेकिन वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता, वित्तीय अस्थिरता और व्यापारिक व्यवधान प्रमुख जोखिम बने हुए हैं। आर्थिक गति को बनाए रखने के लिए निरंतर नीति समर्थन और घरेलू तन्यकशीलता आवश्यक होगी।
संदर्भ:
https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Bulletin/PDFs/0BULT19032025F9CCA0AB1F7294130A950E2FD5448B5FC.PDF
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