अल्‍पसंख्‍यक कार्य मंत्रालय
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अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं की श्रम बल में भागीदारी बढ़ी

Posted On: 10 MAR 2025 3:40PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा 2021-22, 2022-23 और 2023-24 के दौरान किए गए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के अनुसार, प्रमुख धार्मिक समूहों में महिलाओं के लिए अखिल भारतीय श्रम बल भागीदारी दर - जिसे जनसंख्या में श्रम बल (यानी काम करने वाले या काम की तलाश करने वाले या काम के लिए उपलब्ध) में व्यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया गया है - के अनुमान अल्पसंख्यक समुदायों के लिए क्रमिक वृद्धि दर्शाते हुए निम्नानुसार हैं:

धार्मिक समूह

पीएलएफएस 2021-22

पीएलएफएस 2022-23

पीएलएफएस 2023-24

हिन्दू धर्म

26.1

30.5

33.3

इसलाम

15.0

14.2

21.4

ईसाई धर्म

34.2

35.1

38.3

सिख धर्म

19.8

23.5

26.7

सभी

24.8

27.8

31.7

 

प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन (पीएम विकास) मंत्रालय की एक प्रमुख योजना है, जो कौशल विकास के माध्यम से छह अधिसूचित अल्पसंख्यकों के उत्थान पर ध्यान केंद्रित करती है; स्कूल छोड़ने वालों के लिए शिक्षा सहायता तथा उद्यमिता और नेतृत्व घटक के माध्यम से महिलाओं पर लक्षित ध्यान। यह योजना मंत्रालय की पांच पूर्ववर्ती योजनाओं अर्थात सीखो और कमाओ, विकास के लिए पारंपरिक कला शिल्प में कौशल उन्नयन और प्रशिक्षण (यूएसटीटीएडी), हमारी धरोहर, नई रोशनी और नई मंजिल को जोड़ती है।

सीखो और कमाओ योजना की शुरुआत 2014-15 में की गई थी, जिसका लक्ष्य अल्पसंख्यक युवाओं (14-45 वर्ष) के कौशल को उनकी योग्यता, मौजूदा आर्थिक रुझानों और बाजार की संभावनाओं के आधार पर विभिन्न आधुनिक/पारंपरिक कौशल में उन्नत करना था, जिससे उन्हें उपयुक्त रोजगार मिल सके या उन्हें स्वरोजगार अपनाने के लिए उपयुक्त रूप से कुशल बनाया जा सके। इस योजना के तहत 2.69 लाख से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया, जो कुल लाभार्थियों का 57.64 प्रतिशत है।

यूएसटीटीएडी योजना 2015 में शुरू हुई और इसका लक्ष्य मास्टर कारीगरों/कारीगरों के पारंपरिक कौशल का क्षमता निर्माण और उन्नयन करना था। इस योजना के तहत 19,255 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया, जो कुल लाभार्थियों का 89.10 प्रतिशत  है।

नई मंज़िल योजना 2014-15 से 2020-21 तक लागू की गई थी, जिसका उद्देश्य अल्पसंख्यक युवाओं को लाभ पहुंचाना था, जिनके पास औपचारिक स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र नहीं है। इस योजना ने औपचारिक शिक्षा (कक्षा आठवीं या दसवीं) और कौशल का संयोजन प्रदान किया और लाभार्थियों को बेहतर रोजगार और आजीविका खोजने में सक्षम बनाया। इस योजना के तहत, 54,233 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया, जो कुल लाभार्थियों का 54.94 प्रतिशत  है।

केंद्रीय अल्पसंख्यक एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने यह जानकारी आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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