महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
राष्ट्र को पोषण प्रदान करना
पोषण और तंदुरुस्ती के प्रति पोषण अभियान का समग्र दृष्टिकोण
Posted On:
07 MAR 2025 7:48PM by PIB Delhi
परिचय
पोषण अभियान की शुरुआत माननीय प्रधानमंत्री ने 8 मार्च, 2018 को राजस्थान के झुंझुनू जिले में की थी। इस अभियान का उद्देश्य किशोरियों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और 0-6 वर्ष की आयु के बच्चों के पोषण के स्तर को सुधारना है। यह कार्यक्रम लक्षित दृष्टिकोण के साथ प्रौद्योगिकी, समन्वय और सामुदायिक भागीदारी के उपयोग के माध्यम से बच्चों में बौनापन, कुपोषण, एनीमिया और जन्म के समय कम वजन के स्तर को कम करने का प्रयास करता है। साथ ही किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं पर भी ध्यान केंद्रित करता है, इस प्रकार कुपोषण की समस्या को समग्र रूप से हल करता है।
उद्देश्य
· बच्चों (0-6 वर्ष) में बौनेपन से बचाव और इसमें कमी लाना
· बच्चों (0-6 वर्ष) में कुपोषण (कम वजन का प्रचलन) से बचाव और इसमें कमी लाना
· छोटे बच्चों (6-59 महीने) में एनीमिया के प्रचलन में कमी लाना
· 15-49 वर्ष के आयु वर्ग की महिलाओं और किशोरियों में एनीमिया के प्रचलन में कमी लाना
· कम वजन के साथ जन्म लेने वाले (एलबीडब्ल्यू) बच्चों की संख्या में कमी लाना

पोषण अभियान के महत्वपूर्ण स्तंभ
अभियान चार महत्वपूर्ण स्तम्भों के माध्यम से संचालित होता है:
1. गुणवत्तापूर्ण सेवाओं तक पहुँच: विशेष रूप से बच्चे के जीवन के पहले 1,000 दिनों के दौरान एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) जैसी योजनाओं के माध्यम से आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना।
2. क्षेत्रों के बीच समन्वय : स्वच्छ भारत मिशन के तहत जल और स्वच्छता तथा राष्ट्रीय पेयजल मिशन के माध्यम से पीने के पानी तक पहुँच सहित कई मंत्रालयों के प्रयासों में समन्वय करना।
3. प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना: पोषण ट्रैकर एप्लिकेशन जैसे उपकरण वास्तविक समय में डेटा संग्रह और हस्तक्षेप को सक्षम करते हैं।
4. जन आंदोलन: सामुदायिक सहभागिता व्यापक जागरूकता को बढ़ावा देने और पोषण के बारे में व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करने की कुंजी है।
पोषण अभियान कार्यक्रम की प्राथमिकताएँ
पोषण में सुधार में तेजी लाने के लिए, पोषण अभियान की निम्नलिखित प्राथमिकताएँ हैं :
1. प्रथम 1000 दिन – महत्वपूर्ण अनुकूल अवसर: गर्भधारण से लेकर बच्चे के दूसरे जन्मदिन तक के प्रारंभिक 1,000 दिन, माता और शिशु दोनों के लिए दीर्घकालिक स्वास्थ्य और विकास की नींव रखते हुए इष्टतम पोषण और स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

आवश्यक सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करना: भारत सरकार पोषण और समग्र कल्याण में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण, साक्ष्य-आधारित हस्तक्षेपों की पहुँच का विस्तार और संवर्धन करने के लिए समर्पित है। यह स्वास्थ्य, पोषण और समग्र विकास पर केंद्रित कई योजनाओं और कार्यक्रमों के समेकन के माध्यम से हासिल किया जाता है।

2. व्यवहार में परिवर्तन के लिए जन आंदोलन: यह स्वीकार करते हुए कि पोषण में स्थायी सुधार के लिए सामूहिक कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है, प्रधानमंत्री ने विभिन्न हितधारकों से कुपोषण मुक्त भारत के लिए एक जन आंदोलन (जन आंदोलन) चलाने का आह्वान किया है।

3. बहु-क्षेत्रीय समन्वय : प्रभावी बहु-क्षेत्रीय समन्वय सुगम बनाने के लिए, नीति आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में भारत की पोषण सम्बन्धी चुनौतियों पर एक राष्ट्रीय परिषद की स्थापना की गई है। यह परिषद तिमाही आधार पर मंत्रालयों और कार्यक्रमों के बीच पोषण के लिए नीति निर्देश प्रदान करती है और संयोजन की समीक्षा करती है।

4. प्रौद्योगिकी के माध्यम से सेवाएं प्रदान करना
पोषण अभियान आईसीडीएस-सीएएस जैसी मौजूदा योजनाओं के माध्यम से सेवाएं प्रदान करता है। यह आंगनवाड़ी सेवाओं की प्रदायगी को मजबूत बनाने का एक मोबाइल एप्लिकेशन है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अपने मोबाइल पर डेटा कैप्चर करती हैं। यह जानकारी राज्य और मंत्रालय के स्तर पर वास्तविक समय के आधार पर वेब-आधारित डैशबोर्ड पर उपलब्ध है। इस जानकारी का उपयोग हस्तक्षेपों की निगरानी और तथ्य-आधारित निर्णय लेने के लिए किया जाता है।

मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0
भारत सरकार ने "मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0" (जिसे मिशन पोषण 2.0 भी कहा जाता है) को मंजूरी दी है, जो स्वास्थ्य, तंदुरुस्ती और कुपोषण से प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने वाली प्रथाओं को विकसित करने के लिए मिशन मोड में लाया गया महत्वपूर्ण बदलाव है। 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और 781 जिलों में संचालित 14,00,117 आंगनवाड़ी केंद्रों (एडब्ल्यूसी) के साथ, इस मिशन का उद्देश्य बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के स्वास्थ्य, तंदुरुस्ती और प्रतिरक्षा को बढ़ाना है। 13,30,966 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा समर्थित, यह सुनिश्चित करता है कि पोषण संबंधी लाभ 10,08,89,775 पात्र लाभार्थियों तक पहुँचें। बुनियादी ढाँचे में सुधार के तहत 6,77,843 एडब्ल्यूसी को अपनी इमारतें, 10,07,635 को कार्यात्मक शौचालय और 12,43,472 को पीने के पानी की सुविधा के साथ शामिल किया गया है।

निष्कर्ष
पोषण अभियान, कुपोषण के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक ऐतिहासिक पहल है। प्रौद्योगिकी, अंतर-क्षेत्रीय सहयोग और समुदाय-संचालित प्रयासों को एकीकृत करके इस कार्यक्रम ने मातृ एवं शिशु पोषण में सुधार लाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इस मिशन की सफलता सेवा प्रदायगी, व्यवहार परिवर्तन और नीतिगत नवाचार में निरंतर प्रयासों पर निर्भर करती है। निरंतर सरकारी सहायता और सक्रिय सामुदायिक भागीदारी के साथ, पोषण अभियान भारत की महिलाओं और बच्चों के लिए स्वस्थ और अधिक पोषित भविष्य बनाने के लिए तैयार है।
संदर्भ
https://poshanabhiyaan.gov.in/
https://wcdhry.gov.in/schemes-for-children/poshan-abhiyan/
https://nirdpr.org.in/crru/docs/health/A%20call%20to%20action%20for%20Poshan%20Abhiyaan.pdf
https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2024/oct/doc2024103406901.pdf
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