स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 'लोगों के लिए निवेश' विषय पर बजट-पश्चात वेबिनार को संबोधित किया


'लोगों के लिए निवेश' का विजन तीन स्तंभों पर आधारित है: शिक्षा, कौशल और स्वास्थ्य सेवा"; इन क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने से विकसित भारत के सपने को साकार करने में योगदान मिलेगा: प्रधानमंत्री

"डे-केयर कैंसर केंद्रों और डिजिटल स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे के माध्यम से, हम गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा को अंतिम जन तक ले जाना चाहते हैं"

"हील इन इंडिया जैसी पहल दुनियाभर से चिकित्सा पर्यटकों को आकर्षित कर रही है। भारत को वैश्विक पर्यटन और कल्याण केंद्र के रूप में स्थापित करने के प्रयास किए जा रहे हैं"

वर्ष 2014 से मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 780 हो गई है; अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट मेडिकल सीटों में क्रमशः 130 प्रतिशत और 135 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री

एक ऐसा पाठ्यक्रम बनाने की आवश्यकता है जो अधिक जीवंत, सार्थक और वर्तमान चुनौतियों के अनुकूल हो, जिसका मौजूदा स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में अधिकतम उपयोग हो और मेडिकल छात्रों के कौशल को बढ़ाने की आवश्यकता पर जिसमें बल दिया जाए: श्री नड्डा

Posted On: 05 MAR 2025 9:34PM by PIB Delhi

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रोजगार पर बजट पश्चात वेबिनार को संबोधित किया। वेबिनार का विषय था "लोगों, अर्थव्यवस्था और नवाचार में निवेश" जिसमें भारत सरकार के 29 मंत्रालयों, 100 पैनलिस्टों और 25,000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया और हाल ही में पेश किए गए केंद्रीय बजट 2025-26 के 43 अनुच्छेदों पर चर्चा की।

प्रधानमंत्री ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि "वेबिनार का विषय 'लोगों के लिए निवेश', विकसित भारत के रोडमैप को परिभाषित करता है और इस विषय का प्रभाव बजट पर बड़े स्तर पर देखा जा सकता है।" उन्होंने कहा कि "बजट 'भारत के भविष्य का खाका' बनकर उभरा है, जहां लोगों, अर्थव्यवस्था और नवाचार में निवेश को बुनियादी ढांचे और उद्योग में निवेश के बराबर प्राथमिकता दी गई है।"

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि "क्षमता निर्माण और प्रतिभा पोषण देश की प्रगति की आधारशिला साबित होंगे, इसलिए विकास के अगले चरण में हमें इन क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने की जरूरत है। जिसके लिए सभी हितधारकों को आगे आने की जरूरत है क्योंकि यह न केवल देश की आर्थिक सफलता के लिए बल्कि सभी संगठनों की सफलता के लिए भी आवश्यक है।"

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि "लोगों में निवेश का विजन तीन स्तंभों पर आधारित है: शिक्षा, कौशल और स्वास्थ्य सेवा" और सभी हितधारकों से "इन क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने" और विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए सरकार के विजन में योगदान देने का आग्रह किया है।

प्रधानमंत्री ने सरकार के प्रयासों और बजट के प्रावधानों पर प्रकाश डालते हुए कहा, "बजट में 10,000 अतिरिक्त मेडिकल सीटों की घोषणा की गई है और सरकार अगले 5 वर्षों में चिकित्सा शिक्षा में 75,000 सीटें जोड़ने के लक्ष्य के साथ काम कर रही है।"

प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में विकास पर प्रकाश डालते हुए कहा, "सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक टेली-मेडिसिन सुविधा का विस्तार किया जा रहा है। डे केयर कैंसर केंद्रों और डिजिटल स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे के माध्यम से हम गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा को अंतिम जन तक ले जाना चाहते हैं, जिससे लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन सुनिश्चित होगा।"

प्रधानमंत्री ने पर्यटन क्षेत्र के महत्व और संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा, "हील इन इंडिया" जैसी पहल दुनियाभर से चिकित्सा पर्यटकों को आकर्षित कर रही है" और "भारत को वैश्विक स्तर का पर्यटन और कल्याण केंद्र बनाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।" उन्होंने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के सभी हितधारकों से "इस अवसर का लाभ उठाने और स्वास्थ्य पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए निवेश करने" का आग्रह किया और "योग और कल्याण पर्यटन की क्षमता का उपयोग करने" पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने चिकित्सा पर्यटन के दायरे को बढ़ाने के लिए विस्तृत चर्चा और विस्तारित रोडमैप तैयार करने का भी आह्वान किया तथा सभी हितधारकों से बजट घोषणाओं को वास्तविकता में बदलने की दिशा में काम करने का आग्रह किया ताकि इनका लाभ लोगों तक पहुंचाया जा सके।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, सबसे बड़ा निवेश लोगों में किया गया निवेश है।उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार एक समग्र दृष्टिकोण के साथ काम कर रही है जो न केवल उपचारात्मक पहलू पर बल्कि निवारक, उपशामक और पुनर्वास दृष्टिकोण पर भी ध्यान केंद्रित करता है। उन्होंने कहा कि हम लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता और पहुंच सुनिश्चित करने के लिए आयुष और अन्य चिकित्सा प्रणालियों को भी शामिल करने का प्रयास कर रहे हैं।

श्री नड्डा ने कहा, "चूंकि कैंसर का उपचार कीमोथेरेपी के लंबे चक्र के साथ एक लंबी प्रक्रिया है, इसलिए सरकार कीमोथेरेपी के बाद रोगियों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए बड़े अस्पतालों के बजाय डे केयर कैंसर केंद्रों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। सरकार अगले तीन वर्षों में सभी जिला अस्पतालों में डे केयर कैंसर केंद्र (डीसीसीसी) स्थापित करेगी, जिसमें से 200 इसी वर्ष स्थापित किए जाएंगे।"

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने चिकित्सा स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के महत्व को रेखांकित करते हुए अतिरिक्त चिकित्सा सीटों की बजट घोषणाओं को दोहराया। उन्होंने 1.75 लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के माध्यम से लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता और पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सरकार के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला और 30 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए मौखिक, स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के साथ-साथ उच्च रक्तचाप और मधुमेह की जांच के लिए आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में स्वैच्छिक जांच की सुविधा भी दी।

श्री नड्डा ने स्वास्थ्य सुविधाओं के स्व-मूल्यांकन की सुविधा के लिए सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डाला और सभी आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा। उन्होंने यह भी कहा, "2014 से अब तक मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर आज 780 हो गई है, उन्होंने अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट दोनों की मेडिकल सीटों में उल्लेखनीय वृद्धि पर जोर दिया, जिसमें क्रमशः 130 प्रतिशत और 135 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।"

श्री नड्डा ने वेबिनार के दौरान पहचानी गई प्रमुख चुनौतियों और दिए गए सुझावों को भी रेखांकित किया, जिसमें फैकल्टी विकास, फैकल्टी की कमी का समय-समय पर आकलन और आकलन के बाद समय पर भर्ती करना शामिल है, ताकि शिक्षा शुरू करने से पहले किसी भी तरह की बाधा से बचा जा सके और मेडिकल कॉलेजों में सुचारू कामकाज सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने मेडिकल संस्थानों के बीच फैकल्टी पूलिंग, अव्यवहार्य संस्थानों को व्यवहार्य बनाने के लिए सेवानिवृत्त शिक्षकों को विजिटिंग फैकल्टी के रूप में नियुक्त करने, योग्यता आधारित चिकित्सा शिक्षा को शामिल करने, छात्रों के लिए शुरुआती नैदानिक ​​अनुभव और छात्रों और फैकल्टी दोनों के लिए बेहतर संचार कौशल जैसे सुझावों का भी समर्थन किया।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने चिकित्सा शिक्षा के संशोधित पाठ्यक्रम में प्रौद्योगिकी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, टेली-मेडिसिन, डिजिटल हेल्थकेयर में नवीनतम विकास को शामिल करने की भी वकालत की। अपने समापन भाषण में उन्होंने एक ऐसा पाठ्यक्रम बनाने का आग्रह किया जो अधिक जीवंत, सार्थक और वर्तमान चुनौतियों के अनुकूल हो और जिसमें मौजूदा बुनियादी ढांचे और चिकित्सा संकाय का अधिकतम उपयोग हो। उन्होंने मेडिकल छात्रों की सहानुभूति, नैतिकता और संचार कौशल को बढ़ाने के लिए सॉफ्ट स्किल्स को जोड़ने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

श्री नड्डा ने देश में कैंसर की देखभाल सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सा बुनियादी ढांचे में किए गए विकास पर प्रकाश डाला, जैसे कि एम्स, झज्जर में राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआई) की स्थापना, चित्तरंजन राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (सीएनसीआई), कोलकाता का उन्नयन, सभी 22 एम्स में ऑन्कोलॉजी विभागों की स्थापना। हाल ही में लैंसेट के एक अध्ययन का हवाला देते हुए उन्होंने रेखांकित किया कि आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना के कारण समय पर कैंसर उपचार की शुरुआत में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। एबी-पीएमजेएवाई के तहत नामांकित मरीजों को 30 दिनों के भीतर कैंसर के इलाज तक पहुंच में 90 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने अपने समापन भाषण में कहा, "सरकार सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के लिए समग्र दृष्टिकोण के माध्यम से अपने प्रयासों को जारी रखेगी, साथ ही नर्सिंग, पैरामेडिक्स और सहायक कर्मचारियों के प्रशिक्षण और भर्ती सुनिश्चित करने के माध्यम से चिकित्सा शिक्षा पिरामिड के आधार को मजबूत करने की दिशा में काम करेगी।"

वेबिनार के उद्घाटन सत्र के दौरान अपने संबोधन में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल ने स्वास्थ्य क्षेत्र के प्रमुख पहलुओं को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया। भारत के स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि "पिछले एक दशक में भारत में मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 102 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि हुई है, जो 387 से बढ़कर 780 हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप निजी संस्थानों की तुलना में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या अधिक है, जिससे इच्छुक मेडिकल छात्रों के लिए वहनीयता बढ़ गई है।" डॉ. पॉल ने अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट दोनों चिकित्सा सीटों में उल्लेखनीय वृद्धि पर जोर दिया, जिसमें स्नातक सीटें भी शामिल हैं। उन्होंने प्रमुख पहलों पर भी चर्चा की, जिसमें जिला और रेफरल अस्पतालों को मेडिकल कॉलेजों में अपग्रेड करने के उद्देश्य से एक विशेष योजना शामिल है; जिला निवास कार्यक्रम की शुरुआत सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा को चिकित्सा शिक्षा से जोड़ती है जिससे अंडरग्रेजुएट्स को जिला अस्पतालों में वास्तविक जीवन का अनुभव प्राप्त करने की अनुमति मिलती है।

डॉ. पॉल ने कैंसर के बढ़ते बोझ पर प्रकाश डालते हुए शुरुआती पहचान की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया, जिसमें एक राष्ट्रव्यापी जांच पहल शामिल है, जिसके तहत 26 करोड़ लोगों को ओरल कैंसर, 18 करोड़ लोगों को ब्रेस्ट कैंसर और 9 करोड़ लोगों को सर्वाइकल कैंसर के लिए शामिल किया गया है। उन्होंने देशभर में डीसीसीसी शुरू करने के लिए रणनीतिक रोडमैप की रूपरेखा तैयार की, जिसमें हर जिले में एक डे केयर कैंसर सेंटर स्थापित करने का लक्ष्य शामिल है। उन्होंने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) के माध्यम से कैंसर देखभाल के लिए वित्तीय कवरेज सुनिश्चित करते हुए कैंसर संस्थान और तृतीयक कैंसर देखभाल प्रणाली स्थापित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई, जो जन औषधि केंद्रों के माध्यम से सस्ती दवाइयां और कई देखभाल पैकेज प्रदान करती है। उन्होंने 2047 तक विकसित देशों के मानकों को पूरा करने वाली एक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए एक दृष्टिकोण के साथ अपनी टिप्पणी समाप्त की और उन्होंने बजट घोषणाओं को "आकांक्षी और परिवर्तनकारी" बताया।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सचिव सुश्री पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि तत्काल प्राथमिकता कार्यान्वयन के पहले चरण के लिए उच्च बोझ वाले जिलों की पहचान करना है। उन्होंने कहा कि भारत में लगभग 50 प्रतिशत कैंसर रोगी तृतीयक अस्पतालों में उपचार चाहते हैं, जिससे अक्सर भीड़भाड़ और देरी होती है। सरकार का लक्ष्य जिला-स्तरीय कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी सेवाओं को सक्षम करके इस बोझ को काफी कम करना है। उन्होंने समय पर बुनियादी ढांचे के विकास और डीसीसीसी को राज्य कैंसर संस्थानों और तृतीयक अस्पतालों से जोड़ने वाले मजबूत रेफरल मार्गों की स्थापना की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

सचिव ने कार्यबल क्षमता निर्माण के महत्व पर भी बात की। जबकि ऑन्कोलॉजिस्ट विशेष देखभाल के लिए आवश्यक हैं, डीसीसीसी में कीमोथेरेपी प्रशासन और सहायक देखभाल का प्रबंधन करने के लिए सामान्य चिकित्सकों, नर्सों और फार्मासिस्टों को प्रशिक्षित करना एक गेम-चेंजर होगा। उन्होंने इन केंद्रों के लिए कुशल स्वास्थ्य सेवा श्रमिकों की एक स्थिर पाइपलाइन बनाने के लिए मेडिकल कॉलेजों, कैंसर अनुसंधान संस्थानों और नर्सिंग प्रशिक्षण केंद्रों के साथ भागीदारी बढ़ाने का आह्वान किया।

वेबिनार के दौरान देश में कैंसर देखभाल को मजबूत करने पर एक ब्रेकआउट सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें डे केयर कैंसर सेंटर (डीसीसीसी) के विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया गया। सत्र में जिला अस्पतालों में 200 नए डीसीसीसी स्थापित करने की केंद्रीय बजट 2025-26 की घोषणा के अनुरूप कैंसर उपचार को अधिक सुलभ और विकेंद्रीकृत बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला गया। कई विशेषज्ञों ने पहल के विभिन्न पहलुओं पर अंतर्दृष्टि साझा की, जिसमें शामिल थे: डीसीसीसी में गुणवत्तापूर्ण उपचार प्रदान करने के लिए आवश्यक कौशल के साथ चिकित्सा पेशेवरों को लैस करने के लिए संरचित प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता; उपचार में एकरूपता बनाए रखने के लिए सभी केंद्रों में कीमोथेरेपी प्रोटोकॉल को मानकीकृत करने का महत्व; दवा खरीद की चुनौतियाँ और कुशल आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन की आवश्यकता, विशेष रूप से जीवनरक्षक ऑन्कोलॉजी दवाओं के लिए जो अक्सर महंगी होती हैं और जिन्हें विशेष हैंडलिंग की आवश्यकता होती है। तमिलनाडु और ओडिशा के अधिकारियों ने विकेंद्रीकृत कैंसर देखभाल के अपने सफल मॉडल प्रस्तुत किए, अन्य राज्यों के लिए व्यावहारिक समाधान पेश किए। इन मॉडलों ने दिखाया कि कैसे जिला-स्तरीय कैंसर देखभाल में रणनीतिक निवेश के परिणामस्वरूप पहले निदान, बेहतर उपचार परिणाम और महानगरीय अस्पतालों में रोगियों की संख्या कम हुई है।

सत्र का समापन सभी हितधारकों से कार्रवाई करने के आह्वान के साथ हुआ। राज्य सरकारों से आग्रह किया गया कि वे आवश्यक संसाधन आवंटित करके और प्रशिक्षित कर्मियों की उपलब्धता सुनिश्चित करके डीसीसीसी की स्थापना को तेज़ करें। स्वास्थ्य सेवा संस्थानों को अनुसंधान, प्रशिक्षण और सेवा वितरण का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। निजी क्षेत्र को वित्त पोषण और बुनियादी ढांचे के समर्थन के माध्यम से योगदान करने के लिए आमंत्रित किया गया। साथ ही, सिविल सोसायटी संगठनों को जागरूकता, प्रारंभिक पहचान और रोगी सहायता कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

बजट घोषणा पर पोस्ट-बजट वेबिनार में "चिकित्सा शिक्षा के विस्तार" पर एक ब्रेकआउट सत्र भी शामिल था। पैनलिस्टों ने देश में चिकित्सा शिक्षा के विस्तार की इस महत्वाकांक्षी पहल के कार्यान्वयन के लिए अपने विचार और सुझाव दिए, जो देश में चिकित्सा शिक्षा की पहुंच, गुणवत्ता और स्थिरता को बढ़ाने के व्यापक उद्देश्य के साथ संरेखित है।

वेबिनार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारियों के साथ-साथ एनएमसी, आईसीएमआर, राज्य स्वास्थ्य मंत्रालयों के प्रतिनिधियों, प्रसिद्ध डॉक्टरों, चिकित्सा पेशेवरों और प्रसिद्ध चिकित्सा संस्थानों के संकयों ने भाग लिया।

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