कोयला मंत्रालय
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रेल-सी-रेल (आरएसआर) मोड कोयला आवाजाही दो वर्षों में लगभग दोगुनी होकर वित्त वर्ष 2023-24 में 54 मीट्रिक टन हो गई


कोयला परिवहन को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए कोयला मंत्रालय को प्रयास करने के लिए प्रेरित किया गया: भारतीय रेल ने कोयला परिवहन आरएसआर मोड के लिए माल ढुलाई दर में दूरगामी लाभ को अधिसूचित किया

Posted On: 28 FEB 2025 3:26PM by PIB Delhi

कोयला मंत्रालय ने रेल-सी-रेल (आरएसआर) को बढ़ावा देने के लिए पहल की है, जिसका उद्देश्य कोयले की कुशल आवाजाही के लिए आरएसआर परिवहन के साथ जोड़ना है। यह मल्टी-मॉडल प्रणाली कोयले को खदानों से बंदरगाह और उनके अंतिम उपयोगकर्ताओं तक निर्बाध रूप से पहुंचाने की सुविधा प्रदान करने के साथ ही रसद दक्षता में भी सुधार करती है।

आरएसआर मोड कोयला निकासी का अतिरिक्त वैकल्पिक मोड प्रदान करके सभी रेल मार्गों (एआरआर) पर भीड़भाड़ को कम करता है और कोयला परिवहन के एआरआर मोड की तुलना में कम कार्बन-फुटप्रिंट सुनिश्चित करता है। परिवहन के तटीय शिपिंग मोड में भारत के लॉजिस्टिक उद्योग में क्रांति लाने की क्षमता है।

पिछले कुछ वर्षों में कोयला मंत्रालय ने रेलवे के साथ समन्वय करके कोयले की निकासी के लिए कोयला रेल-सी-रेल (आरएसआर) नेटवर्क के इस्‍तेमाल में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इसके परिणामस्‍वरूप, वित्त वर्ष 2023-24 में कोयले की आवाजाही लगभग दोगुनी होकर 54 मीट्रिक टन हो गई है, जो वित्त वर्ष 2021-22 में 28 मीट्रिक टन थी। इसमें उतरोत्‍तर वृद्धि भी हो रही है।

कोयले की ढुलाई के लिए आरएसआर मोड में और वृद्धि हासिल करने के लिए, भारतीय रेल ने फरवरी 2025 में सीआईएल और उसकी सहायक कंपनियों की कोयला खदानों से बिजली घरों तक कोयले की ढुलाई के लिए माल ढुलाई दर में टेलीस्कोपिक लाभ की अनुमति देने के अपने निर्णय को अधिसूचित किया है। इससे आरएसआर मोड में कोयले की आवाजाही को बढ़ाने में और मदद मिलेगी।

वर्तमान में विभिन्न विद्युत संयंत्रों की मांग को पूरा करने के लिए खदानों से घरेलू कोयले की आवाजाही रेल-सी-रेल (आरएसआर) मार्ग के माध्यम से हो रही है। इसमें दो चरणों में रेल द्वारा कोयले की आवाजाही शामिल है, अर्थात पहले चरण के रूप में खदानों से अनलोडिंग पोर्ट तक और दूसरे चरण के रूप में लोडिंग पोर्ट से विद्युत संयंत्रों तक। नीति के अनुसार, रेल परिवहन के दोनों चरणों का शुल्क रेलवे द्वारा अलग-अलग और स्वतंत्र रूप से लिया जाता था।

इस दूरगामी लाभ से कोयले की ढुलाई के लिए रेल भाड़ा कम हो जाता है, जबकि दोनों चरणों में कोयले का भाड़ा अलग-अलग लिया जाता है। इसके परिणामस्वरूप आरएसआर मोड में परिवहन की लागत कम हो जाती है।

रेलवे के इस निर्णय से आरएसआर मोड में कोयले की आवाजाही की मात्रा बढ़ाने तथा तटीय शिपिंग को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

कोयला मंत्रालय देश में ऊर्जा की बढ़ती मांगों को लगातार पूरा करने के लिए रेल-सी-रेल कोयला निकासी रणनीति के विस्‍तार को लेकर प्रतिबद्ध है, जिससे एक लचीली और कुशल ऊर्जा आपूर्ति प्रणाली सुनिश्चित हो सके।

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एमजी/केसी/एसकेएस/ओपी


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