नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा हासिल करने की कुंजी है वित्त जुटाना : केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी
नवीकरणीय ऊर्जा वित्तपोषण दायित्व समय की मांग है: केंद्रीय मंत्री जोशी
नवीकरणीय ऊर्जा के लिए वित्त जुटाने पर राष्ट्रीय कार्यशाला मुंबई में संपन्न हुई
Posted On:
24 FEB 2025 6:25PM by PIB Delhi
केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्त करने के लिए वित्त जुटाना महत्वपूर्ण है। आज मुंबई में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा आयोजित नवीकरणीय ऊर्जा के लिए वित्त जुटाने पर राष्ट्रीय कार्यशाला को श्री जोशी संबोधित कर रहे थे। केंद्रीय मंत्री ने नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) क्षेत्र को सुलभ वित्तपोषण सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय संस्थानों और नीति निर्माताओं से सामूहिक प्रयास करने का भी आह्वान किया। श्री जोशी ने राज्य मंत्री श्री श्रीपद नाइक के साथ कार्यशाला के संयोजन में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को भी संबोधित किया।
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कार्यशाला की मुख्य बातें
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कार्यशाला का विचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक के बाद आया, जिसमें पीएम सूर्य घर और पीएम-कुसुम जैसी प्रमुख योजनाओं में तेजी लेन पर चर्चा की गई। भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं पर श्री जोशी ने कहा कि चूंकि देश तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखता है, इसलिए इसकी ऊर्जा मांग दोगुनी होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि विश्वसनीय और लचीली बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए थर्मल ऊर्जा उत्पादन से मेल खाने के लिए अक्षय ऊर्जा का विस्तार किया जाना चाहिए।
उन्होंने 2070 तक नेट जीरो हासिल करने और 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित क्षमता तक पहुंचने की भारत की प्रतिबद्धता के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने वित्तीय संस्थानों से भारत की अक्षय ऊर्जा विकास रणनीति के साथ अपनी ऋण नीतियों को संरेखित करने का आह्वान किया और इस बात पर बल दिया कि भविष्य में कार्बन सघन उद्योगों को निर्यात के अवसरों में कमी का सामना करना पड़ेगा। श्री जोशी ने कहा कि भारत ने पहले ही अक्षय ऊर्जा में उल्लेखनीय प्रगति की है और इसकी क्षमता आज 222 गीगावॉट तक बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि सौर ऊर्जा की दरें काफी कम हो गई हैं, हाल ही में मध्य प्रदेश में बोली ₹2.15 प्रति यूनिट तक पहुंच गई है, जबकि पहले यह ₹11 प्रति यूनिट थी। हालांकि उन्होंने बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा की तैनाती का समर्थन करने के लिए बैटरी भंडारण समाधानों के महत्व पर बल दिया।
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विकेंद्रीकरण की भूमिका पर उन्होंने कहा की पीएम-कुसुम और पीएम सूर्य घर किसानों को “ऊर्जादाता” बनने के लिए सशक्त करते हैं, साथ ही ट्रांसमिशन घाटे को भी कम करते हैं। उन्होंने बैंकों से विशेष रूप से रूफटॉप सौर परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण प्रक्रियाओं को सरल बनाने का आग्रह किया। डिस्कॉम के लिए नवीकरणीय खरीद दायित्वों (आरपीओ) के समान, इस क्षेत्र के लिए समर्पित वित्तपोषण सुनिश्चित करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा वित्तपोषण दायित्व की शुरुआत करने का आह्वान किया।
श्री जोशी ने हरित हाइड्रोजन (जीएच2) में भारत के नेतृत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि देश को पहले ही बड़े निर्यात ऑर्डर मिल चुके हैं और इस क्षेत्र में वह कई विकसित देशों से आगे है। उन्होंने कहा कि वैश्विक निवेशक तेजी से भारत के युवा कार्यबल और मजबूत औद्योगिक क्षमता को पहचानते हुए, विनिर्माण और स्वच्छ ऊर्जा निवेश के लिए एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में देख रहे हैं।
उन्होंने गांधीनगर में वैश्विक आरई शिखर सम्मेलन के दौरान 34.5 लाख करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता हासिल करने में भारत की हालिया सफलता का हवाला देते हुए नवीकरणीय ऊर्जा निवेश के लिए वैश्विक वित्तीय संस्थानों को शामिल करने के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश के बारे में भी बताया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि अक्षय ऊर्जा में बदलाव वैकल्पिक नहीं है - यह एक आवश्यकता है। श्री प्रहलाद जोशी ने अक्षय ऊर्जा वित्तपोषण में एक राष्ट्रीय आंदोलन का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पीएम सूर्य घर केवल एक योजना नहीं बल्कि एक आंदोलन है। उन्होंने वित्तीय संस्थानों से ऋण देने की प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, अनावश्यक अनुपालन बोझ को कम करने और स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए अधिक सहायक दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया।
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केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री श्रीपद यसो नाइक ने कहा कि 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्त करने के लिए लगभग ₹30 लाख करोड़ के निवेश की आवश्यकता होगी, जिसमें बुनियादी ढांचा, पारेषण और भंडारण प्रणाली शामिल होगी। उन्होंने हितधारकों से अभिनव वित्तपोषण मॉडल अपनाने, लचीली ऋण शर्तों का विस्तार करने और हरित निवेश को प्राथमिकता देने का आग्रह किया। यह हमारे ऊर्जा परिवर्तन को गति देगा।
एमएनआरई सचिव श्रीमती निधि खरे ने भारत के नवीकरणीय एनर्जी ट्रांजिशन को आगे बढ़ाने में किफायती वित्त, ग्रीन बॉन्ड और अभिनव वित्तपोषण मॉडल की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया।
राष्ट्रीय कार्यशाला में नवीकरणीय ऊर्जा के लिए वित्त जुटाने पर, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में वित्तपोषण चुनौतियों को संबोधित करने पर केंद्रित चार प्रमुख सत्र शामिल थे। पहले सत्र में उपयोगिता-स्तरीय नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण परिदृश्य की जांच की गई, जिसमें वित्तपोषण हासिल करने में डेवलपर्स, बैंकों और एनबीएफसी के सामने आने वाली चुनौतियों का आकलन किया गया। चर्चाओं में ब्याज दरें, कथित जोखिम और बड़े पैमाने पर आरई परियोजनाओं का समर्थन करने के लिए वित्तीय संस्थानों के लिए संभावित समाधान शामिल थे। दूसरे सत्र में नई और उभरती हुई आरई प्रौद्योगिकियों, जैसे अपतटीय पवन, फ्लोटिंग सोलर और ग्रीन हाइड्रोजन के वित्तपोषण पर ध्यान केंद्रित किया गया। नाबार्ड और प्रमुख वित्तीय संस्थानों के विशेषज्ञों सहित पैनलिस्टों ने इन प्रौद्योगिकियों में निजी क्षेत्र के निवेश और वित्तीय जोखिमों को कम करने के लिए पूंजी आवंटन रणनीतियों, नीतिगत हस्तक्षेपों और तंत्रों पर चर्चा की।
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तीसरे सत्र में वितरित अक्षय ऊर्जा (डीआरई) और अभिनव आरई अनुप्रयोगों, रूफटॉप सोलर, कैनाल-टॉप पीवी और एग्री-पीवी के लिए वित्तपोषण चुनौतियों पर चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने स्टार्टअप्स के लिए वित्तपोषण बाधाओं, कथित निवेश जोखिमों और इन समाधानों को बढ़ाने के लिए आवश्यक नीति समर्थन का पता लगाया। अंतिम सत्र में बैंकों और एनबीएफसी के लिए विनियामक और क्षमता निर्माण उपायों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें आरबीआई के दिशा-निर्देशों, क्षेत्र-विशिष्ट ऋण नीतियों और उपभोक्ता-उन्मुख आरई अनुप्रयोगों में वित्तपोषण बढ़ाने की रणनीतियों पर चर्चा की गई। हितधारकों ने भारत की अक्षय ऊर्जा महत्वाकांक्षाओं के लिए पूंजी को अनलॉक करने के लिए बेहतर नियामक ढांचे, जोखिम-साझाकरण तंत्र और वित्तीय साधनों की आवश्यकता पर बल दिया। चर्चाओं ने बड़े पैमाने पर निवेश जुटाने और 2030 तक भारत के 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नीति निर्माताओं, वित्तीय संस्थानों और उद्योग के नेताओं के बीच सहयोगी प्रयासों की आवश्यकता को मजबूत किया।
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चर्चाओं से कई महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकले, जिनमें कम लागत वाले वित्तपोषण की आवश्यकता, वैश्विक जलवायु निधियों तक बेहतर पहुँच और नई प्रौद्योगिकियों के लिए जोखिम-साझाकरण तंत्र को बढ़ाना शामिल है। प्रतिभागियों ने भारत के स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण का समर्थन करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को मजबूत करने और हरित वित्तीय साधनों का विस्तार करने के महत्व पर भी जोर दिया। कार्यक्रम का समापन सभी हितधारकों की ओर से अभिनव वित्तपोषण मॉडल और नीतिगत ढाँचे की दिशा में काम करने की प्रतिबद्धता के साथ हुआ, जो अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश की राह खोल सकते हैं।
भारतीय स्टेट बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक, यूको बैंक, आईडीएफसी बैंक, आईडीबीआई बैंक, एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक, एक्सिस बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, इंडियन बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब एंड सिंध बैंक, जम्मू एंड कश्मीर बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र जैसे प्रमुख सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों के वरिष्ठ अधिकारी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
कार्यशाला ने यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया कि वित्तीय बाधाएं भारत की अक्षय ऊर्जा महत्वाकांक्षाओं में बाधा न बनें, जिससे स्वच्छ, टिकाऊ और वित्तीय रूप से समावेशी ऊर्जा भविष्य के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि हुई। कार्यशाला ने बैंकों, एनबीएफसी, नीति निर्माताओं और उद्योग जगत के प्रमुखों सहित प्रमुख हितधारकों के लिए अक्षय ऊर्जा में बड़े पैमाने पर निवेश जुटाने की रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान किया। प्रतिभागियों ने भारत के स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण का समर्थन करने, ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विकास और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। यह आयोजन अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए वित्तीय अंतराल को पाटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसने स्वच्छ ऊर्जा क्रांति में वैश्विक प्रमुख के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत किया।
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(Release ID: 2105907)
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