रक्षा मंत्रालय
आईआईटी मंडी के 16वें स्थापना दिवस पर रक्षा मंत्री ने कहा - भारत में तकनीकी क्षेत्र का विस्तार हो रहा है और अगले पांच वर्षों में इसके 300-350 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है
“आज सबसे बड़ी चुनौती तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी के साथ सिर्फ तालमेल बिठाना भर नहीं है, बल्कि नई तकनीक का सृजन करना भी है; केवल ग्रहणकर्ता न बनें; विध्वंसक भी बनें, ताकि नवाचार हो सके”
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24 FEB 2025 3:22PM by PIB Delhi
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 24 फरवरी, 2025 को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी, हिमाचल प्रदेश के 16वें स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का तकनीकी क्षेत्र विस्तार ले रहा है और अगले पांच वर्षों में इसके 300-350 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि 1.25 लाख से अधिक स्टार्ट-अप और 110 यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर यानी 8200 करोड़ रुपए से ज़्यादा वैल्यूएशन वाली स्टार्टअप कंपनी) के साथ हमारा देश दुनिया में तीसरे सबसे बड़े स्टार्ट-अप प्रणाली के रूप में उभर रहा है। उन्होंने छात्रों को विकास और अवसर के इस दौर का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि छात्र न केवल भारत की तकनीकी प्रगति में योगदान करें, बल्कि अनुसंधान और विकास के प्रमुख क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर नेतृत्व भी करें।
श्री राजनाथ सिंह ने प्रौद्योगिकी के भविष्य को आकार देने में नवाचार और ज्ञान सृजन की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने उद्यमशीलता और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर देते हुआ कहा कि इससे भारत को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और डिजिटल प्रौद्योगिकियों जैसे उभरते क्षेत्रों में नेतृत्व करने का मौका मिलेगा। उन्होंने भारत की तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति को आकार देने में संस्थान के उत्कृष्ट योगदान की सराहना की। उन्होंने नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने में आईआईटी मंडी की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला और प्रौद्योगिकी में वैश्विक अग्रणी के रूप में भारत की बढ़ती अहमियत पर जोर दिया।
राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में, श्री राजनाथ सिंह ने आईआईटी मंडी से रक्षा संबंधी प्रौद्योगिकियों में और अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आग्रह किया। उन्होंने डीआरडीओ के साथ मौजूदा सहयोग की सराहना की और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) संचालित युद्ध, स्वदेशी एआई चिप विकास, साइबर सुरक्षा और क्वांटम प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में और अधिक योगदान देने का आह्वान किया।
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता में भारत की प्रगति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया, “भारत ने गोला-बारूद उत्पादन में 88 प्रतिशत आत्म-निर्भरता हासिल कर ली है, और 2023-24 में रक्षा निर्यात लगभग 23,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। हमारा लक्ष्य 2029 तक रक्षा निर्यात को 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाना है।” उन्होंने भारत में एक मजबूत रक्षा उद्योग विकसित करने की सरकार की प्रतिबद्धता का समर्थन किया, जो राष्ट्र की सुरक्षा का समर्थन करता है और देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान देता है। उन्होंने आईआईटी मंडी के छात्रों से तकनीकी समाधानों पर ध्यान केंद्रित करके इस दिशा में योगदान देने का आह्वान किया जो भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ा सकते हैं और इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में राष्ट्र की आत्म-निर्भरता को और आगे बढ़ा सकते हैं।
श्री राजनाथ सिंह ने भारत की उभरती डिजिटल अर्थव्यवस्था के अनुरूप देश की उल्लेखनीय डिजिटल प्रगति पर मुख्य बातें साझा कीं। उन्होंने कहा, "भारत का दूरसंचार क्षेत्र अब दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। यूपीआई जैसी पहलों की सफलता के साथ, भारत डिजिटल लेनदेन में वैश्विक मानक स्थापित कर रहा है। हम एक अद्वितीय डिजिटल क्रांति की कगार पर हैं।" उन्होंने छात्रों को भारत की डिजिटल प्रणाली के विकास में प्रमुखता से योगदान करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि आने वाले दशकों में भारत की विकास गाथा के मूल में तकनीकी नवाचार है।
रक्षा मंत्री ने छात्रों से 2047 तक देश को विकसित बनाने के लिए तकनीकी नवाचार में उत्कृष्टता प्राप्त करने का आग्रह करते हुए उन्हें पहल, सुधार और परिवर्तन (आईआईटी) के सिद्धांतों का पालन करने की सलाह दी। श्री राजनाथ सिंह ने उन्हें ज्ञान की खोज में साहसी बनने और चुनौतियों का सामना दृढ़ता से करने के लिए भी प्रेरित किया। उन्होंने भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए साहस और दृढ़ता की जरूरत के बारे में भी बात की और प्रौद्योगिकी और नवाचार के साथ राष्ट्रीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए सामूहिक रूप से काम करने के महत्व पर प्रकाश डाला।
श्री राजनाथ सिंह ने छात्रों को तेज गति वाली प्रौद्योगिकीय दुनिया में सिर्फ ग्रहणकर्ता ही नहीं बल्कि विध्वंसकारी बनने के लिए भी प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, “आज सबसे बड़ी चुनौती तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल बिठाना है, लेकिन साथ ही नई प्रौद्योगिकियों का सृजन करना भी चुनौती है। सिर्फ ग्रहणकर्ता ही न बनें; नवाचार की अगुवाई करने वाले विघटनकर्ता बनें।” उन्होंने युवा नवप्रवर्तकों के लिए उपलब्ध महत्वपूर्ण अवसरों के बारे में बात की और मौजूदा रुझानों का अनुसरण करने के बजाय नए प्रतिमान गढ़ने के महत्व पर जोर दिया। रक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि यह ‘भारतीय स्वप्न’ का समय है - एक ऐसा समय जब आकांक्षाएं और उपलब्धियां वैश्विक परिदृश्य को फिर से परिभाषित कर सकती हैं। उन्होंने छात्रों को महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने और अपने करियर में ऊंचे लक्ष्य रखने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि उनके काम का इस परिदृश्य में भारत की प्रगति पर स्थायी प्रभाव पड़ेगा।
श्री राजनाथ सिंह ने आईआईटी मंडी को उसकी उपलब्धियों के लिए बधाई देते हुए कहा कि "पिछले 15 वर्षों में संस्थान ने न केवल भारत बल्कि विश्व के शैक्षिक मानचित्र पर एक विशिष्ट स्थान प्राप्त किया है। यह प्राचीन विरासत और आधुनिक तकनीकी शिक्षा का एक आदर्श मिश्रण है।" उन्होंने क्षेत्र के समृद्ध ऐतिहासिक महत्व का उल्लेख किया और इस बात पर जोर दिया कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से समृद्ध स्थान पर आईआईटी मंडी का अस्तित्व पुरातनता और आधुनिकता के मिलन का प्रतीक है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार में अपनी मजबूत नींव के साथ यह संस्थान भारत के विकास और वैश्विक तकनीकी उन्नति दोनों में महत्वपूर्ण योगदान देना जारी रखेगा।
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कार्यक्रम के दौरान दो नई इमारतों- मार्गदर्शन एवं परामर्श केंद्र और सतत शिक्षा केंद्र का उद्घाटन किया। दोनों इन दोनों इमारतों को शैक्षणिक वातावरण को बढ़ाने और छात्रों तथा शिक्षकों के व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास में योगदान देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ये अतिरिक्त इमारतें छात्रों के समग्र विकास का समर्थन करने और प्रौद्योगिकी तथा नवाचार की तेजी से बदलती दुनिया में उनकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए बहुत जरूरी बुनियादी ढांचा प्रदान करेंगी। उन्होंने कहा, "ये दोनों नए केंद्र छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को सहयोग देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे तथा विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित और प्रबंधन में आईआईटी मंडी के योगदान को और मजबूत करेंगे।"
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