कोयला मंत्रालय
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एसईसीएल की दीपका मेगा परियोजना में नया साइलो और रैपिड लोडिंग सिस्टम चालू हुआ


एसईसीएल द्वारा प्रथम मील कनेक्टिविटी के तहत पर्यावरण अनुकूल कोयला निकासी पर जोर

Posted On: 22 FEB 2025 3:36PM by PIB Delhi

कोयला मंत्रालय के मार्गदर्शन में कोल इंडिया की सहायक कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) परियोजनाओं के माध्यम से अपनी खदानों से सुरक्षित और टिकाऊ कोयला निकासी बढ़ाने के प्रयासों में तेजी ला रही है।

 

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एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, एसईसीएल की दीपका मेगाप्रोजेक्ट ने 21 फरवरी 2025 को अपने नवनिर्मित रैपिड लोडिंग सिस्टम और साइलोस 3 एवं 4 से पहला कोयला रेक लोड करके सफलतापूर्वक परिचालन शुरू किया, जो पर्यावरण अनुकूल और कुशल कोयला परिवहन को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

नव-प्रवर्तित दीपका सीएचपी-साइलो एफएमसी परियोजना की वार्षिक कोयला निकासी क्षमता 25 मिलियन टन है, जिससे इस मेगा परियोजना की कोयला निकासी दक्षता में उल्लेखनीय सुधार होगा।

नए साइलो के चालू होने से पहले, दीपका 15 एमटीपीए क्षमता वाली मेरी-गो-राउंड (एमजीआर) डिस्पैच प्रणाली पर निर्भर था।

 

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दिपका सीएचपी-साइलो एफएमसी परियोजना के साइलो 3 का हवाई दृश्य

 

साइलो 3 और 4 के चालू होने के साथ, दीपका की कुल कोयला प्रेषण क्षमता अब 40 मिलियन टन प्रति वर्ष हो गई है, जिससे परिवहन बुनियादी ढांचे को उत्पादन स्तर के साथ प्रभावी ढंग से सामंजस्‍य किया गया है।

कोयला मंत्रालय के मार्गदर्शन में, एसईसीएल ने पीएम गतिशक्ति योजना के तहत एफएमसी इंफ्रा के विकास को प्राथमिकता दी है। एसईसीएल ने 233 एमटीपीए की संचयी क्षमता के साथ 17 फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) परियोजनाएं शुरू की हैं।

इनमें से 151 एमटीपीए की कुल क्षमता वाली 9 परियोजनाएं पहले ही चालू हो चुकी हैं, जो कोयला परिवहन के आधुनिकीकरण के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 82 एमटीपीए क्षमता वाली शेष 8 एफएमसी परियोजनाएं विकास के विभिन्न चरणों में हैं और इन्हें अगले 2-3 वर्षों में चालू करने का लक्ष्य है।

एफएमसी को एक कुशल और पर्यावरण-अनुकूल कोयला परिवहन मोड के रूप में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है। दीपका में एफएमसी बुनियादी ढांचे के कार्यान्वयन से कई लाभ मिलते हैं:

  • बेहतर कार्यकुशलता और सटीक लोडिंग, जिससे रेकों में कोयले की कम लोडिंग और अधिक लोडिंग दोनों में कमी आएगी।
  • तेजी से लोडिंग के कारण टर्नअराउंड समय कम होगा और रेक उपलब्धता में सुधार होगा।
  • कोयले की गुणवत्ता में वृद्धि, संदूषण एवं हानि को न्यूनतम करना।
  • सड़क परिवहन पर निर्भरता कम होने से डीजल खर्च में बचत होगी और पर्यावरण स्वच्छ होगा।
  • इन नए साइलोज के चालू होने से एसईसीएल, भारतीय रेलवे और कोयला उपभोक्ताओं के लिए लाभप्रद स्थिति उत्पन्न होगी, क्योंकि इससे लॉजिस्टिक्स सुव्यवस्थित होगा, कोयले की आवाजाही आसान होगी और पर्यावरणीय प्रभाव कम होगा।

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