आयुष
देश का प्रकृति परीक्षण अभियान के पहले चरण की समाप्ति ऐतिहासिक पाँच विश्व रिकार्ड के साथ
अभियान के पहले चरण में असाधारण प्रतिक्रिया देखी गई, जिसमें 1.29 करोड़ से अधिक व्यक्तियों के लिए प्रकृति परीक्षण आयोजित किया गया, जो 1 करोड़ के लक्ष्य को पार कर गया
Posted On:
21 FEB 2025 6:02PM by PIB Delhi
भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में, देश का प्रकृति परीक्षण अभियान ने अभूतपूर्व पाँच गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड हासिल किए, जो समग्र स्वास्थ्य सेवा के प्रति देश के समर्पण और आयुर्वेद की बढ़ती वैश्विक मान्यता को दर्शाता है। राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग (एनसीआइएसएम) ने आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से 20 फरवरी 2025 को मुंबई में 'देश का प्रकृति परीक्षण अभियान' के पहले चरण के पूरा होने के अवसर पर समापन समारोह का आयोजन किया।
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पाँच गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स:
1. एक सप्ताह में स्वास्थ्य अभियान के लिए प्राप्त सर्वाधिक प्रतिज्ञाएं: 6,004,912 प्रतिज्ञाएं, जो न्यूनतम आवश्यकता 14,571 से अधिक है, तथा एक नया वैश्विक मानक स्थापित करती हैं, क्योंकि इससे पहले यह रिकॉर्ड धारक कोई नहीं था।
2. एक माह में स्वास्थ्य अभियान के लिए प्राप्त सर्वाधिक प्रतिज्ञाएं: 13,892,976 प्रतिज्ञाओं के साथ, शेन्ज़ेन, गुआंग्डोंग, चीन में सिग्ना और सीएमबी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (चीन) द्वारा प्राप्त 58,284 प्रतिज्ञाओं के पिछले रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया।
3. स्वास्थ्य अभियान के लिए प्राप्त सर्वाधिक प्रतिज्ञाएं: कुल मिलाकर 13,892,976 प्रतिज्ञाएं, जो कि ज़िफ़ी एफडीसी लिमिटेड (भारत) द्वारा प्राप्त 569,057 प्रतिज्ञाओं के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गईं।
4. डिजिटल प्रमाण पत्र प्रदर्शित करने वाले लोगों का सबसे बड़ा ऑनलाइन फोटो एलबम: 62,525 फोटो के साथ, जिसने एक्सेंचर सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड (भारत) के 29,068 फोटो के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया।
5. एक ही वाक्य बोलने वाले लोगों का सबसे बड़ा ऑनलाइन वीडियो एल्बम: 12,798 वीडियो के साथ, घे भरारी, राहुल कुलकर्णी और नीलम एडलाबडकर (भारत) के 8,992 वीडियो के पिछले रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया।
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गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के निर्णायक श्री रिचर्ड विलियम्स स्टेनिंग ने सभी पांचों रिकॉर्ड सफलतापूर्वक पूरे होने की आधिकारिक घोषणा की। उन्होंने आयुष मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव जाधव को प्रमाण पत्र प्रदान किए।
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इस अवसर पर महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री श्री प्रकाश अबितकर, मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग (एनसीआईएसएम) के अध्यक्ष वैद्य जयंत देवपुजार भी उपस्थित थे।
आयुष मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव जाधव ने सभी आयुष स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों के विकास के लिए मंत्रालय की अटूट प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्होंने आयुर्वेद और आयुष पद्धतियों के विस्तार के लिए उठाए जा रहे विभिन्न कदमों की विस्तृत जानकारी दी और अभियान की सफलता में योगदान देने वाले आयुर्वेद क्षेत्र के प्रत्येक व्यक्ति की लगन और कड़ी मेहनत की प्रशंसा की।
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री श्री प्रकाश अबितकर ने इस बात पर जोर दिया कि यह अभियान आयुर्वेद को पुनः स्थापित करने में एक महत्वपूर्ण कदम है और उन्होंने आयुर्वेद को मुख्यधारा की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं का अंग बनाने में महाराष्ट्र के सक्रिय योगदान का आश्वासन दिया।
आयुष मंत्रालय के सचिव पद्मश्री वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि आयुष मंत्री के मार्गदर्शन में मंत्रालय ने मात्र दो महीने में छह विश्व रिकॉर्ड बनाए हैं, जो अपने आप में एक उपलब्धि है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि मंत्री के नेतृत्व में आयुष मंत्रालय प्रगति की नई ऊंचाइयों को छुएगा।
इस अभियान के शुभारंभ की घोषणा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के अवसर पर की थी। पहले चरण के दौरान एक महत्वपूर्ण क्षण वह था जब भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु प्रकृति परीक्षण करवाने वाली पहली व्यक्ति बनीं, जिससे पूरे देश में व्यापक भागीदारी को प्रेरणा मिली। अभियान के पहले चरण में असाधारण प्रतिक्रिया देखी गई, जिसमें 1.29 करोड़ से अधिक व्यक्तियों के लिए प्रकृति परीक्षण किया गया, जो 1 करोड़ के लक्ष्य को पार कर गया। इस उल्लेखनीय उपलब्धि में 1,81,667 स्वयंसेवक शामिल थे, जिनमें 1,33,758 आयुर्वेद छात्र, 16,155 शिक्षक और 31,754 चिकित्सक शामिल थे, जिसने अपने आप में एक विश्व रिकॉर्ड बनाया। प्रतिभागियों ने विभिन्न आयु समूहों, जातियों और पृष्ठभूमियों का प्रतिनिधित्व किया, जो वास्तव में राष्ट्र की विविधता में एकता को दर्शाता है।
यह व्यापक भागीदारी व्यक्तिगत स्वास्थ्य सेवा में भारत के नेतृत्व को रेखांकित करती है, निवारक स्वास्थ्य सेवा और जीवनशैली प्रबंधन में आयुर्वेद की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देती है। इस डेटा-संचालित दृष्टिकोण से साक्ष्य-आधारित शोध के लिए महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि मिलने, आयुर्वेद को आधुनिक चिकित्सा के साथ जोड़ने और भारत के स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य को आगे बढ़ाने की उम्मीद है।
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