ग्रामीण विकास मंत्रालय
दिसंबर 2024 तक कुल 82,799 महात्मा गांधी नरेगा श्रमिकों को प्रशिक्षित किया गया
Posted On:
07 FEB 2025 4:26PM by PIB Delhi
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) मांग आधारित मजदूरी रोजगार योजना है। यह देश के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने के लिए प्रत्येक वित्तीय वर्ष में प्रत्येक परिवार , जिसके वयस्क सदस्य अकुशल दस्ती कार्य करने के लिए स्वेच्छा से तैयार होते हैं, उन्हें कम से कम सौ दिनों की गारंटीकृत मजदूरी रोजगार उपलब्ध कराती है।
महात्मा गांधी नरेगा के श्रमिकों के कौशल आधार को उन्नत करने के लिए, भारत सरकार ने दिसंबर 2019 में "प्रोजेक्ट उन्नति" शुरू किया था। इस परियोजना का उद्देश्य महात्मा गांधी नरेगा श्रमिकों के कौशल आधार को उन्नत करके उनकी आजीविका में सुधार करना है, ताकि वे स्वरोजगार या मजदूरी रोजगार के माध्यम से वर्तमान आंशिक रोजगार से पूर्ण रोजगार की ओर बढ़ सकें। परियोजना का उद्देश्य 2 लाख नरेगा श्रमिकों के कौशल आधार को बढ़ाना है। 31.12.2024 तक कुल 82,799 महात्मा गांधी नरेगा श्रमिकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है ।
इसके अतिरिक्त, यह मंत्रालय दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) की व्यापक (अम्ब्रेला) योजना के अंतर्गत देश में गरीबी उन्मूलन के उद्देश्य से ग्रामीण गरीब युवाओं को लाभकारी रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कौशल विकास के क्षेत्र में निम्नलिखित दो कल्याणकारी योजनाओं का भी कार्यान्वयन करता है:
- दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (डीडीयू-जीकेवाई): डीडीयू-जीकेवाई 15-35 वर्ष आयु वर्ग के ग्रामीण गरीब युवाओं के लिए प्लेसमेंट से जुड़ा कौशल विकास कार्यक्रम है। डीडीयू-जीकेवाई दिशा-निर्देशों में एससी और एसटी के लिए 50 प्रतिशत और अल्पसंख्यकों के लिए 15 प्रतिशत निधि निर्धारित करने का प्रावधान है। इसके अलावा, योजना में समाहित की जाने वाली सामान्य श्रेणी सहित संबंधित श्रेणियों में एक तिहाई लाभार्थी महिलाएं होनी चाहिए।
- ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई): यह बैंक द्वारा संचालित ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित प्रशिक्षण संस्थान है, जिसकी स्थापना प्रायोजक बैंकों द्वारा अपने जिलों में कौशल और उद्यमिता विकास के लिए प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए की जाती है। ग्रामीण विकास मंत्रालय आरएसईटीआई भवनों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है और ग्रामीण गरीब उम्मीदवारों के प्रशिक्षण का खर्च भी वहन करता है। 18-45 वर्ष की आयु का कोई भी बेरोजगार युवा जो स्वरोजगार या मजदूरी रोजगार तलाश करने की योग्यता रखता है और संबंधित क्षेत्र में कुछ बुनियादी ज्ञान रखता है, वह आरएसईटीआई में प्रशिक्षण प्राप्त कर सकता है। प्रशिक्षित उम्मीदवारों में से कुछ नियमित वेतन वाली नौकरी/मजदूरी रोजगार भी तलाश कर सकते हैं।
यह जानकारी ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री कमलेश पासवान ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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(Release ID: 2100740)