रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

अनैतिक विपणन को रोकने और फार्मास्यूटिकल उत्पादों के जवाबदेह प्रचार को सुनिश्चित करने के लिए फार्मास्यूटिकल विपणन व्यवहार संबंधी समान संहिता 2024


यह संहिता चिकित्सकों के बीच दवाओं के प्रचार के संबंध में दिशा-निर्देशों की रूपरेखा प्रस्तुत करती है; दवा कंपनियां अपने चिकित्सा प्रतिनिधियों और अन्य कर्मचारियों के कार्यों के लिए जवाबदेह

Posted On: 04 FEB 2025 5:51PM by PIB Delhi

डॉक्टरों/पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनरों (आरएमपी) और दवा कंपनियों के प्रतिनिधियों के बीच अनैतिक विपणन को रोकने तथा दवा उत्पादों के जवाबदेह प्रचार को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने 12.3.2024 को फार्मास्यूटिकल्स मार्केटिंग प्रैक्टिसेस 2024 संबंधी समान संहिता जारी की है।

इस कोड में डॉक्टरों/आरएमपी के बीच दवाओं के प्रचार के बारे में दिशा-निर्देश दिए गए हैं। दवा कंपनियां अपने चिकित्सा प्रतिनिधियों और अन्य कर्मचारियों के कार्यों के लिए उत्तरदायी हैं। कोड में दवा कंपनियों द्वारा डॉक्टरों और उनके परिवार के सदस्यों को उपहार, मौद्रिक लाभ और आतिथ्य प्रदान करने पर रोक लगाई गई है। इसमें दवा कंपनियों के लिए कोड के अनुपालन की स्व-घोषणा और चिकित्सा शिक्षा और निरंतर व्यावसायिक विकास के लिए निरंतर आयोजित सम्मेलनों, सेमिनारों और कार्यशालाओं से संबंधित व्यय का खुलासा करने की आवश्यकताएं शामिल हैं। ये कंपनियां स्वतंत्र, यादृच्छिक या जोखिम-आधारित ऑडिट से गुजर सकती हैं। कोड में द्वि-स्तरीय शिकायत अधिनिर्णय प्रक्रिया स्थापित की गई है, जिसमें अपील का निपटारा फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा किया जाता है।

इस संहिता के अंतर्गत दंड में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • दवा कंपनी को उसकी इस तरह की गतिविधियों के लिए फटकार लगाई जाएगी और उसका पूरा ब्यौरा प्रकाशित किया जाएगा;
  • फार्मास्यूटिकल इकाई द्वारा संहिता के उल्लंघन में दिए गए धन या वस्तुओं की संबंधित व्यक्तियों से वसूली करना तथा संहिता के तहत की गई कार्रवाई की सूचना आचार समिति को देना;
  • यदि मीडिया में जारी प्रचार सामग्री संहिता में निर्दिष्ट आवश्यकताओं का अनुपालन नहीं करती है, तो मीडिया में सुधारात्मक वक्तव्य जारी करना; तथा
  • कोड के कार्यान्वयन के दौरान पाए गए उल्लंघनों के आधार पर, फार्मास्यूटिकल कंपनियों को संबंधित सरकारी विभागों द्वारा मौजूदा कानूनों के तहत कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

इसके अलावा, भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 के तहत बनाए गए भारतीय चिकित्सा परिषद (व्यावसायिक आचरण, शिष्टाचार और नैतिकता) विनियम, 2002 में फार्मास्यूटिकल और संबद्ध स्वास्थ्य क्षेत्र उद्योग के साथ संबंधों में डॉक्टरों और डॉक्टरों के पेशेवर संघ के लिए आचार संहिता प्रदान की गई है।

भारतीय चिकित्सा परिषद (पेशेवर आचरण, शिष्टाचार और नैतिकता) विनियम, 2002 के खंड 1.5 में प्रावधान है कि प्रत्येक चिकित्सक को जेनेरिक नाम वाली दवाएं स्पष्ट रूप से और अधिमानतः बड़े अक्षरों में लिखनी चाहिए और उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दवा का तर्कसंगत नुस्खा इस्तेमाल में लाया जाए। इसके अलावा, भारतीय चिकित्सा परिषद ने दिनांक 22.11.2012, 18.1.2013 और 21.4.2017 को परिपत्र जारी करके सभी पंजीकृत चिकित्सकों को उपरोक्त प्रावधानों का अनुपालन करने का निर्देश दिया।

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019, उपर्युक्त विनियमों के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए किसी डॉक्टर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए उपयुक्त राज्य चिकित्सा परिषदों या राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के नैतिकता और चिकित्सा पंजीकरण बोर्ड को अधिकार देता है। इसके अलावा, राज्यों को सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में जेनेरिक दवाओं के पर्चे सुनिश्चित करने और नियमित रूप से पर्चे का ऑडिट करने की सलाह दी गई है।

यह जानकारी केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

*****

एमजी/केसी/जेके/एसवी


(Release ID: 2099798) Visitor Counter : 66


Read this release in: Khasi , English , Urdu