अणु ऊर्जा विभाग
केंद्रीय बजट 2025-26 में परमाणु ऊर्जा क्षमता विकसित करने पर जोर
Posted On:
03 FEB 2025 6:23PM by PIB Delhi
असैन्य परमाणु ऊर्जा देश के भावी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित करेगी।
- नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री
परिचय
केंद्रीय बजट 2025-26 भारत की दीर्घकालिक ऊर्जा परिवर्तन रणनीति के तहत परमाणु ऊर्जा की दिशा में एक बड़े विकास की रूपरेखा को रेखांकित करता है। सरकार ने 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा क्षमता का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है और भारत के ऊर्जा मिश्रण में परमाणु ऊर्जा को एक प्रमुख स्तंभ के रूप में पहचाना है। यह विकास विकसित भारत के व्यापक उद्देश्यों, ऊर्जा विश्वसनीयता सुनिश्चित करने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने के अनुरूप है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वदेशी परमाणु प्रौद्योगिकी और सार्वजनिक-निजी सहयोग पर जोर देने के साथ रणनीतिक नीतिगत हस्तक्षेप और बुनियादी ढांचे में निवेश किया जा रहा है।
ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता प्राप्त करने के लिए परमाणु ऊर्जा को एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में मान्यता देते हुए सरकार ने विकसित भारत के लिए परमाणु ऊर्जा मिशन की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य घरेलू परमाणु क्षमताओं को बढ़ाना, निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना और लघु मॉड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) जैसी उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकियों की तैनाती में तेजी लाना है।
लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) और अनुसंधान एवं विकास पहल
केंद्रीय बजट 2025-26 की एक प्रमुख विशेषता परमाणु ऊर्जा मिशन की शुरुआत है, जो लघु मॉड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) के अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) पर केंद्रित है। सरकार ने इस पहल के लिए 20,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं, जिसका लक्ष्य 2033 तक कम से कम पांच स्वदेशी रूप से डिजाइन और परिचालन एसएमआर विकसित करना है।
विकसित भारत के लिए परमाणु ऊर्जा मिशन
परमाणु ऊर्जा मिशन के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए संसद द्वारा परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम में संशोधन किया जाएगा। इन संशोधनों से परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं में निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
इन विधायी परिवर्तनों से परमाणु क्षेत्र में निवेश और नवाचार के लिए अधिक अनुकूल माहौल बनने की उम्मीद है। यह मिशन 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करने की भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप है, जिसे कार्बन उत्सर्जन को कम करने और भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना रहा है। 30 जनवरी, 2025 तक भारत की परमाणु क्षमता 8180 मेगावॉट है।
सरकार निम्नलिखित उद्देश्यों के तहत निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करेगी:
भारत लघु रिएक्टर की स्थापना,
भारत लघु मॉड्यूलर रिएक्टर अनुसंधान और विकास, और
परमाणु ऊर्जा के लिए नई प्रौद्योगिकियों का अनुसंधान और विकास।
भारत लघु रिएक्टर
भारत सरकार भारत लघु रिएक्टर (बीएसआर) विकसित करके और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी के अवसरों की खोज करके सक्रिय रूप से अपने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र का विस्तार कर रही है। बीएसआर 220 मेगावॉट के दबाव वाले भारी जल रिएक्टर (पीएचडब्ल्यूआर) हैं, जिनका एक प्रमाणित सुरक्षा और प्रदर्शन रिकॉर्ड है। इन रिएक्टरों को भूमि आवश्यकताओं को कम करने के लिए उन्नत किया जा रहा है, जिससे उन्हें स्टील, एल्यूमीनियम और धातु जैसे उद्योगों के पास तैनाती के लिए उपयुक्त बनाया जा सके, ताकि निजी बिजली संयंत्रों के रूप में काम कर रहे कार्बन उत्सर्जन को कम करने के प्रयासों में सहायता मिल सके।
इस योजना में जमीन, ठंडा पानी और पूंजी उपलब्ध कराने वाली निजी संस्थाएं शामिल हैं, जबकि न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) मौजूदा कानूनी ढांचे के भीतर डिजाइन, गुणवत्ता आश्वासन और संचालन और रखरखाव को संभालती है। यह पहल 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा उत्पादन प्राप्त करने और 2030 तक अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 50% नवीकरणीय ऊर्जा से पूरा करने की भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप है, जैसा कि 2021 में ग्लासगो सीओपी 26 शिखर सम्मेलन में सहमति हुई थी।
बीएसआर के अलावा भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) बंद हो रहे कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को पुनर्जीवित करने और दूरदराज के स्थानों में बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) विकसित कर रहा है। परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) भी नए परमाणु रिएक्टर पेश करने की योजना बना रहा है, जिसमें हाइड्रोजन सह-उत्पादन के लिए उच्च तापमान वाले गैस-कूल्ड रिएक्टर और भारत के प्रचुर थोरियम संसाधनों का उपयोग करने के उद्देश्य से पिघला हुआ नमक (वह नमक जिसे तब तक गर्म किया जाए जब तक वह पिघलकर तरल न हो जाए)रिएक्टर शामिल हैं।
यह रणनीतिक पहल कार्बन उत्सर्जन को कम करने और अपने नागरिक परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार करने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है, जिसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी भारतीय कानूनों और विनियमों की सीमा के भीतर महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
भारत लघु मॉड्यूलर रिएक्टर
भारत अपनी ऊर्जा परिवर्तन रणनीति के एक महत्वपूर्ण कदम के तहत सक्रिय रूप से लघु मॉड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) की खोज कर रहा है, जिसका लक्ष्य ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए नेट जीरो उत्सर्जन हासिल करना है। एसएमआर उन्नत परमाणु रिएक्टर हैं जिनकी बिजली उत्पादन क्षमता 30 मेगावॉट से लेकर 300+ मेगावॉट तक है, जो पारंपरिक बड़े परमाणु रिएक्टरों के लिए एक लचीला, बहुमुखी और लागत प्रभावी विकल्प है। भारत की बढ़ती ऊर्जा मांगों और विश्वसनीय, कम कार्बन वाली बिजली की आवश्यकता को देखते हुए, एसएमआर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के पूरक और ग्रिड को स्थिर करने में परिवर्तनकारी भूमिका निभा सकते हैं। इनका मॉड्यूलर डिजाइन फैक्ट्री-आधारित विनिर्माण को सक्षम बनाता है, निर्माण की समयसीमा और लागत को कम करता है, जिससे उन्हें दूरस्थ स्थानों में तैनाती सहित ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त बनाया जाता है।
दबावयुक्त भारी जल रिएक्टरों (पीएचडब्ल्यूआर) में भारत की विशेषज्ञता स्वदेशी एसएमआर डिजाइनों के विकास और तैनाती के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करती है। एसएमआर को अपने ऊर्जा मिश्रण में एकीकृत करके, भारत भूमि बाधाओं को दूर कर सकता है, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम कर सकता है, और पेरिस समझौते (2015) के तहत अंतरराष्ट्रीय जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की अपनी क्षमता बढ़ा सकता है, जिसे भारत ने अक्टूबर 2016 में अनुमोदित किया था।
भारत की परमाणु क्षमता बढ़ाने के लिए सरकारी पहल
भारत बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने और पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सक्रिय रूप से अपनी परमाणु ऊर्जा क्षमता बढ़ा रहा है। सरकार ने 2031-32 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता को मौजूदा 8,180 मेगावॉट से बढ़ाकर 22,480 मेगावॉट करने के लिए कदम उठाए हैं। इस विस्तार में गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में कुल 8,000 मेगावॉट के दस रिएक्टरों का निर्माण और उसे चालू करना शामिल है। इसके अतिरिक्त दस और रिएक्टरों के लिए पूर्व-परियोजना गतिविधियां शुरू हो गई हैं, जिन्हें 2031-32 तक पूरा करने की योजना है। इसके अलावा सरकार ने आंध्र प्रदेश राज्य में श्रीकाकुलम जिले के कोव्वाडा में संयुक्त राज्य अमेरिका के सहयोग से 6 x1208 मेगावॉट का परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।
19 सितंबर, 2024 को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया गया, जब देश के सबसे बड़े और तीसरे स्वदेशी परमाणु रिएक्टरों में से एक राजस्थान परमाणु ऊर्जा परियोजना की यूनिट -7 (आरएपीपी -7) महत्वपूर्ण स्थिति में पहुंच गई, जिससे नियंत्रित विखंडन शृंखला प्रतिक्रिया की शुरुआत हुई। यह आयोजन स्वदेशी परमाणु रिएक्टरों के निर्माण और संचालन में भारत की बढ़ती क्षमता का प्रतीक है, जो घरेलू प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित भविष्य में योगदान दे रहा है।
सुरक्षा भारत की परमाणु ऊर्जा नीति की आधारशिला है। भारत के परमाणु ऊर्जा संयंत्र कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल और अंतरराष्ट्रीय निगरानी के तहत काम करते हैं। भारतीय परमाणु सुविधाओं पर विकिरण का स्तर लगातार वैश्विक मानकों से काफी नीचे है, जो सुरक्षित और सतत परमाणु ऊर्जा के प्रति देश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। ये प्रयास दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान करते हुए स्वच्छ और विश्वसनीय ऊर्जा प्रदान करने की भारत की व्यापक रणनीति के अनुरूप हैं।
भारत में परमाणु ऊर्जा में हालिया विकास
भारत की सबसे पुरानी यूरेनियम खदान, जादुगुड़ा खदान में मौजूदा खदान पट्टा क्षेत्र और उसके आसपास नए भंडार की खोज की गई है। इससे समाप्त हो रही खदान का जीवन पचास वर्ष से अधिक बढ़ जाएगा।
गुजरात के काकरापार में स्वदेशी 700 मेगावॉट पीएचडब्लूआर की पहली दो इकाइयों (केएपीएस - 3 और 4) ने वित्त वर्ष 2023-24 में वाणिज्यिक परिचालन शुरू कर दिया है।
बंद ईंधन शृंखला भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की आधारशिला है। देश के इस पहले प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (पीएफबीआर 500 मेगावाट) ने 2024 में कई मील के पत्थर हासिल किए, जैसे मुख्य पोत में प्राथमिक सोडियम भरना, संतृप्त सोडियम और सभी चार सोडियम पंप (2 प्राथमिक सोडियम पंप और 2 माध्यमिक सोडियम पंप) को शुद्ध करना। कोर लोडिंग 4 मार्च 2024 को पहले रिएक्टर नियंत्रण रॉड की लोडिंग के साथ शुरू हुई।
एनपीसीआईएल और नैशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) ने देश में परमाणु ऊर्जा सुविधाएं विकसित करने के लिए एक पूरक संयुक्त उद्यम समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। अश्विनी नाम का संयुक्त उद्यम परमाणु ऊर्जा अधिनियम 1962 (2015 में संशोधित) के मौजूदा कानूनी ढांचे के भीतर कार्य करेगा और आगामी 4x700 मेगावॉट पीएचडब्ल्यूआर माही-बांसवाड़ा राजस्थान परमाणु ऊर्जा परियोजना सहित परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण, स्वामित्व और संचालन करेगा।
निष्कर्ष
केंद्रीय बजट 2025-26 में परमाणु ऊर्जा प्रावधान भारत के ऊर्जा परिदृश्य में बदलाव का प्रतीक है। परमाणु ऊर्जा को एक सतत, बहुमुखी और सुरक्षित ऊर्जा स्रोत के रूप में बढ़ावा देकर सरकार का लक्ष्य ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना और देश के दीर्घकालिक आर्थिक और पर्यावरणीय लक्ष्यों को पूरा करना है। विकसित भारत के लिए परमाणु ऊर्जा मिशन परमाणु ऊर्जा विकास में तेजी लाने के लिए तैयार है, जो 2047 तक भारत को उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकी में वैश्विक लीडर के रूप में स्थापित करेगा।
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