पंचायती राज मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा 2024: पंचायती राज मंत्रालय
वर्ष 2024: समावेशी विकास, प्रौद्योगिकी और पर्यावरणीय स्थिरता पर ध्यान देने के साथ पंचायतें "स्मार्ट" बन रही हैं
“महिलाओं की मज़बूत होती राजनीतिक आवाज़: महिला निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए विशेष प्रशिक्षण मॉड्यूल; पंचायतों में प्रॉक्सी प्रतिनिधित्व से निपटने के लिए नई समिति
राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2024: 42 पंचायतें और 3 संस्थान पुरस्कृत, 41% पुरस्कार विजेताओं का नेतृत्व महिलाओं ने किया
पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वयं के स्रोत राजस्व के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल, राजस्व सृजन को सुव्यवस्थित करने के लिए समर्थ पोर्टल तैयार
31,000 से अधिक कंप्यूटरों की मंजूरी के साथ स्थानीय निकायों को डिजिटल बढ़त मिली, इस वर्ष 4600 से अधिक ग्राम पंचायत कार्यालयों को भी मंजूरी दी गई
जमीनी स्तर पर मौसम का पूर्वानुमान: 2.5 लाख से अधिक पंचायतों को स्थानीय जलवायु डेटा प्राप्त होता है
स्वामित्व: ग्रामीण संपत्ति मालिकों को सशक्त बनाना, व्यापक ग्रामीण विकास सुनिश्चित करने के लिए योजना 2025-26 तक विस्तारित
3.17 लाख गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा, 2.19 करोड़ से अधिक संपत्ति कार्ड जारी किए गए
एआई-संचालित समावेशिता: ईग्रामस्वराज अब 22 भाषाओं में उपलब्ध है
ईग्रामस्वराज- पीएफएमएस एकीकरण: 2.56 लाख पंचायतों के लिए पारदर्शी फंड प्रबंधन, 32,401 करोड़ रुपए रुपये का भुगतान सफलतापूर्वक हस्तांतरित
Posted On:
04 JAN 2025 4:47PM by PIB Delhi
परिचय
वर्ष 2024: पंचायती राज मंत्रालय के लिए एक ऐतिहासिक वर्ष - जमीनी स्तर पर शासन को मजबूत करना, समावेशी विकास को बढ़ावा देना
वर्ष 2024 पंचायती राज मंत्रालय के लिए एक बदलावकारी साल रहा है, जो अभूतपूर्व पहलों, नवीन तकनीकी एकीकरण और जमीनी स्तर के लोकतंत्र को सशक्त बनाने की दिशा में अटूट प्रतिबद्धता दर्शाता है। वर्ष 2024 में मंत्रालय के प्रयास तकनीकी एकीकरण, पर्यावरणीय स्थिरता, भाषाई समावेशिता और सामुदायिक भागीदारी द्वारा चिह्नित जमीनी स्तर के शासन के प्रति एक समग्र दृष्टिकोण का उदाहरण देते हैं। प्रत्येक पहल के साथ, मंत्रालय न केवल अपने जनादेश को पूरा कर रहा है, बल्कि '2047 तक विकसित भारत' के लिए आधारशिला भी रख रहा है, जिसमें सशक्त पंचायतें भारत के ग्रामीण परिवर्तन की आधारशिला के रूप में काम करती हैं। जैसे जैसे मंत्रालय जमीनी स्तर पर बदलाव ला रहा है, यह एक पारदर्शी, जवाबदेह और मज़बूत पंचायती राज संस्थानों के निर्माण के दृष्टिकोण को मजबूत कर रहा है, जो ग्रामीण भारत में समावेशी और सतत् विकास में सार्थक योगदान देता है। वर्ष 2024 के दौरान की गई महत्वपूर्ण गतिविधियों और प्रगति का विवरण इस प्रकार है:
1. पंचायत बुनियादी ढांचे को मजबूत करना: एक प्रमुख फोकस क्षेत्र
वर्ष 2024 में मंत्रालय ने पंचायत के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और पंचायती राज संस्थानों के ज़रिए सेवा वितरण तंत्र को बढ़ाने पर जोर दिया। इसका उद्देश्य ग्रामीण नागरिकों के लिए कुशल स्थानीय स्वशासन सुनिश्चित करना है, जिससे स्थानीय स्वशासन की सशक्त इकाइयों के रूप में पंचायतें, अपने संवैधानिक जनादेश को पूरा करने में सक्षम हो सकें।
लंबे समय से चली आ रही बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करने के लिए, मंत्रालय ने वर्ष 2024 में संतृप्त दृष्टिकोण अपनाया। 4,604 स्थानों पर ग्राम पंचायत भवनों के निर्माण के लिए राशि स्वीकृत की गई, जिससे यह सुनिश्चित किया गया कि 3,000 से अधिक की आबादी वाले सभी ग्राम पंचायतों (जीपी) के पास समर्पित कार्यालय परिसर हो। अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, जहां 661 जीपी भवन स्वीकृत किए गए हैं, इसके बाद आंध्र प्रदेश में 617, उत्तराखंड में 612, महाराष्ट्र में 568, हरियाणा और पंजाब प्रत्येक में 500, गुजरात में 412, कर्नाटक में 258, असम 178 के साथ, तमिलनाडु 146 के साथ, और उत्तर प्रदेश 100 जीपी भवन स्वीकृत किए गए हैं। यह ठोस प्रयास सुनिश्चित करता है कि आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मणिपुर, मिजोरम और सिक्किम के पास अब अपना कार्यालय परिसर होगा।
बुनियादी ढांचे के विकास के अलावा, मंत्रालय ने उन ग्राम पंचायतों के लिए 31,003 कंप्यूटरों की मंजूरी देकर पंचायतों के डिजिटल सशक्तिकरण को भी प्राथमिकता दी है, जिनके पास पहले से ही कार्यालय भवन स्थापित हैं। पंजाब को 8,034, छत्तीसगढ़ को 5,896, उत्तराखंड को 3,760, झारखंड को 2,066, बिहार को 2,000, तेलंगाना को 1,640, तमिलनाडु को 1,594, आंध्र प्रदेश को 1,422, हरियाणा को 1,363, महाराष्ट्र को 945, असम को 687 और अरुणाचल प्रदेश को 400 कंप्यूटर आवंटित किए गए हैं।
ये पहल पंचायत के बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने, डिजिटल विभाजन को पाटने और जमीनी स्तर पर प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम की नुमाइंदगी करती हैं। राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) के तहत मंत्रालय के केंद्रित प्रयास, विकेंद्रीकृत शासन को मजबूत करने और कार्यान्वयन दक्षता में सुधार के अपने मुख्य उद्देश्य के साथ जुड़े हुए हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि देश भर में पंचायतें स्थानीय स्व-शासन के मजबूत स्तंभों के रूप में सेवा करने के लिए अच्छी तरह से तैयार हों।
2. ग्राम पंचायत स्तर पर मौसम का पूर्वानुमान: जलवायु चुनौतियों के खिलाफ जमीनी स्तर पर सशक्त होने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
कई उपलब्धियों के बीच, ग्राम पंचायत स्तर पर मौसम का पूर्वानुमान, ग्रामीण जलवायु के क्षेत्र में सशक्त होने की दिशा में एक अग्रणी कदम के रूप में सामने आया है। 24 अक्टूबर 2024 को नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, डॉ. जितेंद्र सिंह और केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल द्वारा भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के सहयोग से शुरू की गई, यह पहल अब स्थानीय तौर पर पूरे भारत में 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों के लिए पांच दिन और प्रति घंटा मौसम के पूर्वानुमान से जुड़ी जानकारी प्रदान करती है। यह प्रयास, सरकार के 100 दिनों के एजेंडे के अनुरूप, कृषि उत्पादकता को बढ़ाता है, जलवायु से जुड़े जोखिमों को कम करता है, और ग्रामीण समुदायों को समय पर मौसम की जानकारी के साथ सशक्त बनाता है।
3. बाईस (22) भाषाओं में ई-ग्रामस्वराज: भाषिणी के साथ एआई-संचालित भाषाई समावेशिता
भारत में सभी ग्रामीण स्थानीय निकाय ईग्रामस्वराज नामक एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कार्य करते हैं, जो उन्हें योजना बनाने, बजट बनाने, कार्यान्वयन करने और निर्बाध रूप से भुगतान करने में सक्षम बनाता है। यह पोर्टल केवल अंग्रेजी में उपलब्ध था। 2024 के दौरान, मंत्रालय ने भाषिणी पहल के तहत एआई-संचालित उपकरणों के एकीकरण के माध्यम से समावेशिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया और 14 अगस्त, 2024 को केंद्रीय पंचायती राज मंत्री द्वारा भाषिणी के साथ ई-ग्राम स्वराज का एकीकरण शुरू किया गया। यह एकीकरण ई-ग्राम स्वराज को भाषिणी के एआई-संचालित अनुवाद के माध्यम से भारत की 22 अनुसूचित भाषाओं में सेवाएं प्रदान करने की अनुमति देता है, जिससे पूरे भारत में उपयोगकर्ताओं के लिए स्थानीय भाषा में पहुंच एक वास्तविकता बन रही है। भाषाई बाधाओं को दूर करके, यह पहल पंचायत अधिकारियों और नागरिकों के बीच समावेशी भागीदारी को बढ़ावा देती है, सेवा वितरण में सुधार करती है और सामुदायिक जरूरतों को अधिक प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए पंचायतों को सशक्त बनाती है, जिससे ग्रामीण शासन में प्रगति होती है।
मंत्रालय ने सम्मेलनों और सेमिनारों के लिए वॉयस-टू-वॉयस अनुवाद उपकरण भी पेश किए हैं, जिससे सामग्री को मूल भाषाओं में निर्बाध रूप से पहुंचाया किया जा सके। इस नवाचार को पीपुल्स प्लान अभियान 2024 - सबकी योजना सबका विकास, के दौरान प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया था, जहां 30 सितंबर 2024 को बंगाली, तमिल, गुजराती और तेलुगु सहित आठ क्षेत्रीय भाषाओं में लाइव प्रसारण सफलतापूर्वक आयोजित किया गया था।
इसी तरह, 22 अक्टूबर 2024 को हैदराबाद में सरल और सुविधाजनक जीवन पर आयोजित पंचायत सम्मेलन में, लाइव-स्ट्रीमिंग को 11 भाषाओं तक विस्तारित किया गया था, और 19 नवंबर 2024 को आगरा सम्मेलन के दौरान इसमें और सुधार किए गए। ये प्रयास न केवल पहुंच को बढ़ावा देते हैं, बल्कि भाषाई बाधाओं को दूर करते हैं, जिससे ग्रामीण शासन के लिए एक समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलता है।
इसके अलावा, भाषाई समावेशिता पर सरकार के जोर के अनुरूप, पंचायती राज मंत्रालय ने हिंदी पखवाड़ा समारोह के दौरान 30 सितंबर 2024 को अपनी हिंदी वेबसाइट लॉन्च की। इस कदम से हिंदी भाषी उपयोगकर्ताओं के लिए पहुंच में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, इसके साथ ही वेबसाइट का डिफ़ॉल्ट होमपेज हिंदी में खुलने से ग्रामीण हितधारकों के लिए व्यापक पहुंच और उपयोगकर्ता के अनुकूल जानकारी हासिल करना सुनिश्चित हुआ।
4. महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के लिए पहल
महिला निर्वाचित प्रतिनिधियों का क्षमता निर्माण: हालाँकि सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल उपलब्ध थे, लेकिन महिला निर्वाचित प्रतिनिधियों (डब्ल्यूईआर) की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप कोई मॉड्यूल नहीं था। वर्ष 2024 के दौरान, मंत्रालय ने पंचायतों की महिला निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए उनकी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के प्रभावी वितरण के लिए व्यापक प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित करने की पहल की। इस दो दिवसीय मॉड्यूल का मकसद, नेतृत्व कौशल, संघर्ष प्रबंधन, डिजिटल साक्षरता, वित्तीय साक्षरता और सेवा वितरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को पूरा करने में पंचायतों की महिला निर्वाचित प्रतिनिधियों की क्षमता को बढ़ाना है।
प्रॉक्सी प्रतिनिधित्व पर समिति: महिला प्रधानों का उनके परिवार के पुरुष सदस्यों द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने और उससे संबंधित अन्य मुद्दों की भी जांच के लिए 19.09.2023 को भारत सरकार के सचिव (सेवानिवृत्त) श्री सुशील कुमार की अध्यक्षता में, एक सलाहकार समिति का गठन किया गया है। इस समिति का गठन डब्ल्यू.पी. (सी) संख्या 615/2023 के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 06.07.2023 के आदेश के अनुसरण में, साथ ही याचिकाकर्ता द्वारा मंत्रालय को 09.08.2023 दिनांक के भेजे गए अपने अभ्यावेदन के माध्यम से मांगे गए उपाय पर विचार करने के लिए किया गया है। समिति की रिपोर्ट जनवरी 2025 में आने की उम्मीद है। इसकी सिफारिश महिलाओं के प्रतिनिधित्व को सशक्त बनाने और प्रॉक्सी प्रतिनिधित्व की बुराइयों को खत्म करने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप को सक्षम बनाएगी।
यूएनएफपीए के सहयोग से मॉडल महिला-अनुकूल ग्राम पंचायतें: मंत्रालय ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में यूएनएफपीए के सहयोग से महिला अधिकारों, पात्रता और सशक्तिकरण में तेजी लाने के लिए सतत् विकास लक्ष्यों (एलएसडीजी) के स्थानीयकरण को बढ़ावा देने के प्रयास के तहत मॉडल महिला-अनुकूल ग्राम पंचायत बनाने के लिए 2024 के दौरान एक पहल की। इसके तहत हर जिले में एक ग्राम पंचायत की पहचान की जाएगी और उसे महिला अनुकूल ग्राम पंचायत (डब्ल्यूएफजीपी) बनाया जाएगा। मास्टर प्रशिक्षकों का एक कैडर विकसित करने के लिए, जो डब्ल्यूएफजीपी मॉडल विकसित करेंगे और सभी स्तरों पर हितधारकों को प्रशिक्षित करेंगे, यूएनएफपीए के सहयोग से नवंबर 2024 में पुणे, महाराष्ट्र में एक राष्ट्रीय स्तर की प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई थी। राज्य/केंद्रशासित प्रदेश हर जिले में मॉडल ग्राम पंचायतों का, महिला अनुकूल ग्राम पंचायतों में बदलने के लिए चयन कर रहे हैं। राज्य-स्तरीय मास्टर ट्रेनर, जिला और ब्लॉक-स्तरीय मास्टर ट्रेनरों को प्रशिक्षण प्रदान करेंगे, जबकि विभिन्न रणनीतियों और प्रमुख मापदंडों पर पीआरआई की क्षमता बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।
5. जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाना
7 विषयों/मुद्दों पर पेसा प्रशिक्षण नियमावली: यह मानते हुए कि पेसा राज्यों में जनजातीय नेतृत्व की क्षमता निर्माण एक उपेक्षित क्षेत्र रहा है, इस मंत्रालय ने पेसा राज्यों और नागरिक समाज संगठनों के सहयोग से, प्रमुख पेसा विषयों पर सात प्रशिक्षण मैनुअल तैयार किए हैं- (1) ग्राम सभा को मजबूत करना; (2) लघु वन उपज; (3) लघु खनिज; (4) विवाद समाधान का प्रथागत तरीका; (5) धन उधार देने पर नियंत्रण; (6) निषेध को लागू करना और नशीले पदार्थों की बिक्री और उपभोग को विनियमित/प्रतिबंधित करना; और (7) भूमि हस्तांतरण की रोकथाम। मंत्रालय ने 26 सितंबर, 2024 को नई दिल्ली में पेसा अधिनियम पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रमुख पेसा विषयों पर इन प्रशिक्षण मैनुअल को लॉन्च किया। राज्यों को इन प्रशिक्षण पुस्तिकाओं का प्रमुख जनजातीय भाषाओं में अनुवाद करने के लिए कहा गया है।
केंद्रीय विश्वविद्यालयों के साथ उत्कृष्टता केंद्र प्रस्तावित: पंचायती राज मंत्रालय ने हमारे आदिवासी समुदायों के लिए पेसा के उद्देश्यों को साकार करने हेतु एक बहुआयामी रणनीति को लागू करने के प्रयासों को संस्थागत बनाने के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालयों में उत्कृष्टता केंद्र बनाने का निर्णय लिया है। इस पहल के लिए, इस मंत्रालय ने जनजातीय अध्ययन विभाग वाले राष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालयों और जनजातीय अध्ययन में लगे विश्वविद्यालयों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए उच्च शिक्षा विभाग के साथ संवाद किया। जवाब में, उच्च शिक्षा विभाग ने 16 विश्वविद्यालयों की एक सूची प्रदान की। एक केंद्रीय विश्वविद्यालय में उत्कृष्टता केंद्र के गठन के लिए प्रस्ताव का अनुरोध 16 केंद्रीय विश्वविद्यालयों को भेजा गया था। जवाब में, मंत्रालय को 08 केंद्रीय विश्वविद्यालयों से 08 प्रस्ताव प्राप्त हुए। मंत्रालय ने शॉर्टलिस्ट किए गए विश्वविद्यालयों की संबंधित राज्य सरकारों (यानी आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश) से वित्तीय प्रतिबद्धता मांगी है और उचित समय पर विश्वविद्यालय को अंतिम रूप दिया जाएगा।
6. पेसा कानून 2024 में लागू होना
2024 के दौरान पंचायती राज मंत्रालय ने पंचायत प्रावधानों (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 (पीईएसए अधिनियम) के कार्यान्वयन को मजबूत करने के लिए पर्याप्त प्रयास किए। मंत्रालय ने पेसा कार्यान्वयन के लिए 2024 को एक अहम वर्ष के रूप में चिह्नित करते हुए प्रभावशाली कार्यशालाओं और सम्मेलनों की एक श्रृंखला आयोजित की।
पहला क्षेत्रीय सम्मेलन 11-12 जनवरी, 2024 को यशदा, पुणे, महाराष्ट्र में आयोजित किया गया था। इसमें गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान सहित पेसा राज्यों को शामिल किया गया। इसके बाद 4-5 मार्च, 2024 को रांची, झारखंड में दूसरा क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और तेलंगाना राज्यों को लक्षित किया गया।
26 सितंबर 2024 को डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित पेसा पर राष्ट्रीय सम्मेलन एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम था। सम्मेलन में पीईएसए-जीपीडीपी पोर्टल और सात विशेष प्रशिक्षण मॉड्यूल का शुभारंभ हुआ, जिसका मकसद अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम पंचायत विकास योजनाओं (जीपीडीपी) को बढ़ाना है। इन मॉड्यूल को लघु वन उपज, भूमि हस्तांतरण की रोकथाम और प्रथागत विवाद समाधान जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को संबोधित करने, अधिनियम के कार्रवाई योग्य कार्यान्वयन को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
वर्ष के समापन पर, पेसा दिवस के उद्घाटन समारोह के अवसर पर, 24 दिसंबर 2024 को रांची, झारखंड में पेसा अधिनियम पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई। अपनी तरह के इस पहले कार्यक्रम का उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाना और शासन ढांचे को मजबूत करना था। पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री विवेक भारद्वाज ने सभा को संबोधित करते हुए पेसा अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
इन प्रयासों के अनुरूप, मंत्रालय ने 24 दिसंबर 2024 को सभी पेसा राज्यों को जागरूकता अभियान और क्षमता निर्माण गतिविधियाँ संचालित करने के लिए प्रोत्साहित किया। राज्यों को भी जमीनी स्तर पर पहुंच और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए व्यापक प्रशिक्षण मॉड्यूल को स्थानीय भाषाओं में अनुवाद करने की सलाह दी गई। मंत्रालय की ये पहल आदिवासी आबादी को सशक्त बनाने और अनुसूचित क्षेत्रों में स्वशासन को संस्थागत बनाने के लिए एक समेकित दृष्टिकोण को दर्शाती है।
7.पंचायतों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना
राजस्व के स्वयं के स्रोतों पर प्रशिक्षण मॉड्यूल: पंचायती राज मंत्रालय, भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद (आईआईएम-ए) के सहयोग से, ग्राम पंचायतों (जीपी) को 'आत्मनिर्भर पंचायतें'-आत्मनिर्भर और टिकाऊ होने की ओर सशक्त बनाने के लिए स्वयं के स्रोत राजस्व (ओएसआर) पर एक प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित कर रहा है। इस पहल का मकसद जीपी को बाहरी समर्थन पर निर्भर हुए बिना स्थानीय सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में मदद करना है। प्रशिक्षण मॉड्यूल के हिस्से के रूप में, पंचायत जानकारी, ओएसआर जेनरेशन रणनीतियों, योजना और निष्पादन को शामिल करते हुए एक कार्यपुस्तिका विकसित की जाएगी।
पीआरआई के लिए व्यवहार्य वित्तीय मॉडल तैयार करने के लिए एनआईपीएफपी को नियुक्त किया गया: पंचायती राज मंत्रालय (एमओपीआर) ने पंचायतों के लिए प्रतिकृति मॉडल बनाने के लिए, राष्ट्रीय सार्वजनिक वित्त और नीति संस्थान (एनआईपीएफपी) द्वारा "स्वयं के स्रोत राजस्व के सृजन के लिए व्यवहार्य वित्तीय मॉडल की तैयारी" पर एक अध्ययन शुरू किया है। इस प्रयास का मकसद स्थानीय वित्तीय स्वायत्तता और जमीनी स्तर पर स्थायी राजस्व सृजन को बढ़ाना है।
ओएसआर के लिए डिजिटल पोर्टल समर्थ का राज्यों में पायलट परीक्षण किया जा रहा है: पंचायती राज मंत्रालय ने कर और गैर-कर दोनों राजस्व के अपने स्रोतों के प्रभावी संग्रह, निगरानी और मूल्यांकन की सुविधा के लिए समर्थ पोर्टल विकसित किया है। वर्तमान में, यह एप्लिकेशन पायलट चरण में है, जिसमें छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में कुछ ग्राम पंचायतों में पायलट परीक्षण किया जा रहा है।
ओएसआर के लिए मॉडल नियम बनाए जा रहे हैं: पंचायती राज मंत्रालय (एमओपीआर), राज्यों की सहायता हेतु स्वयं के स्रोत राजस्व (ओएसआर) के लिए मॉडल नियम विकसित कर रहा है, क्योंकि कई राज्यों में वर्तमान में अपने स्वयं के राजस्व उत्पन्न करने में पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) को सशक्त बनाने के लिए नियमों की कमी है। ये नियम राज्यों को निर्माण के लिए एक मानकीकृत ढांचा प्रदान करेंगे, जिससे पीआरआई को अपनी वित्तीय स्वतंत्रता और स्थिरता में सुधार करने में मदद मिलेगी।
8. "विकास के लिए हस्तांतरण" पर वित्त आयोग का सम्मेलन
ग्रामीण प्रशासन को मजबूत करने और भारत के स्थानीय प्रशासन के वित्तीय ढांचे को नया आकार देने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए 14 नवंबर 2024 को नई दिल्ली में पंचायती राज मंत्रालय द्वारा "विकास के लिए हस्तांतरण" पर एक दिवसीय वित्त आयोग का सम्मेलन आयोजित किया गया। ये सम्मेलन, पंचायती राज मंत्रालय (एमओपीआर) द्वारा अपनी तरह का पहला कार्यक्रम था, जो राजकोषीय विकेंद्रीकरण को मजबूत करने और पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) के वित्तीय सशक्तिकरण पर विचार-विमर्श करने के लिए प्रमुख हितधारकों को एक साथ एक मंच पर लाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता XVIवें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने की और श्री विवेक भरद्वाज, सचिव, एमओपीआर, और XVI वित्त आयोग के सदस्यों श्री अजय नारायण झा, सुश्री एनी जॉर्ज मैथ्यू, डॉ. मनोज पांडा और डॉ. सौम्यकांति घोष (वर्चुअली शामिल होते हुए) समेत इस कार्यक्रम में 22 राज्यों के 150 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसमें राज्य वित्त आयोगों (एसएफसी) के वर्तमान और पूर्व अध्यक्ष, एसएफसी सदस्य, सदस्य सचिव, प्रधान सचिव, राज्य वित्त विभाग के अधिकारी और शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल थे। सम्मेलन ने राजकोषीय विकेंद्रीकरण को बढ़ाने पर आम सहमति बनाने, वित्तीय सशक्तिकरण को मजबूत करने, और पंचायतों द्वारा स्थायी स्वयं के स्रोत राजस्व (ओएसआर) सृजन को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक मंच के रूप में कार्य किया, जिससे अधिक जवाबदेह और आत्मनिर्भर स्थानीय शासन की नींव रखी जा सके।
9. प्रदर्शनियाँ और राष्ट्रीय शोकेस - स्मार्ट पंचायतों को बढ़ावा देना
सार्वजनिक भागीदारी और ग्रामीण नवाचारों के प्रदर्शन के क्षेत्र में, मंत्रालय ने पूरे वर्ष प्रमुख राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में सक्रिय रूप से भाग लिया। 9 से 12 जनवरी 2024 तक आयोजित वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल ट्रेड शो 2024 में, मंत्रालय ने 'स्मार्ट पंचायत' मॉडल प्रस्तुत किया, जिसमें स्वामित्व योजना, सौर ऊर्जा संचालित पंचायत भवन, डिजिटल कर भुगतान और ग्रामीण सेवा वितरण के लिए सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) जैसी पहलों पर प्रकाश डाला गया।
बाद में, 17 से 20 सितंबर 2024 तक भारत मंडपम, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयोजित भारत जल सप्ताह 2024 के दौरान, मंत्रालय ने देश भर में पंचायतों द्वारा कार्यान्वित टिकाऊ जल प्रबंधन प्रथाओं का प्रदर्शन किया। इसमें उल्लेखनीय सफलता की कहानियों में उत्तराखंड की कोठार ग्राम पंचायत भी शामिल है, जिसने ग्रामीण क्षेत्र में जल की कमी को दूर करने के लिए एक अभिनव जल भंडारण और वितरण प्रणाली विकसित की।
सार्वजनिक भागीदारी में मंत्रालय की उत्कृष्टता को 14 से 27 नवंबर 2024 तक आयोजित 43वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (आईआईटीएफ) 2024 में भी खास पहचान मिली, जहां इसे सशक्त भारत श्रेणी के तहत प्रदर्शन में उत्कृष्टता के लिए कांस्य पदक से सम्मानित किया गया। 15,000 से 20,000 आगंतुकों की दैनिक उपस्थिति के साथ, मंत्रालय के पवेलियन ने स्वामित्व योजना, मेरी पंचायत ऐप और ग्राम मानचित्र के भू-स्थानिक उपकरण जैसी प्रमुख पहलों का प्रदर्शन किया, जिसने शहरी और ग्रामीण दर्शकों पर समान रूप से एक स्थायी प्रभाव छोड़ा।
10. राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2024: स्थानीय शासन में उत्कृष्टता का जश्न
भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने 11 दिसंबर 2024 को नई दिल्ली में सतत् और समावेशी विकास के विषयों में उनके अनुकरणीय योगदान को मान्यता देते हुए, विभिन्न श्रेणियों में चुने गए 45 पुरस्कार विजेताओं को राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार से सम्मानित किया। राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार (एनपीए) 2024 ने 15 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 42 उत्कृष्ट पंचायतों और 3 संस्थानों को सम्मानित किया।
राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2024 की मुख्य विशेषताएं:
- स्थानीय प्रशासन और सतत् विकास में उनके असाधारण योगदान के लिए 42 पंचायतों और 3 संस्थानों को सम्मानित किया गया।
- 27 पंचायतों को 9 विषयगत श्रेणियों में दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सतत् विकास पुरस्कार (डीडीयूपीएसवीपी) प्राप्त हुआ।
- सभी विषयों में उनके समग्र प्रदर्शन के लिए 9 पंचायतों को नानाजी देशमुख सर्वोत्तम पंचायत सतत् विकास पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- नवीकरणीय ऊर्जा और कार्बन तटस्थता में पहल के लिए 3-3 पंचायतों को क्रमशः ग्राम ऊर्जा स्वराज विशेष पंचायत पुरस्कार और कार्बन न्यूट्रल विशेष पंचायत पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- पंचायत प्रशासन को मजबूत करने में उनकी भूमिका के लिए 3 संस्थानों को पंचायत क्षमता निर्माण सर्वोत्तम संस्थान पुरस्कार प्राप्त हुआ।
उल्लेखनीय उपलब्धियाँ:
- पुरस्कार हासिल करने वाली 41% विजेता पंचायतों की कमान महिला प्रतिनिधियों के हाथ में थी।
- 31 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की 1.94 लाख ग्राम पंचायतों (77%) की भागीदारी, सतत् विकास लक्ष्यों (एलएसडीजी) के स्थानीयकरण को प्राप्त करने के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
- 14 केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के साथ सहयोग, एक पारदर्शी और एकीकृत चयन प्रक्रिया को रेखांकित करता है।
राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार, जमीनी स्तर पर लोकतंत्र के लिए आधारशिला के रूप में काम करते हैं, जो पंचायतों को शासन, सतत् विकास और सामुदायिक सशक्तिकरण में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने हेतु प्रेरित करते हैं।
11. स्वामित्व (गांवों का सर्वेक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ मानचित्रण) कार्यान्वयन
स्वामित्व योजना माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस, 24 अप्रैल 2020 को, प्रत्येक ग्रामीण परिवार के मालिक को "अधिकारों का रिकॉर्ड" प्रदान करके ग्रामीण भारत की आर्थिक प्रगति को सक्षम करने के संकल्प के साथ शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य नवीनतम सर्वेक्षण ड्रोन-प्रौद्योगिकी के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी (आबादी) भूमि का सीमांकन करना है। यह पंचायती राज मंत्रालय, राज्य राजस्व विभागों, राज्य पंचायती राज विभागों और भारतीय सर्वेक्षण विभाग का एक सहयोगात्मक प्रयास है। इस योजना में विविध पहलुओं को शामिल किया गया है, जिनमें संपत्तियों के मुद्रीकरण की सुविधा और बैंक ऋण को सक्षम बनाना, संपत्ति संबंधी विवादों को कम करना, व्यापक ग्राम स्तरीय योजना, ग्रामीण स्थानीय सरकार को राजस्व का एक अच्छा स्रोत सुनिश्चित करना सही अर्थों में ग्राम स्वराज प्राप्त करने और ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा। योजना के कार्यान्वयन की अवधि 2020-21 से 2025-26 है। (योजना को वित्त वर्ष 2025-2026 तक एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है)
वर्ष 2024 के दौरान स्वामित्व योजना के तहत उपलब्धियां
- 12 दिसंबर 2024 तक 3.17 लाख गांवों में ड्रोन उड़ान पूरी हो चुकी है।
- मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, लद्दाख, लक्षद्वीप, दिल्ली और दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव में ड्रोन उड़ान संतृप्त हो गई है।
- योजना को हरियाणा, उत्तराखंड, पुडुचेरी, गोवा, त्रिपुरा, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में संतृप्त किया गया है।
- 1.49 लाख गांवों के लिए करीब 2.19 करोड़ संपत्ति कार्ड तैयार किए गए हैं।
12. राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान की योजना का क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण-कार्यान्वयन
- पंचायती राज मंत्रालय, संशोधित राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) की एक केंद्र प्रायोजित योजना लागू कर रहा है, जिसके तहत 2023-24 के दौरान 32 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की योजना की स्वीकार्य गतिविधियों को शामिल करने वाली वार्षिक कार्य योजनाओं को मंजूरी दी गई है।
- पंचायती राज मंत्रालय ने 1 जनवरी 2024 से 12 दिसंबर 2024 के दौरान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को संशोधित राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) की केंद्र प्रायोजित योजना के तहत स्वीकार्य गतिविधियों के लिए 639.38 करोड़ रुपये की राशि जारी की है, जिसमें क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण (सीबीएंडटी), सीबीएंडटी के लिए संस्थागत सुदृढ़ीकरण, ग्राम पंचायत भवन (जीपीबी), जीपीबी के लिए कंप्यूटर आदि शामिल है।
- मंत्रालय के आदेश के अनुसार, जमीनी स्तर के प्रभावी शासन के लिए पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) को मजबूत करने हेतु निर्वाचित प्रतिनिधियों, पदाधिकारियों और पंचायतों के अन्य हितधारकों की क्षमता निर्माण के लिए आरजीएसए के तहत 1 जनवरी 2024 से 12 दिसंबर 2024 के दौरान करीब 25.67 लाख प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
- आरजीएसए की योजना, ग्राम पंचायतों के बुनियादी ढांचे जैसे ग्राम पंचायत भवन (जीपीबी), सीमित पैमाने पर जीपीबी के लिए कंप्यूटर हेतु राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को सहायता भी प्रदान करती है। 2024-25 के दौरान, लगभग 7266 जीपी भवनों को मंजूरी दी गई है, जिसमें वाइब्रेंट ग्राम कार्यक्रम के तहत जीपी में जीपी भवन भी शामिल है। 2024-25 के दौरान आरजीएसए के तहत 37656 कंप्यूटरों को भी मंजूरी दी गई है।
- उत्कृष्टता संस्थानों (आईओई) के माध्यम से नेतृत्व/प्रबंधन विकास कार्यक्रम (एमडीपी)
पंचायती राज मंत्रालय ने संशोधित राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) के तहत ज़रुरी पंचायतों के प्रशिक्षण को फिर से उन्मुख करने की पहल की है और नेतृत्व/प्रबंधन विकास कार्यक्रम (एमडीपी) आयोजित करने के लिए भारतीय प्रबंधन संस्थान - अहमदाबाद (आईआईएम-ए), आईआईएम- बोधगया, आईआईएम-जम्मू, आईआईएम-अमृतसर, आईआईएम-रोहतक, आईआईएम-शिलांग, ग्रामीण प्रबंधन संस्थान-आनंद (आईआरएमए) और आईआईटी धनबाद के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। अब तक, 5 एमडीपी आयोजित किए जा चुके हैं, जिसमें लगभग 190 ईआर और पीआरआई के अधिकारियों ने भाग लिया है। आरजीएसए की योजना के तहत, राज्य/केंद्रशासित प्रदेश, पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों के लिए इस तरह के कार्यक्रम विकसित करने के लिए अपने राज्य या नजदीकी राज्यों में उत्कृष्टता संस्थानों (आईओई) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर सकते हैं।
- संकाय विकास कार्यक्रम (एफडीपी)
पीआरआई के लिए प्रशिक्षण की गुणवत्ता काफी हद तक प्रशिक्षण संस्थानों के संकायों और प्रशिक्षकों की योग्यता, दक्षता और दक्षता पर निर्भर करती है। इसलिए, जमीनी स्तर पर गुणवत्तापूर्ण सीबीएंडटी के अधिदेश को प्राप्त करने के लिए नियमित कौशल उन्नयन और संकाय सदस्यों की गुणवत्ता में वृद्धि करना काफी जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए, मंत्रालय ने विभिन्न एसआईआरडी के माध्यम से संकाय सदस्यों, मास्टर प्रशिक्षकों, एसआईआरडी और पीआर और अन्य पीआरआई प्रशिक्षण संस्थानों के विषयगत विशेषज्ञों के लिए संकाय विकास कार्यक्रम (एफडीपी) शुरू किया है। विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 220 प्रतिभागियों को शामिल करते हुए उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा और असम में 4 एफडीपी आयोजित किए गए हैं।
- vii. भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) में रिफ्रेशर प्रशिक्षण
पंचायती राज मंत्रालय ने ग्रामीण परिदृश्य को बदलने के लिए विभिन्न पहल की हैं और जमीनी स्तर पर प्रभावी ई-गवर्नेंस के लिए कई पोर्टल और एप्लिकेशन भी लॉन्च किए हैं। इसलिए, ऐसी पहलों को उपयुक्त मंच प्रदान करने हेतु, आरजीएसए/पंचायती राज विभाग के राज्य और जिला स्तर के अधिकारियों के लिए आरजीएसए के तहत भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए), नई दिल्ली में 5 दिवसीय आवासीय रिफ्रेशर प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है। अब तक, आईआईपीए में 5 ऐसे रिफ्रेशर प्रशिक्षण आयोजित किए जा चुके हैं, जिनमें विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के करीब 278 प्रतिभागियों को शामिल किया गया है।
- निर्भया फंड के तहत स्वीकृत परियोजनाएं
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के निर्भया फंड की अधिकार प्राप्त समिति ने 2 परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है, जिसका नाम है "हिंसा से मुक्ति: महिलाओं की सुरक्षा पर कानूनी प्रावधानों पर निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों का क्षमता निर्माण" और "महिलाओं की सुरक्षा”से संबंधित मुद्दों के प्रति पुरुषों का संवेदीकरण", जिनके लिए 752.26 करोड़ रुपए की राशि रखी गई है।
13. अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व
- भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने जनसंख्या और विकास आयोग (सीपीडी-57) के 57वें सत्र में ''भारत में स्थानीय शासन में महिलाएं कर रही हैं नेतृत्व'' शीर्षक से संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क में एक अतिरिक्त कार्यक्रम की सह-मेजबानी की। पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री विवेक भारद्वाज के नेतृत्व में पीआरआई की तीन निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों (ईडब्ल्यूआर) सहित 5 सदस्यीय टीम ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और भारत में गरीबी उन्मूलन और समावेशी विकास के माध्यम से, लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, पंचायती राज संस्थानों के बहुमूल्य अनुभव साझा किए।
- पंचायती राज मंत्रालय ने 19-21 नवंबर 2024 के दौरान बैंकॉक में आयोजित बीजिंग+30 समीक्षा पर एशिया प्रशांत मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया। मंत्रालय के अधिकारी के साथ गुजरात की तालुका पंचायत की एक महिला निर्वाचित प्रतिनिधि ने भी सम्मेलन में भाग लिया।
14. प्रमुख कार्यशालाएँ/लेखन-शाला/प्रशिक्षण
- थीम 7 पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला: सामाजिक रूप से न्यायसंगत और सुरक्षित पंचायत पर 10-12 सितंबर 2024 के दौरान पटना, बिहार में कार्यक्रम आयोजित किया गया। केंद्रीय पंचायती राज मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। प्रो. एस.पी. सिंह बघेल (केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री), श्री सम्राट चौधरी (बिहार के उपमुख्यमंत्री), श्री विजय कुमार सिन्हा (बिहार के उपमुख्यमंत्री), और बिहार राज्य सरकार के विभागों के मंत्रियों ने भी सत्र की शोभा बढ़ाई। राष्ट्रीय कार्यशाला में देश भर के 32 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लगभग 900 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
- पेसा और वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) पर संयुक्त प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षण सामग्री को अंतिम रूप देने के लिए 20-21 जून 2024 के दौरान राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान में जनजातीय मामलों के मंत्रालय के सहयोग से राष्ट्रीय स्तर की राइट-शॉप का आयोजन किया गया था।
- 2025-26 की पंचायत विकास योजना (पीडीपी) की तैयारी की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए, पीपुल्स प्लान कैंपेन (पीपीसी) 2024-25 (सबकी योजना सबका विकास) पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला 30 सितंबर 2024 को दिल्ली में आयोजित की गई थी। कार्यशाला में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों, अन्य मंत्रालयों, गैर सरकारी संगठनों आदि से 400 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। वर्ष 2025-26 के लिए सहभागी और अभिसरण पीडीपी तैयार करने हेतु पीपीसी की जीवंतता को बढ़ाने के लिए इस अभियान को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए विशेष प्रयास किए गए, जैसे माननीय प्रधानमंत्री का सभी पंचायत प्रतिनिधियों को एक पत्र के माध्यम से आह्वान कर एक प्रभावी पीडीपी तैयार करना। केंद्रीय पंचायती राज मंत्री और केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री, 4 राज्यों के मुख्यमंत्रियों और बिहार के पंचायती राज मंत्री ने सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने के लिए वीडियो के माध्यम से संदेश जारी किए। इसके अलावा पीपीसी दिशानिर्देश हिंदी और अंग्रेजी के साथ क्षेत्रीय भाषाओं में भी जारी किए गए।
- जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के सहयोग से पंचायती राज मंत्रालय ने 28-29 नवंबर 2024 के दौरान महाराष्ट्र पर्यावरण इंजीनियरिंग प्रशिक्षण और अनुसंधान अकादमी (एमईईटीआरए), नासिक महाराष्ट्र में जल सुरक्षा योजनाओं और जल बजटिंग पर 200 मास्टर प्रशिक्षकों के लिए प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण आयोजित किया। ये मास्टर प्रशिक्षक, जल सुरक्षा योजनाओं की तैयारी की प्रक्रिया का नेतृत्व करेंगे और ग्राम पंचायतों सहित सभी स्तरों पर कैस्केडिंग मोड में प्रशिक्षकों और विभिन्न अन्य हितधारकों को प्रशिक्षित, समर्थन और मार्गदर्शन करेंगे।
- मॉडल महिला अनुकूल ग्राम पंचायत बनाने के लिए 4-6 नवंबर 2024 के दौरान यूएनएफपीए के सहयोग से यशदा, पुणे, महाराष्ट्र में राज्य स्तरीय मास्टर प्रशिक्षकों के लिए तीन दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई थी। कार्यशाला का मकसद महिलाओं के लिए मैत्रीपूर्ण ग्राम पंचायत के विकास में पीआरआई और जिला/ब्लॉक स्तर के मास्टर प्रशिक्षकों को सलाह सहायता प्रदान करने के लिए मास्टर प्रशिक्षकों का एक कैडर बनाना है।
- सेवा वितरण कार्यशालाएँ: " आसान जीवन पर पंचायत सम्मेलन: जमीनी स्तर पर सेवा वितरण को बढ़ाना" शीर्षक से दो कार्यशालाएँ हैदराबाद और आगरा में आयोजित की गईं। इन कार्यशालाओं में 14 राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और इन कार्यशालाओं ने सेवा वितरण में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने की सुविधा प्रदान की। सत्रों में ग्रामीण प्रशासन को सुव्यवस्थित करने के लिए एनआईसी के सर्विस प्लस प्लेटफॉर्म, एआई और डिजिटल पब्लिक गुड्स (डीपीजी) सहित प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर चर्चा की गई। एनआईआरडी एंड पीआर के बेंचमार्किंग ढांचे की जानकारी ने पंचायत-स्तरीय शासन में सुधार के लिए मूल्यवान रणनीतियों को जोड़ा।
- vii. ग्राम पंचायत स्थानिक विकास योजना (जीपीएसडीपी) पर राष्ट्रीय कार्यशाला
- 22 और 23 फरवरी 2024 को भोपाल में "ग्राम पंचायत स्थानिक विकास योजना (जीपीएसडीपी) पर क्रॉस लर्निंग सह इंटरएक्टिव राष्ट्रीय कार्यशाला" आयोजित की गई थी।
- कार्यशाला के दौरान, एमओपीआर ने तैयार 34 जीपीएसडीपी पर संस्थानों, राज्यों, टी एंड सीपी विभाग और जीपी के साथ बातचीत शुरू की। कार्यशाला का उद्देश्य जीपीएसडीपी तैयार करने वाले संस्थानों, राज्यों, शहर और देश नियोजन विभाग और ग्राम पंचायतों के साथ बातचीत के माध्यम से तैयार योजनाओं के विभिन्न पहलुओं के बारे में पारस्परिक रूप से सीखना है। इससे विभिन्न मुद्दों को समझने में मदद मिली और जीपीएसडीपी के कार्यान्वयन की दिशा में केंद्रित कार्रवाई करने में और मदद मिलेगी।
पुरस्कार एवं मान्यताएं
2 अक्टूबर 2024 को विशेष ग्राम सभा-सह-उन्मुखीकरण/प्रशिक्षण कार्यक्रम: एक ऐतिहासिक पहल के तहत, भारतीय गणतंत्र के 75 वर्ष पूरे होने के हिस्से के रूप में 2 अक्टूबर 2024 को 750 ग्राम पंचायतों में विशेष ग्राम सभा सह- उन्मुखीकरण /प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें 75 वर्ष और उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को देश की यात्रा में ऐतिहासिक उपलब्धियों की गाथा बताने के लिए आमंत्रित किया गया था। उक्त ग्राम सभा में 18000 वरिष्ठ नागरिकों सहित 1.25 लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया। ग्राम सभा के दौरान इन वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानित किया गया और राष्ट्र द्वारा हासिल किए गए विकास के तमाम मील के पत्थर के पीछे की कहानियों को साझा किया गया। विशेष ग्राम सभा सह- उन्मुखीकरण/प्रशिक्षण कार्यक्रम में इंटरैक्टिव सत्र भी शामिल थे, जिनमें वरिष्ठ नागरिकों ने पहले पंचायत चुनावों से लेकर वर्तमान शासन प्रथाओं तक, पंचायतों के विकास को लेकर अपनी यादें साझा कीं। इसमें स्थानीय शासन और भविष्य में मौजूदा अंतराल, पंचायत विकास सूचकांक और ग्राम पंचायत विकास योजना पर लक्ष्य और प्रशिक्षण को लेकर चर्चा भी हुईं।
15-26 नवंबर 2024 के दौरान विशेष ग्राम सभा-सह-उन्मुखीकरण/प्रशिक्षण कार्यक्रम: महान आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर जनजातीय गौरव दिवस मनाने के लिए, पंचायती राज मंत्रालय ने 15-26 नवंबर 2024 के दौरान पर्याप्त जनजातीय आबादी वाले ग्राम पंचायतों/गांवों में विशेष ग्राम सभा-सह- उन्मुखीकरण/प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। मंत्रालय ने अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार (पीईएसए) अधिनियम और वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) पर क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण के माध्यम से ग्रामीण शासन में उनकी भूमिका को मजबूत करने के लिए आदिवासी समुदायों के साथ जुड़कर बिरसामुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित की। 27 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की 23749 ग्राम पंचायतों में विशेष ग्राम सभा-सह- उन्मुखीकरण/प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें 23 लाख से ज्यादा प्रतिभागियों को ग्राम सभा के दौरान उन्मुखीकरण /प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इसके अलावा, "एकपेड़मांके नाम" अभियान के तहत, पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम के दौरान 6 लाख पौधे लगाए गए।
15. प्रशिक्षण मॉड्यूल:
- मंत्रालय, भारतीय प्रबंधन संस्थान-अहमदाबाद के सहयोग से एक मॉड्यूल तैयार कर रहा है, ताकि पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों और अधिकारियों को आत्मनिर्भर/आत्मनिर्भर बनाने हेतु पंचायत द्वारा राजस्व का अपना स्रोत (ओएसआर) उत्पन्न करने के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जा सके।
- मंत्रालय, पंचायतों में काम करने के दौरान महिलाओं के सामने आने वाली विशिष्ट चुनौतियों पर विचार करते हुए महिला निर्वाचित प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करने हेतु एक प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार करने के लिए राज्य ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान (एसआईआरडी एंड पीआर) के साथ भी काम कर रहा है। प्रशिक्षण मॉड्यूल डिजाइन करने के लिए 28-29 नवंबर 2024 के दौरान एक लेखन कार्यशाला का आयोजन किया गया था, जो वास्तविक मुद्दों को संबोधित करते हैं और जमीनी स्तर के शासन में महिला नेतृत्व की प्रभावशीलता को बढ़ाते हैं।
16. ईग्रामस्वराज: ई-वित्तीय प्रबंधन प्रणाली
ईग्रामस्वराज, पंचायती राज के लिए एक सरलीकृत कार्य आधारित लेखांकन एप्लिकेशन, जो अब 22 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है, पीआरआई को धन के अधिक हस्तांतरण के लिए प्रेरित करके पंचायत की विश्वसनीयता बढ़ाने में सहायता करता है। ईग्रामस्वराज एप्लिकेशन में मौजूद कुछ मुख्य विशेषताएं हैं:
- वर्कफ़्लो सक्षम
- ग्राम मानचित्र जीआईएस पर संपत्तियां उपलब्ध हैं
- बहु-किरायेदारी, एक ही बार में एकाधिक किरायेदारों का समर्थन करता है
- ओपन-सोर्स प्रौद्योगिकियों पर आधारित मजबूत प्रमाणीकरण तंत्र
- ईग्रामस्वराज -पीएफएमएस एकीकरण- XVवें वित्त आयोग अनुदान के तहत पंचायतों द्वारा किए गए लेखांकन का ऑटोमेशन
- ईग्रामस्वराज -जीईएम इंटरफ़ेस-पंचायतों को जीईएम के माध्यम से मानकीकृत दरों पर वस्तुओं/सेवाओं की खरीद और ईजीएस-पीएफएमएस इंटरफ़ेस के माध्यम से निर्बाध भुगतान की सुविधा प्रदान करता है, जिससे एक पारदर्शी खरीद प्रणाली स्थापित होती है।
ई-ग्रामस्वराज (ईग्रामस्वराज-पीएफएमएस और ईजीएस-जीईएम इंटरफेस सहित) को अपनाने की वर्तमान प्रगति:
क्रियान्वयन बिंदु
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स्थिति
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पंचायत योजना
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2.54 लाख ग्राम पंचायतों ने स्वीकृत जीपीडीपी अपलोड कर दी है, 5.9 हजार से अधिक ब्लॉक पंचायतों ने स्वीकृत बीपीडीपी अपलोड कर दी है और 530 डीपीडीपी जिला पंचायतों द्वारा अपलोड कर दी गई है।
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भौतिक प्रगति
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1.46 लाख ग्राम पंचायतों ने जीपीडीपी के तहत गतिविधियों की भौतिक प्रगति की सूचना दी है
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एलजीडी कोड के अनुपालक
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सीएफसी अनुदान प्राप्त करने वाले राज्यों में 100% जीपी (टीएलबी सहित) एलजीडी के अनुरूप हैं।
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ईग्रामस्वराज- पीएफएमएस एकीकरण
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2.56 लाख ग्राम पंचायतें 2024-25 के लिए ईग्रामस्वराज पीएफएमएस से जुड़ी हैं
2024-25 में 2.39 लाख ग्राम पंचायतों ने ऑनलाइन भुगतान शुरू किया है। करीब 32,401 करोड़ रुपये का भुगतान पंचायतों द्वारा अपने संबंधित लाभार्थियों/विक्रेताओं को सफलतापूर्वक हस्तांतरित कर दिया गया है।
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2023-24 के लिए खाता बंद करना
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2023-24 के लिए, 93% ग्राम पंचायतों ने अपने वार्षिक खाते बंद कर दिए हैं।
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2024-25 के लिए खाता बंद करना
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वर्ष 2024-25 के लिए 94% ग्राम पंचायतों ने मासिक खाता बंद कर दिया है।
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17. ऑडिट ऑनलाइन
महत्वपूर्ण संस्थागत सुधार के एक हिस्से के रूप में, XV एफसी ने निर्धारित किया है, कि पंचायत खातों की लेखापरीक्षित रिपोर्ट को पात्रता मानदंड के रूप में सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराया जाना चाहिए। "ऑडिटऑनलाइन" एप्लिकेशन, केंद्रीय वित्त आयोग अनुदान से संबंधित पंचायत खातों का ऑनलाइन ऑडिट करने की सुविधा प्रदान करता है।
गतिविधि
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2019-20
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2020-21
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2021-22
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2022-23
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2023-24
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सूचीबद्ध लेखापरीक्षकों की संख्या
|
11,007
|
11,007
|
11,008
|
11,008
|
11,005
|
सूचीबद्ध ऑडिटी की संख्या
|
2,57,491
|
2,58,635
|
2,57,980
|
2,57,955
|
2,57,400
|
ग्राम पंचायतों की संख्या - तैयार की गई लेखापरीक्षा योजनाएं
|
1,43,172
|
2,41,359
|
2,58,190
|
2,58,070
|
2,09,499
|
दर्ज की गई लेखापरीक्षा टिप्पणियों की संख्या
|
12,55,187
|
22,10,009
|
24,71,125
|
26,96,240
|
9,99,765
|
सृजित लेखापरीक्षा रिपोर्टों की संख्या
|
1,29,395
|
2,23,456
|
2,56,181
|
2,52,078
|
93,877
|
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एमजी/केसी/एनएस
(Release ID: 2090544)
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