उप राष्ट्रपति सचिवालय
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उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय परिवर्तन की नींव के रूप में पंचप्रण पर जोर दिया


उपराष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्र प्रथम दृष्टिकोण ही हमारा एकमात्र दृष्टिकोण होना चाहिए

उपराष्ट्रपति ने एनसीसी कैडेटों से राष्ट्र विरोधी ताकतों से सतर्क रहने का आग्रह किया

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत अब संभावनाओं वाला राष्ट्र नहीं, बल्कि अप्रतिम रूप से उभरता हुआ राष्ट्र है

उपराष्ट्रपति ने युवाओं से 2047 तक भारत के गौरव का निर्माण करने का आह्वान किया

उपराष्ट्रपति ने एनसीसी गणतंत्र दिवस शिविर - 2025 में एनसीसी कैडेटों को संबोधित किया

Posted On: 05 JAN 2025 2:28PM by PIB Delhi

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज कहा, हमारे राष्ट्रीय परिवर्तन की नींव पांच शक्तिशाली स्तंभों अर्थात् सामाजिक सद्भाव, पारिवारिक प्रबोधन, पर्यावरण चेतना, स्वदेशी और नागरिक कर्तव्यों पर टिकी है। ये पांच संकल्प - हमारे पंच प्रण - हमारे समाज की रगो में बहते हुए एक अजय राष्ट्रवादी भावना का निर्माण करते हैं। वे हमें एक ऐसी यात्रा पर ले जाते हैं जो व्यक्तिगत जिम्मेदारी, पारंपरिक मूल्यों और पर्यावरण चेतना को सांस्कृतिक गौरव, एकता और आत्मनिर्भरता के साथ जोड़ती है।

श्री धनखड़ ने पंचप्रण का विस्तार से उल्लेख करते हुए कहा, सामाजिक समरसता जो विविधता को राष्ट्रीय एकता में परिवर्तित करती है, आवश्यक है। जमीनी स्तर पर देशभक्ति के मूल्यों का पोषण हमारे परिवारों के भीतर प्रबोधन  से शुरू होना चाहिए। परिवार वह नर्सरी है जहां ये उत्कृष्ट गुण आत्मसात किए जाते हैं। भारत माता का सम्मान करते हुए, हमें पर्यावरण की रक्षा, संरक्षण  करना चाहिए और स्थायी पर्यावरण का निर्माण भी करना चाहिए। स्वदेशी और आत्मनिर्भरता, आत्मनिर्भर भारत के प्रतीक हैं, और उन्हें सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया जाना चाहिए। अंत में, नागरिक कर्तव्यों को प्रत्येक नागरिक का प्रगति के पथ पर मार्गदर्शन करना चाहिए

दिल्ली छावनी के करिअप्पा परेड ग्राउंड में मुख्यालय, डीजी एनसीसी शिविर में आज एनसीसी गणतंत्र दिवस शिविर - 2025 के उद्घाटन के अवसर पर एनसीसी कैडेटों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने उनसे भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए राष्ट्र विरोधी ताकतों से सतर्क रहने का आह्वान किया। उन्होंने जोर देकर कहा, मातृभूमि के प्रति हमारा समर्पण दृढ़, अदम्य और अडिग होना चाहिए क्योंकि यह हमारे अस्तित्व की बुनियाद और आधार है।इसके अलावा उन्होंने पिछले एक दशक में भारत की उल्लेखनीय यात्रा को रेखांकित करते हुए कहा, चुनौतियां इसलिए उत्पन्न हो रही हैं क्योंकि देश एक ऐसे उत्थान का साक्षी बन रहा है, जिसे वैश्विक स्तर पर सराहा जा रहा है। एक ऐसा उत्थान जिससे दुनिया ईर्ष्या कर रही है और जो इस देश के हर व्यक्ति को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है।

उन्होंने एनसीसी की सराहना करते हुए कहा कि यह एक अनुशासित बल है जो मानव विकास के लिए आवश्यक गुणों को विकसित करता है। उन्होंने कहा, एनसीसी में आपकी सदस्यता एक अत्यधिक अनुशासित बल के तौर पर आपको मानव विकास के लिए महत्वपूर्ण गुणों को आत्मसात करने में सक्षम बनाती है, जो आपको बहुत लाभ देता है । यह संगठन राष्ट्रवाद और राष्ट्र-प्रथम दृष्टिकोण को मन में बिठाता है। दुनिया का कोई भी देश तब तक तरक्की नहीं कर सकता, जब तक उसके नागरिक राष्ट्रवाद के प्रति गहराई से प्रतिबद्ध न हों। राष्ट्रवाद को हमारे सभी हितों चाहे व्यक्तिगत हो या संगठनात्मक से ऊपर होना चाहिए। राष्ट्र प्रथम दृष्टिकोण ही हमारा एकमात्र दृष्टिकोण होना चाहिए, अपनी मातृभूमि के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में इन गुणों को बरकरार रखें।

भारत के परिवर्तन पर विचार करते हुए उन्होंने कहा, आप भाग्यशाली हैं कि आप ऐसे समय में रह रहे हैं , जब भारत संभावनाओं वाला राष्ट्र नहीं रह गया है, बल्कि वह अप्रतिम रूप से उभरता हुआ राष्ट्र है।उन्होंने बुनियादी ढांचे के विकास जैसे -पिछले दस वर्षों में हर साल कई हवाई अड्डों और मेट्रो प्रणालियों का निर्माण किए जाने और भारत की तकनीकी प्रगति होने के उदाहरण दिए।

उपराष्ट्रपति ने कैडेटों को 2047 तक भारत के गौरव के निर्माता बताया। आपकी पीढ़ी भारत के गौरव का निर्माण करेगी। हम ऐसे समय में रह रहे हैं जब राष्ट्रीय आशावाद प्रबल है, क्योंकि हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हैं। युवाओं के लिए अवसर बढ़ रहे हैं क्योंकि वैश्विक संस्थाएं भारत को पसंदीदा प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में स्वीकार कर रही हैं।

 श्री धनखड़ ने अपना संबोधन समाप्त करते हुए कहा , “यह बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी में समग्र विकास तंत्र और एक ऐसा इकोसिस्टम उपलब्ध कराने के माध्यम से हासिल किया गया है, जहां हर युवा दिमाग को अपनी क्षमता और प्रतिभा का दोहन करने का अवसर मिलता है। सरकार ने बहुत ज़रूरी पहल और नीतिगत फ़ैसले लिए हैं। अब हर जगह भेदभावपूर्ण व्यवस्था, योग्यता आधारित व्यवस्था में परिवर्तित हो रही है।

 इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल गुरबीरपाल सिंह, पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम, महानिदेशक, राष्ट्रीय कैडेट कोर और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

पूरा मूल पाठ यहां पढि़ए : https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2090294

 

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