जल शक्ति मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा - पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, जल शक्ति मंत्रालय
स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण-चरण II
भारत में 95% से अधिक गांवों को ओडीएफ प्लस (27 दिसंबर, 2024 तक) घोषित और भारत में 69% से अधिक गांवों को स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण के तहत ओडीएफ प्लस मॉडल के रूप में घोषित किया गया
ओडीएफ प्लस गांवों में 460% की उल्लेखनीय वृद्धि, दिसंबर 2022 में 1 लाख गांवों से दिसंबर 2024 में 5.61 लाख ओडीएफ प्लस गांवों तक पहुंच गई
Media Invitationमाननीय केंद्रीय जल शक्ति मंत्री भारत के 75वें गणतंत्र दिवस, 2024 पर 450 से अधिक महिलाओं के साथ जीवंत संवाद में शामिल हुए
17 से 2 अक्टूबर 2024 तक स्वच्छता ही सेवा अभियान में 30 करोड़ से अधिक लोगों ने सामूहिक भागीदारी की
विश्व शौचालय दिवस अभियान, हमारा शौचालय, हमारा सम्मान ने 50,500 से अधिक आयोजनों में 38 लाख से अधिक प्रतिभागियों को संगठित किया और 1.54 लाख से अधिक सामुदायिक स्वच्छता परिसरों (सीएससी) के कार्यात्मक सुधार को सुनिश्चित किया, जिसमें 70% से अधिक मौजूदा सुविधाएं शामिल हैं
Posted On:
01 JAN 2025 3:17PM by PIB Delhi
स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण का परिचय
स्वच्छ भारत मिशन - ग्रामीण (एसबीएम-जी) केंद्र प्रायोजित योजना है। इसे 2 अक्टूबर, 2014 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने शुरू किया था। इसका उद्देश्य देश के सभी ग्रामीण घरों में शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराने के जरिए 2 अक्टूबर, 2019 को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक देश को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) बनाना था। परिणामस्वरूप, अक्टूबर 2019 तक, देश भर के सभी गांवों और परिणामस्वरूप सभी 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने खुद को ओडीएफ घोषित कर दिया और ग्रामीण स्वच्छता कवरेज 2014 में 39 प्रतिशत से बढ़कर 2019 में 100 प्रतिशत हो गया।
ओडीएफ के नतीजे हासिल करने के बाद, एसबीएम (जी) के चरण- II को 2020 में आरंभ किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि व्यक्तिगत घरेलू शौचालय और उचित अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली की खोज में कोई भी पीछे न रह जाए, जिससे गांवों को ओडीएफ प्लस मॉडल बनाया जा सके।
एसबीएम-जी चरण II उद्देश्य:
एसबीएम (जी) चरण II का मुख्य उद्देश्य गांवों की ओडीएफ स्थिति को बनाए रखना और ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता के स्तर में सुधार करना है, जिससे सभी गांवों को ओडीएफ प्लस मॉडल बनाया जा सके जिसमें शामिल हैं: -
- ओडीएफ स्थिरता
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन
- तरल अपशिष्ट प्रबंधन
- दृश्य स्वच्छता
2024 की मुख्य झलकियाँ
- ओडीएफ प्लस गांवों में 460% की उल्लेखनीय वृद्धि, दिसंबर 2022 में 1 लाख गांवों से दिसंबर 2023 में 5.61 लाख ओडीएफ प्लस गांवों तक पहुंच गई।
- एसबीएम (जी) चरण II का कुल कार्यक्रम परिव्यय 1.40 लाख करोड़ रुपए से अधिक है।
24 दिसंबर, 2024 को एसबीएम-जी आईएमआईएस पोर्टल के अनुसार
- 2 अक्टूबर 2014 से 11.77 करोड़ से अधिक व्यक्तिगत घरेलू शौचालय (IHHL) और 2.49 लाख सामुदायिक स्वच्छता परिसर (CSC) का निर्माण किया गया है।
- 5,61,422 गांव ओडीएफ प्लस घोषित।
- 4,02,591 गांवों को ओडीएफ प्लस मॉडल घोषित किया गया 2,32,115 गांवों को ओडीएफ प्लस मॉडल सत्यापित घोषित किया गया
- 4,75,210 गांवों में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था है
- 5,14,102 गांवों में लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था है
- गोबरधन के तहत 990 से अधिक सामुदायिक बायोगैस संयंत्र क्रियाशील हैं
- 112876 ग्राम पंचायतों को कवर करते हुए 19,855 प्रशिक्षण आयोजित किए गए हैं। 30753 मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षित किया गया।
एसबीएम (जी) डैशबोर्ड गतिशील मंच है जिसे चिन्हित सत्यापन प्रणालियों के साथ गांवों को ओडीएफ प्लस मॉडल बनने की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। एनआईसी के सहयोग से विकसित, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा अद्यतन यह स्वच्छ, स्वस्थ भारत के लिए डेटा-संचालित निर्णय लेने को सशक्त बनाता है।
यहां क्लिक करें -
https://sbm.gov.in/sbmgdashboard/statesdashboard.aspx
- स्वच्छता ही सेवा (एसएचएस) अभियान 2024 में 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक मनाया गया। इसमें 30 करोड़ से अधिक लोगों ने भाग लिया।
- नेचर (2024) में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि भारत के एसबीएम कार्यक्रम ने देश भर में शिशु और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है - जिससे सालाना 60,000 - 70,000 शिशुओं की जान बचाई जा सकी है। अध्ययन में अर्ध-प्रायोगिक डिजाइन का उपयोग किया गया, जिससे एसबीएम के तहत शौचालय की पहुंच में वृद्धि को बाल जीवन रक्षा परिणामों में सुधार के साथ जोड़ने के मजबूत सबूत मिले।
24 दिसंबर, 2024 को ओडीएफ प्लस घोषित किए गए गांव
|
आकांक्षी
|
वृद्धिशील
|
माडॅल
|
सत्यापित
|
योग
|
1,46,767
|
12,064
|
4,02,591
|
2,32,115
|
5,61,422
|
एसबीएम (जी) के कार्यान्वयन के लिए व्यय - करोड़ रुपए में
|
वर्ष
|
उपयोग किया गया
|
2014-2015 से 2022-2023
|
25391.83
|
2023-2024
|
9726.01
|
लाइट हाउस पहल
लाइटहाउस पहल 29 जुलाई 2022 को भारत स्वच्छता गठबंधन- फिक्की (ISC- FICCI) के सहयोग से 209 गांवों को मॉडल ओडीएफ प्लस गांवों के रूप में विकसित करने के लिए शुरू की गई थी, जो 45 जिलों के 54 ब्लॉकों के 76 जीपी में फैले हुए थे, जो ओडीएफ प्लस के सभी घटकों को कवर करेंगे और लर्निंग लैब के रूप में काम करेगा। ये अन्य ब्लॉकों और गांवों को गति और पैमाने पर ओडीएफ प्लस का दर्जा हासिल करने में सक्षम बनाने के लिए मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान करेंगे। वर्ष के दौरान, एलएचआई कार्यक्रम अपने सफल चरण 1 से महत्वाकांक्षी चरण 2 में परिवर्तित हो गया। चरण I में इस कार्यक्रम में 15 राज्य एसबीएम-जी मिशनों में सात कॉर्पोरेट और एक विकास फाउंडेशन की भागीदारी देखी गई।
एलएचआई चरण 1 में, 76 जीपी में से 73 जीपी को ओडीएफ प्लस मॉडल घोषित किया गया। इन सफलताओं के आधार पर, चरण 1 से सीखों को बढ़ाने के लिए एलएचआई चरण 2 लॉन्च किया गया था। जुलाई 2024 से मार्च 2025 तक निर्धारित, चरण 2 का विस्तार 14 राज्यों में 43 ब्लॉकों तक किया जाएगा, जिसमें आठ कॉर्पोरेट शामिल होंगे। यह पहल एसएलडब्ल्यूएम के लिए सामुदायिक कार्रवाई, नवीन संचार और आउटरीच रणनीतियों और मजबूत निगरानी प्रणालियों पर केंद्रित है। एलएचआई चरण 2 में महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों (वीडब्ल्यूएससी) सहित सक्रिय सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से एसएलडब्ल्यूएम संपत्तियों के लिए स्थायी ओ एंड एम प्रथाओं की स्थापना की आशा है।
ग्रामीण वॉश पार्टनर्स फोरम - एसबीएमजी और जेजेएम
पेयजल और स्वच्छता विभाग ने एक मंच स्थापित किया है, जहां जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सेक्टर भागीदारों के साथ विकास भागीदार आगे आ सकते हैं, समर्थन कर सकते हैं और भारत सरकार और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर काम कर सकते हैं। वॉश क्षेत्र में महत्वपूर्ण विषयगत क्षेत्रों का नेतृत्व करने वाले बारह अग्रणी संगठनों को आरडब्ल्यूपीएफ थीमैटिक लीड पार्टनर्स के रूप में नामित किया गया है।
इन वर्ष में, भागीदारों ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 8 सेमिनार आयोजित करने और लगभग 65 क्षमता निर्माण सत्रों की सुविधा प्रदान करने और राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्तर पर 6 मूल्यांकन अध्ययनों का नेतृत्व करने में सहायता की। आरडब्ल्यूपीएफ पार्टनर्स ने डीडीडब्ल्यूएस के एसपीएम निवास में 32 प्रशिक्षण सत्रों को सुविधाजनक बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई, जिसमें पूरे भारत के प्रतिभागियों ने भाग लिया। आरडब्ल्यूपीएफ भागीदारों ने ग्रामीण वॉश के लिए आगे बढ़ने के रास्ते पर अपने मूल्यवान विचारों और सुझावों को साझा करते हुए राष्ट्रीय परामर्शी चर्चाओं में भाग लिया।
भारत के 75वें गणतंत्र दिवस पर महिला चेंजमेकर्स का विशेष अतिथि के रूप में उत्सव मनाना
भारत के 75वें गणतंत्र दिवस पर, डीडीडब्ल्यूएस-एसबीएम-जी ने ग्रामीण स्वच्छता में परिवर्तन लाने वाली महिलाओं के अमूल्य योगदान का उत्सव मनाते हुए दो दिवसीय कार्यक्रम की मेजबानी की। पहला उत्सव 25 जनवरी, 2024 को भारत मंडपम, प्रगति मैदान में आयोजित किया गया जो मात्र एक सभा से कहीं अधिक था - यह स्वच्छ, स्वस्थ भारत को आकार देने में महिलाओं की भूमिका को पहचानने और बढ़ाने में मील का पत्थर था। इस कार्यक्रम में 27 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की 475 से अधिक महिलाएं माननीय केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और माननीय जल शक्ति राज्य मंत्री के साथ जीवंत संवाद में शामिल हुईं। यह आयोजन न केवल उत्सव मनाने के लिए बल्कि सार्थक नीतिगत चर्चाओं के लिए मंच था क्योंकि बातचीत परिवर्तन लाने वाली महिलाओं की उपलब्धियों का उत्सव मनाने, स्वच्छता क्षेत्र में उनके निरंतर प्रयासों की सराहना करने और व्यावहारिक आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करने पर केंद्रित थी जो भविष्य की नीति दिशाओं को प्रभावित कर सकती थी।
भारत पर्व पर प्रदर्शनी
2024 गणतंत्र दिवस समारोह के हिस्से के रूप में, डीडीडब्ल्यूएस-एसबीएमजी ने 26 से 31 जनवरी 2024 तक दिल्ली के लाल किले के सामने लॉन और ज्ञान पथ में पर्यटन मंत्रालय द्वारा आयोजित छह दिवसीय मेगा कार्यक्रम भारत पर्व में भाग लिया। डीओडब्ल्यूएस पैगोडा ने एसबीएम चरण I और II की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया और उनके प्रयासों का सम्मान और सराहना करने के उद्देश्य से सफाई कर्मचारियों द्वारा इसका उद्घाटन किया गया।
स्वच्छता ग्रीन लीफ रेटिंग
डीडीडब्ल्यूएस-एसबीएमजी ने पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से देश में सभी आतिथ्य सुविधाओं के लिए 'स्वच्छता ग्रीन लीफ रेटिंग सिस्टम' (एसजीएलआर) शुरू किया। एसजीएलआर प्रणाली आतिथ्य मालिकों को अपनी सुविधाओं को एसजीएलआर के अनुरूप बनाने के लिए स्वच्छता के लिए बेहतर प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है ताकि 1 पत्ती से 5 पत्ती तक स्वच्छता ग्रीन रेटिंग हासिल की जा सके। यह कार्यक्रम पर्यटकों के लिए विश्व स्तरीय साफ सफाई और स्वच्छता सुविधाएं प्रदान करने पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के बल के अनुरूप है, जो स्वच्छ और अधिक टिकाऊ पर्यटन प्रथाओं की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम के मध्य में स्थित बाइसन रिसॉर्ट्स, मधाई, पहला पांच स्वच्छता ग्रीन लीफ रेटिंग सर्टिफिकेट ऑफ रिकॉग्निशन प्राप्त करने में अग्रणी था। एसजीएलआर पर्यटकों और व्यवसायों दोनों को प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। एसजीएलआर कार्यक्रम का उद्देश्य आर्थिक रूप से व्यवहार्य, जिम्मेदार और लचीला पर्यटन उद्योग विकसित करना है। आज तक, 1682 आतिथ्य सुविधाओं को एसजीएलआर रेटिंग दी गई है।
जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन (जी) पर राष्ट्रीय सम्मेलन:
एसबीएम-जी और जेजेएम पर राष्ट्रीय सम्मेलन 16-17 फरवरी 2024 के दौरान उत्तर प्रदेश के लखनऊ में आयोजित किया गया। इसमें राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के विभिन्न हितधारकों को एक मंच पर लाया गया और इसमें माननीय केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, माननीय कैबिनेट मंत्री जल शक्ति, उत्तर प्रदेश, माननीय सांसद, गोरखपुर के साथ-साथ सचिव - कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, भारत सरकार, और सचिव - डीडीडब्ल्यूएस सहित अन्य प्रतिष्ठित लोगों की विशिष्ट उपस्थिति रही। इस कार्यक्रम में संचालन और रखरखाव, नवाचार, सहयोग और स्थिरता के महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया। सम्मेलन ने देश भर में लागू सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रदर्शन करते हुए, पहचाने गए विषयगत क्षेत्रों पर विस्तृत प्रस्तुतियों के माध्यम से क्रॉस-लर्निंग के लिए अनूठा मंच प्रदान किया।
सम्मेलन में पाँच पुस्तकों का विमोचन हुआ -
1. जल जीवन मिशन व्यवहारिक सर्वोत्तम प्रथाओं का सार-संग्रह
2. व्यवहार परिवर्तन संचार रणनीति
3. स्वच्छता क्रॉनिकल्स: ट्रांसफॉर्मेटिव टेल्स फ्रॉम इंडिया- वॉल्यूम द्वितीय
4. 'स्वच्छता ग्रीन लीफ रेटिंग (एसजीएलआर)' प्रणाली
5. तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एलडब्ल्यूएम) प्रौद्योगिकियों पर सार-संग्रह
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने जल जीवन मिशन के गतिशील डैशबोर्ड पर 'सिटीजन कॉर्नर' भी लॉन्च किया। 'सिटीज़न कॉर्नर' आसान इंटरफ़ेस वाला वन-स्टॉप समाधान है जिसमें एक बटन के क्लिक पर गांव की पानी की गुणवत्ता और अन्य सभी जल आपूर्ति की जानकारी के वास्तविक समय के विवरण शामिल हैं और पानी की गुणवत्ता और नागरिकों के हाथों में आपूर्ति को प्रबंधित करने की क्षमता रखता है।
सिटीजन कॉर्नर का शुभारंभ
https://ejalpower.gov.in/jjm/citizen_corner/villageinformation.aspx
स्वच्छ गांव, शुद्ध जल-बेहतर कल अभियान
डीडीडब्ल्यूएस ने राष्ट्रीय डायरिया रोको अभियान के साथ हाथ मिलाया और गांव एवं पंचायत स्तर पर सुरक्षित पानी एवं स्वच्छता प्रथाओं के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 1 जुलाई 2024 से 2 महीने का जागरूकता अभियान, 'स्वच्छ गांव, शुद्ध जल - बेहतर कल' शुरू किया। इस अभियान का प्राथमिक उद्देश्य संपूर्ण स्वस्थ और स्वच्छ भारत की दिशा में भारत के सभी गांवों में खुले में शौच मुक्त प्लस मॉडल का दर्जा बनाए रखने और प्राप्त करने की वकालत करके दस्त के कारण बच्चों की मृत्यु दर को कम करने और ग्रामीण भारत में समग्र सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार लाने के राष्ट्रीय डायरिया रोको अभियान के लक्ष्य में योगदान देना था।
भारत जल सप्ताह 2024 और अंतरराष्ट्रीय वॉश सम्मेलन
डीडीडब्ल्यूएस ने नई दिल्ली में 17-19 सितंबर 2024 के बीच आयोजित 8वें भारत जल सप्ताह के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय वॉश (जल, स्वच्छता और हाइजीन) सम्मेलन का आयोजन किया। तीन दिवसीय सभा, 'सतत ग्रामीण जल आपूर्ति' विषय पर केंद्रित थी, और सतत विकास लक्ष्य 6 (एसडीजी 6) को प्राप्त करने पर विशेष ध्यान देने के साथ, वैश्विक वॉश चुनौतियों को दूर करने के उद्देश्य से ज्ञान के आदान-प्रदान, नवाचारों को प्रदर्शित करने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए एक मंच की पेशकश की।
आईडब्ल्यूडब्ल्यू के एक भाग के रूप में अंतरराष्ट्रीय वॉश सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें 40 से अधिक सत्र (ऑफ़लाइन और ऑनलाइन), 143 ऑफ़लाइन पेपर प्रस्तुतियाँ, 43 ऑनलाइन पेपर प्रस्तुतियाँ और 5 पैनल चर्चाएँ शामिल थीं। इसमें पानी की गुणवत्ता, ग्रेवाटर प्रबंधन, सामुदायिक जुड़ाव, सूचना, शिक्षा और व्यवहार परिवर्तन संचार (आईईसी/बीसीसी) पहल, और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, अन्य जैसे विषयों की विस्तृत श्रृंखला की खोज की गई। राष्ट्रीय सुरक्षित पानी संवाद और डिजिटल पानी अवसंरचना कुछ महत्वपूर्ण सत्र रहे।
स्वच्छता ही सेवा 2024: (17 सितंबर- 2 अक्टूबर)
डीडीडब्ल्यूएस-एसबीएमजी ने स्वच्छता ही सेवा (एसएचएस) 2024 अभियान मनाया, जो 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलाया गया। उसका समापन स्वच्छ भारत दिवस पर हुआ। समारोह की शुरुआत 13 सितंबर को कर्टेन रेजर कार्यक्रम के साथ की गई। 2024 महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ क्योंकि एसबीएम अपनी दसवीं वर्षगांठ मना रहा है और स्वच्छता ही सेवा अभियान अपने 7वें वर्ष में पहुंच गया है। एसएचएस 2024 की थीम, "स्वभाव स्वच्छता, संस्कार स्वच्छता", पूरे भारत में स्वच्छता प्रयासों में सामूहिक कार्रवाई और नागरिक भागीदारी की भावना को फिर से जगाने के लिए डिज़ाइन की गई थी, जो 'संपूर्ण समाज' दृष्टिकोण कार्यकर्ताओं पर जोर देने वाले तीन प्रमुख स्तंभों पर आधारित है।
एसएचएस के एक भाग के रूप में, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, श्री सी.आर. पाटिल ने विभाग के तहत विभिन्न स्वच्छता और जल संरक्षण पहलों की प्रगति और कार्यान्वयन का निरीक्षण करने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ और ओडिशा का दौरा किया। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने 1 अक्टूबर, 2024 को स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) की 10वीं वर्षगांठ समारोह की पूर्व संध्या पर कर्टेन रेजर कार्यक्रम के माध्यम से मीडिया को संबोधित किया।
एसएचएस 2024 में माननीय राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के साथ-साथ 42 केंद्रीय मंत्रियों, 10 राज्यपालों, 20 मुख्यमंत्रियों, 149 से अधिक सांसदों, 18 राज्य मंत्रियों और 933 से अधिक एमएलए/एमएलसी ने भाग लिया। 1 अक्टूबर तक 30 करोड़ से अधिक लोगों की भागीदारी के साथ 30.68 लाख से अधिक कार्यक्रमों की योजना बनाई गई थी। इसके अलावा, 11 हजार से अधिक साइक्लोथॉन, 16 हजार स्वच्छ फूड स्ट्रीट, 79 हजार से अधिक स्वच्छ भारत सांस्कृतिक उत्सव और एक पेड़ मां के नाम के तहत 71 लाख से अधिक पौधे लगाए गए।
स्वच्छ भारत दिवस (2 अक्टूबर)
एसबीएम के 10 वर्ष पूरे होने के अवसर पर, माननीय प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित स्वच्छ भारत दिवस (एसबीडी) 2024 में भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान, माननीय प्रधानमंत्री ने स्वच्छता और साफ-सफाई से संबंधित कई परियोजनाओं और गोबरधन योजना के तहत संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र परियोजनाओं की स्थापना की आधारशिला रखी।
इस कार्यक्रम में भारत की दशक भर की स्वच्छता उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया और स्थानीय सरकारी निकायों, महिला समूहों, युवा संगठनों और सामुदायिक नेताओं की भागीदारी देखी गई। एसएचएस में 170 से अधिक मशहूर हस्तियों/इन्फ्लुएंसर्स द्वारा ऑनलाइन सामग्री प्रकाशित करने के साथ सेलिब्रिटी की भागीदारी देखी गई।
हैशटैग #10YearsOfSwachhभारत, #SBD2024, और #SHS2024 भारत में एक्स प्लेटफॉर्म पर सुबह 9:15 बजे ट्रेंड कर रहा था और 5 घंटे से अधिक समय तक ट्रेंडिंग सूची में बना रहा। इस अभियान अवधि के दौरान, राज्य और राष्ट्रीय चैनलों पर मीडिया में 2000 से अधिक लेख प्रकाशित किए गए।
वॉश के लिए राष्ट्रीय विज़निंग कार्यशाला
डीडीडब्ल्यूएस ने 28 अक्टूबर को विज़निंग कार्यशाला की मेजबानी की। इसमें उपलब्धियों का आकलन करने और जल, स्वच्छता और हाइजीन (डब्ल्यूएएसएच) में स्थायी सामुदायिक भागीदारी के लिए पाठ्यक्रम निर्धारित करने के लिए विशेषज्ञों और नेताओं को एक साथ लाया गया। इस कार्यशाला में भविष्य के लिए रणनीतियों को परिष्कृत करते हुए प्रगति का आकलन करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसमें प्रभावी सामुदायिक भागीदारी पर जोर दिया गया। इसमें प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों और डीडीडब्ल्यूएस के वरिष्ठ अधिकारियों और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों की भागीदारी देखी गई।
हमारा शौचालय: हमारा सम्मान
डीडीडब्ल्यूएस-एसबीएमजी ने 19 नवंबर विश्व शौचालय दिवस को राष्ट्रव्यापी अभियान "हमारा शौचालय: हमारा सम्मान" (एचएसएचएस) शुरू किया जिसका समापन 10 दिसंबर, 2024 को मानवाधिकार दिवस पर हुआ। इसमें स्वच्छता, मानवाधिकार और गरिमा के बीच महत्वपूर्ण संबंध पर जोर दिया गया। यह अभियान स्वच्छ, स्वस्थ समुदायों के लिए व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देते हुए खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) स्थिति को बनाए रखने की भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। एचएसएचएस अभियान ने एसबीएम कार्यक्रम में किए जा रहे प्रयासों को बनाए रखने और आगे बढ़ाने के लिए समय पर कार्रवाई का आह्वान किया। कमजोर समूहों, विशेषकर महिलाओं और लड़कियों पर विशेष ध्यान देने के साथ, यह पहल बल देती है कि शौचालय बुनियादी ढांचे से कहीं अधिक हैं, वे गरिमा, समानता और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए मूलभूत जरूरत हैं, जो अभियान की टैगलाइन "शौचालय संवारें, जीवन निखारें" के अनुरूप है। 3-सप्ताह के कार्यक्रम के दौरान, एचएसएचएस अभियान ने देश भर में 50,500 से अधिक कार्यक्रमों के माध्यम से 38 लाख से अधिक प्रतिभागियों को संगठित किया। इस अभियान ने महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं, जिनमें 1.54 लाख से अधिक सामुदायिक स्वच्छता परिसरों (सीएससी) का मूल्यांकन और कार्यात्मक सुधार, 70 प्रतिशत से अधिक मौजूदा सुविधाओं को शामिल करना, 3.35 लाख से अधिक आईएचएचएस को मंजूरी देना और 600 से अधिक डीडब्ल्यूएसएम बैठकों का आयोजन शामिल है।
एसपीएम निवास - वॉश उत्कृष्टता केंद्र (एसबीएम और जेजेएम)
डीडीडब्ल्यूएस का एसपीएम निवास, कोलकाता एसबीएमजी और जेजेएम के तहत प्रमुख उत्कृष्टता केंद्र बनने के लिए प्रतिबद्ध है। एसपीएम निवास को छात्रों, पेशेवरों और वॉश (जल, स्वच्छता और स्वच्छता) चिकित्सकों के लिए अग्रणी ज्ञान केंद्र के रूप में स्थापित करने और स्वच्छता एवं जल प्रबंधन के लिए स्केलेबल, प्रभावशाली समाधान चलाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस वर्ष के दौरान, एसबीएमजी वर्टिकल पर लगभग 40 प्रशिक्षण आयोजित किए गए हैं जिनमें राष्ट्रीय, राज्य और जिला टीमों ने भागीदारी की।
जेजेएम के तहत, 92 दिनों के दौरान 35 प्रशिक्षण आयोजित किए गए हैं, जिनमें 1600 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए हैं।
मंत्री समीक्षाएँ: वर्ष के दौरान, माननीय जल शक्ति मंत्री द्वारा विभिन्न राज्यों की एसबीएमजी कार्यक्रम समीक्षाएँ की गईं।
इन राज्यों में सभी पूर्वोत्तर राज्य, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार शामिल थे।
ये समीक्षाएँ ग्रामीण स्वच्छता को आगे बढ़ाने और स्वच्छ और स्वस्थ भारत की दिशा में समुदायों को सशक्त बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती हैं।
स्वच्छता समाचार
मासिक एसबीएम-जी न्यूज़लेटर "स्वच्छता समाचार" अगस्त 2022 में आरंभ किया गया। 2024 में, 12 न्यूज़लेटर प्रकाशित किए गए, और ये प्रकाशन व्यापक भंडार हैं, जो राज्य और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर विभिन्न पहलों, परियोजनाओं और उपलब्धियों के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। इनमें राज्य और जिले की सर्वोत्तम प्रथाओं, नवाचारों, नीति अद्यतन और घटनाओं का विवरण शामिल है। अक्टूबर में, 2 खंड विकसित किए गए थे।
न्यूज़लेटर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:-
https://swachhभारतmission.ddws.gov.in/swachtha-samachar
गोवर्धन
गोबरधन एसबीएम-जी चरण II की महत्वपूर्ण पहल है। इसका उद्देश्य पशु अपशिष्ट, कृषि-अवशेष सहित जैव-अपशिष्ट को जैव-स्लरी और बायोगैस में परिवर्तित करके धन और ऊर्जा उत्पन्न करना, मीथेन गैस के उत्सर्जन को कम करना और परिपत्र अर्थव्यवस्था में योगदान देना है जिससे ग्रामीण समुदायों के जीवन में सुधार हो। इस पहल में विभिन्न हितधारक विभाग/मंत्रालय शामिल हैं जो बायोगैस/संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) क्षेत्र के लिए सक्षम वातावरण प्रदान करते हैं।
वर्ष के दौरान, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सी.आर. पाटिल ने गोबरधन पहल की प्रगति की समीक्षा करने के लिए सीबीजी ऑपरेटरों के साथ संवाद का नेतृत्व किया और क्षेत्र के प्रमुख हितधारक मंत्रालयों/विभागों के साथ समीक्षा और बातचीत सुनिश्चित की।
आज तक, 1,406 बायोगैस संयंत्र पंजीकृत किए गए हैं, जिनमें से 990 से अधिक सामुदायिक/क्लस्टर स्तर के बायोगैस संयंत्र क्रियाशील हैं। इसी प्रकार, 806 सीबीजी संयंत्र पंजीकृत किए गए हैं, जिनमें से 114 संयंत्र क्रियाशील हैं।
एसबीएम (जी) चरण- II के तहत कार्यक्रम वित्त पोषण
एसबीएम (जी) के तहत, बीपीएल परिवार के पात्र परिवारों और गरीबी रेखा से ऊपर (एपीएल) वाले परिवारों (एससी/एसटी, छोटे और सीमांत किसान, वासभूमि वाले भूमिहीन मजदूर, शारीरिक रूप से दिव्यांग, और महिला मुखिया वाले घर)] को व्यक्तिगत घरेलू शौचालय (आईएचएचएल) के निर्माण के लिए 12000 रुपए का प्रोत्साहन उपलब्ध कराया जाता है। राज्यों के पास अतिरिक्त राज्य हिस्सेदारी प्रदान करके उच्च प्रोत्साहन राशि प्रदान करने की लचीलापन है। इस कार्यक्रम के तहत, ग्राम पंचायतों को सामुदायिक स्वच्छता परिसरों (सीएससी) के निर्माण और गांवों में एसएलडब्ल्यूएम के लिए संपत्ति के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
केंद्र और राज्यों के बीच निधि साझाकरण अनुपात इस प्रकार है:
- 8 उत्तर पूर्वी राज्यों और 3 हिमालयी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू - कश्मीर के लिए 90:10
- अन्य राज्यों के लिए 60:40, अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के लिए, 100% हिस्सा केंद्र द्वारा वहन किया जाता है
एसबीएम(जी) चरण-II घटक:
• किसी भी छूटे हुए या नए उभरे घरों के लिए आईएचएचएल का निर्माण
• गांवों में आवश्यकता के आधार पर सीएससी का निर्माण
• एसएलडब्ल्यूएम - जैविक अपशिष्ट प्रबंधन, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन, गंदा पानी प्रबंधन और मल कीचड़ प्रबंधन सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) और क्षमता निर्माण
स्वच्छता राज्य का विषय है क्योंकि कार्यक्रम राज्य सरकार के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है। भारत सरकार राज्यों को कार्यक्रम दिशानिर्देश, सलाह और सहायता अनुदान जारी करके गांवों में समग्र स्वच्छता में सुधार के प्रयासों को पूरा करने के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करती है। कार्यक्रम को वित्तपोषण के विभिन्न क्षेत्रों और भारत सरकार और राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाओं के बीच अभिसरण के श्रेष्ठ मॉडल के रूप में डिज़ाइन किया गया है। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा एसबीएम (जी) के लिए बजटीय प्रावधानों के माध्यम से उपलब्ध कराए जा रहे धन के अलावा, 15वें वित्त आयोग के अनुदान से ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी), मनरेगा और राजस्व सृजन मॉडल आदि, विशेष रूप से ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए के लिए धन का उपयोग किया जाना है।
जल जीवन मिशन
मुख्य विशेषताएं 2024
जल जीवन मिशन ने 5 जनवरी 2024 तक 14 करोड़ (72.71%) ग्रामीण परिवारों को नल जल कनेक्शन प्रदान करने का महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार कर लिया है।
जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन (जी) पर राष्ट्रीय सम्मेलन 16-17 फरवरी 2024 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में आयोजित किया गया था।
विचार-विमर्श के प्रमुख विषयों में नवाचार, सहयोग, स्थिरता, ओ एंड एम शामिल हैं।
जल जीवन मिशन और 'सिटीजन कॉर्नर' के लिए व्यवहारिक सर्वोत्तम प्रथाओं, एकीकृत संचार रणनीति के संग्रह का शुभारंभ।
जल जीवन मिशन ने 23 जुलाई 2024 को 5 वर्ष की छोटी सी अवधि में, केवल 3 करोड़ से 15 करोड़ ग्रामीण नल कनेक्शन का ऐतिहासिक मील का पत्थर हासिल किया।
5 अगस्त 2024 तक पिछले 5 वर्षों में आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है।
जल उत्सव अभियान - नीति आयोग और डीडीडब्ल्यूएस की पहल
यह अभियान 6 नवंबर से 20 दिसंबर 2024 तक 20 आकांक्षी जिलों/ब्लॉकों में चलाया गया।
जल जीवन मिशन का परिचय: भारत सरकार द्वारा अगस्त 2019 में शुरू किया गया जल जीवन मिशन, सभी ग्रामीण परिवारों को सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराने के लिए समर्पित परिवर्तनकारी पहल है। पिछले पांच वर्ष में, इस मिशन ने महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है, इसने 15.30 करोड़ घरों में नल जल कनेक्शन पहुंचाया है और ग्रामीण समुदायों पर गहरा प्रभाव डाला है।
मूल रूप में, जल जीवन मिशन स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी को प्राथमिकता देते हुए विकेंद्रीकृत और समुदाय-संचालित मॉडल पर काम करता है। योजना, कार्यान्वयन और रखरखाव में सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करके, मिशन न केवल जल आपूर्ति प्रणालियों की स्थिरता सुनिश्चित करता है बल्कि ग्रामीण जनता के बीच स्वामित्व और सशक्तिकरण की भावना भी पैदा करता है।
जल जीवन मिशन के लिए धन आवंटन
'हर घर जल' कार्यक्रम के तहत जल जीवन मिशन का अनुमानित परिव्यय 2019-2024 तक पांच साल की अवधि के लिए 3.6 लाख करोड़ रुपए है। 15वें वित्त आयोग ने जल आपूर्ति और स्वच्छता को राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में पहचाना है और 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए ग्रामीण स्थानीय निकायों/पंचायत राज संस्थानों (आरएलबी/पीआरआई) को 2.36 लाख करोड़ रुपए की धनराशि आवंटित की है। तदनुसार, फंड का 60%, यानी 1.42 लाख करोड़ रुपए विशेष रूप से पेयजल, वर्षा जल संचयन और खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) गांव की स्वच्छता और रखरखाव के लिए निर्धारित अनुदान के रूप में प्रदान किए गए। देश भर के ग्रामीण इलाकों में इस बड़े निवेश से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ रही है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल रहा है, साथ ही गांवों में रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए प्रगतिशील कदम है कि गांवों को 'वॉश प्रबुद्ध' गांवों में बदलने के लिए बेहतर स्वच्छता के साथ पीने योग्य पानी की आपूर्ति हो।
2024-25 में अब तक भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए 25 पात्र राज्यों को 21,825.23 करोड़ रुपए जारी किए हैं।
उपलब्ध केंद्रीय निधि के उपयोग और राज्य के हिस्से के मिलान के आधार पर भारत सरकार केंद्रीय निधि जारी करती है। ऑनलाइन निगरानी के लिए एकीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली (आईएमआईएस) और जेजेएम-डैशबोर्ड स्थापित किया गया है। सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के माध्यम से पारदर्शी ऑनलाइन वित्तीय प्रबंधन का भी प्रावधान किया गया है।
जेजेएम के तहत वर्ष 2019-20, 2020-21, 2021-22, 2022-23, 2023-24 और 2024-25 में आवंटित केंद्रीय धनराशि, निकाली गई धनराशि और रिपोर्ट की गई धनराशि का विवरण इस प्रकार है:
(राशि करोड़ रुपए में)
वर्ष
|
केंद्रीय
|
राज्यांश के अंतर्गत उपयोग
|
प्रारंभिक शेष
|
निधि आवंटित
|
राज्य/संघ राज्य क्षेत्र द्वारा आहरित निधि
|
रिपोर्ट किया गया उपयोग
|
2019-20
|
2,436.37
|
11,139.21
|
9,951.81
|
5,983.49
|
4,090.79
|
2020-21
|
6,447.36
|
23,033.02
|
10,917.86
|
12,544.51
|
7,905.45
|
2021-22
|
4,825.92
|
92,308.77
|
40,009.77
|
25,325.67
|
18,226.18
|
2022-23
|
19,510.05
|
100,789.77
|
54,742.30
|
50,663.23
|
40,132.64
|
2023-24
|
23,589.16
|
132,936.83
|
69,885.01
|
82,262.10
|
69,124.84
|
2024-25
|
11,212.02
|
69,926.68
|
21,825.23
|
25,689.23
|
25,617.56
|
हर घर जल प्रमाणीकरण
एक बार जब किसी गांव को हर घर जल घोषित कर दिया जाता है, तो उस गांव की ग्राम पंचायत विशेष ग्राम सभा आयोजित करती है और गांव के सभी सदस्यों की सहमति से प्रस्ताव पारित करती है कि उनके गांव के सभी घर, स्कूल, आंगनवाड़ी और सार्वजनिक संस्थानों में काम करने वाले नल जल कनेक्शन हैं और इस प्रकार वे स्वयं को 'हर घर जल प्रमाणित' घोषित करते हैं। 26 दिसंबर 2024 तक, 101 जिले, 869 ब्लॉक, 78,291 पंचायतें और 1,50,190 गांव 'हर घर जल' प्रमाणित हैं, यानी सभी घरों में नल के पानी का कनेक्शन है।
स्रोत: https://ejalshakti.gov.in/jjmreport/JJMIndia.aspx
26 दिसंबर 2024 तक
जेई-एईएस प्रभावित जिलों में पीने योग्य नल के पानी की कवरेज
भारत सरकार जल जीवन मिशन के तहत सभी घरों में पीने योग्य नल के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जापानी एन्सेफलाइटिस (जेई)-एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) प्रभावित जिलों को प्राथमिकता देती है। 5 राज्यों के जेई/एईएस से प्रभावित 61 जिलों में, नल जल कनेक्शन 8 लाख (2.70%) से बढ़कर 2.40 करोड़ (81.02%) घरों तक पहुंच गया, जिसके परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों की ग्रामीण आबादी के स्वास्थ्य प्रोफ़ाइल में सुधार हुआ। (26 दिसंबर 2024 तक)
आकांक्षी जिलों में पीने योग्य नल के पानी का कवरेज
देश में 112 आकांक्षी जिले हैं, जिनमें से 15 जिलों ने अपने ग्रामीण घरों में 100% नल जल कनेक्शन प्रदान किया है। आज आकांक्षी जिलों के कुल 2.74 करोड़ घरों में से 2.15 करोड़ घरों (78.22%) को नल से पानी मिल रहा है, जो लॉन्च के समय केवल 21.38 लाख (7.78%) था। (26 दिसंबर 2024 तक)
जल गुणवत्ता निगरानी और निगरानी की स्थिति
जल की गुणवत्ता सुनिश्चित करना जल जीवन मिशन का मुख्य उद्देश्य है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपूर्ति किया गया पानी पर्याप्त गुणवत्ता का है, यह कार्यक्रम स्रोत और वितरण बिंदुओं पर पानी के नमूनों के नियमित परीक्षण को बढ़ावा देता है। देश में कुल 2,161 जल परीक्षण प्रयोगशालाएँ हैं। इनमें से 1,569 एनएबीएल से मान्यता प्राप्त हैं। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएं अब नाममात्र दरों पर पानी के नमूनों के परीक्षण के लिए जनता के लिए खुली हैं। 2024-25 में आज तक प्रयोगशालाओं में पानी के 56 लाख से अधिक नमूनों का परीक्षण किया जा चुका है।
महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए, प्रत्येक गांव में कम से कम पांच महिलाओं को ग्रामीण स्तर पर पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। अब तक 5.07 लाख गांवों में 24.79 लाख से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 26 दिसंबर 2024 तक फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करके पानी के 79 लाख से अधिक नमूनों का परीक्षण किया गया है।
स्रोत: जेजएम-आईएमआईएस
जल जीवन संवाद - मासिक समाचार पत्र
अक्टूबर 2020 में लॉन्च किया गया जल जीवन संवाद, जेजेएम के लिए संचार की आधारशिला बन गया है। हर महीने, न्यूज़लेटर एक अद्वितीय विषय को अपनाता है, जो इसके पृष्ठों के भीतर साझा की जाने वाली कहानियों, लेखों और अंतर्दृष्टि के लिए केंद्र बिंदु के रूप में कार्य करता है। इसका विषयगत दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता है कि समाचार पत्र न केवल प्रगति को प्रदर्शित करता है बल्कि जेजेएम के विशिष्ट पहलुओं में भी गहराई से उतरता है, जिससे पाठकों को मिशन की बहुमुखी यात्रा पर अच्छी तरह से परिप्रेक्ष्य मिलता है।
विषयों को महत्वपूर्ण मुद्दों, मौसमी संदर्भों, या महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समारोहों के साथ संरेखित करने के लिए सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है। ये विषय जमीनी स्तर की कहानियों और लेखों के संग्रह का मार्गदर्शन करते हैं, राज्यों और जिलों से सफलता की कहानियों, नवीन प्रथाओं और समुदाय-संचालित पहलों पर प्रकाश डालते हैं।
प्रत्येक संस्करण जमीनी स्तर की वास्तविक कहानियों के लिए मंच प्रदान करता है। यह उन लोगों की आवाज़ प्रस्तुत करता है जिन्हें जेजेएम से सीधे लाभ हुआ है। व्यक्तिगत घरों में स्वच्छ पेयजल की पहुंच से लेकर हर घर जल प्रमाणन प्राप्त करने वाले गांवों तक, ये कहानियां मिशन के परिवर्तनकारी प्रभाव को रेखांकित करती हैं।
विषयगत कहानियों से परे, न्यूज़लेटर महीने की प्रमुख घटनाओं, समाचारों और अपडेट के भंडार के रूप में कार्य करता है। यह जेजेएम के तहत हासिल किए गए महत्वपूर्ण मील के पत्थर, नीति विकास और बैठकों, कार्यशालाओं और प्रशिक्षण सत्रों के परिणामों का विवरण देता है।
यह न्यूज़लेटर जनता के लिए निशुल्क रूप से उपलब्ध है और इसे ऑनलाइन पढ़ा जा सकता है, जिससे यह ज्ञान और उपलब्धियों को साझा करने के लिए पारदर्शी और समावेशी माध्यम बन गया है। अब तक कुल 50 समाचार पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।
जल जीवन संवाद तक पहुंचने के लिए लिंक:
https://jarjeevanmission.gov.in/jar-jeevan-samvad
पेयजल आपूर्ति और जल गुणवत्ता के लिए प्रौद्योगिकियों का उपयोग
जल जीवन मिशन निम्नलिखित के समुदाय आधारित कार्यान्वयन के लिए विविध प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करता है - (i) जल आपूर्ति प्रणाली के जीवनकाल में सुधार के लिए जलभृत पुनर्भरण, वर्षा जल संचयन, जल निकायों, जलाशयों की भंडारण क्षमता में वृद्धि, गाद निकालने आदि जैसे स्रोत स्थिरता उपायों के समुदाय के नेतृत्व वाले कार्यान्वयन के लिए विभिन्न प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करता है (ii) जल बजटिंग और ऑडिट (iii) संचालन और रखरखाव (iv) धूसर जल प्रबंधन (v) जल गुणवत्ता निगरानी और सर्विलांस (vi) शिविरों में संक्रमणकालीन सेवाएं प्रदान करने के लिए पहले से तैनात आपातकालीन जल आपूर्ति किट (vii) सौर आधारित जल आपूर्ति योजनाओं का उपयोग करना सौर ऊर्जा कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के उद्देश्य से उठाए गए कदम (viii) जल लेखांकन, जल गुणवत्ता नियंत्रण, जल उपयोग दक्षता, जल संसाधन योजना और प्रभाव मूल्यांकन के माध्यम से जलवायु लचीलापन बनाने में एससीएडीए, रिमोट सेंसिंग और जीआईएस, डिजाइन सॉफ्टवेयर के लिए आईओटी जैसी तकनीकों का उपयोग किया गया है। ग्रामीण भारत में जल उपचार, जल गुणवत्ता और निगरानी, IoT -आधारित बैटरी वाहन और जल उपचार संयंत्रों के हाइड्रोलिक डिजाइन के लिए सॉफ्टवेयर के लिए तकनीकी समिति द्वारा पानी से संबंधित 32 नवीन परियोजनाओं की सिफारिश की गई है।
एनजेजेएम वॉश में अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं का भी समर्थन करता है। तकनीकी समिति ने 8 अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनमें से 7 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।
प्रमुख संसाधन केन्द्रों के माध्यम से क्षमता निर्माण
क्षमता निर्माण और विभिन्न हितधारकों को पुनर्उन्मुख करने के लिए, 31.03.2024 तक 99 प्रतिष्ठित सरकारी और गैर-सरकारी शैक्षणिक संस्थान/एजेंसियां/फर्म/संगठन/थिंक टैंक/प्रशिक्षण संस्थान आदि को प्रमुख संसाधन केंद्र (केआरसी) के रूप में शामिल किया गया था। विभिन्न हितधारकों के लिए 59 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं और जनवरी-मार्च, 2024 तक जेजेएम के तहत पीने के पानी के विभिन्न पहलुओं पर लगभग 2,292 व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया गया है।
कार्यान्वयन सहायता एजेंसियां (आईएसए)
राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सामुदायिक गतिशीलता के लिए सहभागी ग्रामीण मूल्यांकन के तहत, ग्राम कार्य योजना तैयार करने में सहायता और बुनियादी ढांचे के निर्माण के बाद की गतिविधियों को पूरा करने के लिए वीडब्ल्यूएससी के गठन की सुविधा के लिए कार्यान्वयन सहायता एजेंसियों (आईएसए) को शामिल करके पंचायतों को समर्थन दे रहे हैं। लगभग 14,000 आईएसए लगे हुए हैं, जो सक्रिय रूप से क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
राष्ट्रीय धुलाई विशेषज्ञ
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय जल एवं स्वच्छता संस्थान (एसपीएम निवास) को जल जीवन मिशन (जेजेएम) के कार्यान्वयन में राज्यों को जमीनी सच्चाई और तकनीकी सहायता के लिए राष्ट्रीय वॉश विशेषज्ञों के पैनल और तैनाती का काम सौंपा गया है। अब तक 74 एनडब्ल्यूई सूचीबद्ध हैं। वर्ष के दौरान, जेजेएम के तहत किए गए कार्यान्वयन कार्यों की जमीनी हकीकत जानने के लिए 174 टीमों ने लगभग 2,586 गांवों का दौरा किया है। जेजेएम के कार्यान्वयन की स्थिति के आधार पर, एनडब्ल्यूई तीन श्रेणियों में जेजेएम के कार्यान्वयन की प्रगति के संदर्भ में गांवों को स्टार रेटिंग और राज्यों को फीडबैक प्रदान कर रहे हैं, अर्थात् संतोषजनक, संतोषजनक लेकिन सुधार की आवश्यकता है, और असंतोषजनक, तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। विजिट के पूरा होने के बाद एनडब्ल्यूई संबंधित राज्य अधिकारियों को अपनी प्रतिक्रिया प्रदान करते हैं।
सेक्टर भागीदार
पानी को 'हर किसी का व्यवसाय' बनाने के लिए, मिशन सभी के लिए दीर्घकालिक पेयजल सुरक्षा हासिल करने के लिए साझेदारी बनाने और विभिन्न संस्थानों/व्यक्तियों के साथ मिलकर काम करने का प्रयास करता है। 212 स्वैच्छिक संगठन (वीओ), गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ), सामाजिक सेवा और दान संगठन, और पानी के क्षेत्र में पहले से ही काम कर रहे पेशेवरों/व्यक्तियों को समग्र रूप से चुनौतियों का समाधान करने के लिए इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम में 'सेक्टर पार्टनर्स' के रूप में मान्यता दी गई है। सेक्टर भागीदारों से आरडब्ल्यूपीएफ भागीदारों के साथ समन्वय में काम करने की अपेक्षा की जाती है।
प्रोफेसर चेयर्स और उत्कृष्टता केंद्र
मिशन के उभरते उद्देश्यों और आवश्यकताओं को देखते हुए, जल जीवन मिशन - प्रोफेसर चेयर की स्थापना की गई है, जिसमें जल जीवन मिशन के साथ-साथ स्वच्छ भारत मिशन (जी) के उद्देश्य से राष्ट्रीय जल जीवन मिशन और राज्य जल और स्वच्छता / ग्रामीण जल आपूर्ति / पीएचई विभागों को डोमेन विशिष्ट सहायता प्रदान करने के लिए दिशानिर्देश शामिल हैं।
प्रोफेसर चेयर्स के तंत्र के माध्यम से शैक्षणिक संस्थानों के साथ राष्ट्रीय कार्यक्रमों की प्रभावी भागीदारी पर सूचित दृष्टिकोण के लिए व्यापक परामर्श करने के लिए, निम्नलिखित पांच प्रोफेसर चेयर स्थापित की गई हैं जिनका विवरण नीचे दी गई तालिका में दिया गया है:
तालिका 5: जेजेएम की मेजबानी के लिए पांच फोकस क्षेत्र और संस्थान - प्रोफेसर चेयर
क्र. सं.
|
फोकस क्षेत्र
|
संस्था
|
जेजेएम प्रोफेसर चेयर
|
1.
|
उपयोगिता विकास एवं जल अर्थशास्त्र
|
भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), बैंगलोर
|
प्रोफेसर गोपाल नाइक
|
2.
|
पेयजल स्रोतों की स्थिरता
|
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), जोधपुर
|
प्रो. प्रदीप कुमार तिवारी
|
3.
|
जल उपचार प्रौद्योगिकी
|
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), गुवाहाटी
|
प्रोफेसर मिहिर कुमार पुरकैत
|
4.
|
जल एवं स्वच्छता सेवाओं के लिए विकेंद्रीकृत शासन
|
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस), मुंबई
|
प्रोफेसर अमिता भिड़े
|
5.
|
सेवा वितरण के लिए आईटी और डेटा विज्ञान
|
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर
|
प्रो अमित मित्रा
|
डीडीडब्ल्यूएस ने 5 जेजेएम-प्रोफेसर अध्यक्षों के 5 साल के कार्यकाल के लिए 30.59 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं और जेजेएम-प्रोफेसर अध्यक्षों के कार्यालय के संचालन के दो वर्षों में 8.60 करोड़ रुपए जारी किए हैं। जेजेएम-प्रोफेसर अध्यक्षों को अपने निर्धारित फोकस क्षेत्र में प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, आउटरीच और परामर्श, शैक्षणिक कार्यक्रम, अनुसंधान और नवाचार जैसे कार्य करने हैं।
स्किलिंग
जेजेएम का लक्ष्य राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के कौशल मिशनों/प्रबंधन इकाइयों के माध्यम से लगभग 2.5 लाख युवाओं को प्रशिक्षित करना है। मल्टी-स्किलिंग नल जल मित्र कार्यक्रम (एनजेएमपी) का उद्देश्य राजमिस्त्री, मैकेनिक, प्लंबर, पंप ऑपरेटर, तकनीशियन, उपयोगिता प्रबंधक और जल परीक्षण प्रयोगशाला प्रभारी के रूप में काम करने वाले गांवों के स्थानीय व्यक्तियों को कौशल-आधारित प्रशिक्षण प्रदान करना है। उन्हें कौशल के व्यापक सेट से लैस करना और "नल जल मित्र" विकसित करना, ताकि वे योजना ऑपरेटरों के रूप में कार्य कर सकें और अपने गाँव में पाइप जलापूर्ति योजना(ओं) की निवारक रखरखाव सहित छोटी मरम्मत और रखरखाव करने में सक्षम हो सकें। यह पाठ्यक्रम (जल वितरण संचालक- एनएसक्यूएफ स्तर 4) को प्रशिक्षुओं को सर्वांगीण शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जिसमें भारत भर में बड़ी संख्या में सॉफ्ट और तकनीकी कौशल शामिल हैं। यह उन्हें ग्राम पंचायतों में इन सेवाओं के प्रावधान के माध्यम से स्थायी आय प्रदान करेगा। अब तक, 17 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने अपनी एनजेएमपी योजनाएं तैयार कर ली हैं, 8 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने एनजेएम के रूप में प्रशिक्षित करने के लिए 23,821 से अधिक उम्मीदवारों को नामांकित किया है, 17 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा 272 प्रशिक्षण केंद्र (टीसी) की पहचान की गई है, 11 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने अपने एनजेएमपी बैंक खाते खोले हैं, 6 राज्यों ने कार्य आदेश जारी किए हैं, 11 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने संबंधित क्षेत्र कौशल परिषद द्वारा संचालित टीओटी के लिए 630 प्रशिक्षकों को नामांकित किया है और 15 राज्यों ने टीओटी का अपना पहला चरण आयोजित किया है।
मल्टी-स्किलिंग नल जल मित्र कार्यक्रम (एनजेएमपी) का उद्देश्य राजमिस्त्री, मैकेनिक, प्लंबर, पंप ऑपरेटर, तकनीशियन, उपयोगिता प्रबंधक और जल परीक्षण प्रयोगशाला प्रभारी के रूप में काम करने वाले गांवों के स्थानीय व्यक्तियों को कौशल-आधारित प्रशिक्षण प्रदान करना है। उन्हें कौशल के व्यापक सेट से लैस करना और "नल जल मित्र" (एनजेएम) विकसित करना, ताकि वे योजना ऑपरेटरों के रूप में कार्य कर सकें और अपने गांवों में पाइप जलापूर्ति की निवारक रखरखाव सहित छोटी मरम्मत और रखरखाव करने में सक्षम हो सकें।
नल जल मित्र कार्यक्रम (एनजेएमपी) के कार्यान्वयन के संबंध में जल शक्ति मंत्रालय, पेयजल और स्वच्छता विभाग और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के बीच संयुक्त सलाह जारी की गई। इसके बाद जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत नल जल मित्रों के चयन, नामांकन, प्रायोजन और नियुक्ति के लिए ग्राम पंचायतें की भूमिका के साथ राज्यों के साथ मार्गदर्शन के लिए एनजेएम कौशल दिशानिर्देश जारी किए गए।
15 अगस्त 2025 तक कम से कम 2,49,345 एनजेएम को प्रशिक्षित किए जाने की उम्मीद है।
एनजेएमपी की प्रगति की स्थिति (27.12.2024 तक)
- अब तक, 17 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने एनजेएम के नामांकन के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए हैं;
- 17 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने एनजेएम नामांकन प्रक्रिया शुरू कर दी है;
- 17 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने एनजेएम के रूप में प्रशिक्षित करने के लिए 23,821 से अधिक उम्मीदवारों को नामांकित किया है;
- लगभग 2,000 उम्मीदवारों ने सफलतापूर्वक अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है, जबकि 7,221 उम्मीदवार वर्तमान में 'नल जल मित्र कार्यक्रम' से गुजर रहे हैं।
- 17 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 272 प्रशिक्षण प्रदाताओं/प्रशिक्षण केंद्रों (टीपी/टीसी) की पहचान की गई है;
- 11 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने अपने एनजेएमपी बैंक खाते खोले हैं और 6 राज्यों ने कार्य आदेश जारी किए हैं;
- 17 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने संबंधित सेक्टर कौशल परिषद (जल प्रबंधन और नलसाज़ी कौशल परिषद- WMPSC) द्वारा आयोजित टीओटी के लिए 630 प्रशिक्षकों को नामांकित किया है;
- 17 राज्यों ने टीओटी का अपना पहला चरण आयोजित किया है और 3 राज्यों (त्रिपुरा, उत्तराखंड, कर्नाटक) ने धन हस्तांतरित कर दिया है और अपना एनजेएमपी प्रशिक्षण शुरू कर दिया है।
- जिन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक एनजेएमपी योजनाएं तैयार नहीं की हैं, वे हैं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, असम, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, गोवा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, केरल, लक्षद्वीप, मणिपुर, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, पुडुचेरी, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल।
नल जल सेवा पोर्टल का विकास - जीपी/वीडब्ल्यूएससी के लिए पेयजल आपूर्ति योजनाओं के संचालन और रखरखाव के लिए आईटी प्लेटफॉर्म - प्रायोगिक आधार पर
नल जल सेवा पोर्टल, लखनऊ में जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) पर राष्ट्रीय सम्मेलन (16-17 फरवरी 24) में पेश किया गया। यह परिवर्तनकारी डिजिटल मंच है जिसका उद्देश्य ग्रामीण जल आपूर्ति प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव लाना है। यह ग्राम पंचायतों और ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों को जल शुल्क के संग्रह को सुव्यवस्थित करने, सटीक उपभोक्ता रिकॉर्ड बनाए रखने और जल योजनाओं के दैनिक संचालन और रखरखाव की देखरेख करने के लिए उन्नत उपकरणों से लैस करता है। पोर्टल का उपयोगकर्ता-अनुकूल इंटरफ़ेस गांव-स्तरीय उपयोग के लिए तैयार किया गया है, जबकि यह राज्य-स्तरीय प्रशासकों के लिए व्यापक डैशबोर्ड प्रदान करता है, जिससे न्यूनतम प्रशिक्षण के साथ उपयोग में आसानी सुनिश्चित होती है।
ओपन-सोर्स, माइक्रोसर्विसेज आर्किटेक्चर पर निर्मित, पोर्टल लचीलेपन और स्केलेबिलिटी के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो उच्च लेनदेन मात्रा के कुशल संचालन की अनुमति देता है। इसमें बेहतर निर्णय लेने के लिए वास्तविक समय डेटा पहुंच की सुविधा प्रदान करते हुए कनेक्शन, स्टाफ, बिलिंग और खर्चों के प्रबंधन के लिए आवश्यक मॉड्यूल शामिल हैं। असम और लद्दाख में अपने प्रायोगिक चरण के साथ, नल जल सेवा पोर्टल जल आपूर्ति के प्रशासन में आधारशिला बनने का वादा करता है, जो पूरे ग्रामीण भारत में स्थायी जल संसाधन प्रबंधन की नींव रखता है।
ग्रामीण घरों में पाइप से पेयजल आपूर्ति की जल गुणवत्ता की निगरानी के लिए संक्षिप्त पुस्तिका
दिसंबर 2023 में आयोजित मुख्य सचिवों के सम्मेलन के संदर्भ में, आपूर्ति किए जाने वाले पानी पर विश्वास पैदा करने के लिए रासायनिक और जीवाणुविज्ञानी मापदंडों के लिए स्रोत और वितरण बिंदुओं दोनों का परीक्षण सुनिश्चित करने का निर्णय लिया गया था।
इस संदर्भ में, श्री विकास शील (पूर्व अपर सचिव और मिशन निदेशक, राष्ट्रीय जल जीवन मिशन, पेयजल और स्वच्छता विभाग) की अध्यक्षता में समिति गठित की गई, जिसमें श्री प्रदीप सिंह, निदेशक (जल गुणवत्ता), डीडीडब्ल्यूएस और डीडीडब्ल्यूएस के अन्य अधिकारी, राज्य के अधिकारी, और वॉटरएड और आईएनआरईएम फाउंडेशन जैसे संगठनों के हितधारक शामिल थे। इस समिति का कार्य जल गुणवत्ता निगरानी और निरीक्षण के लिए रूपरेखा विकसित करने के साथ ग्रामीण परिवारों सहित हितधारकों तक परिणामों के प्रसार का प्रबंधन करना था। राज्यों और अन्य हितधारकों के साथ व्यापक आंतरिक विचार-मंथन के बाद, और कुछ अनुकूलन के साथ सीपीएचईईओ मैनुअल के नवीनतम संस्करण के अनुरूप संशोधनों को शामिल करके, "ग्रामीण घरों में पाइप से पेयजल आपूर्ति की जल गुणवत्ता की निगरानी" के लिए संक्षिप्त पुस्तिका विकसित की गई है। .
FIPIC/IORA देशों के सिविल सेवकों के लिए सार्वजनिक नीति और शासन पर उन्नत नेतृत्व विकास कार्यक्रम
एफआईपीआईसी/आईओआरए देशों के सिविल सेवकों के लिए सार्वजनिक नीति और शासन के बारे में सम्मानित उन्नत नेतृत्व विकास कार्यक्रम में, श्री प्रदीप सिंह, निदेशक-एनजेजेएम ने जल जीवन मिशन के महत्वपूर्ण घटक "हर घर जल योजना के माध्यम से स्वच्छ जल को बढ़ावा देना" पर 10 अगस्त 2024 को आकर्षक प्रस्तुति दी। प्रस्तुति में मिशन के रणनीतिक ढांचे का विवरण दिया गया, जिसमें जल गुणवत्ता की निगरानी के लिए नवीन प्रौद्योगिकियों की तैनाती और टिकाऊ जल प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए समुदाय के नेतृत्व वाली पहलों का कार्यान्वयन शामिल है। प्रस्तुति में घरेलू नल कनेक्शन के विस्तार जैसी महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाया गया, और वित्तीय स्थिरता के महत्व और मजबूत संचालन और रखरखाव (ओ एंड एम) प्रथाओं के विकास पर जोर देते हुए परिचालन चुनौतियों पर चर्चा की गई। इसमें मिशन के व्यापक सामाजिक प्रभावों पर भी बात की गई, जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार, महिलाओं का सशक्तिकरण और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना शामिल है। इस अंतर्दृष्टि ने नीति की प्रभावशीलता और भाग लेने वाले देशों के स्वयं के जल प्रशासन प्रयासों में सार्वजनिक सेवा वितरण के लिए अनुकरणीय मॉडल के रूप में इसकी क्षमता का व्यापक अवलोकन प्रदान किया।
जल गुणवत्ता परीक्षण के लिए पीने योग्य उपकरण विकसित करने की नवाचार चुनौती
राष्ट्रीय जल जीवन मिशन ने, स्टार्टअप इंडिया के साथ संयुक्त प्रयास में, तत्काल, आसान और सटीक घरेलू स्तर पर पेयजल गुणवत्ता परीक्षण के लिए पोर्टेबल डिवाइस विकसित करने में स्टार्टअप और एमएसएमई की रचनात्मकता और तकनीकी विशेषज्ञता का उपयोग करने के लिए दिसंबर 2020 में इनोवेशन चैलेंज शुरू किया। इस पहल का उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य की आधारशिला, स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए मॉड्यूलर और लागत प्रभावी समाधान ढूंढना है।
इस चुनौती में भाग लेने वालों को तकनीकी सलाह सत्र, लाइव प्रदर्शन और उत्पाद विकास, सत्यापन और अनुपालन पर मार्गदर्शन सहित व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ। बौद्धिक संपदा विशेषज्ञों ने व्यक्तिगत सलाह प्रदान की, प्रयोगशाला सत्यापन, क्षेत्र परीक्षण और प्रमाणन प्रक्रिया को नेविगेट करने में सहायता की। व्यवसाय मॉडल डिजाइन, निवेशक संबंधों और बाजार पहुंच रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करने वाले व्यवसाय परामर्श सत्रों के साथ वाणिज्यिक समर्थन की भी पेशकश की गई।
इस चुनौती के सफल समापन में केआईआईटी-टीबीआई के साथ चयनित स्टार्टअप और एमएसएमई का इनक्यूबेशन देखा गया, जिसका समापन तीन संस्थाओं द्वारा प्रमाणित, राज्य प्रयोगशाला द्वारा मान्य और क्षेत्र-परीक्षणित डिजिटल और पोर्टेबल जल गुणवत्ता परीक्षण उपकरणों को वितरित करने में हुआ। इन नवप्रवर्तकों को डिजिटल जल गुणवत्ता परीक्षक/विश्लेषक (जल जीवन मिशन) के लिए नई बनाई गई श्रेणी के तहत सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) पर अपने उत्पादों को सूचीबद्ध करने में सहायता प्रदान की गई।
परिणामस्वरूप, चार स्टार्टअप और एमएसएमई-एलिको, क्लूइक्स, अर्थफेस एनालिटिक्स और ह्यूरिस्टिक डिवाइसेस-ने अपने उत्पादों को जीईएम पोर्टल पर उपलब्ध कराया है, जिससे उनकी बाजार पहुंच बढ़ गई है और हर घर में स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के मिशन के लक्ष्य में योगदान दिया है। राष्ट्रीय जल जीवन मिशन, स्टार्टअप इंडिया और विभिन्न सहायक संगठनों के बीच यह सहयोगात्मक प्रयास नवाचार को बढ़ावा देने और सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण जरूरतों को पूरा करने में सार्वजनिक-निजी भागीदारी की सहक्रियात्मक क्षमता का उदाहरण देता है।
कार्यक्षमता मूल्यांकन
भारत सरकार द्वारा 2019 में शुरू किए गए जल जीवन मिशन (जेजेएम) का महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार को कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन प्रदान करना है। जेजेएम के तहत कार्यक्षमता की परिभाषा व्यापक है। इसके लिए आवश्यक है कि प्रत्येक घरेलू नल कनेक्शन तीन प्रमुख मानदंडों को पूरा करने वाला पानी प्रदान करे: पर्याप्तता (प्रति व्यक्ति प्रति दिन कम से कम 55 लीटर), गुणवत्ता (बीआईएस: 10500 मानकों के अनुरूप), और नियमितता (लंबी अवधि में निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करना)।
जेजेएम के केंद्रीय सिद्धांतों में से एक इन नल कनेक्शनों की कार्यक्षमता की कठोर निगरानी और मूल्यांकन है। यह न केवल मिशन के उद्देश्यों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए है बल्कि सेवा वितरण के उच्च मानक को बनाए रखने के लिए भी है। जेजेएम के दिशानिर्देश स्पष्ट रूप से तृतीय-पक्ष कार्यक्षमता मूल्यांकन के लिए धनराशि निर्धारित करते हैं, जैसा कि दिशानिर्देशों के बिंदु 7.1 (ii) में बताया गया है। इसके अलावा, अध्याय 11 निगरानी और मूल्यांकन पर केंद्रित है, यह आदेश देता है कि भारत सरकार धारा 11.2 (मूल्यांकन) के अनुसार, घरेलू नल कनेक्शन की कार्यक्षमता का आकलन करने के लिए समय-समय पर नमूना सर्वेक्षण आयोजित करेगी।
आज तक, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने जेजेएम के आरंभ होने के बाद से दो व्यापक कार्यक्षमता मूल्यांकन आयोजित किए हैं। ये आकलन सेवा वितरण अंतराल की पहचान करने, घरों को प्रदान की जाने वाली सेवा के स्तर पर नज़र रखने और जल वितरण प्रणालियों में नीति और परिचालन सुधारों का मार्गदर्शन करने में अमूल्य रहे हैं। तीसरा कार्यक्षमता मूल्यांकन वर्तमान में चल रहा है, जिसमें 22,869 गांवों के मजबूत नमूने को पद्धतिगत रूप से सुदृढ़ दृष्टिकोण के माध्यम से चुना गया है जिसे सिंपल रैंडम सैंपलिंग विदआउट रिप्लेसमेंट (एसआरएसडब्ल्यूओआर) के रूप में जाना जाता है। इस सर्वेक्षण के लिए फ़ील्डवर्क पूरा हो चुका है, और प्रक्रिया अब अधिक सूक्ष्म अंतर्दृष्टि इकट्ठा करने के लिए जिला और राज्य स्तर पर साक्षात्कार आयोजित करने के लिए आगे बढ़ी है।
इन सर्वेक्षणों का पैमाना और दायरा उत्तरोत्तर बढ़ा है, जो जेजेएम की बढ़ती पहुंच और गहराते प्रभाव को दर्शाता है:
- 2020-21 के सर्वेक्षण में 31 राज्यों, 704 जिलों और 6,992 गांवों को शामिल किया गया, जिसमें 87,123 घरों से सीधे जुड़कर उनके नल कनेक्शन की कार्यक्षमता का मूल्यांकन किया गया।
- 2022 में, सर्वेक्षण का दायरा बढ़कर 33 राज्यों, 712 जिलों और 13,299 गांवों तक पहुंच गया, जिससे सर्वेक्षण में शामिल परिवारों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और यह 301,389 हो गई।
- वर्तमान 2024 मूल्यांकन ने 34 राज्यों, 761 जिलों और 22,812 गांवों को शामिल करते हुए इसके दायरे को और बढ़ा दिया है, जिसमें मूल्यांकन प्रक्रिया में 273,295 घर शामिल हैं।
ये कार्यक्षमता मूल्यांकन जेजेएम में सुधार की पुनरावृत्तीय प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण हैं। वे रणनीतियों को परिष्कृत करने, संसाधनों को प्रभावी ढंग से आवंटित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक डेटा और फीडबैक प्रदान करते हैं कि मिशन के उद्देश्यों को पूरा किया जा रहा है। प्रत्येक बाद के सर्वेक्षण में शामिल घरों और गांवों की बढ़ती संख्या ग्रामीण भारत के हर कोने तक स्वच्छ और विश्वसनीय जल आपूर्ति पहुंचाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जो अंततः देश के समग्र स्वास्थ्य, कल्याण और सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देती है।
पीएम गति-शक्ति
जल जीवन मिशन (जेजेएम) भारत सरकार की व्यापक पहल है, जो प्रत्येक ग्रामीण घर में सुरक्षित पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है। यह मिशन ऐसे पानी की आपूर्ति पर ध्यान केंद्रित करता है जो आवश्यक मात्रा को पूरा करता हो, विश्वसनीय गुणवत्ता मानकों का पालन करता हो और लंबे समय तक लगातार आपूर्ति की जाती हो। जेजेएम की रणनीति का प्रमुख पहलू पीएम गतिशक्ति पोर्टल के साथ इसके बुनियादी ढांचे के डेटा का एकीकरण है, जो अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के साथ समन्वय बढ़ाने और देश भर में पेयजल योजनाओं के कार्यान्वयन को अनुकूलित करने के लिए बनाया गया कदम है।
आज तक, पोर्टल पर 6.4 लाख किलोमीटर पाइपलाइन का प्रभावशाली डेटा अपलोड किया गया है। इसमें थोक जल आपूर्ति और बहु ग्राम योजनाओं से 4.38 लाख किलोमीटर, साथ ही एकल ग्राम योजनाओं से 2.02 लाख किलोमीटर (27 दिसंबर 2024 तक) शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, सभी जियोटैग किए गए बिंदु घटकों जैसे सेवा जलाशयों, जल उपचार संयंत्रों (डब्ल्यूटीपी), और क्लोरीनीकरण प्रणालियों को पोर्टल पर सावधानीपूर्वक सूचीबद्ध किया गया है।
मध्य प्रदेश सबसे अधिक योजनाओं और व्यापक पाइपलाइन नेटवर्क के साथ खड़ा है, जो पानी की पहुंच में सुधार के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। गुजरात ने एकल ग्राम योजनाओं से जुड़ी पाइपलाइनों की काफी लंबाई अपलोड करके महत्वपूर्ण प्रगति की है। असम दूसरे सबसे लंबे पाइपलाइन नेटवर्क के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि पश्चिम बंगाल दूसरी सबसे बड़ी योजनाओं का दावा करता है।
पीएम गतिशक्ति पोर्टल पर पाइपलाइन की लंबाई और जियोटैग किए गए घटकों सहित जेजेएम के बुनियादी ढांचे का विवरण देने वाला डेटा, सूचित निर्णय लेने के लिए अमूल्य है। यह नीति निर्माताओं को रणनीतिक रूप से संसाधनों को आवंटित करने, अत्यधिक मांग वाले क्षेत्रों को संबोधित करने और सेवा वितरण की दक्षता बढ़ाने में सक्षम बनाता है। इस डेटा तक पहुंच के साथ, नीति निर्माता अधिक प्रभावी ढंग से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की योजना बनाने में सक्षम हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि जल जीवन मिशन का लाभ ग्रामीण भारत के हर कोने तक पहुंचे और स्वच्छ पेयजल तक सार्वभौमिक पहुंच के देश के लक्ष्य में योगदान हो।
MoPR के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर वॉश डेटा
पंचायत राज मंत्रालय ने ग्राम पंचायत स्तर पर सेवाओं की प्रभावी ढंग से निगरानी और प्रबंधन करने के लिए अभिनव डिजिटल प्लेटफॉर्म - 'ईग्रामस्वराज पोर्टल' और 'मेरी पंचायत' मोबाइल एप्लिकेशन शुरू किया है। डीडीडब्ल्यूएस ने वॉश सेवाओं को इन दो MoPR प्लेटफार्मों में एकीकृत करने का संकल्प लिया है। ये प्लेटफ़ॉर्म समर्पित वॉश सेवा टैब को होस्ट करेंगे, जिसमें दो प्राथमिक सेवा डेटा श्रेणियां शामिल होंगी: जल आपूर्ति सेवाएँ और स्वच्छता सेवाएँ। वे संपत्तियों और उनके परिचालन और रखरखाव की स्थिति के संबंध में स्थिर और गतिशील दोनों तरह की व्यापक जानकारी प्रदान करेंगे।
जल आपूर्ति सेवा अनुभाग विस्तृत स्थैतिक जानकारी प्रदान करता है, जिसमें पंचायत और ग्राम प्रोफाइल, जनसंख्या आंकड़े, कनेक्शन विवरण, हर घर जल (एचजीजे) स्थिति, जल आपूर्ति बुनियादी ढांचे का विवरण, गांव-वार जल गुणवत्ता की स्थिति और बहुत कुछ शामिल है। इसमें जीपी सदस्यों, ग्राम जल और स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी) के सदस्यों और रखरखाव कर्मचारियों जैसी कार्यात्मक संस्थाओं की एक व्यापक निर्देशिका के साथ-साथ ग्राम स्तर पर पानी की गुणवत्ता पर डेटा भी शामिल है।
स्वच्छता सेवा अनुभाग ओडीएफ+ और ओडीएफ++ मॉडल गांवों, ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों वाले गांवों और ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए समुदाय और घरेलू संपत्तियों की विशिष्टताओं के बारे में जानकारी प्रस्तुत करेगा।
भविष्य की योजनाओं में इन प्लेटफार्मों पर गतिशील जानकारी शामिल करना शामिल है, जो पानी की उपलब्धता और गुणवत्ता पर वास्तविक समय पर अपडेट, फोटो अपलोड और जियोटैगिंग के साथ नागरिक शिकायत रिकॉर्ड, इन शिकायतों पर प्रतिक्रिया और परिचालन कर्मचारियों के संपर्क विवरण प्रदान करेगा।
जल शक्ति मंत्रालय के तहत डीडीडब्ल्यूएस की यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में वॉश सुविधाओं में सुधार के लिए भारत सरकार के समर्पण पर जोर देती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि प्रगति सभी नागरिकों के लिए दृश्यमान और सुलभ हो।
2024 कार्यक्रम/सम्मेलन/बैठकें
सुरक्षित जल और कीटाणुशोधन/क्लोरीनीकरण पहल पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
सुरक्षित जल और कीटाणुशोधन/क्लोरीनीकरण पहल पर 2 फरवरी, 2024 को राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन राष्ट्रीय जल जीवन मिशन, साक्ष्य कार्रवाई और विकास नवाचार लैब (डीआईएल) द्वारा संयुक्त रूप से एसपीएम निवास, कोलकाता में किया गया। यह संगोष्ठी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से सुरक्षित जल पहल और रणनीतियों को लागू करने में उनके अनुभव और सबसे प्रभावी और आसानी से संचालित होने वाले समाधानों और मॉडलों को आगे बढ़ाने के तरीके के बारे में जानकारी लेने के लिए आयोजित की गई थी।
'महिला शक्ति की 101 झलक: जल जीवन मिशन के चश्मे से' का शुभारंभ
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने 9 मार्च 2024 को नई दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में "जल शक्ति अभियान: कैच द रेन" अभियान के पांचवें संस्करण के शुभारंभ पर 'महिला शक्ति की 101 झलक: जल जीवन मिशन के माध्यम से' पुस्तक का विमोचन किया।
https://jaljeevanmission.gov.in/sites/default/files/publication_and_reports/101-glimpses-of-women-power.pdf
जेजेएम के तहत आईईसी पर 2 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला (21-22 मई 2024 कोलकाता में)
मई 2024 में, जेजेएम के तहत व्यापक 2-दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आईईसी का आयोजन किया गया था। कार्यशाला में जल-संबंधी पहलों में सामुदायिक भागीदारी और स्वामित्व को बढ़ाने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं, नवीन विचारों और स्केलेबल समाधानों के आदान-प्रदान को सक्षम करने के लिए राज्य के प्रतिनिधियों, विशेषज्ञों और हितधारकों को एक साथ लाया गया।
मुख्य आकर्षण में शामिल हैं:
- पोस्टर प्रदर्शनियों और पैनल चर्चाओं के माध्यम से आईईसी की सफलता की कहानियों को प्रदर्शित करना।
- इंटरैक्टिव सत्र पूरे भारत में सांस्कृतिक विविधता और जल परंपराओं पर केंद्रित थे, जिससे जल उत्सव अभियान समृद्ध हुआ।
- प्रभावी आईईसी कार्यान्वयन के लिए चुनौतियों और रणनीतियों पर समूह चर्चा जैसी क्षमता निर्माण गतिविधियाँ।
यह आयोजन आईईसी नवाचारों और व्यवहार परिवर्तन संचार रणनीतियों को बढ़ाने के लिए कार्रवाई योग्य रोडमैप के साथ संपन्न हुआ।
'डायरिया रोको अभियान 2024'
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने स्वास्थ्य मंत्रालय के चल रहे अभियान का समर्थन करने के लिए 'डायरिया रोको अभियान' शुरू किया। वर्ष 2024 का नारा था: "डायरिया की रोकथाम, सफाई और ओआरएस से रखें अपना ध्यान"। यह जुलाई से अगस्त 2024 तक दो महीनों के लिए देश भर में चलाया गया।
इस अभियान के तहत, डीडीडब्ल्यूएस ने पानी और स्वच्छता संबंधी मुद्दों को कवर करते हुए 8 सप्ताह के समर्पित अभियान विकसित किए।
डायरिया रोको अभियान का सारांश
गतिविधि का नाम
|
कुल संख्या
|
एफटीके परीक्षण
|
16,46,282
|
संवेदीकरण कार्यशालाएँ
|
7,174
|
पाइप नेटवर्क निरीक्षण
|
56,329
|
जल निकासी व्यवस्था का निरीक्षण
|
22,446
|
ग्रामीणों की सहभागिता
|
1,56,826
|
स्कूलों में एफटीके परीक्षण का लाइव डेमो
|
32,897
|
घरेलू स्तर की सफाई गतिविधियाँ
|
3,45,703
|
गाँवों में अभियानों/गतिविधियों की कुल संख्या का उल्लेख करें
|
35,583
|
क्लोरीनीकरण संयंत्र/डब्ल्यूटीपी प्रणाली की कार्यप्रणाली की जांच करना
|
3,466
|
अवशिष्ट क्लोरीन परीक्षण अभियान (मुक्त अवशिष्ट क्लोरीन-एफआरसी)
|
1,24,149
|
जल गुणवत्ता परीक्षण का अनिवार्य प्रदर्शन
|
63,991
|
सभी स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में पानी की गुणवत्ता का परीक्षण
|
2,82,029
|
पंचायत सदस्यों के साथ गाँव की सैर/एक्सपोज़र विजिट की सुविधा प्रदान करना
|
35,659
|
स्वास्थ्य सुविधाओं/अन्य परिसरों में पोस्टर/बैनर की स्थापना
|
21,712
|
सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता
|
5,515
|
आउटडोर मीडिया अभियान
|
8,293
|
दीवार पेंटिंग
|
8,53,296
|
जनता में जागरूकता सत्र
|
14,231
|
इस कार्यक्रम का उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और राज्य मंत्री द्वारा किया गया। आईडब्ल्यूडब्ल्यू के एक भाग के रूप में अंतरराष्ट्रीय वॉश सम्मेलन आयोजित किया गया था जिसमें 40 से अधिक सत्र (ऑफ़लाइन और ऑनलाइन), 143 ऑफ़लाइन पेपर प्रस्तुतियाँ, 43 ऑनलाइन पेपर प्रस्तुतियाँ और 5 पैनल चर्चाएँ शामिल थीं, जिसमें पानी की गुणवत्ता, ग्रेवाटर प्रबंधन, सामुदायिक जुड़ाव, सूचना, शिक्षा और व्यवहार परिवर्तन संचार (आईईसी/बीसीसी) पहल, और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, अन्य जैसे विषयों की विस्तृत श्रृंखला की खोज की गई थी। राष्ट्रीय सुरक्षित जल संवाद, डिजिटल जल अवसंरचना, साक्ष्य कार्रवाई द्वारा जल कीटाणुशोधन तकनीकें कुछ महत्वपूर्ण सत्र थे।
आईआईएम बैंगलोर में जल जीवन मिशन (जेजेएम) संचालन और रखरखाव (ओ एंड एम) पर राष्ट्रीय स्तर की परामर्श कार्यशाला
यूनिसेफ के सहयोग से 24 अगस्त, 2024 को आईआईएम बैंगलोर में जल जीवन मिशन (जेजेएम) संचालन और रखरखाव (ओ एंड एम) पर राष्ट्रीय स्तर की परामर्श कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें ग्रामीण जल आपूर्ति योजनाओं की स्थिरता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य पानी की गुणवत्ता और बुनियादी ढांचे के रखरखाव में लगातार चुनौतियों का समाधान करने के लिए सामुदायिक भागीदारी और नवीन वित्तीय प्रबंधन की आवश्यकता पर बल देते हुए ओ एंड एम के लिए मजबूत रणनीति विकसित करना था।
अपनी सफलता के बावजूद, मिशन को ओ एंड एम और पानी की गुणवत्ता में बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जो सामुदायिक भागीदारी और अभिनव वित्तीय प्रबंधन की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। राज्यों ने अपने अनुभव और रणनीतियाँ साझा कीं, जिससे देश भर में ओएंडएम के लिए विविध दृष्टिकोण का पता चला। प्रौद्योगिकी ने पानी की गुणवत्ता की निगरानी और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, कुछ राज्यों ने IoT और SCADA प्रणालियों को अपनाया, जबकि अन्य ने संपत्ति प्रबंधन के लिए डिजिटल परिवर्तन और जीआईएस पर ध्यान केंद्रित किया। ओ एंड एम लागत और जल टैरिफ के बीच वित्तीय अंतर आम चुनौती थी, राज्यों द्वारा संशोधित टैरिफ, दक्षता में सुधार और लागत को कवर करने के लिए टैरिफ सिस्टम की शुरूआत की खोज की जा रही थी। विभिन्न प्रकार की जल आपूर्ति योजनाओं के अनुरूप मजबूत ओ एंड एम नीतियों की आवश्यकता के साथ-साथ भूजल से टिकाऊ सतही जल स्रोतों में बदलाव के महत्व पर भी चर्चा की गई।
कार्यशाला में समुदाय-प्रबंधित ओ एंड एम की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया, जिसमें ग्राम पंचायत और ग्राम जल और स्वच्छता समितियां जैसी स्थानीय संस्थाएं दिन-प्रतिदिन के कार्यों में महत्वपूर्ण हैं। स्थानीय समुदायों के लिए क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण पर जोर देते हुए, प्रमुख मरम्मत के लिए उपयोगकर्ता शुल्क, जल शुल्क और कॉर्पस फंड के माध्यम से ओ एंड एम के वित्तपोषण पर चर्चा की गई। सत्र ने प्रमुख मरम्मत, जल गुणवत्ता परीक्षण और वित्तीय योजना के लिए राज्य-स्तरीय समर्थन की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। प्रस्तावित जल आपूर्ति निगरानी ऐप का उद्देश्य जल आपूर्ति और सेवा व्यवधानों की वास्तविक समय पर नज़र रखने की अनुमति देकर जेजेएम की प्रभावशीलता को बढ़ाना है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार होगा। कार्यशाला ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजनाओं की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए ओ एंड एम को मजबूत करने, सामुदायिक प्रबंधन को बढ़ाने और स्थानीय क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर आम सहमति के साथ संपन्न हुई।
जिला परिषद की महिला सदस्यों के साथ बैठक
श्री प्रदीप सिंह, निदेशक-एनजेजेएम ने 29 अगस्त 2024 को जिला परिषद, महिला एवं बाल विकास विभाग, जिला-धुले, महाराष्ट्र की 21 महिला सदस्यों के साथ बातचीत की। उन्हें सदस्यों को जेजेएम डैशबोर्ड, सिटीजन कॉर्नर आदि से परिचित कराया गया।
नीति आयोग द्वारा हिमालय के ऊंचे इलाकों में हर मौसम में नल जल आपूर्ति में भागीदारी कार्यशाला - 22-23 अक्टूबर 2024
"भारत की जल आपूर्ति: प्रणाली, चुनौतियाँ और नवाचार" विषय पर पहले सत्र के दौरान, एनजेजेएम के निदेशक श्री प्रदीप सिंह ने हिमालयी राज्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत में ग्रामीण जल आपूर्ति के राष्ट्रीय अवलोकन पर प्रस्तुति दी।
DDWS ने J-PAL दक्षिण एशिया के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
ग्रामीण भारत में पेयजल और स्वच्छता सेवाओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण मील का पत्थर चिह्नित करते हुए, पेयजल और स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) ने 25 अक्टूबर 2024 को सीजीओ कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली में जे-पाल दक्षिण एशिया के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
समझौता ज्ञापन पर श्री वाई.के. सिंह, निदेशक, राष्ट्रीय जल जीवन मिशन (एनजेजेएम), और सुश्री शोभिनी मुखर्जी, कार्यकारी निदेशक, जे-पाल दक्षिण एशिया ने हस्ताक्षर किए। वे ग्रामीण जल और स्वच्छता पहल को मजबूत करने और नवीनता लाने के लिए अपने सहयोग को मजबूत कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 78वें स्वतंत्रता दिवस - 15 अगस्त 2024 को जल जीवन मिशन की सफलता का उत्सव मनाया
जल उत्सव अभियान - नीति आयोग और डीडीडब्ल्यूएस की पहल
यह अभियान 6 नवंबर से 20 दिसंबर 2024 तक 20 आकांक्षी जिलों/ब्लॉकों में चलाया गया। इसने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण का अनुसरण किया, जिन्होंने नदी उत्सव से प्रेरित होकर दिसंबर 2023 में तीसरे मुख्य सचिव सम्मेलन में जल उत्सव का प्रस्ताव रखा था।
मुख्य परिणाम:
- 17,570 व्यक्तियों ने टिकाऊ जल प्रथाओं को अपनाने का संकल्प लिया।
- 996 वर्षा जल संचयन संरचनाओं का आविष्कार किया गया।
- 16,810 छात्रों को एक्सपोज़र विजिट के माध्यम से जल प्रबंधन प्रथाओं से अवगत कराया गया।
- एक पेड़ माँ के नाम के तहत 3,781 से अधिक पौधे लगाए गए।
- 338 लीकेज की पहचान की गई और उन्हें ठीक किया गया, जिससे जल वितरण में सुधार हुआ।
- 1,315 जल संपदा परिसंपत्तियों की सफाई की गई।
- स्थानीय पेयजल योजनाओं के लिए एफटीके का उपयोग करने के लिए 3,109 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया।
- 17,837 छात्रों ने प्रतियोगिताओं (लेखन/पेंटिंग/नारा) में भाग लिया
- नल जल मित्र कार्यक्रम (एनजेएमपी) में 6,383 लोगों ने नामांकन कराया
ब्रह्मपुत्र नदी बेसिन में स्प्रिंगशेड प्रबंधन पर कार्यशाला
असम के गुवाहाटी में 12-13 नवंबर, 2024 को आयोजित कार्यशाला, भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में लाखों लोगों के लिए महत्वपूर्ण झरने के जल स्रोतों के स्थायी प्रबंधन पर केंद्रित थी। इसे डीडीडब्ल्यूएस ने आयोजित किया। इसमें डेटा-संचालित संरक्षण के लिए जीआईएस और राष्ट्रीय स्प्रिंग सूचना प्रणाली (एनएसआईएस) जैसी प्रौद्योगिकियों के साथ पारंपरिक प्रथाओं को एकीकृत करने पर प्रकाश डाला गया।
मुख्य चर्चाओं में शामिल हैं:
- 'जनभागीदारी' (लोगों की भागीदारी) के माध्यम से सामुदायिक भागीदारी।
- स्रोत स्थिरता, निरंतर निगरानी और हितधारक भागीदारी जैसे कार्य बिंदु।
- मेघालय और हिमाचल प्रदेश से सफलता की कहानियाँ।
इस कार्यशाला ने पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए दीर्घकालिक जल सुरक्षा और लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।
नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर माइकल क्रेमर से मुलाकात
डीडीडब्ल्यूएस सचिव ने 14 नवंबर 2024 को सीजीओ कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली में नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर माइकल क्रेमर और उनकी टीम के साथ सार्थक बातचीत की। चर्चा जेजेएम के तहत पीने के पानी की गुणवत्ता के महत्वपूर्ण पहलुओं पर केंद्रित थी और स्थायी समाधान प्राप्त करने के लिए आगे का रास्ता तलाशा गया।
विदेशी प्रतिनिधियों ने डीडीडब्ल्यूएस का दौरा किया
जल जीवन मिशन (जेजेएम) और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत भारत की उपलब्धियों ने 2024 में महत्वपूर्ण वैश्विक ध्यान आकर्षित किया, जिसमें कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल सीधे पेयजल और स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) से जुड़े:
- फरवरी 2024: 19 लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई (एलएसी) देशों के 35 पत्रकारों और संपादकों ने जेजेएम और भारत की जल स्थिरता पहल के परिवर्तनकारी प्रभाव का पता लगाने के लिए भारत का दौरा किया।
- मार्च 2024: 13 मध्य यूरोपीय देशों के 20 पत्रकारों और संपादकों ने डीडीडब्ल्यूएस अधिकारियों के साथ बातचीत की, जिसमें पानी और स्वच्छता समाधानों के लिए भारत के दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- नवंबर 2024: टिकाऊ पेयजल आपूर्ति, एकीकृत जल प्रबंधन और संसाधन के रूप में अपशिष्ट जल के क्षेत्रों पर चर्चा करने के लिए एएस एंड एमडी-एनजेजेएम की अध्यक्षता में डेनमार्क के आरहूस नगर पालिका के डेनिश विशेषज्ञ प्रतिनिधिमंडल के साथ डीडीडब्ल्यूएस कार्यालय में बैठक आयोजित की गई।
- नवंबर 2024: 13 विकासशील देशों के 21 प्रतिभागियों ने एनआईएलईआरडी द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया, जिसमें एसडीजी से संबंधित जल प्रबंधन और स्वच्छता में भारत के नेतृत्व पर जोर दिया गया।
इन बैठकों ने सतत विकास में अग्रणी और स्वच्छ पानी एवं स्वच्छता तक सार्वभौमिक पहुंच प्राप्त करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों के चैंपियन के रूप में भारत की वैश्विक भूमिका को मजबूत किया।
एसबीआई का अध्ययन
भारतीय स्टेट बैंक के हाल के अध्ययन ने ग्रामीण भारत पर, विशेषकर महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने में जेजेएम के परिवर्तनकारी प्रभाव पर प्रकाश डाला। यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे नल के पानी तक पहुंच प्रदान करने से न केवल घरेलू सुविधा में सुधार हुआ है, बल्कि अभाव सूचकांक में भी काफी कमी आई है, जिससे ग्रामीण भारत में जीवन की गरिमा और गुणवत्ता में वृद्धि हुई है।
विशेष रूप से, यह शोध महिलाओं पर गहरे प्रभाव को दर्शाता है, पानी लाने में कम समय लगने से शिक्षा और आर्थिक गतिविधियों में अधिक भागीदारी संभव हो पाती है। यह परिवर्तन सामाजिक क्रांति का प्रतिनिधित्व करता है, क्योंकि महिलाएं पारंपरिक भूमिकाओं से हटकर घरेलू और सामुदायिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। इसके अलावा, अध्ययन बेहतर स्वास्थ्य परिणामों और आर्थिक स्थिरता के साथ बढ़ी हुई जल पहुंच को सहसंबंधित करता है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में इस महत्वपूर्ण निष्कर्ष को स्वीकार किया, जिसमें ग्रामीण समुदायों, विशेषकर महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने में मिशन की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता दी गई।
प्रतियोगिताएं - 2024
हर घर जल प्रश्नोत्तरी
जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) के तहत राष्ट्रीय जल जीवन मिशन ने माई गॉव पोर्टल पर आयोजित 'हर घर जल क्विज: जल का ज्ञान अब हुआ आसान प्रतियोगिता' के विजेताओं के लिए पुरस्कार वितरण प्रक्रिया शुरू की है। यह पहल भारत के प्रत्येक ग्रामीण परिवार के लिए स्वच्छ पेयजल तक पहुंच सुनिश्चित करने के महत्व के बारे में व्यापक जागरूकता पैदा करने में नागरिकों को शामिल करने के लिए चल रहे जल जीवन मिशन (जेजेएम) प्रयासों का हिस्सा है।
माई गॉव प्रतियोगिताओं को देश भर के नागरिकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली, जो जल जीवन मिशन में उनकी रुचि और प्रतिबद्धता को दर्शाती है। विशेष रूप से एचजीजे क्विज़ प्रतियोगिता में 50,000 से अधिक लोगों की सक्रिय भागीदारी देखी गई, जिससे लोगों को जल संरक्षण और स्वच्छता के बारे में अपनी समझ को गहरा करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
चयन प्रक्रिया के बाद, 7 जून 2024 को माई गॉव प्लेटफॉर्म पर 1,500 विजेताओं की एक सूची प्रकाशित की गई, जिसे blog.mygov.in/winner-announcement-for-har-घर-जल-क्विज़-जल-का-ज्ञान-अब-हुआ-आसन/ पर देखा जा सकता है। विजेताओं को पुरस्कार राशि जारी करने के लिए, डीडीडब्ल्यूएस ने डिजिटल रूप से राशि के आगे वितरण के लिए विवरण एकत्र करने के लिए समर्पित पोर्टल विकसित किया है। विभाग ने अब तक विवरण जमा करने वाले एचजीजे क्विज विजेताओं में से प्रत्येक को 2,000/- की पुरस्कार राशि जारी की है।
नल का जल - सुरक्षित जल: जागरूकता चुनौती
डीडीडब्ल्यूएस के तहत हर घर जल, जल शक्ति मंत्रालय ने भारत के रचनात्मक दिमागों को 29 जुलाई से 30 अक्टूबर 2024 तक विशेष आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए आमंत्रित किया। यह नल से पीने और क्लोरीनयुक्त पानी जैसे विषयों के लिए जल गुणवत्ता के मुद्दों पर मल्टी-मोड संचार अभियान पर अपनी छाप छोड़ने का अवसर था। इसका उद्देश्य भारत की ग्रामीण आबादी में बड़े पैमाने पर जागरूकता पैदा करना है। चुनौती थी नल के पानी से जुड़े मिथकों को तोड़ना जैसे:
मिथक 1: नल का पानी पीने के लिए सुरक्षित नहीं है।
मिथक 2: नल का पानी खनिजों से भरपूर नहीं होता है।
मिथक 3: नल के पानी का स्वाद ख़राब होता है क्योंकि इसकी सैनिटरी गुणवत्ता खराब होती है या इसमें क्लोरीनेशन का इस्तेमाल किया जाता है
मिथक 4: नल के पानी में टीडीएस की मात्रा अधिक होती है।
मिथक 5: नल का पानी संग्रहीत पानी है और यह ताज़ा नहीं है।
इस चुनौती में, प्रतिभागियों को नल से पानी पीना और क्लोरीनयुक्त पानी सुरक्षित है जैसे विषयों के लिए पानी की गुणवत्ता के मुद्दों पर मल्टी-मोड संचार अभियान डिजाइन करने के लिए कहा गया है। मल्टी-मोड संचार अभियान में शीर्षक, उपशीर्षक, थीम, आप लोगों तक पहुंचने की योजना कैसे बनाते हैं, किस माध्यम से, किस प्रकार के संदेश या रचनात्मक हम विकसित या योजना बना सकते हैं आदि होते हैं।
सर्वोत्तम संभव अभियान डिज़ाइन को मान्यता दी जाएगी और उसे लागू किए जाने की संभावना है। आपका रचनात्मक इनपुट हमारे देश को जल-सुरक्षित राष्ट्र बनाने के तरीके को आकार देने में मदद करेगा।
वैश्विक प्रशंसा
यूनेस्को, पेरिस में जल जीवन मिशन की सराहना की गई
यूनेस्को में विश्व जल आकलन कार्यक्रम (डब्ल्यूडब्ल्यूएपी) के मूल्यांकन के दौरान, एच.ई. श्री विशाल वी. शर्मा ने भारत सरकार द्वारा जल जीवन मिशन की उल्लेखनीय उपलब्धियों की जानकारी दी।
उन्होंने स्वच्छ पेयजल तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करने में हुई प्रगति पर बल दिया और पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए फील्ड टेस्टिंग किट (एफटीके) का उपयोग करने वाली ग्रामीण महिलाओं की भूमिका पर प्रेरणादायक अंतर्दृष्टि साझा की। जेजेएम के तहत अभिनव दृष्टिकोण एसडीजी-6: सभी के लिए स्वच्छ जल और स्वच्छता प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
******
एमजी/केसी/पीके
(Release ID: 2089481)
Visitor Counter : 323