पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

वर्षांत समीक्षा


प्रमुख उपलब्धियां

Posted On: 30 DEC 2024 2:44PM by PIB Delhi
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2021-26 की अवधि के दौरान कार्यान्वयन के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की 4,797 करोड़ रुपये की लागत वाली "पृथ्वी विज्ञान (पृथ्वी)" व्यापक योजना को मंजूरी दे दी है। इस योजना के तहत वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-मॉडलिंग अवलोकन प्रणाली और सेवाएं (एक्रॉस), महासागर सेवाएं, मॉडलिंग अनुप्रयोग, संसाधन और प्रौद्योगिकी (ओ-स्मार्ट), ध्रुवीय विज्ञान और क्रायोस्फीयर अनुसंधान (पेसर), भूकंप विज्ञान और भूविज्ञान (एसएजीई) और अनुसंधान, शिक्षा, प्रशिक्षण और आउटरीच (रीचआउट) पांच उप-योजनाएं चलाई जा रही हैं।
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 11 सितंबर, 2024 को दो वर्षों में 2,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 'मिशन मौसम' को मंजूरी दी। मिशन मौसम को भारत के मौसम और जलवायु से सम्बंधित विज्ञान, अनुसंधान और सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए एक बहुआयामी और परिवर्तनकारी पहल माना जाता है।
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत द्वारा राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से हटकर संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) के तहत एक अंतरराष्ट्रीय संधि जैव विविधता (बीबीएनजे) समझौते पर हस्ताक्षर को मंजूरी दे दी है। बीबीएनजे समझौता, भारत को ईईजेड (अनन्य आर्थिक क्षेत्र) से परे क्षेत्रों में अपनी रणनीतिक उपस्थिति बढ़ाने की क्षमता प्रदान करेगा, जिससे बहुत उम्मीदें हैं। इसके अलावा, यह हमारे समुद्री संरक्षण प्रयासों और सहयोग को और मजबूती प्रदान करेगा, साथ ही वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास, नमूनों, अनुक्रमों और सूचनाओं तक पहुंच, क्षमता निर्माण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए नए रास्ते खोलेगा।
  • माननीय प्रधानमंत्री ने 03 जनवरी, 2024 को कदमत (लक्षद्वीप) में एनआईओटी द्वारा स्थापित 1.5 लाख लीटर कम तापमान थर्मल डिसेलिनेशन (एलटीटीडी) संयंत्र का उद्घाटन किया।
  • माननीय प्रधानमंत्री ने आईआईटीएम (अर्का) और एनसीएमआरडब्ल्यूएफ (अरुणिका) में 26 सितंबर, 2024 को एमओईएस उच्च प्रदर्शन कंप्यूटर (एचपीसी) सिस्टम लॉन्च किया। एचपीसी मौसम विज्ञान, जलवायु अनुसंधान और सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा, बेहतर आपदा तैयारियों के लिए सटीक मौसम पूर्वानुमान के लिए भारत की सुपरकंप्यूटिंग क्षमता को 22 पेटाफ्लॉप) तक बढ़ा देगा पहले इसकी क्षमता 6.8 पेटाफ्लॉप की थी।
  • डीप ओशन मिशन के तहत पहली बार एनसीपीओआर और एनआईओटी के वैज्ञानिकों ने हिंद महासागर की सतह से 4,500 मीटर नीचे स्थित एक सक्रिय हाइड्रोथर्मल वेंट की तस्वीर खींची है। आर्थिक और जैविक दोनों दृष्टिकोणों से इस स्थान पर खोज की संभावना है।
  • माननीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने 23 फरवरी, 2024 को उत्तराखंड के लैंसडाउन में डॉपलर मौसम रडार का उद्घाटन किया।
  • माननीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने बेहतर मौसम निगरानी और चेतावनी के लिए 25 फरवरी, 2024 को अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर में आईएमडी द्वारा स्थापित और चालू किए गए 11 हेलीपोर्टों पर एचएडब्ल्यूओएस का उद्घाटन किया।
  • माननीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने 14 फरवरी, 2024 को महासागर की स्थिति के एकीकृत दृश्य के लिए इन-सीटू महासागर डेटा, उपग्रह रिमोट सेंसिंग और मॉडल उत्पादों के बेहतर विज़ुअलाइज़ेशन के लिए आईएनसीओआईएस, हैदराबाद में 'सिनर्जिस्टिक ओशन ऑब्जर्वेशन प्रेडिक्शन सर्विसेज (सिनओपीएस)' केंद्र का उद्घाटन किया।
  • माननीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने 12 मार्च, 2024 को डॉल्फिन्स नोज़, विशाखापत्तनम में एनसीसीआर की तटीय अनुसंधान प्रयोगशाला का उद्घाटन किया।
  • माननीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने 12 मार्च, 2024 को मध्य प्रदेश के भोपाल के सिलखेड़ा में वायुमंडलीय अनुसंधान परीक्षण केंद्र आईआईटीएम का उद्घाटन किया। इस केंद्र में मॉनसून से जुड़ी बादल प्रक्रियाओं का अध्ययन करने के लिए कई मौसम सम्बंधी निगरानी प्रणालियां होंगी।
  • आईएमडी ने 15 जनवरी, 2024 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में अपनी स्थापना और राष्ट्र सेवा को समर्पित 150वीं वर्षगांठ मनाई। इस अवसर पर भारत के माननीय उपराष्ट्रपति मुख्य अतिथि तथा माननीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री सम्मानित अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर मौसम विभाग ने पंचायत मौसम सेवा का शुभारंभ किया।
  • राजस्थान के जयपुर के लिए वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी और निर्णय समर्थन प्रणाली का शुभारंभ राजस्थान के माननीय मुख्यमंत्री श्री भजन लालजी शर्मा द्वारा 05 जून, 2024 को किया गया।
  • पृथ्वी विज्ञान सचिव ने 14 सितंबर, 2024 को मुंबई के कोलाबा में आईआईटी द्वारा स्थापित मुंबई महानगर क्षेत्र में भारत के पहले शहरी रडार नेटवर्क का उद्घाटन किया, जो मौसम की गंभीर घटनाओं की बेहतर निगरानी और पूर्वानुमान में मदद करेगा।
  • पृथ्वी विज्ञान सचिव ने 29 सितंबर, 2024 को उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर में हेलीपोर्ट स्वचालित मौसम निगरानी प्रणाली (एचएडब्ल्यूओएस) का उद्घाटन किया। आईएमडी और उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण द्वारा क्रियान्वित यह प्रणाली यात्रा सीजन के दौरान सुरक्षित हेलीकॉप्टर संचालन के लिए मौसम सम्बंधी सेवाओं में विस्तार करेगी।
  • पृथ्वी विज्ञान सचिव ने 29 सितंबर, 2024 को अंटार्कटिक हट्स सुविधा का उद्घाटन किया, जिसे एनसीपीओआर और एमएंडएसआई-आईटीबीपी (भारत तिब्बत सीमा पुलिस) के बीच समझौते के तहत पुनर्विकसित किया गया है। इसमें आईटीबीपी के महानिरीक्षक श्री एसबी शर्मा प्रतिभागियों को स्नो-आइस क्राफ्ट और अंटार्कटिक-पूर्व मिशनों के लिए अनुकूलन का प्रशिक्षण देंगे।
  • पृथ्वी विज्ञान सचिव ने 12 सितंबर, 2024 को भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस) द्वारा विकसित विशेष आर्थिक क्षेत्र के भीतर ज्वारीय तरंगों, धाराओं और लवणता ढाल जैसे नीले स्रोतों से 9.2 लाख टेरावाट घंटे (टीडब्ल्यूएच) सतत ऊर्जा उत्पन्न करने की दिशा में काम करते हुए एकीकृत महासागर ऊर्जा एटलस का उद्घाटन किया।
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित तीसरी पीढ़ी का मौसम सम्बंधी उपग्रह इनसैट-3डीएस भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा 17 फरवरी, 2024 को लॉन्च किया गया। इनसैट-3डीएस वर्तमान में संचालित इनसैट-3डी और इनसैट-3डीआर इन-ऑर्बिट उपग्रहों के साथ देश की मौसम, जलवायु और महासागर सम्बंधी सेवाओं का विस्तार करेगा और उन्हें बढ़ावा देगा।
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने 30 नवंबर से 03 दिसंबर, 2024 तक गुवाहाटी में भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ) का सह-आयोजन किया।
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने वैज्ञानिक क्षमता और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए बिम्सटेक देशों के लिए उच्च स्तरीय कार्यशालाओं का आयोजन किया।
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने स्वच्छता ही सेवा, विशेष अभियान 4.0 और स्वच्छ सागर सुरक्षित सागर के 2024 संस्करणों के तहत गतिविधियों को सफलतापूर्वक संपन्न किया। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव और भारत में नॉर्वे के राजदूत ने अंतर्राष्ट्रीय तटीय सफाई 2024 के उपलक्ष्य में चेन्नई के तिरुवनमियूर समुद्र तट पर स्वच्छ सागर सुरक्षित सागर 3.0 कार्यक्रम में भाग लिया।
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने विश्व बैंक, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, नीति आयोग, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय जैसे विभिन्न मंत्रालयों और विभिन्न राज्य और राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास संगठनों के विशेषज्ञों के साथ नीली अर्थव्यवस्था पाथवेज अध्ययन रिपोर्ट की स्थिति पर परामर्शी अंतर-मंत्रालयी संयुक्त कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें रिपोर्ट की तैयारी के लिए प्रत्येक मंत्रालय की सहयोगी भूमिका पर विचार-विमर्श किया गया।
  • गुजरात, केरल, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के छात्रों की चार सदस्यीय भारतीय टीम ने चीन के बीजिंग में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान ओलंपियाड (आईईएसओ) के 17वें संस्करण में तीन प्रतियोगिता श्रेणियों में तीन स्वर्ण और कांस्य तथा दो रजत पदक जीते।
  • सीएमएलआरई ने भारतीय ईईजेड (अनन्य आर्थिक क्षेत्र) से एनोम्यूरन केकड़ों (पैगुरोइडिया, चिरोस्टाइलोइडिया और गैलाथियोइडिया) के वर्गीकरण और वर्गीकरण नामक सूची जारी की।
  • सीएमएलआरई ने भारतीय महासागर में स्पंज केकड़े की एक नई प्रजाति और नकली झींगों की पांच नई प्रजातियों की पहचान की है, जिन्हें आमतौर पर स्क्वाट झींगों के रूप में जाना जाता है। ये अनोखे समुद्री जीव इस क्षेत्र में पहले से ही विविधतापूर्ण समुद्री जीवन का हिस्सा बन गये हैं। ये नमूने एफओआरवी सागर संपदा को लेकर किये गये विभिन्न वैज्ञानिक अभियानों के दौरान एकत्र किए गए थे।
  • सीएमएलआरई ने 03 सितंबर, 2024 को हिंद महासागर जैव विविधता सूचना प्रणाली (इंडोबीआईएस) पर एक राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला आयोजित की थी। कार्यशाला में विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिक और शोधकर्ता एक साथ आए, जिससे समुद्री जैव विविधता डेटा के दस्तावेजीकरण और प्रकाशन को लेकर जागरूकता बढ़ी।
  • मौसम विभाग ने 26 अगस्त, 2024 को 'विनाशकारी मौसम घटनाएं 2023' पर एक मौसम मोनोग्राफ जारी किया, जिसमें तैयारी और प्रतिक्रिया में सुधार के लिए देश भर में मौसम की गंभीर घटनाओं पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई।
  • आईएमडी ने 27 जुलाई, 2024 को भारत में चक्रवात चेतावनी के लिए मानक संचालन प्रक्रिया और उच्च प्रभाव वाली मौसम घटनाओं की निगरानी और पूर्वानुमान के लिए सक्षमता प्रणाली को जारी किया।
  • सूचना प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान (आईआईटीएम) ने नॉर्वे के स्वालबार्ड स्थित भारत के आर्कटिक स्टेशन हिमाद्रि में एक इलेक्ट्रिक फील्ड मिल स्थापित की।
  • सूचना प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान ने आईआईटीएम अर्थ सिस्टम मॉडल (आईआईटीएम-ईएसएम) का उपयोग करके भारत द्वारा तैयार जलवायु परिवर्तन अनुमानों के प्रसार के लिए जलवायु डेटा अभिलेखीय और वितरण प्रणाली (सीडीएएस) की स्थापना की।
  • आईआईटीएम दिल्ली ने मॉनसून 2024 के दौरान जून से सितंबर 2024 तक चार महीनों तक चलने वाले गंगा के मैदान और हिमालय की तलहटी में कई स्थानों पर वर्षा जल रसायन अभियान शुरू किया है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान ने आईआईटीएम-दशकीय जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली (डीसीपीएस) का पहला संस्करण विकसित किया है, जिसका उपयोग विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के प्रमुख केंद्र द्वारा 'वैश्विक वार्षिक से दशकीय जलवायु अपडेट' तैयार करने के लिए किया जा रहा है।
  • भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस) ने प्रथम राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2024 कार्यक्रमों की मेजबानी की, इसमें 'पृथ्वी प्रणाली के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग' विषय पर एक कार्यशाला भी शामिल थी।
  • आईएनसीओआईएस ने 12 जून, 2024 को हिंद महासागर सुनामी चेतावनी और शमन प्रणाली के हिस्से के रूप में 27वें आईसीजी/आईओटीडब्ल्यूएमएस संचार परीक्षण में भाग लिया और सुनामी सेवा प्रदाता के रूप में 26 हिंद महासागर रिम देशों को परीक्षण बुलेटिन जारी किए।
  • आईएनसीओआईएस को 17 मई, 2024 को जियोस्पेशियल वर्ल्ड फोरम 2024, रॉटरडैम, नीदरलैंड के दौरान समुद्र मोबाइल ऐप (समुद्री डेटा संसाधनों और चेतावनी के लिए समुद्री में जाने वालों तक स्मार्ट पहुंच) बनाने के लिए समुद्री सेवाओं में जियोस्पेशियल विश्व उत्कृष्टता पुरस्कार प्राप्त हुआ।
  • एनसीसीआर ने पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग, तमिलनाडु सरकार द्वारा दी गई 'तमिलनाडु तट पर पर्यावरण अनुकूल तकनीकों के माध्यम से तटीय जैव ढालों के पुनर्वास' परियोजना को पूरा किया।
  • एनसीसीआर ने तमिलनाडु के लिए तटरेखा प्रबंधन योजना का मसौदा तमिलनाडु के पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को दिया।
  • शीतकालीन कोहरा अभियान वाईफैक्स (2023-24) 15 फरवरी, 2024 तक आयोजित किया गया था। वाईफैक्स23-24 के एक भाग के रूप में मौसम विभाग मुख्यालय में अत्याधुनिक एरोसोल प्रयोगशाला स्थापित की गई।
  • एनसीएमआरडब्ल्यूएफ बिम्सटेक मौसम एवं जलवायु केंद्र (बीसीडब्ल्यूसी) ने बिम्सटेक सदस्य देशों के लिए 15-26 जुलाई, 2024 तक डेटा मिलान और पूर्वानुमान सत्यापन तकनीकों पर दो सप्ताह की कार्यशाला आयोजित की गई।
  • एनसीपीओआर ने 16 जुलाई, 2024 को एमओईएस महासागर अनुसंधान पोत के लिए मेसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स, कोलकाता के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।
  • एनसीपीओआर ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और वैश्विक स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को समझने में मदद के लिए 09 सितंबर, 2024 को कनाडाई पर्माफ्रॉस्ट से कोर नमूने प्राप्त किए।
  • एनसीपीओआर ने 20 से 30 मई, 2024 तक केरल के कोच्चि में 46वीं अंटार्कटिक संधि परामर्श बैठक (एटीसीएम) और पर्यावरण संरक्षण समिति (सीईपी) की 26वीं बैठक की मेजबानी की।
  • एनसीपीओआर ने अंटार्कटिका के लिए 43 वें भारतीय वैज्ञानिक अभियान की मेजबानी की।
  • एनसीपीओआर ने 14 वें भारतीय आर्कटिक अभियान (2023-24) पर समेकित रिपोर्ट जारी की, इसमें 18 दिसंबर, 2023 को शुरू किया जाने वाला भारत का पहला शीतकालीन आर्कटिक अभियान भी शामिल है।
  • एनआईओटी ने 11 जून, 2024 को चेन्नई तट पर सागर मंजूषा जहाज पर जहाजों का पता लगाने और ट्रैकिंग के लिए डेटा अधिग्रहण हेतु वेक्टर सेंसर ऐरे सिस्टम तैनात किया।
  • एनआईओटी ने भारतीय आर्कटिक सब-सरफेस इंस्ट्रूमेंटेड मूरिंग इंडएआरसी-VI तैनात किया और आर्कटिक यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्वे के जहाज आरवी हेल्मर हैनसेन पर 30-31 अगस्त, 2024 के दौरान कोंग्सफोर्डन, एनवाई-एलेसंड, स्वालबार्ड आर्कटिक में पिछले साल तैनात किए गए एकॉस्टिक मूरिंग सिस्टम मूरिंग को पुनः प्रचालित किया। एनसीपीओआर ने इस आर्कटिक अभियान का समन्वय किया।
  • एनआईओटी द्वारा विकसित 'रोशनी' (नवीकरणीय रोशनी के लिए नवीकरणीय महासागर प्रणाली) को भारतीय प्रवर्तक संघ द्वारा शीर्ष 100 भारतीय नवाचारों में से एक के रूप में चुना गया है। यह खारे पानी से चलने वाली लालटेन, एलईडी लाइट जलाती है और मोबाइल चार्जर के रूप में भी काम करती है,
  • एनआईओटी ने आर्द्र हवा से पानी निकालने की विधि का प्रदर्शन किया। एनआईओटी बस स्टॉप पर इस विकसित इकाई से पानी का कनेक्शन सार्वजनिक उपयोग के लिए उपलब्ध कराया गया है।
  • एनआईओटी ने खुले समुद्र में मछली पालने की प्रौद्योगिकियों के विकास के रूप में जल निष्कासन पर आधारित जलीय फीडिंग प्रणाली का परीक्षण किया।

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