पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की उपलब्धियां - 2024

Posted On: 24 DEC 2024 7:46PM by PIB Delhi

1. पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (एमडीओएनईआर) की योजनाओं के तहत उपलब्धियां

 

(I)  पूर्वोत्तर राज्यों के लिए स्वीकृत परियोजनाएं

15.12.2024 तक एमडीओएनईआर की विभिन्न योजनाओं के तहत 1970.54 करोड़ रुपये की कुल 86 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। इसके लिए 1590.81 करोड़ रुपये जारी किए गए। इनमें पूर्वोत्तर विशेष अवसंरचना विकास योजना-सड़कों के अलावा अवसंरचना (एनईएसआईडीएस-ओटीआरआई) पूर्वोत्तर विशेष अवसंरचना विकास योजना-सड़कें (एनईएसआईडीएस-सड़कें) पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री विकास पहल (पीएम-डिवाइन) एनईसी की योजनाएं और विशेष विकास पैकेज शामिल हैं।

(II) परियोजना के अनुमोदन और धनराशि जारी करने की प्रक्रिया में सुधार:  

ए. योजना दिशानिर्देशों का सरलीकरणः पीएम डिवाइन, एनईएसआईडीएस (ओटीआरआई) एनईएसआईडीएस (सड़कें) की योजनाओं के दिशानिर्देशों को सरल बनाया गया है ताकि संयुक्त रूप से परियोजना प्रस्तावों की अवधारणा और डीपीआर पर एक साथ विचार किया जा सके।  इससे परियोजनाओं की अवधारणा और मंजूरी में लगने वाले समय में कमी आएगी।

बी. वित्तीय और क्षेत्रीय सीमांकन को तर्कसंगत बनानाः एमडीओएनईआर की योजनाओं के बीच वित्तीय और क्षेत्रीय सीमांकन को तर्कसंगत बनाया गया है ताकि एमडीओएनईआर की कई योजनाओं में समान क्षेत्रों से संबंधित परियोजनाओं की मंजूरी के दोहराव को रोका जा सके।

सी. प्रक्रिया प्रवाह का सरलीकरण:  एमडीओएनईआर/एनईसी की योजनाओं के तहत स्वीकृत परियोजनाओं के लिए धन के प्रवाह की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है ताकि परियोजनाओं के लिए धन केवल 4 किश्तों में जारी किया जा सके। इसने धन जारी करने की प्रक्रिया को मानकीकृत किया है और इससे धन जारी करने के मामलों में देरी और लंबित मामलों में कमी आएगी।

डी. पूर्वोत्तर विकास सेतु पोर्टल: इस पोर्टल को प्रस्तावों के त्वरित प्रसंस्करण के लिए एमडीओएनईआर को अवधारणा नोट और डीपीआर जमा करने की प्रक्रिया को डिजिटल बनाने के लिए विकसित किया गया है। इसने राज्य सरकारों से प्राप्त सभी प्रस्तावों की उचित निगरानी भी सुनिश्चित की है।

ई. पीएम गति शक्ति पोर्टलः एमडीओएनईआर ने पीएम गति शक्ति पोर्टल का अपना उदाहरण बनाया है जिसमें सभी चल रही और पूरी हुई परियोजनाओं का जियोटैग विवरण शामिल है।  इस पोर्टल के माध्यम से चल रही सभी परियोजनाओं की मंजूरी के बाद की प्रक्रियाओं की निगरानी की जाती है।

2. पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए 10% सकल बजटीय सहायता के तहत व्यय

सरकार की मौजूदा नीति के अनुसार सभी गैर-छूट प्राप्त केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों (वर्तमान में 54) को केंद्रीय क्षेत्र और उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) के लिए केंद्र प्रायोजित योजनाओं के अपने सकल बजटीय समर्थन (जीबीएस) का कम से कम 10% खर्च करना अनिवार्य है। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के मंत्री/सचिव के स्तर पर नियमित तिमाही समीक्षा बैठकें आयोजित की जा रही हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी मंत्रालय अपने जीबीएस का अनिवार्य 10% पूर्वोत्तर क्षेत्र में खर्च करें। उन मंत्रालयों/विभागों के साथ अलग से बैठकें की जा रही हैं जो अपने लक्ष्य के अनुसार खर्च करने में सक्षम नहीं हैं ताकि परियोजनाओं के कार्यान्वयन और व्यय में तेजी लाई जा सके।

10% जीबीएस योजना पोर्टल (https://nesetu.mdoner.gov.in/gbs/) मासिक आधार पर एकत्र किए गए प्रत्येक मंत्रालय/विभागों से योजना स्तर में अखिल भारतीय और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए बजट अनुमान (बीई) वास्तविक व्यय (एई) की जानकारी को प्रदर्शित करने के लिए विकसित किया गया है। सभी गैर-छूट प्राप्त मंत्रालयों को डेटा प्रविष्टि के लिए इस पोर्टल में लॉगिन प्रदान किया गया है। यह पोर्टल 10% जीबीएस योजनाओं की प्रगति की निगरानी करने में मदद करता है। इस पोर्टल पर विभिन्न प्रकार की रिपोर्ट भी उपलब्ध हैं।

3. एनईआर पर फोकस- 15 दिनों में केंद्रीय मंत्रियों का पूर्वोत्तर राज्यों का दौरा

पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास की गति को तेज करने और क्षेत्र में सरकार द्वारा कार्यान्वित की जा रही परियोजनाओं/योजनाओं को गति प्रदान करने के लिए यह निर्णय लिया गया कि प्रत्येक 15 दिनों में एक केंद्रीय मंत्री द्वारा पूर्वोत्तर राज्यों का दौरा किया जाएगा। एमडीओएनईआर 2015 से हर महीने बारी-बारी से पूर्वोत्तर राज्यों का दौरा करने के लिए केंद्रीय मंत्रियों को नामित करके इन यात्राओं का संचालन और समन्वय करता है। जनवरी, 2015 से 31 नवंबर, 2024 तक केंद्रीय मंत्रियों ने 723 से अधिक बार पूर्वोत्तर क्षेत्रों (एनईआर) का दौरा किया। इन यात्राओं का समन्वय और निगरानी 'पूर्वोत्तर संपर्क सेतु' पोर्टल के माध्यम से की जाती है, जो पूर्वोत्तर क्षेत्र में केंद्रीय मंत्रियों की राज्य-वार/जिला-वार यात्राओं के बारे में मूल्यवान अंतर्दृष्टि और स्पष्ट जानकारी प्रदान करता है। इन यात्राओं के दौरान केंद्रीय मंत्रियों की सिफारिश पर की गई कार्रवाई की समीक्षा पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के राज्य मंत्री द्वारा समय-समय पर की जाती है।

4. विभिन्न कार्यबलों का गठन:

(I) अगरवुड टास्क फोर्स : अगर दुनिया के सबसे मूल्यवान पेड़ों में से एक है, जो पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) में पाया जाता है। इसका उपयोग दवा और सुगंध के उद्देश्यों के लिए किया जाता है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में अगरवुड क्षेत्र आर्थिक विकास और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है। इसकी क्षमता को पहचानते हुए पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (एमडीओएनईआर) द्वारा एक अंतर-मंत्रालयी कार्य बल (आईएमटीएफ) का गठन किया गया ताकि इस क्षेत्र में अगरवुड उद्योग को सतत विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की दिशा में सुव्यवस्थित कर इसे बढ़ाया जा सके।

(II) पर्यटन कार्य बल: वैश्विक पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए प्रत्येक पूर्वोत्तर राज्य में एक विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल विकसित करना; एनईआर में 200 अद्वितीय उत्पादों के लिए जीआई दर्जा स्थापित करने और सांस्कृतिक एवं ब्रांड पहचान को बढ़ावा देने के लिए अंतर-मंत्रालयी पर्यटन टास्क फोर्स का गठन किया गया है।  प्रत्येक राज्य में विकास के लिए पर्यटन स्थलों की पहचान की गई है और उन्हें संबंधित राज्यों के साथ साझा किया गया है। इस पर राज्य आगे बढ़ने पर अंतिम निर्णय लेगा।

5. प्रमुख पहलः

(I) पूर्वोत्तर सम्मेलन : पूवोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (एमडीओएनईआर) की ओर से नई दिल्ली स्थित अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में 05 फरवरी, 2024 को पूवोत्तर सम्मेलन का आयोजन किया। इस कार्यक्रम के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के मंत्री ने वर्चुअल रूप से द्वारका में 116.38 करोड़ रुपये की लागत से बने पूर्वोत्तर सांस्कृतिक और सामाजिक संस्थान की आधारशिला रखी और नई दिल्ली के जेएनयू में 28.67 करोड़ रुपये की लागत से बने बराक छात्रावास का उद्घाटन किया।

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(II) विविधता का अमृत महोत्सव : भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 08 फरवरी, 2024 को नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में स्थित अमृत उद्यान में 4 दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम 'विविधता का अमृत महोत्सव' का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर तत्कालीन पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री श्री किरेन रिजिजू भी उपस्थित थे। एमडीओएनईआर ने संस्कृति मंत्रालय के साथ साझेदारी में इस कार्यक्रम का आयोजन किया। महोत्सव में पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध विविधता का प्रदर्शन किया गया, जिसमें पारंपरिक कला, शिल्प और संस्कृतियों का जीवंत और व्यापक मिश्रण दिखा। महोत्सव में असम लक्सा, मणिपुर के एरोम्बेट सहित पूर्वोत्तर भारत के खाने-पीने (पाक) परिदृश्य के विविध स्वादों और अनूठी परंपराओं के जीवंत चित्रों का भी उत्सव मनाया गया।

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(III) सीएसआर गोलमेज परिचर्चा : नई दिल्ली के विज्ञान भवन में एमडीओएनईआर की ओर से 15 फरवरी, 2024 को एक कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) गोलमेज परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के सचिव, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी; पूर्वोत्तर राज्य; पूर्वोत्तर परिषद; सीपीएसई के प्रतिनिधि; विभिन्न कॉरपोरेट और गैर सरकारी संगठनों ने भाग लिया। गोलमेज परिचर्चा के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र में सीएसआर खर्च बढ़ाने के बारे में विचारों को साझा करने के लिए राज्यों को एक मंच प्रदान किया।

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(IV) भारतीय कला महोत्सवः भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 29 सितंबर, 2024 को हैदराबाद स्थित राष्ट्रपति निलयम में 29 सितंबर से 6 अक्टूबर, 2024 तक आयोजित 'भारतीय कला महोत्सव' का उद्घाटन किया। इस मौके पर सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों और तेलंगाना के राज्यपाल, संस्कृति और पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, एमडीओएनईआर के राज्य मंत्री श्री सुकांत मजूमदार भी उपस्थित थे। आठ दिवसीय महोत्सव का आयोजन पूर्वोत्तर राज्यों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उत्सव मनाने के लिए किया गया था, जो आगंतुकों को इस क्षेत्र की जीवंत कला, शिल्प, संगीत, नृत्य और पाक कला का आनंद लेने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। इन क्षेत्रों के 300 से अधिक प्रतिभाशाली कलाकारों और कारीगरों ने अपनी विविध परंपराओं का प्रदर्शन किया।

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(V) पूर्वोत्तर विकास चिंतन शिविरः 13 सितंबर, 2024 को पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में 'पूर्वोत्तर विकास चिंतन शिविर' का आयोजन किया गया। इस दौरान 54 केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, नीति आयोग, सीमा सड़क संगठन के प्रतिनिधियों, पूर्वोत्तर क्षेत्र के 14 आकांक्षी जिलों के उपायुक्तों, आठ पूर्वोत्तर राज्यों के योजना सचिवों, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय और उसके संगठनों के वरिष्ठ अधिकारियों ने बातचीत में भाग लिया और समय पर परियोजना कार्यान्वयन को सुव्यवस्थित करने के लिए मूल्यवान सुझाव दिए।

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(VI) विश्व खाद्य भारत  (डब्ल्यूएफआई)  कार्यक्रम 2024 : डब्ल्यूएफआई-2024 का आयोजन 19-22 सितंबर, 2024 तक भारत मंडपम में किया गया था। 4 दिवसीय भव्य कार्यक्रम में कई देशों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों और 18 केंद्रीय मंत्रालयों और संबद्ध सरकारी निकायों ने भाग लिया। एमडीओएनईआर ने अपने सीपीएसई, पूर्वोत्तर क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम लिमिटेड (एनईआरएएमएसी) और सभी 8 पूर्वोत्तर राज्यों के माध्यम से इस कार्यक्रम में भाग लिया। एमडीओएनईआर ने वर्ल्ड फूड इंडिया के सहयोग से 'भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) में आजीविका संवर्धन के लिए टिकाऊ कृषि' पर एक सत्र की मेजबानी की।

(VII) अष्टलक्ष्मी महोत्सव (6-8 दिसंबर, 2024) : नई दिल्ली में स्थित भारत मंडपम में पूर्वोत्तर भारत के जीवंत कपड़ा क्षेत्र, पर्यटन के अवसरों, पारंपरिक शिल्प कौशल और विशिष्ट भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग किए गए उत्पादों को प्रदर्शित करने वाला पहला अष्टलक्ष्मी महोत्सव आयोजित किया गया।

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प्रधानमंत्री ने महोत्सव का उद्घाटन किया था। असम, सिक्किम, मेघालय और त्रिपुरा के मुख्यमंत्रियों और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के मंत्रियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने उद्घाटन समारोह और तकनीकी सत्रों में भाग लिया। इसने भारत के भविष्य के विकास में इसके रणनीतिक महत्व पर ध्यान केंद्रित करते हुए क्षेत्र की सांस्कृतिक संपदा के उत्सव के रूप में कार्य किया। इस कार्यक्रम में अष्टलक्ष्मी महोत्सव के शुभंकर पूर्वी का लोकार्पण किया गया।  पूर्वी, एक युवा लड़की, जो कार्यक्रम की अवधि से परे क्षेत्र की विरासत, संस्कृति और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है।

Ashtalakshmi Mahotsav 2024 | Celebrating Northeast India's Art & Culture

250 से अधिक कारीगर 34 जीआई-टैग वाली वस्तुओं सहित अद्वितीय हस्तशिल्प, हथकरघा और कृषि-बागवानी उत्पादों का प्रदर्शन करेंगे। तकनीकी सत्र महिला नेतृत्व, आईटी, ऊर्जा, स्वास्थ्य देखभाल, खेल आदि जैसे प्रमुख विकास क्षेत्रों पर केंद्रित थे। निवेशक गोलमेज सम्मेलन ने हस्तशिल्प, कृषि और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में अवसरों का पता लगाया, जबकि क्रेता-विक्रेता बैठकों ने व्यावसायिक सहयोग को बढ़ावा दिया। महोत्सव के दौरान आयोजित निवेशकों की गोलमेज बैठक में कुल 2326 करोड़ रुपये के निवेश जुटाने की बात कही गई।

(VIII)  बैंकरों का सम्मेलन (21.12.2024) : पूर्वोत्तर में वित्तीय समावेशन और आर्थिक विकास को बढ़ाने के उद्देश्य से 21.12.2024 को अगरतला, त्रिपुरा में बैंकर्स कॉन्क्लेव 2.0 का आयोजन किया गया है। वित्तीय समावेशन, ऋण वितरण, डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र और प्राथमिकता क्षेत्र ऋण प्रमुख फोकस क्षेत्र रहे। सम्मेलन में वित्तीय साक्षरता में सुधार, एसएचजी को बढ़ावा देने और एमएसएमई को औपचारिक बनाने के लिए रणनीतियों को तैयार करने पर विचार-विमर्श किया गया। इसके परिणामस्वरूप एनईआर में सतत विकास के लिए ऋण प्रवाह और एंड-टू-एंड वित्तपोषण में वृद्धि हो सकती है।

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6. पूर्वोत्तर क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहन

ए. मंत्रालय क्षेत्र में निवेश और व्यापार क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए निवेश संवर्धन गतिविधियों का आयोजन कर रहा है। इस उद्देश्य के लिए पहचाने गए फोकस क्षेत्रों में कृषि और संबद्ध क्षेत्र, हस्तशिल्प और हथकरघा, पर्यटन और आतिथ्य, आईटी और आईटीईएस, खेल और मनोरंजन, शिक्षा और कौशल विकास और स्वास्थ्य सेवा शामिल हैं। पूर्वोत्तर निवेशक शिखर सम्मेलन (एनईआईएस) के अग्रदूत के रूप में, जिसे मंत्रालय मार्च-अप्रैल, 2025 में आयोजित करने की योजना बना रहा है, पूर्वोत्तर क्षेत्र की निवेश और व्यापार क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए 2024 के दौरान कोलकाता, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु में कुल 4 रोड शो आयोजित किए गए हैं। अब तक सभी 6 रोड शो को कवर करते हुए राज्यों और निवेशकों के बीच 38,856 रुपये के 115 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

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बी. निवेश संवर्धन एजेंसी (आईपीए) को मजबूत करने और पूर्वोत्तर राज्य सरकार को अपने राज्यों में निवेश आकर्षित करने, सुविधा प्रदान करने और बढ़ाने के उद्देश्यों को पूरा करने में सहायता करने के इरादे से एमडीओएनईआर ने इन्वेस्ट इंडिया के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। गतिविधियों और उपलब्धियों में सुगम निवेश सुविधा, केंद्रित निवेश, निवेश पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार और निवेश के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी का विकास, निवेशक-अनुकूल नीतियों की तैयारी में सहायता, प्रमुख विकास क्षेत्रों की पहचान और निवेश और वाणिज्य के लिए साझेदारी का निर्माण शामिल है; जो सतत विकास और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों के संसाधनों का लाभ उठाने में मदद करेगा।

7. पूर्वोत्तर परिषद का पूर्ण अधिवेशन

शिलांग के राज्य सम्मेलन केंद्र में 21 दिसंबर, 2024 को पूर्वोत्तर परिषद का 72वां पूर्ण अधिवेशन आयोजित किया गया था। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री और एनईसी के अध्यक्ष श्री अमित शाह ने की थी। इस दौरान तत्कालीन केंद्रीय मंत्री, डीओएनईएआर और उपाध्यक्ष, एनईसी, श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और माननीय राज्य मंत्री, डीओएनईएआर और सदस्य, एनईसी, श्री सुकांत मजूमदार, पूर्वोत्तर राज्यों के राज्यपाल और पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्री उपस्थित रहे। पूर्ण अधिवेशन में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के सचिव, एनईसी के सचिव और भारत सरकार और पूर्वोत्तर क्षेत्र की राज्य सरकारों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया। पूर्ण अधिवेशन के दौरान एनईसी और एनईआर से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। इस दौरान गृह मंत्री ने बुनियादी ढांचे के विकास, प्रौद्योगिकी के उपयोग आदि पर जोर दिया।

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8. आईटी इंटरवेंशन :

पूर्वोत्तर क्षेत्र एग्री-कमोडिटी ई-कनेक्ट (एनईआरएसीई) ऐप का शुभारंभः पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ने 12 जुलाई, 2024 को पूर्वोत्तर क्षेत्र एग्री-कमोडिटी ई-कनेक्ट (एनईआरएसीई) ऐप लॉन्च किया। एनईआरएसीई एक एकीकृत डिजिटल मंच है जो किसानों को वैश्विक बाजार से जोड़ता है, जिससे प्रत्यक्ष लेनदेन और मूल्य संबंधी वार्ता संभव होती है। ऐप में बहुभाषी हेल्पलाइन (अंग्रेजी, हिंदी, असमिया, बंगाली, नेपाली, खासी, मिज़ो और मणिपुरी) है। साथ ही एकीकृत किसान और विक्रेता हैं, जो पूर्वोत्तर भारत में कृषि संपर्क को बढ़ाते हैं। किसानों और खरीदारों के बीच की खाई को दूरी कर एनईआरएसीई का उद्देश्य किसानों को अधिक खरीदारों तक पहुंचने, उनकी आय में सुधार करने और नए अवसरों तक पहुंच बढ़ाने के लिए सशक्त बनाना है।

मोबाइल एप्लीकेशन :

परियोजनाओं की क्षेत्रीय स्तर की निगरानी और परियोजनाओं के भौतिक निरीक्षण के दौरान एफटीएसयू की सहायता के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया गया है। इस ऐप में भौतिक प्रगति, परियोजना की छवियों, निविदा विवरण, परियोजना स्थान आदि को अपडेट करने की सुविधा है।

9. पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए पांच सूत्री रूपरेखा :

मंत्रालय ने एनईसी के समग्र विकास के लिए पांच सूत्री रूपरेखा तैयार की है।  इनमें शामिल हैं :

(I) प्रतिस्पर्धी मैट्रिक्स : पूर्वोत्तर के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय ने निर्धारित किया है (i) पूर्वोत्तर के अन्य 7 राज्यों की तुलना में किसी विशेष राज्य की प्रतिस्पर्धात्मकता; (ii) शेष भारत की तुलना में किसी राज्य की प्रतिस्पर्धात्मक शक्ति; और (iii) अपने अंतर्राष्ट्रीय पड़ोसियों की तुलना में किसी राज्य की सापेक्ष शक्ति। स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, बुनियादी ढांचा-परिवहन और कनेक्टिविटी, कृषि-संबद्ध और खाद्य प्रसंस्करण और पर्यटन जैसे विभिन्न मानकों पर प्रत्येक राज्य के लिए ताकत, कमी, अवसर और खतरों के संदर्भ में एसडब्ल्यूओटी विश्लेषण किया गया है। अल्पकालिक, मध्यम अवधि और दीर्घकालिक उपायों के लिए सिफारिशों को राज्यों के साथ साझा किया गया है। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने पर्यटन, पाम तेल की खेती, अगरवुड, बागवानी आदि जैसे संभावित लेकिन अभी तक पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं किए गए क्षेत्रों की पहचान की है और पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्री की यात्राओं के दौरान राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ इन पर चर्चा की गई है।

(II) जीवंत गांव : इस कार्यक्रम का उद्देश्य पूर्वोत्तर सीमा के साथ गांवों और कस्बों की पहचान और विकास करना है, विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में बुनियादी ढांचे को बढ़ाने और निवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। यह आर्थिक विकास, सड़क संपर्क, नवीकरणीय ऊर्जा, दूरसंचार सेवाओं, पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार, पर्यटन, वित्तीय समावेशन, कौशल विकास और सहकारी समितियों की स्थापना पर केंद्रित है।

(III) पूंजी निवेश :

इसका लक्ष्य एमडीओएनईआर की योजनाओं और अन्य संबंधित मंत्रालयों और विभागों के लिए 10% सकल बजटीय सहायता (जीबीएस) प्रावधान के तहत स्वीकृत राज्य में प्रमुख परियोजनाओं को पूरा करना है। यह रणनीति उच्च प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए प्रति राज्य पांच ऐतिहासिक पहलों का चयन करते हुए परिवर्तनकारी परियोजनाओं की पहचान और कार्यान्वयन पर जोर देती है। इस दृष्टिकोण का लक्ष्य धीरे-धीरे कम लेकिन बड़ी और अधिक महत्वपूर्ण परियोजनाओं की ओर परिवर्तन करना, संसाधनों को अधिकतम करना और पर्याप्त विकासात्मक परिणाम प्राप्त करना है।

(IV) 100% संतृप्ति : कार्यान्वयन के लिए एक विचार की पहचान करना और फिर पूरे राज्य में विचार की शत-प्रतिशत संतृप्ति सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना है।

(V) प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन :  एमडीओएनईआर परियोजनाओं को पूरा करने और उनके संचालन में अधिक दक्षता दिखाने वाले राज्यों को उच्च बजट परिव्यय आवंटित करके उन्हें प्रोत्साहित करने की योजना बना रहा है।

10. पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय विकास के उभरते विषयों पर जनवरी, 2024 से मासिक आधार पर व्याख्यानों की एक श्रृंखला 'विचार' आयोजित कर रहा है। व्याख्यानों का उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों और अवसरों के बारे में उच्च गुणवत्ता वाली बातचीत और अंतर्दृष्टि प्रदान करना है। प्रतिष्ठित संस्थानों/संगठनों के प्रख्यात वक्ताओं को विकास के विभिन्न क्षेत्रों जैसे बुनियादी ढांचे, आजीविका सृजन, कौशल विकास, उद्यमिता, क्षमता निर्माण, नवीकरणीय ऊर्जा आदि में अपने विचार साझा करने के लिए आमंत्रित किया जाता है।

सितंबर, 2024 तक मंत्रालय द्वारा निम्नलिखित विषयों पर छह व्याख्यान आयोजित किए गए हैं। इनमें संस्थानों/संगठनों आदि के प्रतिष्ठित वक्ता शामिल हुए :-

(i) उत्तर पूर्व क्षेत्र में टिकाऊ बुनियादी ढांचा: संभावनाएं और चुनौतियों पर 24.01.2024 को व्याख्यान आयोजित किए।

(ii) एनईआर में कृषि और बागवानी में आजीविका के अवसर पर 01.02.2024 को व्याख्यान आयोजित किए गए

(iii) एनईआर में बुनकरों और कारीगरों का क्षमता निर्माण पर 29.02.2024 को व्याख्यान आयोजित किए गए

(iv) एनईआर में उद्यमिता-स्टार्टअप को बढ़ावा देने पर 28.03.2024 को व्याख्यान आयोजित किए गए

(v) एनईआर में नवीकरणीय ऊर्जा विकसित करने के विचार और दायरा पर 26.04.2024 को व्याख्यान आयोजित किए गए

(vi) सार्वजनिक क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विषय पर 09.09.2024 को व्याख्यान आयोजित किए गए

11. पूर्वोत्तर हस्तशिल्प और हथकरघा विकास निगम लिमिटेड (एनईएचएचडीसी) की उपलब्धियां

एनईएचएचडीसी ने सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों के 623 कारीगरों और बुनकरों की पहचान की और उन्हें संगठित किया और एनईआर के समृद्ध शिल्पों का प्रदर्शन किया और उन्हें हाल ही में संपन्न हुए आत्मनिर्भर भारत उत्सव, विविधता का अमृत महोत्सव 2024, सूरजकुंड मेला 2024 में विपणन (मार्केटिंग) मंच प्रदान किया गया।

78वें स्वतंत्रता दिवस समारोह 2024 के तहत एरी रेशम संस्कृति के महत्व को प्रदर्शित करने के लिए एनईएचएचडीसी ने गारचुक कार्यालय परिसर में एरी रेशम पालन और उत्पादन अनुभव केंद्र (ईएसआरपीईसी) का उद्घाटन किया है। इस केंद्र का मुख्य उद्देश्य एरी संस्कृति को बढ़ावा देना और एरी रेशम जीवन चक्र के विभिन्न चरणों को प्रदर्शित करना है। इसके अतिरिक्त केंद्र में एरी रेशम के इतिहास, सांस्कृतिक महत्व और तकनीकी पहलुओं पर जोर देने के लिए शैक्षिक प्रदर्शन, वीडियो और संवादात्मक कार्यक्रम होंगे।

राष्ट्र के 78वें स्वतंत्रता दिवस पर एनईएचएचडीसी ने जर्मनी से अपनी एरी सिल्क के लिए प्रतिष्ठित ओको-टेक्स® मानक 100 (OEKO-TEX® STANDARD 100) प्रमाणन भी प्राप्त किया है।

स्नातक, स्नातकोत्तर और सतत शिक्षा के लिए नौकरी-उन्मुख और उद्योग से संबंधित पाठ्यक्रम संचालित करने, प्रशिक्षकों और मूल्यांकनकर्ताओं के प्रशिक्षण को बढ़ावा देने और परिधान और होम फर्निशिंग क्षेत्रों पर उद्योग पेशेवरों को कौशल प्रदान करने के लिए गारचुक, गुवाहाटी में अपैरल मेड-अप्स एंड होम फर्निशिंग सेक्टर स्किल काउंसिल के सहयोग से एक उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की गई।

एनईएचएचडीसी मोबाइल ऐप के माध्यम से धागे के साथ यार्न ऑन व्हील्स (हर घर धागा) पहल शुरू की गई, जिसने स्थानीय बुनकर समाज को 28.40 लाख रुपये के कपास, एरी, तुसार और एक्रिलिक के 1,907.53 किलोग्राम धागे की आपूर्ति करके सीधे उनके दरवाजे पर अधिक किफायती धागे के लिए महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है।

'नेचर वीव' ब्रांड नाम के तहत इन-हाउस स्मार्ट हैंडलूम एंड इनोवेशन सेंटर की स्थापना की गई, जिसने 4977 यूनिट साड़ी, स्टोल, दुपट्टा, मफलर, बेडशीट, पर्दे कुशन कवर और कॉटन, एरी से बने 1240 मीटर अन्य यार्डेज फैब्रिक का उत्पादन किया है। शहतूत, मुगा रेशम आदि की कुल बिक्री 91.03 लाख रुपये है।

गुवाहाटी में स्थित गरचुक में एक एनएबीएल मान्यता प्राप्त वस्त्र परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना की गई और अब तक फाइबर, धागे और कपड़े के परीक्षण के संबंध में निजी और सरकारी एजेंसियों को 12,971 परीक्षण रिपोर्ट प्रदान की गई हैं। प्रयोगशाला फाइबर सामग्री, फाइबर फिटनेस, कपड़े की मोटाई, धागे की गिनती, यार्न की गिनती, ली स्ट्रेंथ टेस्ट आदि जैसे विभिन्न परीक्षण करने में सक्षम है।

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एमजी/केसी/आरकेजे


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