उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
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खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की वार्षिक समीक्षा-2024


प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना 1 जनवरी, 2024 से 5 वर्षों के लिए बढ़ाया गया

मार्च, 2024 तक फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति सफलतापूर्वक की गई, कस्टम-मिल्ड चावल को फोर्टिफाइड चावल से बदला गया

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत देशभर में शत-प्रतिशत राशन कार्डों का डिजिटलीकरण किया गया

लाभार्थियों को सब्सिडी वाले खाद्यान्नों के पारदर्शी वितरण के लिए इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ़ सेल (ईपीओएस) उपकरणों का उपयोग करके देशभर में 99.8 प्रतिशत उचित मूल्य की दुकानें (एफपीएस) संचालित की गईं

सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड’ योजना लगभग 80 करोड़ लाभार्थी के लिए लागू की गई

ऋण गारंटी योजना ई-एनडब्ल्यूआर से फसलोत्तर ऋण देने में मदद करती है, जो किसानों की आय में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है

खाद्यान्नों के मार्ग अनुकूलन से विदेशी मुद्रा की बचत होती है और कार्बन उत्सर्जन में कमी होती है

Posted On: 20 DEC 2024 11:36AM by PIB Delhi

वर्ष 2024 के दौरान खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की गतिविधियों की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई)

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को देश में कोविड-19 के कारण उत्पन्न आर्थिक व्यवधानों के कारण गरीबों और जरूरतमंदों को होने वाली कठिनाइयों को कम करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। कोविड संकट को देखते हुए, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत मुफ्त खाद्यान्न का आवंटन नियमित आवंटन के अतिरिक्त था। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (चरण I-VII) के अंतर्गत 28 महीनों के लिए लगभग 1118 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न आवंटित किया गया था, जिसका कुल नियोजित वित्तीय परिव्यय लगभग 3.91 लाख करोड़ था।

केंद्र सरकार ने गरीब लाभार्थियों के वित्तीय बोझ को कम करने और अधिनियम के राष्ट्रव्यापी एकरूपता और प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत एक जनवरी 2023 से शुरू होने वाली एक वर्ष की अवधि के लिए राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) लाभार्थियों यानी अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) परिवारों और प्राथमिकता प्राप्त परिवार (पीएचएच) लाभार्थियों को मुफ्त में खाद्यान्न उपलब्ध कराने का फैसला किया था। इससे पहले, राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत लाभार्थियों को चावल के लिए तीन रुपये प्रति किलोग्राम, गेहूं के लिए 2 रुपये प्रति किलोग्राम और मोटे अनाज के लिए एक रुपये प्रति किलोग्राम की दर से सब्सिडी वाले खाद्यान्न वितरित किए जाते थे। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत मुफ्त खाद्यान्न वितरण की अवधि एक जनवरी, 2024 से पांच साल के लिए बढ़ा दी गई है।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रभावी और एकसमान कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगी। एक राष्ट्र एक कार्ड (ओएनओआरसी) के अंतर्गत, जो राशन कार्ड की पोर्टेबिलिटी की एक सफल पहल है, कोई भी लाभार्थी देश भर में किसी भी एफपीएस से एक समान राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम पात्रता और मूल्य पर खाद्यान्न प्राप्त कर सकता है। मुफ्त खाद्यान्न पूरे देश में एक राष्ट्र एक कार्ड के अंतर्गत एकसमान कार्यान्वयन को सुनिश्चित कर इस विकल्प-आधारित मंच को और मजबूत करेगा।

इस समय, 81.35 करोड़ व्यक्तियों को कवर करने के लक्ष्य के मुकाबले 80.67 करोड़ व्यक्ति निःशुल्क खाद्यान्न प्राप्त कर रहे हैं।

टीपीडीएस/ओडब्ल्यूएस और अतिरिक्त आवंटन (बाढ़, त्योहार आदि) के अंतर्गत 2023-24 के लिए खाद्यान्न का वार्षिक आवंटन:

खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग एनएफएसए {अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई), प्राथमिकता वाले परिवार (पीएचएच), टाइड ओवर, पीएम पोषण योजना, गेहूं आधारित पोषण कार्यक्रम [अम्ब्रेला आईसीडीएस का एक घटक]} और अन्य कल्याणकारी योजनाओं जैसे कि किशोरियों के लिए योजना, अन्नपूर्णा योजना और कल्याण संस्थान एवं छात्रावास योजना (डब्ल्यूआईएच) के अंतर्गत खाद्यान्न का आवंटन करता है। वर्ष 2024-25 के लिए योजना-वार आवंटन इस प्रकार है:

 

 

 

 

 

लाख टन में

 

योजना का नाम

चावल

गेहूं

न्यूट्री-अनाज

कुल

 

 

 

 

 

 

टीपीडीएस (एनएफएसए आवंटन)

 

अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई)

69.80

29.68

0.00

99.48

 

प्राथमिकता प्राप्त परिवार (पीएचएच)

273.20

149.73

6.42

429.35

 

टीपीडीएस (टाइड-ओवर)

21.19

5.04

0.00

26.23

 

पीएम पोषण (एमडीएम)

19.21

3.76

0.00

22.96

 

डब्ल्यूबीएनपी (आईसीडीएस)

13.89

11.74

0.16

25.78

 

कुल

397.28

199.95

6.57

603.80

 

 

 

 

 

 

बी

अन्य कल्याणकारी योजनाएं

 

छात्रावास एवं कल्याण संस्थाएं

3.24

0.87

0.00

4.10

 

किशोरियों के लिए योजना (एसएजी)

0.334

0.343

0.0038

0.68

 

अन्नपूर्णा

0.00

0.00

0.00

0.00

 

कुल

3.57

1.21

0.00

4.78

 

 

 

 

 

 

सी

अतिरिक्त आबंटन (त्योहार, आपदा, अतिरिक्त टीपीडीएस आदि)

 

प्राकृतिक आपदा आदि
(एमएसपी दरें)

0.06

0.07

0.00

0.13

 

त्योहार/अतिरिक्त आवश्यकता आदि
(आर्थिक लागत)

0.96

0.60

0.00

1.56

 

कुल

1.02

0.67

0.00

1.69

 

 

 

 

 

 

ए+बी+सी

कुल योग

401.88

201.83

6.57

610.28

 

चावल को पौष्टिक बनाने पर माननीय प्रधानमंत्री की घोषणा

माननीय प्रधानमंत्री ने 75वें स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त, 2021) पर अपने संबोधन में सरकारी योजनाओं के अंतर्गत फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति करके पोषण प्रदान करने की घोषणा की। घोषणा के अनुसार, भारत सरकार लक्षित आबादी के बीच फोर्टिफाइड चावल के समान पोषण संबंधी प्रभाव को प्राप्त करने के लिए लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस), प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पीएम पोषण) योजना और एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) योजना और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में अन्य कल्याणकारी योजनाओं (ओडब्ल्यूएस) के अंतर्गत फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति कर रही है। इस पहल का उद्देश्य भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा निर्धारित मानकों का पालन करते हुए आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी12 जैसे आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों से समृद्ध फोर्टिफाइड चावल उपलब्ध कराना है। इस पहल को तीन चरणों में बढ़ाया गया - चरण I (2021-22) जिसमें आईसीडीएस और पीएम-पोषण को शामिल किया गया, चरण II (2022-23) जिसमें आईसीडीएस, पीएम-पोषण और टीपीडीएस के अंतर्गत 291 आकांक्षी और उच्च बोझ वाले जिले शामिल किए गए और चरण III (2023-24) जिसमें आईसीडीएस, पीएम पोषण और टीपीडीएस के अंतर्गत सभी जिले शामिल किए गए।

मार्च, 2024 तक फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति की पहल को सफलतापूर्वक लागू किया गया है, जिससे 100 प्रतिशत उठाव हासिल हुआ है। सरकार की हर योजना में कस्टम-मिल्ड चावल की जगह फोर्टिफाइड चावल का इस्तेमाल किया गया है। शुरुआत में 30 जून, 2024 तक खाद्य सब्सिडी के हिस्से के रूप में भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित इस पहल की आगे की निरंतरता और भविष्य की लागत-साझाकरण के लिए समीक्षा की गई थी। 9 अक्टूबर, 2024 को हुई बैठक के दौरान कैबिनेट ने जुलाई 2024 से दिसंबर 2028 तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति जारी रखने को मंजूरी दी है। यह पहल केंद्रीय क्षेत्र की पहल के रूप में जारी रहेगी, जो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना ढांचे के अंतर्गत सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित होगी, जिसमें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के लिए पहले से स्वीकृत 11,79,859 करोड़ रुपये के आवंटन का उपयोग किया जाएगा।

लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) सुधार

सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत राशन कार्ड/लाभार्थियों का डेटा शत-प्रतिशत डिजिटल किया गया है। लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को कवर करने वाले लगभग 20.54 करोड़ राशन कार्डों का विवरण राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के पारदर्शिता पोर्टल पर उपलब्ध है।

99.8 प्रतिशत से अधिक राशन कार्डों (कम से कम एक सदस्य) को आधार से जोड़ा गया।

देश में लगभग 99.8 प्रतिशत (कुल 5.43 लाख में से 5.41 लाख) उचित मूल्य की दुकानें (एफपीएस) लाभार्थियों को सब्सिडी वाले खाद्यान्नों के पारदर्शी और सुनिश्चित वितरण के लिए इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल (ईपीओएस) उपकरणों का उपयोग करके संचालित हैं।

खाद्यान्न वितरण के अंतर्गत 97 प्रतिशत से अधिक लेन-देन राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा बायोमेट्रिक रूप से/आधार द्वारा प्रमाणित करके दर्ज किए गए हैं।

एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना की प्रगति

अगस्त 2019 में सिर्फ 4 राज्यों में अंतर-राज्यीय पोर्टेबिलिटी के साथ शुरू होकर, अब तक एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना सभी 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लागू हो गई है, जिससे लगभग 80 करोड़ एक राष्ट्र एक राशन कार्ड लाभार्थी यानी लगभग 100 प्रतिशत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम आबादी कवर हो गई है।

अगस्त 2019 में एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना की शुरुआत के बाद से, देश में एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना के अंतर्गत 158.8 करोड़ से अधिक पोर्टेबिलिटी लेनदेन दर्ज किए गए हैं, जिससे 315.8 लाख मीट्रिक टन से अधिक खाद्यान्न वितरित किया गया है, जिसमें अंतर-राज्यीय और अंतरराज्यिक दोनों लेनदेन शामिल हैं।

वर्ष 2024 के 11 महीनों में लगभग 30 करोड़ पोर्टेबिलिटी लेनदेन किए गए, जिससे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर-राज्यीय और अंतरराज्यिक पोर्टेबिलिटी लेनदेन सहित लगभग 66 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न वितरित किया गया। वर्तमान में, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना खाद्यान्न वितरण के अंतर्गत हर महीने 2.5 करोड़ से अधिक पोर्टेबिलिटी लेनदेन दर्ज किए जा रहे हैं।

खाद्यान्नों का आवागमन

वर्ष 2024 के दौरान (जनवरी, 2024 से अक्टूबर, 2024 तक), 204 कंटेनरयुक्त रेक चले, जिससे लगभग 4.40 करोड़ रुपये की बचत हुई।

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) तटीय शिपिंग और आंध्र प्रदेश के निर्दिष्ट डिपो से केरल और अंडमान और निकोबार तथा कर्नाटक से लक्षद्वीप के डिपो तक सड़क परिवहन सहित चावल का बहु-मॉडल परिवहन भी कर रहा है। वर्ष 2024 के दौरान (यानी जनवरी, 2024 से अक्टूबर, 2024 तक) 0.39 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न स्टॉक को पारंपरिक परिवहन के मुकाबले लागत अर्थशास्त्र के आधार पर ले जाया गया।

इसके अलावा, भारतीय खाद्य निगम ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की आवश्यकता को पूरा करने के लिए जनवरी, 2024 से अक्टूबर, 2024 तक लगभग 358.93 लाख मीट्रिक टन मात्रा के साथ खाद्यान्न के कुल 10205 रेक लोड किए हैं।

किसानों को सहयोग

खरीद संचालन: खाद्य प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य किसानों से लाभकारी मूल्य पर खाद्यान्न खरीदना, उपभोक्ताओं को, विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों को, उचित मूल्य पर खाद्यान्न वितरित करना तथा खाद्य सुरक्षा और मूल्य स्थिरता के लिए बफर स्टॉक बनाए रखना है। केंद्र सरकार भारतीय खाद्य निगम और राज्य एजेंसियों के माध्यम से धान, मोटे अनाज और गेहूं को मूल्य समर्थन प्रदान करती है। निर्दिष्ट केंद्रों पर बिक्री के लिए पेश किए गए निर्धारित विनिर्देशों के अनुरूप सभी खाद्यान्न (गेहूं और धान) सार्वजनिक खरीद एजेंसियों द्वारा घोषित बोनस सहित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदे जाते हैं। किसानों के पास अपनी उपज को भारतीय खाद्य निगम/राज्य एजेंसियों को एमएसपी पर या खुले बाजार में बेचने का विकल्प होता है, जो उनके लिए फायदेमंद हो।

आरएमएस 2024-25 के दौरान 266.05 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई, जिससे 2248725 किसान लाभान्वित हुए।

केएमएस 2023-24 के दौरान 782.29 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई है, जिससे 10657828 किसान लाभान्वित हुए हैं। चालू केएमएस 2024-25 के दौरान एक दिसंबर 2024 तक 283.17 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई है और 2014007 किसान लाभान्वित हुए हैं।

मोटे अनाज/बाजरा की खरीद

केएमएस 2023-24 के दौरान कुल मोटे अनाज की खरीद 12.55 एलएमटी है, जो केएमएस 2022-23 के दौरान की गई खरीद की तुलना में 170 प्रतिशत अधिक है। यह पिछले 10 वर्षों में सबसे अधिक मोटे अनाज की खरीद है।

पिछले दो वर्षों के दौरान मोटे अनाज/बाजरा की खरीद तथा चालू वर्ष के लिए अनुमानित खरीद निम्नानुसार है:

मीट्रिक टन में आंकड़ा

केएमएस

माल

कुल

2022-23

ज्वार

85197

बाजरा

182005

मक्का

13122

रागी

456745

कुल

737069

2023-24

ज्वार

323163

बाजरा

696457

मक्का

4532

रागी

230920

कुल

1255073

2024-25*

ज्वार

196000

बाजरा

713000

मक्का

160000

रागी

830500

लघु बाजरा (फॉक्सटेल)

3000

 

कुल

1902500

* अनुमानित खरीद मात्रा राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से प्राप्त अनुरोध के अनुसार।

खाद्यान्न पैकेजिंग सामग्री

जूट मिलों की उत्पादन क्षमता और राज्यों/एफसीआई की आवश्यकता को देखते हुए, इस विभाग ने केएमएस 2024-25 में 17.53 लाख जूट गांठें और आरएमएस 2024-25/केएमएस 2023-24 (रबी फसल) में 15.67 लाख जूट गांठें राज्य खरीद एजेंसियों और एफसीआई को आवंटित की हैं। चूंकि पर्याप्त जूट बैग उपलब्ध थे, इसलिए पिछले दो सत्रों में राज्यों/एफसीआई को एचडीपीई/पीपी बैग के उपयोग की अनुमति नहीं दी गई थी।

गेहूं स्टॉक सीमा लागू करना

खाद्य सुरक्षा के प्रबंधन और जमाखोरी को रोकने के लिए, भारत सरकार ने 24 जून 2024 को गेहूं की स्टॉक सीमा लागू की है, जिसे बाद में 09 सितंबर 2024 और 11 दिसंबर 2024 को संशोधित किया गया है और यह सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 31 मार्च 2025 तक लागू है:

इकाइयां

गेहूं स्टॉक सीमा

व्यापारी / थोक विक्रेता

1000 मीट्रिक टन

खुदरा विक्रेता

प्रत्येक रिटेल आउटलेट के लिए 5 मीट्रिक टन।

बड़ी श्रृंखला वाले खुदरा विक्रेता

प्रत्येक आउटलेट के लिए 5 मीट्रिक टन, बशर्ते कि उनके सभी आउटलेट और डिपो पर स्टॉक की अधिकतम मात्रा (5 गुणा कुल आउटलेट की संख्या) मीट्रिक टन हो।

प्रोसेसर

अप्रैल 2025 तक मासिक स्थापित क्षमता (एमआईसी) का 50 प्रतिशत शेष महीनों से गुणा किया जाएगा।

 

संशोधित स्टॉक सीमा अधिसूचना की तिथि (अर्थात 11 दिसंबर 2024) से 15 दिनों के बाद लागू होगी।

गेहूं स्टॉक पोर्टल पर पंजीकृत संस्थाओं की कुल संख्या 25,017 है और गेहूं स्टॉक पोर्टल पर 68 लाख मीट्रिक टन गेहूं का स्टॉक (11 दिसंबर 2024 तक) घोषित किया गया है।

खाद्य सब्सिडी

भारत सरकार/वित्त मंत्रालय प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत राज्यवार धनराशि आवंटित नहीं करता है, बल्कि खाद्य सब्सिडी के लिए धनराशि भारतीय खाद्य निगम और उन राज्यों को जारी की जाती है जिन्होंने लक्षित लाभार्थियों को खाद्यान्न के वितरण के आधार पर विकेंद्रीकृत खरीद को अपनाया है। पिछले और चालू वित्त वर्ष में एफसीआई और डीसीपी राज्यों को जारी खाद्य सब्सिडी का विवरण क्रमशः 2,11,394.39 करोड़ रुपये और 1,40,239.10 करोड़ रुपये (अक्टूबर, 2024 तक) है। इसके अलावा, डीसीपी राज्यों को जारी सब्सिडी का विवरण नीचे दिया गया है

डीसीपी राज्यों को जारी खाद्य सब्सिडी का राज्यवार ब्योरा निम्नानुसार है:

 (करोड़ रुपए में)

क्र.सं.

राज्य का नाम

2023-24

2024-25

(अक्टूबर 2024 तक)

  1.  

आंध्र प्रदेश

6268.19

5498

  1.  

बिहार

6557.64

7032.12

  1.  

छत्तीसगढ

5236.13

17.96

  1.  

गुजरात

267.83

2.49

  1.  

कर्नाटक

1222.13

120.68

  1.  

केरल

1151.85

369.86

  1.  

मध्य प्रदेश

16939.27

3449.05

  1.  

महाराष्ट्र

3923.29

327.74

  1.  

ओडिशा

14473.68

4671.18

  1.  

पंजाब

2064.56

661.26

  1.  

तमिलनाडु

7072.53

3178.16

  1.  

तेलंगाना

5367.07

2592.1

  1.  

उत्तराखंड

724.39

517.3

  1.  

पश्चिम बंगाल

-

1535.42

  1.  

झारखंड@

42.77

342.97

  1.  

त्रिपुरा

106.51

35.79

  1.  

डीबीटी* एवं विविध

267.6

105.31

  1.  

हिमाचल प्रदेश$

47.38

-

कुल

71732.82

30457.39

टिप्पणी:-

@ झारखंड केएमएस 2016-17 (केवल 1 जिले के लिए) 2017-18 (केवल 5 जिले के लिए), 2018-19 (केवल 6 जिले के लिए) के लिए डीसीपी था। उन्होंने केएमएस 2019-20 में नॉन-डीसीपी को अपनाया है। वित्त वर्ष 2023-24 में डीसीपी को अपनाया जाएगा

$ हिमाचल प्रदेश ने 2023-24 में डीसीपी मोड को अपनाया है

*डीबीटी योजना के अंतर्गत, वर्ष 2015-16 से चंडीगढ़, पुडुचेरी तथा दादरा एवं नगर हवेली संघ शासित प्रदेशों को सब्सिडी जारी की गई है।

उपलब्धियां निम्नानुसार हैं:

  1. राज्यों के खाद्य सब्सिडी खातों के निपटान/अंतिम रूप देने के लिए नई एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया): खाद्य सब्सिडी जारी करने की प्रक्रिया को मानकीकृत करने और यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) जारी की गई है कि हितधारक समय पर और कुशल तरीके से अपने खातों का निपटान/अंतिम रूप दे सकें। मानक संचालन प्रक्रिया खाता निपटान प्रक्रिया के लिए प्रक्रियाओं, गणना पद्धतियों और समयसीमा में स्थिरता स्थापित करता है।
  2. स्कैन - एनएफएसए और ओडब्ल्यूएस के लिए सब्सिडी दावा आवेदन: स्कैन अपने छह शक्तिशाली उप-मॉड्यूल के साथ राज्य के प्रस्तावों की प्रक्रिया को सरल और तेज करता है, जिसमें स्कैन आईसीएस, स्कैन-डीसीपी, स्कैन एफसीआई, स्कैन-एनएफएस, स्कैन-डीबीटी और स्कैन एफसीएस शामिल हैं। साथ में, ये मॉड्यूल आर्थिक लागत, खाद्य सब्सिडी बिल, लाभार्थियों को सीधे फंड ट्रांसफर, केंद्रीय सहायता के अंतर्गत दावे और राज्य के खातों के अंतिम निपटान के प्रबंधन के लिए एक सहज और एकीकृत मंच बनाते हैं। स्कैन डिजिटल इंडिया की भावना को दर्शाता है , जो दक्षता, पारदर्शिता और सशक्तीकरण के वादे को पूरा करता है।

खुले बाजार बिक्री योजना (घरेलू) [ओएमएसएस(डी)]

सामान्य उपभोक्ताओं को रियायती दरों पर आटा (गेहूं का आटा) और चावल उपलब्ध कराने के लिए ओपन मार्केट सेल स्कीम (घरेलू) [ओएमएसएस (डी)] के अंतर्गत क्रमशः 06 नवंबर 2023 और 06 फरवरी 2024 को भारत आटा और भारत चावल लॉन्च किए गए। भारत आटा और भारत चावल तीन केंद्रीय सहकारी संगठनों अर्थात भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड), केंद्रीय भंडार और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) के माध्यम से बेचा जा रहा है।

चरण-I के दौरान 30 जून 2024 तक, भारत आटा और भारत चावल क्रमशः 27.50 रुपये/किलोग्राम और 29 रुपये/किलोग्राम के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर बेचे गए। चरण II के दौरान, भारत आटा और भारत चावल अब तीन केंद्रीय सहकारी संगठनों द्वारा अपने स्वयं के स्टोर, मोबाइल वैन, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और बड़ी श्रृंखला खुदरा विक्रेताओं के माध्यम से क्रमशः 30 रुपये/किलोग्राम और 34 रुपये/किलोग्राम के एमआरपी पर बेचे जा रहे हैं। भारत ब्रांड की बिक्री के चरण-I के दौरान, 15.20 लाख मीट्रिक टन भारत आटा और 14.58 लाख मीट्रिक टन भारत चावल की बिक्री हुई। भारत आटे की बिक्री के लिए 3.71 लाख मीट्रिक टन गेहूं और भारत चावल की बिक्री के लिए 2.91 लाख मीट्रिक टन चावल की मात्रा वर्तमान में भारत ब्रांड के चरण-II के दौरान बिक्री के लिए आवंटित की गई है।

इसके अलावा, 11 जुलाई 2024 को ओएमएसएस (डी) के अंतर्गत ई-नीलामी के माध्यम से निजी पार्टियों और बिना ई-नीलामी के राज्य सरकारों को बिक्री के लिए 10 लाख मीट्रिक टन चावल आवंटित किया गया है। 25 नवंबर 2024 तक, एफसीआई द्वारा इस श्रेणी के अंतर्गत 7.59 लाख मीट्रिक टन चावल बेचा गया है। 28 नवंबर 2024 को ओएमएसएस (डी) के अंतर्गत ई-नीलामी के माध्यम से निजी पार्टियों को बिक्री के लिए 25 लाख मीट्रिक टन गेहूं आवंटित किया गया है।

ई-एनडब्ल्यूआर आधारित प्रतिज्ञा वित्तपोषण के लिए ऋण गारंटी योजना (सीजीएस-एनपीएफ)

ई-एनडब्ल्यूआर आधारित प्रतिज्ञा वित्तपोषण (सीजीएस-एनपीएफ) के लिए ऋण गारंटी योजना को 1000 करोड़ रुपये की राशि के साथ मंजूरी दी गई है। यह योजना खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) द्वारा वर्ष 2024-25 से 16वें वित्त आयोग के अंत तक यानी वर्ष 2030-31 तक लागू की जाने वाली एक केंद्रीय क्षेत्र योजना है। ऋण गारंटी योजना किसानों द्वारा मान्यता प्राप्त गोदामों में वस्तुओं को जमा करने के बाद इलेक्ट्रॉनिक नेगेशिएबल वेयर हाउस रिसिप्ट (ई-एनडब्ल्यूआर) के विरुद्ध प्राप्त की जाने वाली प्रतिज्ञा वित्तपोषण के लिए है।

ऋण गारंटी योजना ई-एनडब्ल्यूआर के अंतर्गत फसल-पश्चात ऋण देने में वृद्धि करने में मदद करेगी और इस प्रकार किसानों की आय में सुधार करने में भूमिका निभाएगी। ऋण गारंटी योजना ऋणदाताओं के बीच विश्वास पैदा करेगी और ई-एनडब्ल्यूआर के माध्यम से फसल-पश्चात वित्त बढ़ाने के लिए गोदामकर्मियों पर भरोसा बढ़ाएगी।

यह योजना मुख्य रूप से छोटे और सीमांत किसानों, महिलाओं, एससी, एसटी और दिव्यांगजन (पीडब्ल्यूडी) किसानों पर केंद्रित है, जिसमें न्यूनतम गारंटी शुल्क है। इसके अलावा, छोटे व्यापारियों (एमएसएमई) को भी इस योजना के अंतर्गत लाभ दिया जाता है। यह योजना कृषि और बागवानी वस्तुओं के लिए एनडब्ल्यूआर पर दिए गए गिरवी ऋणों को कवर करती है। यह योजना ऋण और गोदाम के जोखिम के कारण बैंक को हुए नुकसान को कवर करती है।

अन्य गैर-मापनीय वृहद आर्थिक परिणामों में भंडारण का उन्नयन और मानकीकरण, फसल-पश्चात नुकसान में कमी, कृषि वस्तुओं का वैज्ञानिक भंडारण, ग्रामीण क्षेत्रों में तरलता में सुधार, भंडारण क्षेत्र का न्यायसंगत विकास और वस्तु व्यापार में सुधार शामिल हैं।

पीडीएस आपूर्ति श्रृंखला का कार्यान्वयन

रूट ऑप्टिमाइजेशन भारत में पीडीएस आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता और लागत-प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के संदर्भ में, इसमें आईआईटी-दिल्ली द्वारा विकसित ऑप्टिमाइजेशन एल्गोरिदम का उपयोग करके इष्टतम मार्गों और गोदाम-से-गोदाम और आगे एफपीएस (उचित मूल्य की दुकान) मैपिंग को परिभाषित करना शामिल है, जो परिवहन लागत में कमी और बेहतर परिचालन दक्षता सुनिश्चित करता है, जिससे लाभार्थियों को समय पर खाद्यान्न की डिलीवरी संभव हो पाती है।

अनुकूलन अभ्यास में खाद्यान्न परिवहन के लिए सबसे कुशल मोटर योग्य मार्गों का चयन करना शामिल था, जिससे परिचालन अनुसंधान का उपयोग करके समय की बचत और लागत में कमी आई। यह अभ्यास, अधिक कुशल और लागत प्रभावी खाद्य आपूर्ति श्रृंखला बनाने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है।

अनुकूलन अभ्यास के एक वर्ष पूरे होने के साथ ही 30 राज्यों में मार्ग अनुकूलन आकलन पूरा हो गया है। परिणाम बहुत अच्छे हैं, परिवहन लागत में प्रति वर्ष लगभग 250 करोड़ रुपये की कमी आने का अनुमान है। अब तक 12 राज्यों ने 128 करोड़ रुपये की बचत की सूचना दी है। रेलवे विभाग के फ्रेट ऑपरेटिंग इंफॉर्मेशन सिस्टम (एफओआईएस) के साथ एकीकरण करके अधिशेष वाले राज्यों से घाटे वाले राज्यों में खाद्यान्नों की आवाजाही के अंतरराज्यीय मार्ग अनुकूलन को भी पूरा कर लिया गया है।

इष्टतम विकल्प चुनकर राज्यों ने परिवहन दूरी को लगभग 15-50 प्रतिशत तक कम कर दिया।

इस अभ्यास से मानवीय हस्तक्षेप सीमित हो जाएगा, जिससे परिचालन दक्षता, अतिरिक्त रसद लागत और पीडीएस आपूर्ति श्रृंखला में चोरी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

यह पहल न केवल आर्थिक जीत है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी एक जीत है। वैश्विक खाद्य मील- उत्पादन से लेकर उपभोग तक खाद्य पदार्थों की दूरी को दर्शाता है- कुल खाद्य प्रणाली उत्सर्जन का लगभग पाँचवाँ हिस्सा है। भारत के खाद्य वितरण मार्गों को अनुकूलित करने से पेरिस समझौते और उसके कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज ( सीओपी) लक्ष्यों के अंतर्गत देश की जलवायु परिवर्तन प्रतिबद्धताओं के साथ संरेखित होकर कार्बन उत्सर्जन को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान मिल सकता है। ईंधन की खपत में कमी से विदेशी मुद्रा भंडार को संरक्षित करने में भी मदद मिलेगी। यह कदम न केवल जलवायु-स्मार्ट आपूर्ति श्रृंखला के लिए भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करेगा, बल्कि संभावित रूप से वित्तीय लाभ भी उत्पन्न करेगा।

स्टील साइलो

भारत में खाद्यान्न भंडारण अवसंरचना को आधुनिक बनाने और उन्नत बनाने तथा भंडारण क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के अंतर्गत स्टील साइलो का निर्माण किया जा रहा है।

अब तक, कुल 23.25 लाख मीट्रिक टन क्षमता के साइलो काम कर रहे हैं और 6.5 लाख मीट्रिक टन निर्माणाधीन हैं। अब, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग हब और स्पोक मॉडल साइलो के अंतर्गत क्षमता का निर्माण कर रहा है, जहाँ हब साइलो में एक समर्पित रेलवे साइडिंग और कंटेनर डिपो सुविधा है। जबकि स्पोक साइलो से हब साइलो तक परिवहन सड़क के माध्यम से किया जाता है, हब से हब तक परिवहन रेल के माध्यम से होता है। इस मॉडल के अंतर्गत, चरण-I में 34.8 लाख मीट्रिक टन क्षमता वाले 80 स्थानों पर साइलो के निर्माण के लिए निविदाएं प्रदान की गई हैं।

स्टील साइलो पारंपरिक रूप से गेहूं के भंडारण के लिए उपयुक्त हैं। चावल के भंडारण के लिए पायलट आधार पर बक्सर, बिहार में 12500 मीट्रिक टन स्टील साइलो का निर्माण किया गया है और परिणामों के आधार पर भविष्य में और अधिक चावल साइलो बनाए जाएंगे।

चीनी क्षेत्र

भारतीय चीनी उद्योग एक महत्वपूर्ण कृषि आधारित उद्योग है जो लगभग 5 करोड़ गन्ना किसानों और उनके परिवारों तथा चीनी मिलों में प्रत्यक्ष रूप से कार्यरत लगभग 5 लाख श्रमिकों की ग्रामीण आजीविका को प्रभावित करता है। परिवहन, मशीनरी की व्यापारिक सेवा और कृषि इनपुट की आपूर्ति से संबंधित विभिन्न गतिविधियों में भी रोजगार उत्पन्न होता है। भारत दुनिया में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और सबसे बड़ा उपभोक्ता है। आज, भारतीय चीनी उद्योग का वार्षिक उत्पादन 1.3 लाख करोड़ रुपए से अधिक है

चीनी सीजन 2023-24 में देश में 535 चालू चीनी मिलें थीं। गन्ने का औसत वार्षिक उत्पादन अब लगभग 5000 लाख मीट्रिक टन तक बढ़ गया है, जिसका उपयोग अन्य बातों के साथ-साथ चीनी सीजन 2023-24 में इथेनॉल उत्पादन के लिए लगभग 24 लाख मीट्रिक टन चीनी को डायवर्ट करने के बाद लगभग 320 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन करने के लिए किया जाता है।

सरकार द्वारा किसानों के हित में उठाए गए कदमों के परिणामस्वरूप पिछले चीनी सीजन का लगभग 99.9 प्रतिशत गन्ना बकाया चुकाया जा चुका है। चीनी सीजन 2023-24 के लिए 1,11,627 करोड़ रुपये के बकाया में से लगभग 1,09,744 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है और केवल 1,883 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना बाकी है। इस प्रकार, किसानों को 98 प्रतिशत से अधिक गन्ना बकाया चुकाया जा चुका है, जिसके परिणामस्वरूप सबसे कम बकाया गन्ना बकाया है।

इथेनॉल मिश्रण पेट्रोल कार्यक्रम

इथेनॉल एक कृषि आधारित उत्पाद है जिसका उपयोग पेट्रोल के साथ ईंधन के रूप में और हैंड सैनिटाइज़र के निर्माण सहित कई अन्य औद्योगिक उपयोगों के लिए किया जाता है। इसका उत्पादन चीनी उद्योग के उप-उत्पाद अर्थात् गुड़ के साथ-साथ स्टार्चयुक्त खाद्यान्न से किया जाता है। गन्ने के अधिशेष उत्पादन के वर्षों में, जब कीमतें कम होती हैं, तो चीनी उद्योग किसानों को गन्ना मूल्य का समय पर भुगतान करने में असमर्थ होता है और अतिरिक्त चीनी की समस्या को दूर करने और चीनी मिलों की तरलता में सुधार करने के लिए उन्हें समय पर अपने गन्ने का बकाया चुकाने में मदद करके एक स्थायी समाधान खोजने के लिए, सरकार चीनी मिलों को अतिरिक्त गन्ने को इथेनॉल में बदलने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। भारत सरकार पूरे देश में एथेनोल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम कार्यान्वित कर रही है जिसमें तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) मिश्रित पेट्रोल की बिक्री करती हैं। ईबीपी कार्यक्रम के तहत, सरकार ने 2025 तक पेट्रोल के साथ इथेनॉल के 20 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया है।

वर्ष 2014 तक गुड़ आधारित भट्टियों की इथेनॉल आसवन क्षमता 200 करोड़ लीटर से भी कम थी। इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2013-14 में तेल विपणन कंपनियों को इथेनॉल की आपूर्ति केवल 38 करोड़ लीटर थी, जिसमें मिश्रण स्तर केवल 1.53 प्रतिशत था। हालांकि, पिछले 10 वर्षों में सरकार द्वारा किए गए नीतिगत बदलावों के कारण गुड़ आधारित भट्टियों और अनाज आधारित भट्टियों की क्षमता क्रमशः 941 करोड़ लीटर और 744 करोड़ लीटर तक बढ़ गई है।

इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (नवंबर-अक्टूबर) 2023-24 के दौरान, 14.6 प्रतिशत मिश्रण सफलतापूर्वक प्राप्त किया गया है। देश में इथेनॉल उत्पादन की मौजूदा क्षमता (30 नवंबर 2024 तक) बढ़कर 1685 करोड़ लीटर (अनाज आधारित 744 करोड़ लीटर और गुड़ आधारित भट्टियों की 941 करोड़ लीटर) हो गई है। पेट्रोल के साथ इथेनॉल मिश्रण (ईबीपी) कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन से विभिन्न पहलुओं में कई लाभ हुए हैं:

  • इथेनॉल की बिक्री से चीनी मिलों के लिए नकदी प्रवाह बेहतर हुआ है, जिससे गन्ना किसानों को समय पर भुगतान हो रहा है। पिछले 10 वर्षों (2014-15 से 2023-24) में चीनी मिलों ने इथेनॉल की बिक्री से एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व अर्जित किया है, जिससे चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है।
  • भारत सरकार ग्रीन हाउस गैसों (जीएचजी) के उत्सर्जन में कमी लाने के अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के उपयोग से कार्बन मोनो ऑक्साइड और अन्य हाइड्रोकार्बन का उत्सर्जन कम हुआ है। वास्तव में, परिवहन में इथेनॉल के बढ़ते उपयोग से भारतीय परिवहन क्षेत्र अधिक हरित और पर्यावरण अनुकूल बन जाएगा।
  • इस प्रभावी सरकारी नीति के परिणामस्वरूप, 40,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के अवसर सामने आए, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में नई डिस्टिलरीज की स्थापना हुई और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन में योगदान मिला।

चीनी क्षेत्र में डिजिटलीकरण

व्यवसाय में आसानी को बढ़ावा देने, पारदर्शिता लाने और चीनी मिलों की सुविधा के लिए तथा पूरी प्रणाली के एकीकृत डिजिटलीकरण के साथ-साथ चीनी मिलों और इथेनॉल उद्योग के सभी प्रासंगिक आंकड़ों को एक ही स्थान पर रखने के लिए राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली पर एक समर्पित मॉड्यूल विकसित किया गया है। खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने इन्वेस्ट इंडिया के साथ मिलकर राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली पोर्टल पर चीनी मिलों के विभिन्न अनुपालन को स्वचालित किया है। साथ ही, मासिक जानकारी को भी डिजिटल कर दिया गया है और लगभग 535 चीनी मिलें मासिक आधार पर इसे दाखिल कर रही हैं। इसके अलावा, वास्तविक समय पर डेटा की उपलब्धता सुनिश्चित करने, डेटा की सटीकता में सुधार करने और अनावश्यक डेटा और मैनुअल हस्तक्षेप को खत्म करने के लिए, राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली पर एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) के माध्यम से मासिक डेटा को डिजिटल रूप में साझा करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।

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