वित्त मंत्रालय
तीसरा भारत-यूके वित्तीय बाजार संवाद: संयुक्त वक्तव्य
भारत-यू.के. वित्तीय बाजार वार्ता की तीसरी बैठक 12 दिसंबर 2024 को गुजरात के GIFT सिटी में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा आयोजित की गई
भारत और यू.के. के प्रतिभागियों ने पूंजी बाजार, बीमा और पुनर्बीमा, पेंशन, फिनटेक, सस्टनेबल फाइनांस और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र सहित संबंधित वित्तीय सेवा क्षेत्रों में सुधारों पर चर्चा की
वित्तीय सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बढ़ाने के लिए अंतर-नियामक सहयोग और निजी क्षेत्र के सहयोग के अवसरों पर भी चर्चा की गई
Posted On:
13 DEC 2024 7:35PM by PIB Delhi
तीसरा भारत-यूके वित्तीय बाजार संवाद (एफएमडी) 12 दिसंबर 2024 को भारत के गुजरात में गिफ्ट सिटी में आयोजित किया गया।
इस वार्ता का नेतृत्व भारतीय वित्त मंत्रालय और एचएम ट्रेजरी के वरिष्ठ अधिकारियों ने किया, जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए), भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई), पेंशन फंड विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए), बैंक ऑफ इंग्लैंड (बीओई) और वित्तीय आचरण प्राधिकरण (एफसीए) सहित भारतीय और यूके नियामक एजेंसियों की भागीदारी रही।
अप्रैल 2023 में हुई पिछली बैठक के बाद से हुए विकास पर विचार-विमर्श के साथ संवाद की शुरुआत हुई, जिसमें भारत द्वारा वित्तीय क्षेत्र के दृष्टिकोण और रणनीति को जारी करने के इरादे और वित्तीय सेवाओं के विकास और प्रतिस्पर्धात्मकता की रणनीति प्रकाशित करने के लिए ब्रिटेन की प्रतिबद्धता से उत्पन्न अवसर शामिल है। दोनों पक्षों ने तालमेल बढ़ाने के लिए काम करने पर सहमति व्यक्त की।
भारत और ब्रिटेन के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में प्राथमिकताओं और चल रहे सुधारों पर अपने विचार साझा किए। वार्ता में वित्तीय विनियमन के उभरते क्षेत्रों में सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें वित्तीय क्षेत्रों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बढ़ाने के लिए दोनों बाजारों में आपसी हित के क्षेत्रों पर ध्यान दिया गया।
इसके बाद प्रतिनिधियों ने हमारे पूंजी बाजारों के विकास को लेकर काम पर चर्चा की, प्राथमिक और थोक व्यवस्थाओं में हाल ही में यूके द्वारा किए गए सुधारों और भारत के पूंजी बाजारों में लॉन्च किए गए नए और अभिनव उत्पादों पर ध्यान दिया। दोनों पक्षों ने भारत-यूके वित्तीय भागीदारी (आईयूकेएफपी) पूंजी बाजार कार्य समूह की रिपोर्ट से उभरती हुई सिफारिशों पर विचार किया, जिसे अगले आर्थिक और वित्तीय वार्ता (ईएफडी) में प्रकाशित किया जाना है और भविष्य में लंदन स्टॉक एक्सचेंज और अन्य विदेशी क्षेत्राधिकारों में प्रत्यक्ष लिस्टिंग की दिशा में पहले कदम के रूप में जीआईएफटी आईएफएससी में भारतीय कंपनियों की प्रत्यक्ष लिस्टिंग सहित सीमा पार निवेश बढ़ाने की आगे की संभावनाओं का पता लगाया।
प्रतिभागियों ने अपने-अपने बीमा विनियमनों और बाजार अवसरों पर चर्चा की। भारत ने बीमा क्षेत्र में किए गए और प्रस्तावित सुधारों पर अद्यतन जानकारी दी तथा सॉल्वेंसी II और उत्पादक परिसंपत्तियों में निवेश को प्रोत्साहित करने पर यू.के. के विकास का उल्लेख किया। दोनों पक्षों ने पेंशन और बीमा कार्ययोजना के तहत नियोजित गतिविधि पर अद्यतन जानकारी दी, जिसमें पुनर्बीमा के लिए नियामक ढांचे में भारत के चल रहे सुधार, वरीयता विनियमन के आदेश सहित, और लंदन बाजार में प्रस्तुत पुनर्बीमा में अवसरों का हवाला दिया गया। यू.के. ने यू.के. बीमा कंपनियों द्वारा भारतीय बाजार में निवेश में हाल ही में की गई वृद्धि और बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सीमा बढ़ाने के भारत के प्रस्ताव का स्वागत किया।
प्रतिनिधियों ने संबंधित पेंशन क्षेत्रों में चल रहे सुधारों पर भी चर्चा की। ब्रिटेन ने हाल ही में मैन्शन हाउस में राजकोष के चांसलर द्वारा घोषित सुधारों को प्रस्तुत किया, जिसमें अगले वर्ष एक नया पेंशन योजना विधेयक पेश करने का इरादा शामिल है, जो परिभाषित अंशदान योजनाओं को बड़े कोषों में समेकित करता है। भारतीय प्रतिनिधियों ने कार्यस्थल पेंशन भागीदारी दरों को बढ़ाने और भुगतान विधियों को विकसित करने के प्रयासों पर प्रस्तुति दी। दोनों पक्ष आपसी हित के क्षेत्रों की खोज के लिए सुधारों द्वारा प्रस्तुत अवसर और विकास को गति देने की आपसी महत्वाकांक्षा का समर्थन करने पर सहमत हुए। ब्रिटेन ने आईएफएससीए द्वारा विनियमित किए जाने वाले वित्तीय उत्पादों के रूप में पेंशन योजनाओं की हाल की अधिसूचना का स्वागत किया। इसने यह भी नोट किया कि GIFT-IFSC में बीमा कंपनियों को विदेशों में निवेश करने की अनुमति है और GIFT IFSC में पेंशन कंपनियों को विदेशों में निवेश करने में सक्षम बनाने का प्रस्ताव विचाराधीन है।
बातचीत के दौरान नवाचार एक प्रमुख विषय रहा, जिसमें फिनटेक के महत्व को स्वीकार किया गया और व्यावसायिक गतिविधि को सक्षम बनाने में वित्तीय डेटा की महत्वपूर्ण भूमिका को भी स्वीकार किया गया। दोनों पक्षों ने पिछले साल प्रकाशित आईयूकेएफपी फिनटेक और डेटा पेपर में पहचानी गई प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला और सहमत प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने के लिए 2025 की शुरुआत में भारत-यूके फिनटेक संयुक्त कार्य समूह की अगली बैठक की मेजबानी करने पर सहमति व्यक्त की। प्रतिभागियों ने जी20 भुगतान रोडमैप, डिजिटल भुगतान कनेक्टिविटी, विनियामक सैंडबॉक्स सहयोग, केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राओं पर सहयोग और एआई और क्वांटम कंप्यूटिंग सहित अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों पर भविष्य के सहयोग सहित संबंधित प्राथमिकताओं पर चर्चा की।
इस संवाद में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कम कार्बन ट्रांसजिशन को सुविधाजनक बनाने में सतत वित्त के महत्व पर प्रकाश डाला गया। यूके ने COP29 और हाल ही में मैन्शन हाउस सुधारों के महत्वपूर्ण परिणामों पर प्रकाश डाला। भारत ने जलवायु वित्त वर्गीकरण के साथ-साथ IFSC में हाल के सुधारों को पेश करने के अपने इरादे के बारे में जानकारी दी। दोनों पक्षों ने रिपोर्टिंग, प्रकटीकरण और संक्रमण वित्त के साथ-साथ हाल ही में सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी करने और आगे की योजनाओं पर विचार-विमर्श किया। दोनों पक्षों ने 2025 की शुरुआत में भारत-यूके सतत वित्त मंच की अगली बैठक सहित सतत वित्त पर बातचीत जारी रखने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की।
अंत में, प्रतिभागियों ने GIFT सिटी के भीतर भारत के अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र के विकास के बारे में जानकारी प्राप्त की, संवाद के इस संस्करण के स्थान और आगे के सहयोग के लिए उनकी योजनाओं पर भी चर्चा की। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध वित्तीय सेवा केंद्र के रूप में लंदन शहर की ताकत और दोनों के बीच आगे के सहयोग के अवसर के बारे में भी यूके से जाना-सुना।
समूह ने भारत और यू.के. के बीच वित्तीय सेवा सहयोग को आगे बढ़ाने में वार्ता की महत्वपूर्ण भूमिका का स्वागत करते हुए समापन किया, जिसमें मजबूत विकास को बढ़ावा देने, व्यापार को बढ़ाने और हमारे बाजारों के बीच महत्वपूर्ण वाणिज्यिक अवसरों को साकार करने के लिए सही माहौल बनाने में आपसी हित को ध्यान में रखा गया। समूह ने बाजारों के बीच व्यापार-से-व्यापार संबंधों का समर्थन करने और आगे के व्यापार और निवेश का समर्थन करने के लिए किसी भी मुद्दे को दूर करने के अवसरों पर सिफारिशें करने में भारत-यू.के. वित्तीय भागीदारी की महत्वपूर्ण भूमिका की पुष्टि की।
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