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भारत समुद्री विरासत सम्मेलन (आईएमएचसी), नई दिल्ली के उद्घाटन समारोह में उपराष्ट्रपति के संबोधन का मूल पाठ (अंश)

Posted On: 11 DEC 2024 2:24PM by PIB Delhi

आप सभी को नमस्कार

भारत समुद्री विरासत सम्मेलन 2024 का हिस्सा बनना मेरे लिए विशेष सम्मान की बात है, जहाँ हम वैश्विक समुद्री मामलों में भारत के भविष्य की दिशा तय करते हुए अपनी शानदार समुद्री विरासत का जश्न मनाने के लिए एकत्र होते हैं। निश्चित ही, इतिहासकारों, पुरातत्वविदों, नीति निर्माताओं और उद्योग जगत के लोगों सहित इस विशेष क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों की वास्तव में अनूठी और प्रभावशाली उपस्थिति है।

अत:, यह सम्‍मेलन इस बात का संकेत है कि इस क्षेत्र में अपनी तरह की यह पहली पहल बहुत लंबा रास्‍ता तय करेगी। सम्मानित श्रोतागण, मैं आपसे साझा करना चाहता हूँ कि पिछले एक दशक में, इस देश में हमने अनेक चीजें पहली बार होते हुए देखी हैं। यह अनेक पहली बार की गई पहलों में से एक है, जहाँ विभिन्न क्षेत्रों में पहल की गई है, यह समुद्री विरासत में एक पहल है।

हमारी समुद्री विरासत भारत की प्राचीन सभ्यता के ताने-बाने में इस तरह गुंथी हुई है, जो सदियों के व्यापार, विभिन्‍न संस्‍कृति वाले लोगों और गहन पौराणिक महत्व को सम्मिलित किए रहेगी। हमारी सभ्यतागत विशिष्‍ट पहचान और हजारों वर्षों की धरोहर समुद्री विरासत से अधिक आकर्षण का केन्‍द्र बनी हुई है। सिंधु घाटी सभ्यता, लोथल और धोलावीरा के अग्रणी बंदरगाहों में लंगर डालने वाले जहाजों ने भारत की प्रारंभिक समुद्री श्रेष्ठता स्थापित की, जैसा कि बहरीन और ओमान में पुरातात्विक खोजों से प्रमाणित होता है।

सम्मानित श्रोतागण, चाणक्य के अर्थशास्त्र में नौसेना प्रशासन का विस्तृत विवरण दिया गया है, जबकि मौर्य साम्राज्य का समुद्री प्रभाव दक्षिण-पूर्व एशिया में भी फैला हुआ था, तथा इसने कंबोडिया के भव्य अंगकोर वाट परिसर में एक अमिट सांस्कृतिक विरासत छोड़ी है। मुझे अंगकोर वाट में जाने का अवसर मिला। इसे देखने के बाद ही विश्वास किया जा सकता है, इसलिए दक्षिण-पूर्व एशिया और यूरोप से हमारे विदेशी मित्रों की उपस्थिति बहुत महत्वपूर्ण है। और इस महान अवसर पर मैं उनका हार्दिक स्वागत करता हूँ।

दक्षिणी राजवंशों, चोल, चेरा और पांड्या ने समुद्री व्यापार में क्रांति ला दी, जिसके बाद कालीकट के दूरदर्शी ज़मोरिन शासकों के अधीन विजयनगर साम्राज्य के दौरान उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल हुईं। समय की कमी के कारण, मैं विस्तार से नहीं बता रहा हूँ, लेकिन यह बहुत ही रोचक, जानकारीपूर्ण, ज्ञानवर्धक और मनोरंजक है। यह समुद्री विरासत परिसर, जिज्ञासु मन के लिए ज्ञानवर्धक होगा।

छत्रपति शिवाजी महाराज की दुर्जेय नौसेना ने विदेशी प्रभुत्व को सफलतापूर्वक चुनौती दी, जबकि भारतीय समुद्री विशेषज्ञता को उस समय प्रमाण मिला जब एक गुजराती नाविक ने वास्को डी गामा को हमारे तटों तक पहुँचाया। भारतीय नौसेना का पवित्र आदर्श वाक्य 'शम-नो वरुण', समुद्री बलों के प्रति हमारे स्थायी सम्मान को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। इसका अर्थ है, जल के देवता हम सभी के लिए शुभ हों।

सम्मानित श्रोतागण, यह हमारी सभ्यतागत विशिष्‍ट पहचान की भावना और सार है। लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर हमारी समुद्री विरासत का सम्मान करते हुए भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करने की अटूट प्रतिबद्धता का उदाहरण है। और मैं आपको बता दूँ, सम्मानित श्रोतागण, यह जानकर खुशी हो रही है कि यह पिछले दशक में सरकार द्वारा इन दिशाओं में की गई कई पहलों में से एक है।

आधुनिक भारत की समुद्री ताकत सभी क्षेत्रों में दिखाई देती है, जिसमें इसकी 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा, 13 प्रमुख बंदरगाह और 200 गैर-प्रमुख बंदरगाह हैं, जो इसे एक निर्विवाद समुद्री महाशक्ति के रूप में स्थापित करते हैं। हमारे बंदरगाह की 1,200 मिलियन टन कार्गो की उल्लेखनीय वार्षिक हैंडलिंग क्षमता हमारे आर्थिक परिदृश्य में समुद्री क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को स्‍पष्‍ट करती है। समुद्री क्षेत्र भारत के व्यापार की असाधारण 95 प्रतिशत मात्रा की सुविधा प्रदान करता है, और यह हमारे रणनीतिक हिंद महासागर की स्थिति का लाभ उठाते हुए इसके मूल्य का 70 प्रतिशत हिस्सा है।

भारत आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के लिए सतत महासागर संसाधन उपयोग पर जोर देते हुए रणनीतिक रूप से अपनी नीली अर्थव्यवस्था विकसित कर रहा है। वैश्विक नीली अर्थव्यवस्था के 2030 तक 6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, भारत का समुद्री क्षेत्र दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में हमारे उद्भव में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

दूरदर्शी सागर माला कार्यक्रम बंदरगाहों को औद्योगिक समूहों के साथ निर्बाध तरीके से जोड़ता है, लॉजिस्टिक नेटवर्क को अनुकूलित करता है और व्यापक तटीय विकास को बढ़ावा देता है। तटीय नौवहन विधेयक 2024 विनियामक ढांचे को सुव्यवस्थित करता है और बहु-मॉडल व्यापार संपर्क को बढ़ाता है।

सम्मानित श्रोतागण, वास्तव में, पिछले दशक के दौरान, हमने कानूनों के संबंध में भी औपनिवेशिक विरासत से खुद को मुक्त कर लिया है। और जब आधुनिक तकनीकों, जिसमें विघटनकारी तकनीकें भी शामिल हैं, का उपयोग करने की बात आती है, तो हमारे कानून बहुत दूरदर्शी हैं। वास्तव में, हम एक नई औद्योगिक क्रांति के मुहाने पर हैं और इस नई औद्योगिक क्रांति में, दर्शकों को यह जानकर खुशी होगी कि भारत अग्रणी देशों में से एक है।

भारत आज एक उभरती हुई समुद्री शक्ति के रूप में खड़ा है, जो वैश्विक समुद्री पहलों का नेतृत्व करने के लिए अपनी भौगोलिक स्थिति और उन्नत बुनियादी ढांचे का रणनीतिक रूप से लाभ उठा रहा है। परिष्कृत समुद्री कूटनीति, विशेष रूप से सागर जैसी पहलों, क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास के माध्यम से, हम मजबूत अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को बढ़ावा दे रहे हैं और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित कर रहे हैं। नियम-आधारित व्यवस्था सर्वोत्कृष्ट है, और भारत यह सुनिश्चित करने के लिए पहल कर रहा है और नेतृत्व कर रहा है कि समुद्र पर नियम-आधारित व्यवस्था को अधिक से अधिक अपनाया जाए।

मुझे पूरा विश्वास और आशा है कि यह दो दिवसीय समुद्री विरासत सम्मेलन 2024, सतत नवाचार की दिशा में आगे बढ़ते हुए, हमारी समुद्री विरासत का सम्मान करने के लिए हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करेगा।

माननीय सदस्यों, भारत ने अभूतपूर्व आर्थिक वृद्धि, तेजी से बढ़ते बुनियादी ढांचे और गहन डिजिटलीकरण को देखा है। इसने खुद को महज एक या दो साल में तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की राह पर डाल दिया है। भारत, एक विकसित राष्ट्र, अब एक सपना नहीं है, यह एक लक्ष्य है। एक ऐसा लक्ष्य जो निश्चित रूप से प्राप्त होगा। भारत अब एक संभावना वाला राष्ट्र नहीं है, भारत आगे बढ़ रहा है, यह वृद्धि अजेय है। वैश्विक संस्थाओं ने भारत की प्रगति को बाकी दुनिया के लिए एक रोल मॉडल के रूप में सराहा है।

हमें निश्चित रूप से इस बात पर गर्व होना चाहिए कि आईएमएफ, विश्व बैंक, विश्व आर्थिक मंच जैसी वैश्विक संस्थाएँ भारत को निवेश और अवसर के लिए पसंदीदा स्थान मानती हैं। किसी भी क्षेत्र में, चाहे वह समुद्र हो, नीली अर्थव्यवस्था हो, ज़मीन हो, आसमान हो या अंतरिक्ष हो, भारत का उदय अभूतपूर्व है। 2047 तक हमारी मैराथन यात्रा, जब हम एक विकसित राष्ट्र के रूप में अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएँगे, हमारे युवाओं द्वारा, हमारे नागरिकों द्वारा संचालित की जा रही है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यह इंजन सभी सिलेंडरों पर चल रहा है। किसी भी क्षेत्र में भारत का उदय वैश्विक सद्भाव, वैश्विक शांति के लिए शुभ है। हाल ही में वैश्विक मंच, जी20 पर, भारत ने दुनिया को दिखाया है कि हम वैश्विक समावेशिता में विश्वास करते हैं।

इसीलिए तीन अलग-अलग कदम उठाए गए, अफ्रीकी संघ को जी20 के सदस्य के रूप में शामिल करना, उसके बारे में सोचना, वैश्विक दक्षिण पर ध्‍यान केन्द्रित करना, और समुद्री मार्ग के संबंध में, भूमि, समुद्र और भूमि को फिर से तैयार करना, जो बहुत पहले से मौजूद था। और इसलिए, जब इस तरह की पहल इतनी सफलतापूर्वक की जाती है, तो मुझे गहरी सराहना करना अनिवार्य लगता है।

जो लोग इसे ला रहे हैं, बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय, गुजरात सरकार, और इस महत्वपूर्ण आयोजन में सभी प्रतिष्ठित योगदानकर्ता लेकिन मैं माननीय मंत्री से यह समझता हूँ कि हमारे श्रोताओं में, जैसा कि मैंने पहले संकेत दिया था, यूरोप और दक्षिण पूर्व एशिया के हमारे मित्र, इतिहासकार, पुरातत्वविद, नीति निर्माता, वे लोग जो विशेष रूप से इस व्‍यवस्‍था में रुचि रखते हैं, और वे लोग जो इस क्षेत्र से जुड़े उद्योग में हैं। मुझे कोई संदेह नहीं है कि हम आने वाले वर्षों में अपनी अपेक्षाओं से कहीं अधिक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करेंगे।

आइए हम सब मिलकर आगे की राह तय करें, एक समृद्ध और टिकाऊ समुद्री भविष्य जो हमारे अतीत का सम्मान करे और साथ ही कल की संभावनाओं को अपनाए।

मैं माननीय मंत्री जी का आभारी हूं कि उन्होंने मुझे इस अवसर का साक्षी बनने का अवसर दिया जो अपनी तरह का पहला अवसर है और प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा उठाए गए अपनी तरह के अनेक पहले कदमों में से एक है।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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एमजी/केसी/केपी 


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