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आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन पर अपडेट

 
68.97 करोड़ से अधिक एबीएचए बनाए गए हैं, 3.49 लाख स्वास्थ्य सुविधाएं स्वास्थ्य सुविधा रजिस्ट्री (एचएफआर) पर पंजीकृत हैं, 5.23 लाख स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों ने हेल्थकेयर प्रोफेशनल रजिस्ट्री (एचपीआर) पर पंजीकरण किया है और 45.37 करोड़ स्वास्थ्य रिकॉर्ड एबीएचए से जोड़े गए हैं

1,52,544 स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं एबीडीएम सक्षम सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रही हैं जिनमें 1,31,065 सरकारी और 21,479 निजी सुविधाएं शामिल हैं

Posted On: 06 DEC 2024 4:00PM by PIB Delhi

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) को स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर स्वास्थ्य डेटा की अंतर-संचालन क्षमता को सक्षम करने के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है ताकि प्रत्येक नागरिक का अनुदैर्ध्य इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड बनाया जा सके। इस मिशन का उद्देश्य देश के एकीकृत डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे का समर्थन करने के लिए आवश्यक आधार विकसित करना है।

एबीडीएम में प्रमुख रजिस्ट्रियां शामिल हैं, जिनका उद्देश्य आयुष्मान भारत स्वास्थ्य सेवा (एबीएचए), हेल्थकेयर प्रोफेशनल रजिस्ट्री (एचपीआर), स्वास्थ्य सुविधा रजिस्ट्री (एचएफआर) और दवा रजिस्ट्री जैसी रजिस्ट्रियों का निर्माण करना है।

एबीडीएम का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा को अधिक पारदर्शी, सुरक्षित, समावेशी, सुलभ, समय पर उपलब्ध कराना तथा सबसे महत्वपूर्ण रूप से नागरिक केंद्रित बनाना है।

27 नवंबर 2024 तक कुल 68,97,23,403 एबीएचए बनाए जा चुके हैं, 3,49,473 स्वास्थ्य सुविधाएं एचएफआर पर पंजीकृत हैं, 5,23,639 स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर एचपीआर पर पंजीकृत हैं और 45,37,93,698 स्वास्थ्य रिकॉर्ड एबीएचए के साथ जोड़े गए हैं।

एबीडीएम के अंतर्गत प्रमुख पहल:

माइक्रोसाइट परियोजना: माइक्रोसाइट विशिष्ट क्षेत्रों में एबीडीएम को अपनाने में मदद करती हैं, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को प्लेटफ़ॉर्म पर लाती हैं। वर्तमान में, 121 माइक्रोसाइट ने 48,000 से अधिक सुविधाओं को पंजीकृत किया है और 32 लाख एबीएचए स्वास्थ्य रिकॉर्ड को जोड़ा है।

स्कैन और शेयर: यह क्यूआर-कोड-आधारित ओपीडी पंजीकरण सेवा रोगियों को डिजिटल रूप से जनसांख्यिकीय विवरण साझा करने में सक्षम बनाती है, जिससे कतार का समय 30-40 मिनट से घटकर 5-10 मिनट रह जाता है। नवंबर 2024 तक, 35 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 17,481 सुविधाओं ने 6.64 करोड़ टोकन बनाए हैं, जिससे व्यक्ति के 3.3 करोड़ घंटे की बचत हुई है।

स्कैन करें और भुगतान करें: मरीज़ अपने एबीएचए  पते से जुड़े खुले ऑर्डर देखने और उनका भुगतान करने के लिए पीएचआर ऐप का उपयोग करके क्यूआर कोड स्कैन कर सकते हैं। नवंबर 2024 तक, एम्स जोधपुर के नेतृत्व में छह सुविधाओं ने इस सेवा को चालू कर दिया है, जिसमें ₹ 5,00,000 से अधिक मूल्य के 900 लेनदेन दर्ज किए गए हैं।

मॉडल एबीडीएम  सुविधा पहल: यह पहल रोगी देखभाल को बेहतर बनाने और सेवाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को डिजिटल बनाती है। नवंबर 2024 तक, 133 सुविधाओं का चयन कार्य योजना निर्माण के लिए कार्यशालाएँ आयोजित की गई हैं।

ईसुश्रुत लाइट एचएमआईएस: यह किफायती, मॉड्यूलर एचएमआईएस डिजिटलीकरण और एबीडीएम अनुपालन के साथ छोटी स्वास्थ्य सुविधाओं का समर्थन करता है। 299/माह की कीमत पर, यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य ढांचे के साथ एकीकृत है और आवश्यक स्वास्थ्य सेवा सुविधाएँ प्रदान करता है।

'डिजाइन द्वारा गोपनीयता' आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के प्रमुख मार्गदर्शक सिद्धांतों में से एक है और इसे फेडरेटेड डिजिटल आर्किटेक्चर के सिद्धांतों का पालन करते हुए लागू किया गया है। डेटा का कोई केंद्रीकृत भंडार नहीं है। एबीडीएम  रोगी की सहमति के बाद एबीडीएम  नेटवर्क पर इच्छित हितधारकों के बीच सुरक्षित डेटा एक्सचेंज की सुविधा प्रदान करता है। एबीडीएम  के तहत कई दिशानिर्देश और अधिसूचनाएं जारी की गई हैं, जो डेटा गोपनीयता और सुरक्षा के लिए न्यूनतम मानक निर्धारित करती हैं। इनमें स्वास्थ्य डेटा प्रबंधन नीति, डेटा गोपनीयता नीति और एबीडीएम  स्वास्थ्य रिकॉर्ड (पीएचआर), मोबाइल ऐप गोपनीयता नीति शामिल हैं। स्वास्थ्य डेटा प्रबंधन नीति निर्दिष्ट करती है कि व्यक्ति की सहमति के बिना कोई भी डेटा बीमा और दवा कंपनियों सहित किसी अन्य इकाई के साथ साझा नहीं किया जाएगा। भारत सरकार ने मजबूत डेटा सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न उपाय किए हैं।

2 दिसंबर, 2024 तक कुल 1,52,544 स्वास्थ्य सुविधाएं एबीडीएम  सक्षम सॉफ़्टवेयर का उपयोग कर रही हैं। इसमें 1,31,065 सरकारी और 21,479 निजी सुविधाएं शामिल हैं।

मिशन का लाभ हर नागरिक तक पहुंचे सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। समावेशन एबीडीएम  के प्रमुख सिद्धांतों में से एक है। एबीडीएम  द्वारा बनाया गया डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवा में निर्बाध तरीके से देखभाल की निरंतरता का समर्थन करता है। यह टेलीमेडिसिन आदि जैसे विभिन्न प्रौद्योगिकी हस्तक्षेपों के माध्यम से विशेष रूप से दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की उपलब्धता में सहायता करता है।

एबीडीएम  में उन जगहों पर सहायक मोड के प्रावधान हैं जहाँ इंटरनेट कनेक्टिविटी खराब हो सकती है। उदाहरण के लिए, एबीएचए  के निर्माण के लिए ऑफ़लाइन मोड को सक्षम किया गया है जहाँ इंटरनेट कनेक्टिविटी खराब हो सकती है या हार्डवेयर की अनुपलब्धता हो सकती है या दोनों हो सकते हैं।

एबीडीएम को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 200 करोड़ रुपये का बजट आवंटन प्रदान किया गया है। इसके सापेक्ष 20 नवंबर 2024 तक 92.32 करोड़ रुपये का उपयोग किया जा चुका है।

एबीडीएम  के तहत सबसे बेहतरीन इनोवेशन में से एक है 'स्कैन एंड शेयर' फीचर, जिसने ओपीडी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को काफी सरल बना दिया है। इस क्यूआर-कोड-आधारित सिस्टम ने मरीजों को अपनी जनसांख्यिकीय जानकारी को जल्दी से स्कैन करने और साझा करने की अनुमति देकर मरीज़ों के प्रतीक्षा समय को काफी कम कर दिया है। 35 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 17000 से ज़्यादा स्वास्थ्य सुविधाओं में यह सेवा चल रही है, 6.6 करोड़ से ज़्यादा ओपीडी रजिस्ट्रेशन पूरे हो चुके हैं, और औसतन हर दिन लगभग 2 लाख रजिस्ट्रेशन टोकन जेनरेट हो रहे हैं। इस सुविधा ने रजिस्ट्रेशन कतार में प्रतीक्षा समय को 30-40 मिनट से घटाकर 5-10 मिनट करने में मदद की है, जिससे लगभग 3.3 करोड़ व्यक्ति घंटे की बचत हुई है और बुज़ुर्गों, गर्भवती महिलाओं, बच्चों, दिव्यांगों सहित कई नागरिकों को अस्पतालों में तेज़ी से रजिस्ट्रेशन करवाने में मदद मिली है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएँ और भी सुलभ हो गई हैं। इसके अलावा, एबीडीएम  मरीजों को उनके स्वास्थ्य रिकॉर्ड पर नियंत्रण प्रदान करता है, जिससे स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं तक उनकी पहुँच आसान हो जाती है और समग्र रोगी अनुभव में सुधार होता है। यूनिफाइड हेल्थ इंटरफेस (यूएचआई) और हेल्थ फैसिलिटी एंड प्रोफेशनल रजिस्ट्रीज (एचएफआर, एचपीआर) जैसी प्रणालियों के माध्यम से अंतर-संचालन को बढ़ावा देकर, एबीडीएम स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बीच सुचारू डेटा आदान-प्रदान सुनिश्चित कर रहा है, जिससे देखभाल की गुणवत्ता और पहुंच में वृद्धि हो रही है।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

एमजी/केसी/पीएस


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