विधि एवं न्याय मंत्रालय
देश में मौजूदा वर्चुअल न्यायालय
Posted On:
05 DEC 2024 4:10PM by PIB Delhi
वर्चुअल न्यायालय का उद्देश्य न्यायालय में वादी या वकील की भौतिक उपस्थिति को समाप्त करना तथा वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर मामलों का निर्णय करना है। न्यायालय के संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करने तथा वादियों को सभी न्यायिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए छोटे-मोटे विवादों को निपटाने के लिए प्रभावी मार्ग प्रदान करने के लिए इस अवधारणा को विकसित किया गया है। वर्चुअल न्यायालय को एक न्यायाधीश द्वारा वर्चुअल इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर प्रशासित किया जा सकता है, जिसका क्षेत्राधिकार पूरे राज्य तक विस्तारित हो सकता है तथा 24x7 कार्य कर सकता है। प्रभावी निर्णय तथा समाधान के लिए न तो वादी को तथा न ही न्यायाधीश को भौतिक रूप से न्यायालय में जाना होगा। संचार केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप में होगा तथा दंड/जुर्माना या मुआवजे का भुगतान भी ऑनलाइन ही किया जाएगा। इन न्यायालयों का उपयोग उन मामलों के निपटान के लिए किया जा सकता है, जहां अभियुक्त द्वारा अपराध की सक्रिय स्वीकृति हो सकती है या प्रतिवादी द्वारा समन तथा इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म प्राप्त होने पर सक्रिय अनुपालन किया जा सकता है, जैसा कि यातायात उल्लंघन के मामलों में होता है। ऐसे मामलों को आम तौर पर जुर्माना आदि के भुगतान के बाद निपटाया हुआ माना जाता है। वर्चुअल कोर्ट की स्थापना एक प्रशासनिक मामला है जो न्यायपालिका और संबंधित राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है। 30.10.2024 तक 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 27 वर्चुअल कोर्ट है। इसमें दिल्ली (2), हरियाणा, चंडीगढ़, गुजरात (2), तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल (2), महाराष्ट्र (2), असम, छत्तीसगढ़, जम्मू और कश्मीर (2), उत्तर प्रदेश, ओडिशा, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड (2), मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और मणिपुर (2) को ट्रैफिक चालान मामलों को संभालने के लिए चालू किया गया है। इन वर्चुअल कोर्ट द्वारा 6 करोड़ से अधिक मामलों को संभाला गया है और 30.10.2024 तक 649.81 करोड़ रुपये से अधिक का ऑनलाइन जुर्माना वसूल किया गया है। वर्तमान में, झारखंड राज्य में कोई वर्चुअल कोर्ट काम नहीं कर रहा है।
(सी) से (ई): ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण के अंतर्गत, 413.08 करोड़ रुपये की लागत से ट्रैफिक चालान मामलों से परे वर्चुअल कोर्ट की स्थापना और उसके दायरे के विस्तार किया जाना है।
यह जानकारी विधि एवं न्याय मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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