सहकारिता मंत्रालय
बहुराज्य सहकारी समितियों में समस्याओं के समाधान के लिए कदम उठाए गए
Posted On:
04 DEC 2024 3:56PM by PIB Delhi
देश में एमएससीएस अधिनियम के तहत 1702 बहु-राज्य सहकारी समितियां (एमएससीएस) पंजीकृत हैं। पंजीकृत एमएससीएस का राज्यवार विवरण अनुलग्नक-ए में दिया गया है।
1702 एमएससीएस में से 100 कार्य नहीं कर रही हैं क्योंकि परिसमापकों की नियुक्ति के बाद समापन की कार्यवाही चल रही है। परिसमापन के तहत एमएससीएस का राज्यवार विवरण अनुलग्नक-बी में है
कुप्रबंधन और वित्तीय धोखाधड़ी के मुद्दों को हल करने, शासन को मजबूत करने, पारदर्शिता बढ़ाने, उत्तरदायित्व बढ़ाने और चुनावी प्रक्रिया में सुधार आदि के लिए, एमएससीएस अधिनियम और नियमों को मौजूदा कानूनों के पूरक के रूप में और 97वें संवैधानिक संशोधन के प्रावधानों को शामिल करके क्रमशः 03.08.2023 और 04.08.2023 को व्यापक रूप से संशोधित और अधिसूचित किया गया।
बहुराज्यीय सहकारी समितियों के कामकाज में पारदर्शिता लाने और उनमें वित्तीय अनियमितताओं को रोकने के लिए उपरोक्त संशोधन के माध्यम से कई प्रावधान पेश किए गए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ शामिल हैं: -
- बहु-राज्य सहकारी समितियों में समय पर, नियमित और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सहकारी चुनाव प्राधिकरण का प्रावधान शामिल किया गया है।
- सदस्यों की शिकायतों के समाधान के लिए एक तंत्र उपलब्ध कराने हेतु केन्द्र सरकार द्वारा सहकारी लोकपाल की नियुक्ति।
- पारदर्शिता लाने के लिए बहु-राज्य सहकारी समितियों द्वारा सदस्यों को सूचना उपलब्ध कराने हेतु सूचना अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी।
- 500 करोड़ रुपये से अधिक के टर्नओवर/जमा वाली बहु-राज्य सहकारी समितियों के लिए केंद्रीय रजिस्ट्रार द्वारा अनुमोदित लेखा परीक्षकों के पैनल से समवर्ती लेखा परीक्षा शुरू की गई है। समवर्ती लेखा परीक्षा से यदि कोई धोखाधड़ी या अनियमितताएँ हों तो, शीघ्र पता लगाना सुनिश्चित होगा और तदनुसार शीघ्र सुधार किया जा सकेगा। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए बहु-राज्य सहकारी समितियों के लिए लेखा परीक्षकों के निम्नलिखित दो पैनल अधिसूचित किए गए हैं:
- पांच सौ करोड़ रुपये तक के वार्षिक कारोबार/जमा (जैसा भी मामला हो) वाली बहु-राज्य सहकारी समितियों के लिए सांविधिक लेखा परीक्षा करने हेतु लेखा परीक्षकों का पैनल।
- पांच सौ करोड़ रुपये से अधिक वार्षिक कारोबार/जमा (जैसा भी मामला हो) वाली बहु-राज्य सहकारी समितियों के लिए सांविधिक और समवर्ती लेखा परीक्षा करने हेतु लेखा परीक्षकों का पैनल।
- पारदर्शिता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय सहकारी समितियों की लेखापरीक्षा रिपोर्ट संसद में रखी जाएंगी।
- बहु-राज्य सहकारी समितियों के लिए लेखांकन और लेखापरीक्षा मानकों का निर्धारण केन्द्रीय सरकार द्वारा किया जाएगा ताकि लेखांकन और लेखापरीक्षा में एकरूपता सुनिश्चित की जा सके।
- प्रशासन और पारदर्शिता में सुधार के लिए, बहु-राज्य सहकारी समितियों की वार्षिक रिपोर्ट में बोर्ड के उन निर्णयों को भी शामिल किया जाएगा जो सर्वसम्मत नहीं हैं।
- केन्द्र सरकार मितव्ययिता और ऋण के कारोबार में बहु-राज्य सहकारी समितियों के लिए विवेकपूर्ण मानदंड (तरलता, जोखिम, आदि) निर्धारित करेगी।
- बहु-राज्य सहकारी समितियों में भाई-भतीजावाद और पक्षपात पर अंकुश लगाने के लिए, बहु-राज्य सहकारी समिति के निदेशक उन मामलों पर चर्चा और मतदान में उपस्थित नहीं होंगे जहां वे या उनके रिश्तेदार हितबद्ध पक्ष हों।
- निदेशकों की अयोग्यता के लिए अतिरिक्त आधार बनाए गए हैं, ताकि प्रशासन में सुधार हो, बकाया राशि की बेहतर वसूली हो और यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस प्रकार की चूक या धोखाधड़ी की घटनाएं अन्यत्र न दोहराई जाएं।
- बहु-राज्य सहकारी समितियों द्वारा निधियों के निवेश के प्रावधानों को पुनः परिभाषित किया गया है ताकि सुरक्षित निवेश सुनिश्चित किया जा सके तथा औपनिवेशिक युग की प्रतिभूतियों के संदर्भों को हटाया जा सके।
- अधिक वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता के लिए, बहु-राज्य सहकारी समितियों के बोर्ड को अन्य समितियों के साथ-साथ लेखा परीक्षा और आचार समिति का गठन करना होगा।
- शासन को मजबूत करने के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) की नियुक्ति के लिए मानदंड निर्धारित किए गए।
- बहु-राज्य सहकारी समितियों में लोकतांत्रिक निर्णय लेने को बढ़ावा देने के लिए बोर्ड की बैठकों के लिए कोरम निर्धारित किया गया है।
- यदि केन्द्रीय रजिस्ट्रार को सूचना मिलती है कि व्यापार धोखाधड़ीपूर्ण तरीके से या गैरकानूनी उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है तो वह जांच करेगा।
- यदि पंजीकरण मिथ्याबयान, धोखाधड़ी आदि से प्राप्त किया गया हो, तो सुनवाई का अवसर देने के बाद बहु-राज्य सहकारी समिति को समाप्त करने का प्रावधान है।
- बहु-राज्य सहकारी समितियों के सदस्यों को सामूहिक हितों के विरुद्ध कार्य करने से हतोत्साहित करने के लिए, बहु-राज्य सहकारी समिति के निष्कासित सदस्य के निष्कासन की न्यूनतम अवधि 1 वर्ष से बढ़ाकर 3 वर्ष कर दी गई है।
अनुलग्नक – ए
तालिका 1: 28 नवंबर, 2024 तक एमएससीएस अधिनियम के तहत देश के विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में पंजीकृत बहुराज्यीय सहकारी समितियों की सूची।
क्रम सं.
|
राज्य/संघ राज्य क्षेत्र का नाम
|
सोसायटी
|
1
|
आंध्र प्रदेश
|
23
|
2
|
अरुणाचल प्रदेश
|
1
|
3
|
असम
|
6
|
4
|
बिहार
|
21
|
5
|
चंडीगढ़
|
1
|
6
|
छत्तीसगढ
|
8
|
7
|
दिल्ली
|
166
|
8
|
गोवा
|
1
|
9
|
गुजरात
|
49
|
10
|
हरियाणा
|
22
|
11
|
हिमाचल प्रदेश
|
2
|
12
|
जम्मू और कश्मीर
|
2
|
१३
|
झारखंड
|
11
|
14
|
कर्नाटक
|
40
|
15
|
केरल
|
77
|
16
|
मध्य प्रदेश
|
३१
|
17
|
महाराष्ट्र
|
691
|
18
|
मणिपुर
|
4
|
19
|
नगालैंड
|
1
|
20
|
ओडिशा
|
20
|
21
|
पुदुचेरी
|
5
|
22
|
पंजाब
|
26
|
23
|
राजस्थान
|
74
|
24
|
सिक्किम
|
1
|
25
|
तमिलनाडु
|
141
|
26
|
तेलंगाना
|
14
|
27
|
दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव
|
1
|
28
|
उत्तर प्रदेश
|
183
|
29
|
उत्तराखंड
|
8
|
30
|
पश्चिम बंगाल
|
72
|
|
कुल
|
1702
|
अनुलग्नक – बी
तालिका 2: बैंकों सहित बहु-राज्य सहकारी समितियों की राज्यवार संख्या सूची जो परिसमापन के अधीन हैं: -
राज्य का नाम
|
एमएससीएस की संख्या
|
आंध्र प्रदेश
|
2
|
बिहार
|
1
|
दिल्ली
|
11
|
दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव
|
1
|
गोवा
|
1
|
गुजरात
|
4
|
झारखंड
|
1
|
महाराष्ट्र
|
18
|
ओडिशा
|
11
|
पंजाब
|
1
|
राजस्थान
|
26
|
तमिलनाडु
|
3
|
तेलंगाना
|
2
|
उत्तर प्रदेश
|
12
|
चंडीगढ़
|
1
|
पश्चिम बंगाल
|
5
|
कुल
|
100
|
सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
****
एमजी/केसी/पीएस
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