उप राष्ट्रपति सचिवालय
उपराष्ट्रपति ने कहा, पूर्वोत्तर तेजी से राष्ट्रीय जीवन में शामिल हो रहा है
हम किसी भी हित को अपने राष्ट्रीय हित से ऊपर नहीं रख सकते, राष्ट्र सर्वप्रथम है, राष्ट्र की एकता सर्वप्रथम है, उपराष्ट्रपति ने आग्रह किया
उपराष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्र की समृद्धि और राष्ट्रवाद के विकास में सभी का हित निहित है
उपराष्ट्रपति ने कहा कि संविधान दिवस मनाना और संविधान हत्या दिवस को याद करना हमारे अतीत के बारे में जागरूकता सुनिश्चित करता है और हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करता है
उपराष्ट्रपति ने ईटानगर में अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित किया
Posted On:
30 NOV 2024 7:40PM by PIB Delhi
भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि पूर्वोत्तर तेजी से राष्ट्रीय जीवन में शामिल हो रहा है, अब यहां 17 हवाई अड्डे, 20 जलमार्ग और गहन डिजिटल पहुंच है। इस क्षेत्र की जैविक और प्राकृतिक खेती अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करती है तथा बांस, रबर और रेशम जैसे इसके स्वदेशी संसाधन बाजार के लिए प्रचुर अवसर प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने राज्य की प्रगति और भारत की एकता और समृद्धि में इसके योगदान की सराहना की।
अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए श्री जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि एक्ट ईस्ट नीति ने लुक ईस्ट नीति को कार्यात्मक और परिवर्तनकारी स्तर पर पहुंचा दिया है। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री लुक ईस्ट के विज़न को अगले स्तर पर ले गए हैं, एक अधिक कार्यात्मक स्तर, जो जमीनी हकीकत को प्रभावित कर सकता है और परिवर्तनकारी हो सकता है और यही एक्ट ईस्ट नीति है।
श्री जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमारे राजनीतिक दलों को यह समझना चाहिए कि अंततः सभी का हित राष्ट्र की समृद्धि और राष्ट्रवाद के विकास में निहित है। हम किसी भी स्थिति में किसी भी हित को अपने राष्ट्रीय हित से ऊपर नहीं रख सकते। राष्ट्र प्रथम है, राष्ट्र की एकता प्रथम है।
भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार पर उपराष्ट्रपति ने विधायी कामकाज में व्यवधान के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हम ऐसे देश में इस तरह का व्यवधान बर्दाश्त नहीं कर सकते, जो लोकतंत्र की जननी है, सबसे बड़ा लोकतंत्र है। उन्होंने कहा, हम संविधान की भावना के खिलाफ कैसे जा सकते हैं? हम अपने दायित्वों से कैसे पीछे हट सकते हैं?
उन्होंने "वोकल फॉर लोकल" होने के महत्व को भी याद दिलाया, उन्होंने कहा, स्थानीय के लिए मुखर बनें - रोजगार के अवसर पैदा होंगे, विदेशी मुद्रा बचेगी और उद्यमिता फलेगी-फूलेगी। हम कालीन से लेकर फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक्स, खिलौने, पतंग, दीये और मोमबत्ती, जैसी वस्तुओं का आयात नहीं कर सकते, जो इस देश में बनती हैं।
शासन पर विचार करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा, प्रौद्योगिकी द्वारा भ्रष्टाचार को बेअसर कर दिया गया है, शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की गई है। परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकी को धन्यवाद, अब लाभ अंतरण में कोई मानव इंटरफ़ेस नहीं है; अब यह सब डिजिटल, प्रत्यक्ष और निर्बाध है।
उपराष्ट्रपति ने संविधान दिवस और संविधान हत्या दिवस मनाने के महत्व पर भी प्रकाश डाला, उन्होंने कहा, संविधान दिवस मनाना हमें सभी के लिए न्याय, समानता और बंधुत्व सुनिश्चित करने की हमारी प्रतिज्ञा की याद दिलाता है; जबकि संविधान हत्या दिवस को याद करना सुनिश्चित करता है कि हम आपातकाल जैसे इतिहास के काले दौर के प्रति सतर्क रहें।
उन्होंने बताया कि इस देश में 21 महीने तक आपातकाल लगाया गया था। उन्होंने कहा कि जो लोग देश से प्यार करते थे, लोकतंत्र से प्यार करते थे और उनमें से कई स्वतंत्रता सेनानी थे, उन्हें जेल में डाल दिया गया। उन्हें न्याय नहीं मिला, उनके लिए कोई स्वतंत्रता का अधिकार नहीं था।
अपने संबोधन के समापन पर, श्री धनखड़ ने एकता और राष्ट्रवाद के महत्व को दोहराते हुए कहा कि हम एक हैं, चूँकि हम एक-दूसरे की भाषा जानते हैं, केवल इसलिए हम एक नहीं हैं, हम एक हैं, क्योंकि हम इस महान राष्ट्र के हैं।
इस अवसर पर अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिविक्रम परनायक, पीवीएसएम, यूवाईएसएम, वाईएसएम (सेवानिवृत्त), अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू, अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष श्री तेसम पोंगटे और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
पूरा पाठ यहां पढ़ें: https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2079475
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