पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय
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सागरमंथन 2024 : भारत का समुद्रीय दृष्टिकोण


हरित और स्मार्ट बंदरगाह उपक्रमों के साथ 819 मीट्रिक टन कार्गो संसाधित (प्रसंस्कृत) किया गया

Posted On: 19 NOV 2024 4:47PM by PIB Delhi

परिचय
भारत की समुद्री विरासत इसकी 7,500 किलोमीटर की तटरेखा जितनी विशाल और गतिशील है। इसमें 12 प्रमुख बंदरगाह और 200 से अधिक छोटे बंदरगाह हैं। दुनिया के सबसे व्यस्त नौवहन मार्गों पर स्थित भारत न केवल एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र है बल्कि एक बढ़ती वैश्विक शक्ति भी है। 2023 में देश ने वैश्विक विकास में 16 प्रतिशत का योगदान दिया और कुछ अनुमानों के अनुसार यह अगले तीन वर्षों के भीतर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। जैसे-जैसे भारत वैश्विक मंच पर आगे बढ़ रहा है, इसका समुद्री क्षेत्र वाणिज्य, कनेक्टिविटी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में उभर रहा है।

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यह बढ़ता प्रभाव अपने साथ अवसर और जिम्मेदारी दोनों लेकर आता है। वैश्विक समुद्री शासन में नेतृत्व करने के लिए भारत को नीति निर्माताओं, व्यापारिक जगत के दिग्गजों और विचारशील लोगों के साथ गहरे जुड़ाव को बढ़ावा देना चाहिए। भारत स्थायी कार्यप्रणाली और आगे की सोच वाली रणनीतियों को आकार देकर समुद्री क्षेत्र में अपनी भूमिका को फिर से परिभाषित कर सकता है।

इस पृष्ठभूमि में, 'सागरमंथन: द ग्रेट ओशन्स डायलॉग' का पहला संस्करण केंद्र में है। नई दिल्ली में 18 से 19 नवंबर तक आयोजित यह ऐतिहासिक कार्यक्रम दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा समुद्री विचार नेतृत्व मंच है। भारत सरकार के पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय द्वारा ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) के सहयोग से आयोजित 'सागरमंथन: द ग्रेट ओशन्स डायलॉग' के प्रथम संस्करण का उद्देश्य समुद्री क्षेत्र में ज्ञान बढ़ाना और वैश्विक लीडर्स, नीति निर्माताओं, व्यापारिक क्षेत्र के दिग्गजों, विचारकों और भविष्यद्रष्टाओं को सतत, टिकाऊ और प्रभावी समुद्री क्षेत्र के लिए ज्ञान साझा करने, सीखने और भविष्य की तैयारी तथा सक्षम निर्णय लेने की दिशा में प्रमुख वैश्विक मंच प्रदान करना है। ब्लू अर्थव्यवस्था (महासागरों और समुद्रों से जुड़ी आर्थिक गतिविधियां), वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं, समुद्री रसद और सतत विकास में फैले महत्वपूर्ण विषयों के साथ संवाद का उद्देश्य एक जीवंत और भविष्य के लिए तैयार समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक साहसिक कार्रवाई योग्य पाठ्यक्रम तैयार करना है।

सागरमंथन: विषयगत आधार स्तंभ

सागरमंथन को महासागरों और समुद्रों से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों और समुद्री शासन के प्रमुख पहलुओं पर गहन चर्चा की सुविधा के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी संरचना चार परस्पर जुड़े विषयों के आसपास घूमती है, जिनमें से प्रत्येक महासागरों के भविष्य को आकार देने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों और अवसरों को संबोधित करती है।

चार केंद्रीय विषय हैं:

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भारत के समुद्री क्षेत्र का अवलोकन

भारत का समुद्री क्षेत्र इसके व्यापार और वाणिज्य की रीढ़ के रूप में कार्य करता है, जो देश के व्यापार का लगभग 95% मात्रा के हिसाब से और 70% मूल्य के हिसाब से संभालता है। 12 प्रमुख बंदरगाहों और 200 से अधिक अधिसूचित छोटे और मध्यवर्ती बंदरगाहों के साथ देश का बंदरगाह बुनियादी ढांचा इसकी बढ़ती अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है। दुनिया के सोलहवें सबसे बड़े समुद्री राष्ट्र के रूप में भारत वैश्विक नौवहन मार्गों पर एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। पूर्वी एशिया और अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका जैसे गंतव्यों के बीच यात्रा करने वाले अधिकांश मालवाहक जहाज भारतीय जल क्षेत्र से गुजरते हैं, जो देश के रणनीतिक महत्व को दर्शाते हैं।

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स्रोत : https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/182/AU831_DTHWKp.pdf?source=pqals

इस क्षेत्र का योगदान व्यापार से परे है। भारत के पास 2023 तक अपने झंडे के नीचे 1,530 जहाजों का बेड़ा है, जो वैश्विक शिपिंग में इसकी बढ़ती उपस्थिति का प्रमाण है। इसके अतिरिक्त टन भार के हिसाब से जहाज रीसाइक्लिंग के मामले में देश दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा है, जो टिकाऊ समुद्री कार्यप्रणाली और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी भूमिका को रेखांकित करता है। यह विशिष्टता देश के बंदरगाह बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण और विस्तार के प्रयासों का पूरक है। 2014-15 और 2023-24 के बीच प्रमुख बंदरगाहों ने अपनी वार्षिक कार्गो-हैंडलिंग क्षमता को 871.52 मिलियन टन से बढ़ाकर 1,629.86 मिलियन टन कर दिया, जो 87.01% की प्रभावशाली वृद्धि को दिखाता है। अकेले वित्तीय वर्ष 2024 में भारतीय बंदरगाहों ने 819.22 मिलियन टन कार्गो का प्रबंधन किया, जो पिछले वर्ष से 4.45% अधिक है। यह वृद्धि वाणिज्यिक निर्यात में वृद्धि के साथ संरेखित है, जो वित्त वर्ष 23 में बढ़कर 451 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया, जो एक साल पहले 417 बिलियन अमरीकी डॉलर था।

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स्रोत : https://www.ibef.org/industry/ports-india-shipping


भारत सरकार ने इस विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बंदरगाह और बंदरगाह परियोजनाओं के लिए स्वचालित मार्ग के तहत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति देने और बंदरगाह विकास में लगे उद्यमों को 10 साल की कर छूट की पेशकश जैसी नीतियों ने इस क्षेत्र को बढ़ावा दिया है। ये उपाय देश के बढ़ते व्यापार नेटवर्क के साथ मिलकर भारत के समुद्री उद्योग को अपनी आर्थिक महत्वाकांक्षाओं की आधारशिला के रूप में स्थापित करते हैं।

हाल के कुछ प्रमुख विकास और पहल:


2023-24 में प्रमुख भारतीय बंदरगाहों ने वैश्विक मानकों को पार करते हुए कंटेनर टर्नअराउंड समय को घटाकर 22.57 घंटे कर दिया। पारादीप पोर्ट ने शुद्ध अधिशेष में 21% की वृद्धि के साथ 1,570 करोड़ रुपये (188 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की कमाई की, जबकि जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ने 1,263.94 करोड़ रुपये (151 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का शुद्ध अधिशेष दर्ज किया।

भारत एक दशक के भीतर अपने बेड़े को कम से कम 1,000 जहाजों तक विस्तारित करने के लिए एक नई शिपिंग कंपनी स्थापित करने की योजना बना रहा है। इस पहल का लक्ष्य 2047 तक विदेशी माल ढुलाई लागत में एक तिहाई की कटौती करना और राज्य संचालित निगमों और विदेशी फर्मों के संयुक्त स्वामित्व के साथ व्यापार राजस्व में वृद्धि करना है।

पारादीप बंदरगाह वित्त वर्ष 24 में कार्गो की मात्रा के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा बंदरगाह बन गया, जिसने 145.38 मिलियन टन का संचालन किया। यह बढ़ी हुई परिचालन दक्षता, रिकॉर्ड तटीय नौवहन यातायात और थर्मल कोयले के शिपमेंट में वृद्धि के कारण दीनदयाल बंदरगाह प्राधिकरण को पीछे छोड़ गया।

भारत ने समुद्री क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 2035 तक बंदरगाह बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में 82 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की रूपरेखा तैयार की है।

जून 2024 में, सरकार ने 76,220 करोड़ रुपये (9.14 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की अनुमानित लागत के साथ महाराष्ट्र के वधावन में एक प्रमुख बंदरगाह की स्थापना को मंजूरी दी। इस परियोजना का उद्देश्य एक्जिम (ईएक्सआईएम) व्यापार क्षमता का विस्तार करना और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को आकर्षित करना है।

जुलाई 2024 में, सरकार ने भारत की जहाज निर्माण प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता में 337 करोड़ रुपये (40.40 मिलियन अमेरिकी डॉलर) प्रदान करते हुए जहाज निर्माण वित्तीय सहायता नीति (एसबीएफएपी) को अपडेट किया।

नीति के शुभारंभ के बाद से 10,500 करोड़ रुपये (1.26 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के 313 पोत ऑर्डर सुरक्षित किए गए हैं।

मई 2024 में घोषित 'पंच कर्म संकल्प' में पांच प्रमुख घोषणाएं शामिल हैं- पत्तन, पोत-परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ग्रीन शिपिंग को बढ़ावा देने के लिए 30 प्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान करेगा; ग्रीन टग ट्रांजीशन प्रोग्राम के तहत जवाहरलाल नेहरू पोर्ट, वीओ चिदंबरनार पोर्ट, पारादीप पोर्ट, दीन दयाल पोर्ट और कांडला दो-दो टग खरीदेंगे; दीन दयाल पोर्ट और वीओ चिदंबरनार पोर्ट, तूतीकोरिन को ग्रीन हाइड्रोजन हब के रूप में विकसित किया जाएगा; नदी और समुद्री यात्राओं की सुविधा देने और निगरानी के लिए सिंगल विंडो पोर्टल स्थापित किया जाएगा; अगले साल तक जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह और वींओ चिदंबरनार पोर्ट तूतीकोरिन ‘स्मार्ट-पोर्ट’ बन जाएंगे।

समुद्री क्षेत्र में सरकारी योजनाएं

भारतीय समुद्री क्षेत्र देश के व्यापार और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण, बंदरगाह संपर्क बढ़ाने और इस क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए कई सरकारी योजनाएं शुरू की गई हैं। इन पहलों का उद्देश्य वैश्विक समुद्री केंद्र के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करना और विभिन्न समुद्री क्षेत्रों में इसकी दक्षता में सुधार करना है। समुद्री क्षेत्र की कुछ प्रमुख योजनाएं इस प्रकार हैंः

सागरमाला कार्यक्रम

सागरमाला कार्यक्रम पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय मंत्रालय की एक प्रमुख पहल है। इसका उद्देश्य पूरे भारत में बंदरगाह आधारित विकास को बढ़ावा देना है। भारत की 7,500 किलोमीटर की तटरेखा और 14,500 किलोमीटर के नौगम्य जलमार्गों का लाभ उठाने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ यह योजना विभिन्न बंदरगाह अवसंरचना परियोजनाओं, तटीय विकास और संपर्क वृद्धि का सहयोग करती है। तटीय बर्थ (तटीय माल और यात्रियों को परिवहन करने वाले जहाजों के लंगर के लिए बंदरगाह में एक समर्पित स्थान), सड़क और रेल संपर्क, मछली बंदरगाह, कौशल विकास, क्रूज टर्मिनल और रो-पैक्स फेरी सेवाओं जैसी परियोजनाओं के लिए राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। 26 जुलाई, 2024 तक कुल 3,714 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ 130 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।

मैरीटाइम इंडिया विजन (एमआईवी) 2030

भारत को वैश्विक समुद्री लीडर के रूप में स्थापित करने के लिए पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 (एमआईवी 2030) लॉन्च किया है। इस व्यापक खाके का उद्देश्य अगले दशक में भारत के समुद्री क्षेत्र के विकास में तेजी लाना और सामंजस्य स्थापित करना है। 350 से अधिक सार्वजनिक और निजी हितधारकों के परामर्श से विकसित, एमआईवी 2030 में दस प्रमुख विषयों पर 150 से अधिक पहल शामिल हैं, जो बंदरगाहों और शिपयार्डों से लेकर अंतर्देशीय जलमार्गों और व्यापार निकायों तक समुद्री क्षेत्र के सभी क्षेत्रों का समाधान करते हैं।

अंतर्देशीय जलमार्ग विकास

भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) ने व्यवहार्यता अध्ययन के बाद 26 नए राष्ट्रीय जलमार्गों की पहचान की है, ताकि उन्हें नौगम्य बनाया जा सके। ये नए मार्ग परिवहन का एक वैकल्पिक तरीका प्रदान करेंगे, भीड़भाड़ वाली सड़क और रेल नेटवर्क पर भार को कम करेंगे और विभिन्न क्षेत्रों के लिए टिकाऊ, लागत प्रभावी परिवहन विकल्पों को बढ़ावा देंगे।

ग्रीन टग ट्रांजीशन प्रोग्राम (जीटीटीपी)

ग्रीन टग ट्रांजीशन प्रोग्राम (जीटीटीपी) का लक्ष्य भारतीय प्रमुख बंदरगाहों पर पारंपरिक, ईंधन-आधारित हार्बर टग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना है। इन्हें स्वच्छ, टिकाऊ ईंधन द्वारा संचालित पर्यावरण अनुकूल टगों से प्रतिस्थापित किया जाएगा। यह परिवर्तन 2040 तक पूरा होने वाला है, जिससे देश के प्रमुख बंदरगाहों पर पूरी तरह से पर्यावरण-अनुकूल बेड़ा सुनिश्चित होगा।

निष्कर्ष

अंत में भारत का समुद्री क्षेत्र महत्वपूर्ण विकास के लिए तैयार है, जो इसकी रणनीतिक पहलों और सरकारी योजनाओं द्वारा रेखांकित किया गया है। सागरमंथन - द ग्रेट ओशन्स डायलॉग के पहले संस्करण ने वैश्विक समुद्री लीडर बनने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को और मजबूत किया है, जो स्थिरता, संपर्क और शासन जैसे प्रमुख विषयों पर चर्चा करने के लिए हितधारकों को एक साथ लाता है। सागरमाला कार्यक्रम, मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 और ग्रीन टग ट्रांजीशन प्रोग्राम जैसे कार्यक्रमों के साथ राष्ट्र अपने बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने, हरित शिपिंग को बढ़ावा देने और बंदरगाह कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए निर्णायक कदम उठा रहा है। सागरमंथन में साझा की गई अंतर्दृष्टि के साथ मिलकर ये प्रयास, भारत के समुद्री क्षेत्र को एक टिकाऊ, अभिनव और भविष्य के लिए तैयार पारिस्थितिकी तंत्र की ओर प्रेरित करेंगे, जो वैश्विक समुद्री परिदृश्य में एक केंद्रीय खिलाड़ी के रूप में अपनी जगह सुनिश्चित करेगा।

संदर्भ :

https://www.orfonline.org/forums/sagarmanthan-the-great-oceans-dialogue/speaker-2024

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