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नाइजीरिया में भारतीय सामुदायिक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

Posted On: 17 NOV 2024 11:08PM by PIB Delhi

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

सुन्नु नाइजीरिया। नमस्ते।

आज आपने अबुजा में अजूबा कर दिया है। अबुजा में अद्भुत समा बांध दिया है। और ये सब देखकर के कल शाम से मैं देख रहा हूं, ऐसा लगता है, मैं अबुजा में नहीं बल्कि भारत के ही किसी शहर में मौजूद हूं। आप में से बहुत सारे लोग लेगोस, कानो, कडूना, और पोर्ट हरकोर्ट से, ऐसे-ऐसे अलग इलाकों से अबुजा पहुंचे हैं, और आपके चेहरे की ये चमक, आपका ये उत्साह जितना आप यहां आने के लिए उत्सुक थे, उतना ही मैं भी आपसे मिलने का इंतजार करता था। आपका ये प्यार, ये स्नेह ये मेरे लिए बहुत बड़ी पूंजी है। आपके बीच आना, आपके साथ समय बिताना और ये पल जीवन भर मेरे साथ रहेंगे।

साथियों,

प्रधानमंत्री के तौर पर ये मेरी पहली नाइजीरिया यात्रा है, लेकिन मैं अकेला नहीं आया हूं, मैं अपने साथ भारत की मिट्टी की महक लेकर आया हूं। और करोड़ों-करोड़ों भारतीयों की तरफ से आपके लिए ढ़ेर सारी शुभकामनाएं लेकर के आया हूं। भारत की प्रगति से आप खुश होते हैं, और यहां आपकी प्रगति पर हर भारतवासी का सीना चौड़ा हो जाता है, चौड़ा होकर के कितना होता है...कितना? मेरा तो 56 हो जाता है।

साथियों,

मैं आज अभी-अभी प्रेसिडेंट टीनूबू का और नाइजीरिया की जनता का भी विशेष आभार व्यक्त करना चाहूंगा। जिस प्रकार का यहां स्वागत हुआ है वो अद्भुत है, और कुछ ही समय पहले प्रेसिडेंट टीनूबू ने मुझे नाइजीरिया के नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया। ये सिर्फ मोदी का सम्मान नहीं है, ये सम्मान भारत के करोड़ों-करोड़ों लोगों का है, और ये सम्मान आप सभी का है, यहां रह रहे भारतीयों का है।

साथियों।

मैं बहुत ही नम्रता पूर्वक ये सम्मान आप सबको समर्पित करता हूं।

साथिेयों,

प्रेसिडेंट टीनूबू से बातचीत के दौरान वो नाइजीरिया की प्रगति में आपके योगदान की बार-बार तारीफ कर रहे थे, और जब मैं उनको सुनता था उनकी आंखों में जो चमक देख रहा था, उस वक्त मेरा माथा गर्व से ऊंचा हो गया। जैसे कोई फैमिली मेंबर करियर में बहुत ऊंचा पहुंच जाता है और जैसे उसके माता-पिता को, उसके गांव वालों को उस पर गर्व होता है वैसे ही भावना से मैं भरा हुआ हूँ। आप सभी ने नाइजीरिया को सिर्फ अपना परिश्रम, अपनी मेहनत ही नहीं दी है, आप लोगों ने नाइजीरिया को अपना दिल भी दिया है। यहां का भारतीय समुदाय हमेशा से नाइजीरिया के हर सुख-दुख में साथी रहा है। नाइजीरिया के लोग आज 40 या 60 में जो लोग हैं, उनमें से अनेक ऐसे मिलेंगे, जिनको किसी ना किसी भारतीय टीचर ने पढ़ाया होगा। यहां बहुत सारे भारतीय डॉक्टर हैं जो नाइजीरिया के लोगों की सेवा कर रहे हैं। नाइजीरिया में कितने ही भारतीयों ने अपना बिजनेस establish करके इस देश की विकास यात्रा में सहभागी बने हैं। आजादी से भी बहुत पहले किशनचंद चेलाराम जी यहां आए थे। तब ये कोई नहीं जानता था कि उनकी कंपनी नाइजीरिया के सबसे बड़े बिजनेस हाउस में से एक बन जाएगी। आज भारत की अनेक कंपनियां नाइजीरिया की पूरी इकोनॉमी को ताकत दे रही हैं। तोलाराम जी के नूडल्स यहां घर-घर में आनंद से खाए जाते हैं। तुलसीचंद राय जी की फाउंडेशन नाइजीरिया के लोगों की जिंदगी में रोशनी भर रही है। यहां के लोगों के साथ भारतीय कम्युनिटी नाइजीरिया के विकास के लिए कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। और यही तो, यही तो भारत के लोगों की बहुत बड़ी ताकत है, भारत के लोगों के संस्कार हैं। हम दूसरे देश में भले जाए लेकिन सर्वहित के अपने संस्कार नहीं भूलते। हम तो वो लोग हैं जो सदियों से अपनी रगों में उन संस्कारों को लेकर के जिये हैं, जो पूरे विश्व को एक परिवार मानता है। हमारे लिए पूरा विश्व एक परिवार है। 

साथियों,

आप लोगों ने नाइजीरिया में भारतीय संस्कृति को जो गौरव दिलाया है, वो हर तरफ दिखता है। यहां के लोगों में योग लगातार पॉपुलर हो रहा है। मुझे लगता है आप लोग नहीं कर रहे हैं, नाइजीरिया के लोग तो कर रहे हैं, ये-ये हाथ की ताली से पता चल गया है मुझे। देखिए साथियों पैसे कमाइए, नाम कमाइए जो कमाना है कमाइए, लेकिन कुछ समय योग के लिए भी तो लगाइए। और मुझे किसी ने बोला कि यहां के नेशनल टीवी पर योग का एक वीकली प्रोग्राम दिखाया जाता है। आप लोग तो यहां का टीवी नहीं देखते होंगे, आप तो इंडिया का देखते होंगे। वहां कितना पानी आया, आज कहां एक्सीडेंट हो गया। और यहां नाइजीरिया में हिंदी भी बहुत पॉपुलर हो रही है। नाइजीरिया के युवा खासकर कानो के काफी स्टूडेंट्स हिंदी सीखते हैं, और कानो में तो हिंदी प्रेमियो ने दोस्ताना, दोस्ताना नाम का एक ग्रुप भी बना लिया, यहां मौजूद है। और इसलिए जब इतना ज्यादा दोस्ताना है तो फिर भारत की फिल्मों से दोस्ती होना भी बहुत स्वाभाविक है। मैं अभी भोजन के समय गप मार रहा था, सब के साथ यहां के लोगों से, उनको भारत के सब एक्टरों का नाम मालूम है, सब फिल्मों का नाम मालूम है। नॉर्दर्न एरिया में लोग भारतीय शोध दिखाने के लिए उमड़ पड़ते हैं, नमस्ते वाला, ये वाला शब्द समझ आ जाता है लोगों को, ये मूलत: गुजराती शब्द है...म्हारावाला। नमस्ते वाला जैसी फ़िल्में और postcards… postcards जैसी वेब सीरीज यहां खूब पसंद की जा रही है।

साथियों,

गांधी जी लंबे समय तक अफ्रीका में रहे थे, उन्होंने अफ्रीका के लोगों का सुख-दुख साझा किया। गुलामी के उस दौर में भारत और नाइजीरिया के लोगों ने आजादी के लिए, उसके जंग के लिए कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी। और जब भारत आजाद हुआ तो उसने नाइजीरिया के आजादी के आंदोलन को भी प्रेरित किया। आज भारत और नाइजीरिया संघर्ष के दिनों के साथी की तरह एक साथ आगे बढ़ रहे हैं। भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है। तो नाइजीरिया अफ्रीका की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी है। हम दोनों के पास डेमोक्रेसी की समानता है, हम दोनों के पास डायवर्सिटी की समानता है, और हम दोनों देशों के पास डेमोग्राफी की ऊर्जा है। भारत और नाइजीरिया दोनों में अलग-अलग भाषाएं बोलने वाले लोग हैं, रीति-रिवाज मानने वाले लोग हैं। यहां लेगोस के जगन्नाथ जी भगवान, यहां भगवान वेंकटेश्वर, गणपति दादा, कार्तिकेय मंदिर डायवर्सिटी के प्रति नाइजीरिया के सम्मान के प्रतीक है। और आज जब मैं आपके बीच आया हूं तो नाइजीरिया की सरकार को इनके निर्माण में सहयोग के लिए मैं हिंदुस्तान वासियों की तरफ से आभार भी व्यक्त करता हूं।

साथियों,

भारत जब आजाद हुआ था, तो अनेक प्रकार की चुनौतियां थी। आजादी के बाद हमारे पूर्वजों ने उन चुनौतियों से बाहर निकालने के लिए अनेक अथक परिश्रम किया, और आज भारत की तेज प्रगति की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है...हो रही है कि नहीं हो रही है? आपके कानों पर आता है कि नहीं है? जो कानों पर आता है वह जुबान पर आता है कि नहीं आता है? जो जुबान पर आता है वो दिल में बसता है कि नहीं बसता है? भारत की उपलब्धि पर हम सभी भारतीयों को गर्व होता है। आप बताइए, आपको भी गर्व होता है कि नहीं होता है? जब भारत का चंद्रयान, चंद्रमा पर पहुंचा तो आपको गर्व हुआ कि नहीं हुआ? आप भी उस दिन आंखें फाड़कर के टीवी के सामने बैठे थे कि नहीं बैठे थे? जब भारत का मंगलयान मंगल पर पहुंचा तो आपको गर्व हुआ कि नहीं हुआ? जब आप मेड इन इंडिया फाइटर प्लेन तेजस को देखते हैं, जब आप मेड इन इंडिया एयरक्राफ्ट केरियर आईएनएस विक्रांत को देखते हैं, तो आपको गर्व होता है कि नहीं होता है? आज भारत स्पेस सेक्टर से लेकर मैन्युफैक्चरिंग तक डिजिटल टेक्नोलॉजी से लेकर के हेल्थकेयर तक दुनिया के बड़े-बड़े देशों का मुकाबला कर रहा है। आप सभी जानते हैं गुलामी के लंबे कालखंड ने हमारी इकोनॉमी को तहस-नहस कर दिया था। चुनौतियों से लड़ते हुए आजादी के बाद के 60 साल में, छह दशक में भारत की अर्थव्यवस्था ने एक ट्रिलियन डॉलर का पड़ाव पार किया। कितने वर्षों में? भूल गए? कितने वर्षों में? कितने दशक? छह दशक में कितना? मैं कोई टीचर नहीं हूं, मैं ऐसे ही पूछ रहा हूं। हम भारतीय डटे रहे और ताली अब बजानी हैं। ऐसे बजाओगे क्या? आपने ताली तो बजा दी लेकिन कारण तो मैं अब बताऊंगा। छह दशक में क्या हुआ वो आपने अभी ताली बजाई, अब ताली डबल बजानी पड़ेगी। बीते एक दशक में भारत ने अपनी जीडीपी में करीब 2 ट्रिलियन डॉलर और जोड़ दिया। 10 सालों में भारत की इकोनॉमी का साइज दोगुना हो गया है, डबल। आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। याद रहेगा ना? कितनी? और वो दिन दूर नहीं जब भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन जाएगा। जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगा।

साथियों,

हम अक्सर सुनते हैं कि जो लोग अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलते हैं, वहीं कुछ बड़ा कर पाते हैं। अब ये बात आपको समझाने की जरूरत नहीं है क्योंकि आप यहां तक तो आ ही गए हैं। आज भारत और भारत का युवा इसी मिजाज से आगे बढ़ रहा है। इसलिए आज भारत नए-नए सेक्टर्स में तेज गति से ग्रो कर रहा। भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम, शायद आपने भी 10-15 साल पहले स्टार्टअप सुना ही नहीं होगा। मैंने एक बार स्टार्टअप को प्रमोट करने के लिए कॉन्फ्रेंस बुलाई, तो उसमें एक 8-10 लोग थे जो स्टार्टअप वाले थे बाकी सब तो अभी क्या है, स्टार्टअप समझने समझने वाले थे। तो उसमें बंगाल की एक बेटी वो अपना अनुभव शेयर करने के लिए खड़ी हुई। क्योंकि मुझे लोगों को समझाना था, ये कौन-सी नई दुनिया है। तो वो बेटी, काफी पढ़ी-लिखी थी, अच्छी नौकरी की हकदार थी और well-settled थी। उसने सब कुछ छोड़ दिया, तो उसने अपना अनुभव बताया, वो बंगाली थी। तो वो अपने गांव गई, उसने मां को कहा कि मां मैंने तो सब छोड़ दिया, नौकरी-वौकरी छोड़ दिया। तो मां क्या, तो बोली क्या करोगी? तो बोली स्टार्टअप करूंगी, तो बोली महाविनाश। लेकिन आज ये ही हमारे नौजवान कंफर्ट जोन से बाहर निकलकर नए भारत के लिए, नए सोल्यूशन पर काम करने की ठानी और नतीजा क्या शानदार निकला है। आज भारत में डेढ़ लाख से अधिक रजिस्टर्ड स्टार्टअप्स हैं। जिस स्टार्टअप का नाम सुनते ही मां चिल्लाती थी कि महाविनाश....वही स्टार्टअप आज कह रहा है महाविकास। 10 साल में भारत में 100 से अधिक यूनिकार्न्स बने हैं। जरा मैं विस्तार से बताऊंगा तो तालियां ज्यादा बजेगी। एक यूनिकॉर्न यानी 8 से 10 हजार करोड रुपए की कंपनी। भारत के नौजवानों द्वारा बनाई ऐसी 100 से ज्यादा कंपनियां आज भारत के स्टार्टअप कल्चर का परचम लहरा रही हैं। और ये क्यों हुआ, क्यों हुआ ये सब? क्यों हुआ? ये इसलिए हुआ कि भारत अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकल गया है।

साथियों,

मैं एक और उदाहरण आपको देता हूं। भारत हमेशा अपने सर्विस सेक्टर के लिए जाना जाता है। ये हमारी इकोनॉमी का एक स्ट्रांग फिलर रहा है। लेकिन हम इतने से ही संतुष्ट नहीं हुए हैं। हमने कंफर्ट से बाहर निकलकर, हमने वर्ल्ड क्लास मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की ठानी है। हमने मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को जबरदस्त बढ़ावा दिया। आज भारत दुनिया के सबसे बड़े मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरर में से एक है। आज भारत में हर साल 30 करोड़ से ज्यादा मोबाइल फोन मैन्युफैक्चर हो रहे हैं। यानी नाइजीरिया को जितने चाहिए उससे ज्यादा। साथ 10 वर्ष में हमारा मोबाइल फोन एक्सपोर्ट 75 टाइम, 75 गुना से अधिक हो गया है। इन्हीं 10 सालों में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट ये करीब-करीब 30 गुना बढ़ गया है। आज हम दुनिया के 100 से ज्यादा देशों को डिफेंस इक्विपमेंट एक्सपोर्ट कर रहे हैं।

साथियों,

स्पेस इंडस्ट्री में तो भारत जो कमाल कर रहा है उसकी प्रशंसा तो दुनिया भर में हो रही है। भारत ने ठाना है जल्द ही हम अपने गगनयान से भारतीयों को स्पेस में भेजेंगे। भारत अंतरिक्ष में स्पेस स्टेशन भी बनाने जा रहा है।

साथियों,

कंफर्ट जोन छोड़कर इनोवेट करना, नए रास्ते बनाना ये आज भारत का मिजाज बन चुका है। बीते 10 सालों में भारत ने 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। इतने सारे लोगों का गरीबी से बाहर आना, ये दुनिया के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है। ये हर देश के लिए एक उम्मीद जगाता है, अगर भारत ने किया है तो हम भी कर सकते हैं। आत्मविश्वास से भरा भारत आज एक नई यात्रा पर निकल पड़ा है, लक्ष्य है- विकसित भारत बनाना। जब हम 2047 में, आप में से जो लोग बुढ़ापे में रिटायर होकर के सच में कोई बढ़िया जिंदगी जीना चाहते हैं तो मैं काम अभी से कर रहा हूं आपके लिए। जब हम 2047 में आजादी के 100 साल मनाएंगे तो भारत विकसित हो, भव्य हो इसके लिए हर भारतीय मिलकर के काम कर रहा है। और इसमें नाइजीरिया में रह रहे आप सब लोगों की भी बहुत बड़ी भूमिका है। 

साथियों,

अब ग्रोथ हो, पीस हो, प्रोस्पेरिटी हो या फिर बात डेमोक्रेसी की, दुनिया के लिए भारत एक नई उम्मीद बनकर उभरा है। आपका अनुभव होगा अब दुनिया में आप जहां गए होंगे लोग आपको सम्मान की नजर से देखते है कि नहीं देखते हैं? नहीं सच बताइए क्या होता है? आप जैसे कहते हैं ना इंडिया या हिंदुस्तान या भारत वो हाथ छोड़ता ही नहीं है, उसको लगता है मैं हाथ पकड़े रखूंगा तो कुछ ऊर्जा मेरे में आ जाएगी

साथियों,

दुनिया में कोई भी मुश्किल आती है तो भारत विश्व बंधु के तौर पर फर्स्ट रिस्पांडर बनकर वहां पहुंचता है। आपको कोरोना का समय याद होगा। उस समय दुनिया में कितना हाहाकार मचा था। हर देश वैक्सीन के लिए परेशान था और संकट की उस घड़ी में भारत ने ठाना कि ज्यादा से ज्यादा देशों को वैक्सीन दी जाएगी। यही तो हमारे संस्कार है। हजारों वर्ष पुरानी हमारी संस्कृति ने हमें यही सिखाया है। इसलिए भारत ने वैक्सीन का प्रोडक्शन बढ़ाया और दुनिया के 150 से ज्यादा देशों को, यह आंकडा़ छोटा नहीं है जी, 150 से ज्यादा देशों को कोरोना के समय दवाइयां और वैक्सीन भेजी। नाइजीरिया समेत अफ्रीका के कितने ही देशों में भारत के इस प्रयास से हजारों-हजारों लोगों का जीवन बचा। 

साथियों,  

आज का भारत सबका साथ सबका विकास पर यकीन करता है। मैंने नाइजीरिया समेत अफ्रीका के फ्यूचर ग्रोथ के एक बड़े केंद्र के रूप में देखा है। पिछले 5 साल में ही हमने अफ्रीका में 18 नयी एंबेसी शुरू की है। बीते सालों में अफ्रीका की आवाज को ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर उठाने के लिए भारत ने हर संभव प्रयास किया है। इसका एक शानदार उदाहरण तो आपने पिछले साल ही देखा है। जब भारत को पहली बार जी20 की प्रेसीडेंसी मिली तो हमने अफ्रीकन यूनियन को परमानेंट मेंबर बनाने के लिए पूरा जोर लगा दिया, और भारत को उसमें सफलता भी मिली। मुझे खुशी है कि जी-20 के हर मेंबर देश ने भारत के इस कदम को भरपूर समर्थन दिया। और भारत के निमंत्रण पर नाइजीरिया ने वहां गेस्ट कंट्री के रूप में पूरी शान से इस इतिहास को बनते देखा। राष्ट्रपति बनने के बाद प्रेसिडेंट टिनुबू की पहली यात्राओं में से एक भारत की यात्रा थी। और जी-20 के लिए भारत आने वाले प्रेसिडेंट टिनुबू सबसे पहले मेहमानों में से एक थे। 

साथियों,

आप में से बहुत सारे लोग अक्सर बीच-बीच में भारत आते रहते हैं, त्योहारों पर, घर के सुख-दुख में आप लोग शामिल होते हैं। और इसके लिए भारत से आपके रिश्तेदार मैसेज भी करते हैं, फोन भी करते हैं, अब मैं भी आपके परिवार का सदस्य हूं, खुद आपके बीच हूं तो मैं भी आपको एक विशेष निमंत्रण देना चाहता हूं। अगले वर्ष जनवरी में भारत में अनेक उत्सव एक साथ आने वाले हैं। जनवरी महीने में हर वर्ष हम 26 जनवरी को रिपब्लिक डे के रूप में मनाते हैं दिल्ली में, देश में। जनवरी महीने के दूसरे हफ्ते में प्रवासी भारतीय दिवस भी मनाया जा रहा है, और इस बार यह प्रवासी भारतीय दिवस भगवान जगन्नाथ जी के चरणों में उड़ीसा की धरती पर होने वाला है। इसमें पूरी दुनिया से आप जैसे साथी भारत में जुटने वाले हैं। अगले साल 13 जनवरी से 26 फरवरी तक 45 दिन प्रयागराज में महाकुंभ भी होने जा रहा है। भारत आने की इतनी सारी वजह हैं, एक साथ हैं। एक बड़ा ही सुखद संयोग आपके लिए बना हुआ है। आप इस दौरान भारत आए, अपने बच्चों को भारत लाए और जो नाइजीरियन दोस्त भी हैं, उनको भी साथ लाएं और प्रयागराज से पास ही में अयोध्या जी हैं, काशी भी ज्यादा दूर नहीं है। कुंभ में आए तो आप वहां जाने का भी प्रयास करिएगा। और काशी में जो नया विश्वनाथ भगवान का धाम बना है, पूरा देखने जैसा है। और अयोध्या में 500 साल बाद, 500 साल बाद प्रभु श्री राम का भव्य मंदिर बना है। आप खुद भी दर्शन करिएगा, अपने बच्चों को भी वहां के दर्शन कराइएगा, आप जरूर प्लान कीजिए। पहले प्रवासी भारतीय दिवस, फिर महाकुंभ और उसके बाद गणतंत्र दिवस यानी एक प्रकार से त्रिवेणी है आपके लिए तो। ये भारत के विकास और विरासत से जुड़ने का बहुत बड़ा अवसर है। मुझे पूरा विश्वास है कि आपकी पहले भी यात्राएं हुई होंगी, बहुत बार आए होंगे। लेकिन मेरे शब्द लिखकर रखिए। ये यात्रा आपके जीवन की अमूल्य याद बन जाएगा, आपके जीवन का एक बहुत बड़ा आनंद का सौभाग्य होगा। एक बार फिर आप सबने कल से मैं आया हूं तब से आज तक, जो उमंग, उत्साह प्यार दिखाया है, इतना समय निकाला है, मुझे आप सबके दर्शन करने का सौभाग्य मिला है। मैं आप सबका बहुत-बहुत आभारी हूं। 

मेरे साथ बोलिए-

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

बहुत-बहुत धन्यवाद!

***

MJPS/ST/RK


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