लोकसभा सचिवालय
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लोकसभा अध्यक्ष ने कहा - सार्वजनिक नीति में सभी को शामिल करने का प्रयास किया जाना चाहिए


लोकसभा अध्यक्ष ने कहा - जनता ने लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर हमला करने वालों को नकार दिया

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि 'वसुधैव कुटुम्बकम' का दर्शन ही विश्व में शांति और स्थिरता का एकमात्र समाधान है

लोकसभा अध्यक्ष ने बताया कि 'कानून के शासन' के सुदृढ़ ढांचे के कारण भारत में विदेशी निवेश बढ़ रहा है

एक शिक्षित समाज नवाचार, आर्थिक विकास और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देता है: लोकसभा अध्यक्ष

Posted On: 27 OCT 2024 10:00PM by PIB Delhi

लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने आज कहा कि हमारे समुदाय की विविध आवश्यकताओं को पहचानते हुए सार्वजनिक नीति में सभी को शामिल करने का प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब नीतियां सभी व्यक्तियों की आवाज़ और अनुभवों को ध्यान में रखते हुए बनाई जाती हैं, तो वे अपनेपन की भावना को बढ़ावा देती हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहन प्रदान करती हैं। कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी), भुवनेश्वर में केआईआईटी स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी का उद्घाटन करते हुए, लोकसभा अध्यक्ष ने आज कहा कि समुदाय की सामूहिक शक्ति का उपयोग करके, हम समावेशी समाधान खोज सकते हैं, जो न केवल सामाजिक बंधनों को मजबूत करते हैं बल्कि वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करते हैं साथ ही यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी पीछे न छूटे।

श्री बिरला ने इस अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों की दृढ़ता पर प्रकाश डाला और कहा कि लोग अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों के अंतिम संरक्षक हैं। लोकतंत्र की रक्षा के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए, श्री बिरला ने लोगों को याद दिलाया कि जब भी लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कमजोर करने का प्रयास किया गया है तो ऐसी चुनौतियों के खिलाफ़ लोगों की आवाज़ मजबूती से गूंजी है। यह प्रतिबद्धता आम चुनाव और आंदोलन से स्पष्ट होती है और विपरीत परिस्थितियों में भी लोकतंत्र का जीवंत और स्थायी बने रहना सुनिश्चित करती है। उन्होंने भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने वाली विविधता के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं के समृद्ध ताने-बाने ने इसकी जीवंतता में योगदान दिया है।

भारत के आर्थिक परिदृश्य पर विचार करते हुए, श्री बिरला ने कहा कि भारत में विदेशी निवेश बढ़ रहा है क्योंकि यहाँ 'कानून का शासन' प्रचलित है। उन्होंने 'कानून के शासन' के मजबूत ढांचे की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह न केवल निवेशकों के हितों की रक्षा करता है बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि और विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। उन्होंने कहा कि एक सुस्थापित न्यायपालिका और पारदर्शी नियामक प्रक्रियाओं के साथ, भारत निवेशकों को निष्पक्षता और विश्वसनीयता का आश्वासन देता है, जिससे व्यापार के अनुकूल माहौल को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने आगे बताया कि भारत के कानूनी ढांचे की स्थिरता और पूर्वानुमानशीलता निवेशकों का विश्वास बढ़ा रही है।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि भारत का कद वैश्विक स्तर पर ऊंचा हो रहा है और दुनिया उत्सुकता से भारत की ओर देख रही है। उन्होंने अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी और सामाजिक विकास सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारत को आगे बढ़ाने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रभावी नेतृत्व और दूरदर्शी दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला।

"पूरा विश्व एक परिवार है" के सिद्धांत को प्रतिपादित करने वाले प्राचीन भारतीय दर्शन "वसुधैव कुटुम्बकम" के महत्व को दोहराते हुए श्री बिरला ने सांस्कृतिक और राष्ट्रीय सीमाओं से परे,  वैश्विक स्तर पर शांति और स्थिरता प्राप्त करने में इस सिद्धांत की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। अध्यक्ष ने कहा कि एकता और सहयोग की इस भावना को अपनाकर, सभी देश सामूहिक रूप से वैश्विक चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं और मानवता के लिए स्थायी सद्भाव और साझा समृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।

इससे पहले, श्री बिरला ने भुवनेश्वर में कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (केआईएसएस) के छात्रों से बातचीत की। छात्रों को संबोधित करते हुए, अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा राष्ट्र निर्माण की नींव है। श्री बिरला ने कहा कि एक शिक्षित समाज नवाचार, आर्थिक विकास और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देता है, जिससे नागरिक सोच-समझकर निर्णय लेने में सक्षम होते हैं, जिससे पूरे राष्ट्र को लाभ होता है।

2047 तक विकसित भारत के संकल्प को साकार करने का दायित्व साहस और आत्मविश्वास से भरे इन प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के कंधों पर है। मुझे विश्वास है कि भारत की उन्नत - उज्ज्वल विकास यात्रा में महाप्रभु जगन्नाथ की पुण्य भूमि ओडिशा के ये युवा अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे।

श्री बिरला ने कहा कि स्थानीय आदिवासी छात्रों को शिक्षित और उनमें मूल्यों का विस्तार करके, केआईएसएस व्यक्तित्व विकास के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने की जिम्मेदारी साहस और आत्मविश्वास से भरे प्रतिभाशाली छात्रों के कंधों पर है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि युवा भारत की उन्नत और उज्ज्वल विकास यात्रा में अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाएंगे।

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