वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय
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भारत के नए ग्रीनफील्ड औद्योगिक स्मार्ट शहरों में प्रशासनिक भवनों के टिकाऊ डिजाइन को लेकर एनआईसीडीसी और सीईपीटी विश्वविद्यालय ने कार्यशाला का आयोजन किया


नए स्मार्ट शहरों में प्रशासनिक भवनों में टिकाऊ, बायोफिलिक और ऊर्जा-दक्षता डिजाइन होंगे

Posted On: 26 OCT 2024 11:28AM by PIB Delhi

भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत आने वाले राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास निगम लिमिटेड (एनआईसीडीसी) ने पर्यावरण नियोजन एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (सीईपीटी) विश्वविद्यालय के सीईपीटी सलाहकार फाउंडेशन (सीएएफ) के साथ मिलकर एक कार्यशाला आयोजित की।  इस कार्यशाला में हाल ही में भारत सरकार द्वारा स्वीकृत 12 नए ग्रीनफील्ड औद्योगिक स्मार्ट शहरों के लिए प्रशासनिक भवनों के बेहतर डिजाइन पर चर्चा की गई। 24 अक्टूबर, 2024 को गुजरात के अहमदाबाद में सीईपीटी विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित अपनी तरह की यह पहली कार्यशाला बायोफिलिक वास्तुकला, एकीकृत और समावेशी योजना, ऊर्जा दक्षता और जलवायु बायो-मासिंग जैसी टिकाऊ डिजाइन अवधारणाओं पर प्रकाश डालने पर केंद्रित थी।

यह परिकल्पना की गई है कि इन भविष्य के स्मार्ट शहरों में प्रशासनिक भवन इन उन्नत सिद्धांतों को अपनाएंगे, ताकि विशिष्ट रूप से डिजाइन की गई संरचनाओं का निर्माण किया जा सके, जो पर्यावरण के अनुकूल शहरी परिदृश्यों में योगदान दें। कार्यशाला में विशेष प्रयोजन वाहनों (एसपीवी) और राज्य के अधिकारियों को राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर उभरती प्रौद्योगिकियों और टिकाऊ प्रथाओं पर चर्चा की गई।

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कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों ने दो विस्तृत सत्रों में भाग लिया। प्रारंभिक सत्र में, अच्छे डिजाइन के मूल्य और आकर्षक, कार्यात्मक कार्यस्थल बनाने में इसकी भूमिका पर जोर दिया गया। प्रतिष्ठित वास्तुकारों ने नए डिजाइनों के लाभों के बारे में जानकारी देने के लिए अनुकरणीय परियोजनाओं का उदाहरण दिया, वहीं नवीनतम डिजाइन रुझानों और कार्यान्वयन चुनौतियों पर खुली चर्चा की गई। इस सत्र की अगुवाई प्रसिद्ध पेशेवरों ने किया, जिनमें जेन्सलर की सुश्री अपर्णा खेमानी, एडिफिस के श्री बेदांत सैकिया और स्टूडियो लोटस के श्री अंबरीश अरोड़ा शामिल थे।

कार्यशाला के दूसरे हिस्से में, सीएएफ टीम ने वास्तुशिल्प सेवाओं की खरीद के लिए एक मजबूत और पारदर्शी प्रक्रिया की रूपरेखा तैयार की। इस प्रस्तुति ने एक विश्वसनीय और गहन प्रक्रिया के माध्यम से सक्षम डिजाइनरों को नियुक्त करने में गुणवत्ता और लागत के बीच संतुलन के महत्व पर जोर दिया। इस सत्र का संचालन जैकब्स के श्री प्रसाद जस्ती और सीईपीटी अर्बन प्लानिंग एंड डिज़ाइन फाउंडेशन - सीओई के केंद्र प्रमुख श्री अवनीश पेंडारकर ने किया।

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एनआईसीडीसी के सीईओ और एमडी, श्री रजत कुमार सैनी (IAS), ने राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के तहत स्थापित किए जा रहे औद्योगिक स्मार्ट शहरों में बेहतरीन, प्रतिष्ठित प्रशासनिक भवन विकसित करने के महत्व पर जोर दिया। इन औद्योगिक गलियारों का उद्देश्य गतिशील क्षेत्र बनाना है जो औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करते हैं, रसद में सुधार करते हैं और पर्यावरण के अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देते हैं। श्री सैनी ने भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सुसज्जित लचीले शहरों को विकसित करने के लिए सीईपीटी विश्वविद्यालय और सीएएफ के साथ सहयोग करने के एनआईसीडीसी के दृष्टिकोण को सामने रखा।

सीएएफ के निदेशक श्री दर्शन पारिख ने एनआईसीडीसी और एसपीवी के साथ इस सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला और इस बात पर जोर दिया कि सीएएफ निर्दिष्ट स्थानों पर प्रतिष्ठित इमारतों के निर्माण के लिए एनआईसीडीसी की परिकल्पना को साकार करने में सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है। श्री पारिख ने कहा, "हम इन प्रतिष्ठित प्रशासनिक भवनों के विकास के लिए सर्वोत्तम डिजाइन क्षमताएं लाने के लिए मिलकर काम करने का लक्ष्य रखते हैं।"

एनआईसीडीसी, जिसे पहले दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा विकास निगम के नाम से जाना जाता था, राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के एक भाग के रूप में विनिर्माण को प्राथमिक आर्थिक चालक के रूप में आगे रखते हुए हरित क्षेत्र औद्योगिक स्मार्ट शहरों को विकसित करने की अगुवाई कर रहा है.

सीईपीटी एडवाइजरी फाउंडेशन (सीएएफ) एक सेक्शन 8 (गैर-लाभकारी) कंपनी है जो सलाहकार परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करती है, जिसका गठन नवंबर 2023 में किया गया है। सीएएफ शहरी नियोजन, परिवहन, बुनियादी ढांचे और जल आपूर्ति और स्वच्छता सहित नौ विषयगत केंद्रों में सेवाएं प्रदान करता है। इसके पोर्टफोलियो में 200 से अधिक परियोजनाएं शामिल हैं, जिनमें विकास और रणनीतिक योजनाओं से लेकर व्यवहार्यता अध्ययन और विकास नियंत्रण विनियमन शामिल हैं।

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