विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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सेमीकंडक्टर्स में इलेक्ट्रॉन प्रकीर्णन के बारे में नवीन जानकारी से अधिक कुशल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की संभावना जगी है

Posted On: 18 OCT 2024 3:12PM by PIB Delhi

सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण प्रगति की दिशा में, शोधकर्ताओं ने सेमीकंडक्टर में इलेक्ट्रॉन गतिशीलता को सीमित करने वाली व्यवस्था में नवीन जानकारी दी है। यह अध्ययन सेमीकंडक्टर के इलेक्ट्रॉनिक गुणों को समझने में एक बड़ी उपलब्धि को दर्शाता है, और अधिक कुशल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के विकास की संभावना जगाता है।

सेमीकंडक्टर आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स का मूल आधार हैं। यह स्मार्टफोन और कंप्यूटर से लेकर उन्नत चिकित्सा उपकरणों के साथ-साथ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों तक हर क्षेत्र को क्षमता प्रदान करते हैं। त्वरित, अधिक कुशल और अधिक विश्वसनीय इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की निरंतर बढ़ती मांग को देखते हुए नयी सेमीकंडक्टर सामग्रियों की खोज तेज हो गई है। स्कैंडियम नाइट्राइड, रॉकसाल्ट सेमीकंडक्टर, अपनी उच्च तापीय स्थिरता, मजबूती और इलेक्ट्रॉनिक गुणों के कारण अगली पीढ़ी के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में एक आशाजनक उम्मीद के रूप में उभरा है। हालाँकि, इसकी क्षमता के बावजूद, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में व्यावहारिक अनुप्रयोग इसकी अपेक्षाकृत कम इलेक्ट्रॉन गतिशीलता के कारण बाधित हुआ है। यह महत्वपूर्ण कारक सेमीकंडक्टर उपकरणों की गति और दक्षता को प्रभावित करता है और शोधकर्ता यह जानने के लिए उत्सुक है कि इलेक्ट्रॉनों की गतिशीलता सीमित क्यों है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत एक स्वायत्त संस्थान, जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (जेएनसीएएसआर), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने एससीएन में इलेक्ट्रॉन गतिशीलता को सीमित करने वाले कारकों का पता लगाया है। एसोसिएट प्रोफेसर बिवास साहा के नेतृत्व में उनके शोध ने प्रमुख प्रकीर्णनों की पहचान और विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित किया है जो इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह में बाधा डालते है और उनकी गतिशीलता को कम करते हैं। सैद्धांतिक विश्लेषण और प्रयोगात्मक सत्यापन के संयोजन के माध्यम से, शोधकर्ता विशिष्ट प्रकीर्णनों को पहचानने में सक्षम हुए है। उनके परिणामों से पता चला कि इलेक्ट्रॉनों और लोंगिट्यूडिनल ऑप्टिकल फोनन मोड के बीच का संपर्क जिसे अक्सर फ्रोलिच इंटरैक्शन के रूप जाना जाता है, एससीएन की इलेक्ट्रॉन गतिशीलता के लिए एक आंतरिक ऊपरी सीमा तय करते है।

प्रो. बिवास साहा ने कहा कि इस अध्ययन के निष्कर्षों का वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। चूंकि निर्माता इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के प्रदर्शन की सीमाओं को आगे बढ़ाना चाहते हैं, इसलिए हमारे शोध द्वारा प्रदान की गई जानकारी एससीएन-आधारित घटकों के डिजाइन और निर्माण में महत्वपूर्ण प्रगति कर सकती है। इस अध्ययन के प्रमुख लेखक सौरव रुद्र ने बताया कि पहचान किए गए प्रकीर्णनों को बेहतर इलेक्ट्रॉन गतिशीलता के साथ एससीएन सामग्रियों में उपयोग करना संभव हो सकता है, जिससे उन्हें उच्च-प्रदर्शन अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए अधिक उपयुक्त बनाया जा सके। इनमें थर्मोइलेक्ट्रिसिटी, न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग, उच्च गतिशीलता इलेक्ट्रॉन ट्रांजिस्टर और शॉटकी डायोड डिवाइस शामिल हो सकते हैं।

चूंकि सेमीकंडक्टर उद्योग निरंतर विकसित हो रहा है, इसलिए इस अध्ययन के निष्कर्षों से स्कैंडियम नाइट्राइड और अन्य सेमीकंडक्टर में भविष्य के शोध के लिए आधार बनने की उम्मीद है। इसके अलावा, सेमीकंडक्टर सामग्रियों के क्षेत्र में जेएनसीएएसआर का काम भविष्य की प्रौद्योगिकियों के विकास पर स्थायी प्रभाव डाल सकता है, जो विज्ञान और नवाचार में वैश्विक रूप से अग्रणी बनने के भारत के दृष्टिकोण में योगदान देता है। जेएनसीएएसआर के अलावा, बेल्जियम के कैथोलिक डी लौवेन विश्वविद्यालय के शोधकर्ता प्रो. सैमुअल पोन्से ने भी इस अध्ययन में भाग लिया।

शोध के निष्कर्ष नैनो लेटर्स पत्रिका में "डोमिनेंट स्केटरिंग मैकनिजम इन लिमिटिंग द इलेक्ट्रॉन मोबिलिटी ऑफ स्केंडियम नाइटराइड" शीर्षक से प्रकाशित हुए हैं।

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